बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायेंसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें
प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? शिक्षा सामाजिक परिवर्तन किस प्रकार लाती है?
उत्तर -
हरबर्ट स्पेन्सर - 'सामाजिक परिवर्तन क्रमिक, एक समान और प्रगतिशील रूप में होता है और यह कम संतुष्टि प्रदान करने वाले समायोजन से अधिक संतुष्टि देने वाले समायोजन की ओर बढ़ता है।
मैकाइवर एवं पेज - " समाज सामाजिक सम्बन्धों का एक जाल है जो सदैव परिवर्तित होता रहता है।"
वस्तुतः सामाजिक परिवर्तन दो रूपों में हमारे सामने आते हैं या तो ये मूर्त रूप में स्पष्ट होकर हमे दिखाई पड़ते हैं या कभी मानव सम्बन्धों की जटिलताओं में छिपे रह कर अपना प्रभाव डालते हैं। कभी-कभी ये सामाजिक परिवर्तन परिस्थितियों के कारण आ जाते हैं और कभी-कभी विशिष्ट व्यक्ति तथा व्यक्तियों के प्रभाव के कारण भी घटित हो जाते हैं। इन सभी परिवर्तनों का मूल कारण नवीन मानकों, भावनाओं और गतिविधियों के माध्यम से समाज को आधुनिक स्वरूप देने की चेष्टा होती है। परिवर्तन की इस प्रक्रिया में शिक्षा अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अपनी नियामक प्रवृत्ति के कारण यह व्यक्तियों को ऐसा दर्शन प्रदान करती है, जो सामाजिक परिवर्तन को उचित दिशा एवं गति देने का कार्य करता है। शिक्षा इन परिवर्तनों को सांस्कृतिक और नैतिक आधार भी सुलभ कराती है जिससे परिवर्तनों को समाज की स्वीकृति मिल सके।
हरबर्ट स्पेन्सर सामाजिक परिवर्तन क्रमिक, एक समान और प्रगतिशील रूप में होता है और यह क्रम संतुष्टि प्रदान करने वाले समायोजन से अधिक संतुष्टि देने वाले समायोजन की ओर बढ़ता है।
डी. सी. मिलर - सामाजिक परिवर्तन किसी दी गई सामाजिक व्यवस्था में निहित सामाजिक सम्बन्धों के एक विशिष्ट आकार को संदर्भित करता है।
सामाजिक परिवर्तन के स्वरूप
(1) राजनीतिक परिवर्तन - यह परिवर्तन तब होता है जब किसी समाज में सरकार या प्रशासन में बदलाव आता है। यह परिवर्तन शिक्षा प्रणाली, सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों और सामान्य कानून को बहुत प्रभावित करते हैं।
आर्थिक परिवर्तनऐसे परिवर्तन व्यापार, वाणिज्य, व्यवसाय और इसी प्रकार की अन्य गतिविधियों की उन्नति के कारण होते हैं।
वैज्ञानिक परिवर्तन - इस प्रकार के परिवर्तनों का कारण वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति होता है। नवीन वैज्ञानिक खोजों और अनुसंधानों से प्रभावित होकर लोगों की जीवन शैली और दार्शनिक मूल्यों में परिवर्तन आ जाता है।
नैतिक परिवर्तन नैतिक दृष्टिकोण में परिवर्तन के कारण इस प्रकार के सामाजिक परिवर्तन होते हैं। यह समाज के नैतिक मूल्यों से सीधे जुड़े होते हैं।
सांस्कृतिक परिवर्तन - यह परिवर्तन आम तौर पर नहीं होता है। कभी-कभी शासन व्यवस्था के बदल जाने से इस प्रकार का परिवर्तन जनता पर बलपूर्वक लाद दिया जाता है, जैसे लार्ड मैकाले ने ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में अग्रेंजी संस्कृति और सभ्यता लाने का प्रयास किया था।
धार्मिक परिवर्तन - ऐसे परिवर्तन तभी होते हैं, जब समाज के सदस्य बड़ी संख्या में अपने धर्म का परिवर्तन करते हैं। जब जनता शोषण, अन्ध विश्वास, कुरीतियों आदि से बहुत अधिक त्रस्त हो जाती है। शासन द्वारा बलपूर्वक भी ऐसा परिवर्तन लाया जा सकता है।
शिक्षा सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में - शिक्षा सामाजिक परिवर्तन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। वास्तव में यह शिक्षा ही है जो सामाजिक परिवर्तन के लिए ठोस आधार का निर्माण करती है। जब कभी समाज में कोई बदलाव आता है तो उसे सर्वप्रथम शैक्षिक सिद्धान्तों की कसौटी पर ही परखा जाता है। शिक्षा अपनी नियामक प्रकृति के कारण होने वाले परिवर्तनों की तुलना राष्ट्रीय, अतंर्राष्ट्रीय, नैतिक और मानवीय मानकों से करती है और वृहद अनुसन्धान, जांच पड़ताल और सोच समझ कर परख लेने के बाद ही अगली पीढ़ी तक इस परिवर्तन को जाने की अनुमति देती है। शिक्षा उन अनेक समस्याओं का समाधन भी करती है जो समाज में परिवर्तन लाने के दौरान उत्पन्न होती है।
अपने उक्त गुरुतर उत्तरदायित्व को निभाने के लिए शिक्षा अपने विभिन्न अंगों की सहायता लेती है। इन अंगों में शिक्षा दर्शन, शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधार, विद्यालय, शिक्षक, पाठ्यक्रम, धार्मिक सस्थाएं, सम्मेलन, गोष्ठियाँ और समारोह आदि प्रमुख हैं। परिवर्तन की ग्राह्यता की जाँच करने के लिए शिक्षा की व्यक्तिनिष्ठ और वस्तुनिष्ठ दोनों विधियों का प्रयोग भी किया जाता है।
विद्यालय शिक्षा का एक महत्वपूर्ण औपचारिक साधन है। चूँकि शिक्षा का एक प्रमुख कार्य सामाजिक परिवर्तन लाना भी है। इसलिए विद्यालय भी सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए अहम भूमिका निभाता है।
जॉन डी.वी. - "विद्यालय एक लघु समाज है।"
जॉन डी.वी. - "विद्यालय भी समाज में परिवर्तन लाने का एक सशक्त साधन है।"
विद्यालय एक ऐसा. विशेष परिवेश है जिसमें बच्चों का वांछित दिशा में सम्यक विकास करने के लिए जीवन से जुड़े कुछ गुण, व्यवसाय और गतिविधि प्रदान की जाती है। बच्चों का वांछित दिशा में सम्यक विकास करने के लिए यह सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार यदि शिक्षक अथवा विद्यालय का प्रबंध तन्त्र समाज द्वारा स्वीकृत किसी मूल्य अथवा परिवर्तन की स्थापना करना चाहता है तो वह विद्यालय की सहायता से इसे आसानी से कर सकता है। विद्यालय बालकों के भावी जीवन को तैयार कराने का भी एक सशक्त साधन है। यह उन्हें जीवन की समस्याओं का सामना करने और उन्हें हल करने के योग्य बानता है।
शिक्षा जीवन की तैयारी है। यह व्यक्ति को उस विश्व में सफल जीवन जीने के लिए प्रशिक्षित करती है, जहाँ उन्हें भेजा गया है। विद्यालय छात्रों को अन्य बहुत से सामाजिक गुण भी प्रदान करते हैं। उनको धर्म-निरपेक्षता, राष्ट्रीयता, सहनशीलता, भाईचारा, परोपकार और विश्व नागरिकता की शिक्षा भी दी जाती है। ये सभी गुण सामाजिक परिवर्तन के लिए सहायक होते हैं। छात्रों की योग्यताएं समाज के भावी विकास के लिए वरदान स्वरूप होती हैं।
सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा का इतिहास इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि विगत सभी क्रान्तियों का नेतृत्व किसी न किसी दार्शनिक शिक्षक ने ही किया था। प्लेटो ऐसा शिक्षक था जिसने राजनीति, न्याय, शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में अपनी पुस्तक रिपब्लिक के माध्यम से वैचारिक क्रान्ति ला दी थी। गाँधी, दयानन्द, मार्क्स, रुसो, डी.वी. स्पेन्सर, पेस्टालॉजी, काण्ट, हीगल आदि विचारक शिक्षक थे।
आधुनिक युग में शिक्षक प्रायः विविध शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम और तकनीकी उपकरणों के माध्यम से नई-नई आवश्यकताओं के अनुसार समाज के विकास में संलग्न हैं।
|
- प्रश्न- दर्शन का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन के सम्बन्ध में शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन का क्या अर्थ है तथा परिभाषा भी निर्धारित कीजिए। शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन की परिभाषाएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन के अध्ययन क्षेत्र एवं विषय-वस्तु का वर्णन कीजिए। दर्शन और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के आधारभूत तत्व कौन कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन जगत में षडदर्शन का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- सांख्य और योग दर्शन के शिक्षण विधि संबंधी विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन में जैन व चार्वाक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के मुख्य तत्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्म तथा विज्ञान की दृष्टि से शिक्षा तथा दर्शन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।उप
- प्रश्न- विज्ञान की शिक्षा तथा दर्शन से सम्बद्धता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन से क्या अभिप्राय है? इसके स्वरूप का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "शिक्षा सम्बन्धी समस्त प्रश्न अन्ततः दर्शन से सम्बन्धित हैं।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन तथा शिक्षण पद्धति के सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में शिक्षा के उद्देश्य क्या होने चाहिए?
- प्रश्न- सामाजिक विज्ञान के रूप में शिक्षा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दर्शनशास्त्र में अनुशासन का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- दर्शन शिक्षा पर किस प्रकार आश्रित है?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन पर किस प्रकार निर्भर करती है?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा-दर्शन के अध्ययन की आवश्यकता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ एवं परिभाषा की विवेचना कीजिए। शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की भी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा एवं मनोविज्ञान में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक के लिए कुंजी है, जिससे वह प्रत्येक जिज्ञासा एवं समस्या का उचित समाधान प्रस्तुत करता है।' विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान शिक्षा की मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक एवं संकुचित अर्थ बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का महत्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षण में शिक्षा मनोविज्ञान की सम्बद्धता एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान शिक्षा को विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में किस प्रकार सहायता देता है?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक अर्थ क्या हैं? सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में पाठ्यक्रम की अवधारणा को शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में समझाइये।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षण विधियों का वर्णन करो।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में अनुशासन, शिक्षण, छात्र व स्कूल का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्तों का क्या प्रभाव शिक्षा पद्धति पर हुआ है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त काल की शिक्षा के स्वरूप को उल्लेखित करते हुए विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शैक्षिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उपनिषद् काल की शिक्षा की वर्तमान समय में प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा, ज्ञान मीमांसा तथा मूल्य एवं आचार मीमांसा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों व पाठ्यक्रम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर विचार तथा ईश्वर के अस्तित्व के लिए प्रमाण बताइये।
- प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर के अस्तित्व के प्रमाण लिखिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन की भूमिका प्रस्तुत कीजिए तथा न्यायशास्त्र का महत्त्व बताइये। न्यायशास्त्र के अन्तर्गत प्रमाण शास्त्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में पदार्थों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वैशेषिक द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में कितने गुण होते हैं?
- प्रश्न- कर्म किसे कहते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामान्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विशेष किसे कहते हैं? लिखिए।
- प्रश्न- समवाय किसे कहते हैं?
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में अभाव क्या है?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के गुण-दोष लिखिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के प्रमुख बिन्दु क्या हैं?
- प्रश्न- न्याय दर्शन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- योग दर्शन के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन में ईश्वर अर्थात् ब्रह्म के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त के तीन प्रमुख सिद्धान्तों को बताइये।
- प्रश्न- उपनिषदों के बारे में बताइये।
- प्रश्न- उपनिषदों अर्थात् वेदान्त के अनुसार विद्या, अविद्या तथा परमतत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में वेदान्त का महत्व बताइए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के प्रमुख दार्शनिक सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के क्षणिकवाद तथा अनात्मवाद दार्शनिक सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में पंच स्कन्ध तथा कर्मवाद सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में बोधिसत्व से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन माध्यमिक शून्यवाद के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में निहित मूल शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतीत्य समुत्पाद, कर्मवाद तथा बोधिसत्व के सिद्धान्तों के शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के शैक्षिक स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम एवं अनुशासन पर महात्मा बुद्ध के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के अष्टांगिक मार्ग के शैक्षिक निहितार्थ का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के हीनयान तथा महायान सम्प्रदाय के मूलभूत भेद क्या हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में चार आर्य सत्यों का उल्लेख करते हुए उनके शैक्षिक निहितार्थ का विश्लेषण कीजिए?
- प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- इस्लाम दर्शन का परिचय दीजिए। इस्लाम दर्शन के शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसमें निहित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- इस्लाम धर्म एवं दर्शन की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है?
- प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्याद्वाद) को समझाइए।
- प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- इस्लाम दर्शन के अनुसार शिक्षा व शिक्षार्थी के विषय में बताइए।
- प्रश्न- संसार को इस्लाम धर्म की देन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये।
- प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
- प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
- प्रश्न- वैदिक परम्परा व उपनिषदों के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- नास्तिक सम्प्रदायों का शैक्षिक अभ्यास में योगदान बताइए।
- प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रूढ़िवाद किसे कहते हैं? रूढ़िवाद की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- भारतीय वेद के सामान्य सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के आस्तिक तथा नास्तिक सम्प्रदायों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि पर श्री अरविन्द घोष के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में अरविन्द घोष के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द के किन शैक्षिक विचारों ने आपको अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित किया और क्यों?
- प्रश्न- श्री अरविन्द के शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है?
- प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- डॉ. राधाकृष्णन के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
- प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए.इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
- प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महर्षि दयानन्द के जीवन एवं उनके योगदान को समझाइए।
- प्रश्न- दयानन्द के शिक्षा दर्शन के विषय में सविस्तार लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी दयानन्द का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानवाधिकार आयोग के सार्वभौमिक घोषणा पत्र में मानव मूल्यों के सन्दर्भ में क्या घोषणाएँ की गई।
- प्रश्न- मूल्यों के संवैधानिक स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय मूल्य की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- जनतंत्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए जनतन्त्रीय शिक्षा का वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- लोकतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के गुण-दोषों की व्याख्या करते हुए इसमें शिक्षा की भूमिका का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ एवं परिभाषएँ बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण में शिक्षा की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता में शिक्षा की भूमिका क्या है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों में समानता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- लोकतन्त्रीय शिक्षा के पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जनतन्त्रीय शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में लोकतंत्रीय धारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की समस्या पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र में शिक्षा की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- जनतंत्र के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? शिक्षा सामाजिक परिवर्तन किस प्रकार लाती है?