बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायेंसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें
अध्याय - 9
भारतीय संविधान में निहित राष्ट्रीय मूल्य
(National Values as Enshrined in the Indian Constitution)
प्रश्न- मानवाधिकार आयोग के सार्वभौमिक घोषणा पत्र में मानव मूल्यों के सन्दर्भ में क्या घोषणाएँ की गई।
उत्तर -
मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा
मानवाधिकार के घोषणा-पत्र में 30 धाराएँ हैं -
धारा 1 - "सभी मनुष्य जन्म से स्वतन्त्र हैं और अधिकार एवं प्रतिष्ठा में एक समान हैं। उनमें विवेक और बुद्धि है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को दूसरों के प्रति भ्रातृत्व का व्यवहार करना चाहिए।"
धारा 2 - "प्रत्येक मनुष्य बिना जाति, वर्ग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक अथवा सामाजिक उद्गम, जन्म या किसी दूसरे भेदभाव के इस घोषणा में व्यक्त किए हुए सभी अधिकारों और स्वतन्त्रताओं के उपयोग का अधिकारी है। इसके अतिरिक्त किसी स्थान या देश के साथ, जिसका वह व्यक्ति नागरिक है, राजनीतिक स्तर के आधार पर भेद नहीं किया जायेगा, चाहे वह देश स्वतन्त्र हो, संरक्षित हो या शासनाधिकार से हीन हो अथवा किसी अन्य प्रकार से सीमित सम्प्रभु हो।"
धारा 3 - "प्रत्येक मनुष्य को जीवन, स्वतन्त्रता और सुरक्षा का अधिकार है। "
धारा 4 - "कोई भी व्यक्ति दासता अथवा गुलामी में नहीं रखा जा सकेगा। दासता और दास व्यवस्था सभी क्षेत्रों में सर्वथा निषिद्ध होगी।"
धारा 5 - "किसी भी व्यक्ति को अमानुषिक दण्ड नहीं दिया जायेगा और न ही उसके प्रति क्रूरतापूर्ण व अपमानजनक व्यवहार ही किया जाएगा।"
धारा 6 - "प्रत्येक व्यक्ति को अधिकार होगा कि वह प्रत्येक स्थान पर कानून के अधीन व्यक्ति माना जाए। "
धारा 7 - "कानून के समक्ष सभी व्यक्ति समान होंगे और सभी बिना किसी भेदभाव के कानून की सुरक्षा प्राप्ति के अधिकारी हैं।"
धारा 8 - "प्रत्येक व्यक्ति को संविधान या कानून द्वारा प्रदत्त मूल अधिकरों को भंग करने वाले कार्यों के विरुद्ध राष्ट्रीय न्यायालयों से संरक्षण पाने का अधिकार होगा।"
धारा 9 - "किसी व्यक्ति को अवैधानिक ढंग से न तो बन्दी बनाया जाएगा, न कैद किया जाएगा और न ही निष्कासित ही किया जाएगा।"
धारा 10 - "प्रत्येक व्यक्ति को स्वतन्त्र और निष्पक्ष न्यायालय द्वारा अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों तथा अपने विरुद्ध लगाए गए किसी अपराध के निर्णय के लिए उचित तथा खुले रूप में सुनवाई करवाने का समान रूप से अधिकार है। "
धारा 11 - (i) "प्रत्येक व्यक्ति, जिस पर दण्डनीय अपराध का आरोप है, उस समय तक निर्दोष माना जाएगा जब तक कि उसे एक खुले मुकदमे की सुनाई के पश्चात् अपराधी सिद्ध न कर दिया जाए। उसे अपनी निर्दोषता प्रमाणित करने का पूर्ण अवसर दिया जाएगा।" (ii) "जो अपराध, अपराध करने के समय किसी राष्ट्रीय अथवा अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अन्तर्गत दण्डनीय नहीं था, उसके लिए अपराध के बाद बने हुए कानून द्वारा किसी व्यक्ति को दण्डित नहीं किया जा सकेगा। जो सजा, अपराध करने के समय कानून के अनुसार वैध थी, उससे अधिक सजा भी बाद के बने कानून द्वारा निर्धारित नहीं की जा सकेगी।"
धारा 12 "किसी की भी पारिवारिक, गृहस्थी मूलक और पत्र व्यवहार की गोपनीयता में मनमाना हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा और न उसके सम्मान व प्रतिष्ठा को ही क्षति पहुँचाई जा सकेगी।"
धारा 13 (i) "प्रत्येक व्यक्ति का अपने राज्य की सीमा के भीतर आवागमन और निवास की स्वतन्त्रता के अधिकार होगा।" (ii)" प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी देश को, जिसमें उसका अपना देश भी सम्मिलित है, छोड़ने का अधिकार है और पुनः अपने देश में लौटने का भी अधिकार है।"
धारा 14 (i) "प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यक कष्ट व अपमान से बचन के लिए किसी भी देश में शरण लेने और सुखपूर्वक रहने का अधिकार है। " (ii) "गैर राजनीतिक अपराध या संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धान्तों व उद्देश्यों के विरुद्ध होने वाले कार्यों के फलस्वरूप मुख्यतया दण्डित व्यक्ति उपर्युक्त अधिकार से वंचित रहेंगे।"
धारा 15 (i) "प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीयता का अधिकार प्राप्त होगा।" (ii) "किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से उसकी राष्ट्रीयता से वंचित नहीं किया जा सकेगा और न उसको राष्ट्रीयता परिवर्तन के मान्य अधिकार से ही वंचित किया जाएगा।"
धारा 16 (i) " वयस्क स्त्री और पुरुष को जाति, राष्ट्रीयता अथवा धर्म की सीमा के बगैरय विवाह करने तथा परिवार बसाने का अधिकार है। उन्हें विवाह करने का, वैवाहिक जीवन में और वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद के समान अधिकार प्राप्त हैं।" (ii) "विवाह के इच्छुक स्त्री पुरुष की पूर्ण स्वतन्त्रता और स्वीकृति पर ही विवाह सम्पन्न होगा।"
(iii) "परिवार समाज की प्राकृतिक एवं मौलिक सामूहिक इकाई है और उसे समाज और राज्य द्वारा संरक्षण प्राप्त करने का अधिकार है।"
धारा 17 (i) "प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं अथवा दूसरों के साथ सम्पत्ति रखने का अधिकार है।" (ii) "कोई भी व्यक्ति अपनी सम्पत्ति से बलात् निराधिकृत नहीं किया जा सकता है।"
धारा 18 "प्रत्येक व्यक्ति को विचार, अनुभूति तथा धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार प्राप्त है।"
धारा 19 "प्रत्येक व्यक्ति को भत और विचार अभिव्यक्त करने की स्वतन्त्रता है।"
धारा 20 (i) "प्रत्येक व्यक्ति को शान्तिपूर्ण ढंग से सभा करने की स्वतन्त्रता प्राप्त है।" (ii) "किसी भी व्यक्ति को बलात् किसी संस्था में सम्मिलित होने के लिए विवश नहीं किया जा सकता है।"
धारा 21 (i) "प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश के प्रशासन में स्वतन्त्रतापूर्वक निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा भाग लेने का अधिकार है।"
(ii) "प्रत्येक व्यक्ति अपने देश की सरकारी सेवाओं में अपनी योग्यता के बल पर स्थान प्राप्त करने का अधिकारी है।"
(iii)" जनमत ही प्रशासन शासनाधिकार का आधार होगा और जनमत का निर्णय मतदान द्वारा किया जाएगा।"
धारा 22 "प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार होगा।"
धारा 23 (i) "प्रत्येक व्यक्ति को काम करने, इच्छानुसार अपनी जीविका हेतु व्यवसाय चुनने, काम की उचित परिस्थितियाँ प्राप्त करने तथा बेकारी से बचने का अधिकार है।" (ii) "प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के समान कार्य के लिए समान वेतन पाने का आधिकार है।" (iii)"प्रत्येक व्यक्ति को अपने कार्य के लिए समुचित पारिश्रमिक प्राप्त करने का अधिकार है।" (iv) " प्रत्येक व्यक्ति अपने हितों की सुरक्षा के लिए श्रम संघ गठित करने अथवा उसमें सम्मिलित होने का अधिकारी है।"
धारा 24 "प्रत्येक व्यक्ति को विश्राम और अवकाश का अधिकार है।"
धारा 25 (i)"प्रत्येक व्यक्ति को अपना समुचित जीवन स्तर बनाए रखने का अधिकार है।" (ii) "प्रत्येक माता को शिशु के मातृत्व और शिशु की विशेष देखभाल तथा मातृत्व सहायता प्राप्त करने का अधिकार है।'
धारा 26 " प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा पाने का अधिकार है। शिक्षा का लक्ष्य मानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास और मानव अधिकारों एवं मौलिक स्वतन्त्रताओं की प्रतिष्ठ को बढ़ाना होगा।"
धारा 27 "प्रत्येक व्यक्ति को सांस्कृतिक अधिकार प्राप्त है। प्रत्येक व्यक्ति सांस्कृतिक क्रिया-कलापों में बिना किसी भेदभाव के भाग ले सकता है और अपनी प्रतिभा से लाभान्वित हो सकता है।"
धारा 28 "प्रत्येक व्यक्ति ऐसी सामाजिक तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था का अधिकारी है जिससे इस घोषणा में उल्लेखित अधिकारों और स्वतन्त्रताओं की पूर्ण प्राप्ति हो सके।"
धारा 29 (i)"समाज के प्रति व्यक्ति के कुछ ऐसे कर्त्तव्य हैं जिनके पालन से ही उसके व्यक्तित्व का स्वतन्त्र एवं पूर्ण विकास संभव है।" (ii) "प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों और स्वतन्त्रताओं का उपभोग करने में उन सीमाओं के अन्दर रहना होगा जो कानून द्वारा निर्धारित की गई हैं।" (iii) "संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों और सिद्धान्तों के विरुद्ध किन्हीं अधिकारों व स्वतन्त्रताओं का उपभोग अमान्य है।"
धारा 30 "इस घोषणा पत्र में उल्लिखित किसी भी आदेश के ऐसे अर्थ न लगाए जाएँ जिनसे किन्हीं राज्यों के समूह या व्यक्ति को किसी भी ऐसे कार्य में लगाने या करने का अधिकार मिले
|
- प्रश्न- दर्शन का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन के सम्बन्ध में शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन का क्या अर्थ है तथा परिभाषा भी निर्धारित कीजिए। शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन की परिभाषाएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन के अध्ययन क्षेत्र एवं विषय-वस्तु का वर्णन कीजिए। दर्शन और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के आधारभूत तत्व कौन कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन जगत में षडदर्शन का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- सांख्य और योग दर्शन के शिक्षण विधि संबंधी विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन में जैन व चार्वाक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के मुख्य तत्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्म तथा विज्ञान की दृष्टि से शिक्षा तथा दर्शन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।उप
- प्रश्न- विज्ञान की शिक्षा तथा दर्शन से सम्बद्धता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन से क्या अभिप्राय है? इसके स्वरूप का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "शिक्षा सम्बन्धी समस्त प्रश्न अन्ततः दर्शन से सम्बन्धित हैं।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन तथा शिक्षण पद्धति के सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में शिक्षा के उद्देश्य क्या होने चाहिए?
- प्रश्न- सामाजिक विज्ञान के रूप में शिक्षा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दर्शनशास्त्र में अनुशासन का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- दर्शन शिक्षा पर किस प्रकार आश्रित है?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन पर किस प्रकार निर्भर करती है?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा-दर्शन के अध्ययन की आवश्यकता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ एवं परिभाषा की विवेचना कीजिए। शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की भी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा एवं मनोविज्ञान में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक के लिए कुंजी है, जिससे वह प्रत्येक जिज्ञासा एवं समस्या का उचित समाधान प्रस्तुत करता है।' विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान शिक्षा की मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक एवं संकुचित अर्थ बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का महत्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षण में शिक्षा मनोविज्ञान की सम्बद्धता एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान शिक्षा को विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में किस प्रकार सहायता देता है?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक अर्थ क्या हैं? सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में पाठ्यक्रम की अवधारणा को शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में समझाइये।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षण विधियों का वर्णन करो।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में अनुशासन, शिक्षण, छात्र व स्कूल का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्तों का क्या प्रभाव शिक्षा पद्धति पर हुआ है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त काल की शिक्षा के स्वरूप को उल्लेखित करते हुए विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शैक्षिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उपनिषद् काल की शिक्षा की वर्तमान समय में प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा, ज्ञान मीमांसा तथा मूल्य एवं आचार मीमांसा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों व पाठ्यक्रम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर विचार तथा ईश्वर के अस्तित्व के लिए प्रमाण बताइये।
- प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर के अस्तित्व के प्रमाण लिखिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन की भूमिका प्रस्तुत कीजिए तथा न्यायशास्त्र का महत्त्व बताइये। न्यायशास्त्र के अन्तर्गत प्रमाण शास्त्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में पदार्थों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वैशेषिक द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में कितने गुण होते हैं?
- प्रश्न- कर्म किसे कहते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामान्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विशेष किसे कहते हैं? लिखिए।
- प्रश्न- समवाय किसे कहते हैं?
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में अभाव क्या है?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के गुण-दोष लिखिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के प्रमुख बिन्दु क्या हैं?
- प्रश्न- न्याय दर्शन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- योग दर्शन के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन में ईश्वर अर्थात् ब्रह्म के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त के तीन प्रमुख सिद्धान्तों को बताइये।
- प्रश्न- उपनिषदों के बारे में बताइये।
- प्रश्न- उपनिषदों अर्थात् वेदान्त के अनुसार विद्या, अविद्या तथा परमतत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में वेदान्त का महत्व बताइए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के प्रमुख दार्शनिक सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के क्षणिकवाद तथा अनात्मवाद दार्शनिक सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में पंच स्कन्ध तथा कर्मवाद सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में बोधिसत्व से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन माध्यमिक शून्यवाद के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में निहित मूल शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतीत्य समुत्पाद, कर्मवाद तथा बोधिसत्व के सिद्धान्तों के शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के शैक्षिक स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम एवं अनुशासन पर महात्मा बुद्ध के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के अष्टांगिक मार्ग के शैक्षिक निहितार्थ का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के हीनयान तथा महायान सम्प्रदाय के मूलभूत भेद क्या हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में चार आर्य सत्यों का उल्लेख करते हुए उनके शैक्षिक निहितार्थ का विश्लेषण कीजिए?
- प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- इस्लाम दर्शन का परिचय दीजिए। इस्लाम दर्शन के शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसमें निहित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- इस्लाम धर्म एवं दर्शन की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है?
- प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्याद्वाद) को समझाइए।
- प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- इस्लाम दर्शन के अनुसार शिक्षा व शिक्षार्थी के विषय में बताइए।
- प्रश्न- संसार को इस्लाम धर्म की देन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये।
- प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
- प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
- प्रश्न- वैदिक परम्परा व उपनिषदों के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- नास्तिक सम्प्रदायों का शैक्षिक अभ्यास में योगदान बताइए।
- प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रूढ़िवाद किसे कहते हैं? रूढ़िवाद की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- भारतीय वेद के सामान्य सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के आस्तिक तथा नास्तिक सम्प्रदायों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि पर श्री अरविन्द घोष के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में अरविन्द घोष के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द के किन शैक्षिक विचारों ने आपको अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित किया और क्यों?
- प्रश्न- श्री अरविन्द के शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है?
- प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- डॉ. राधाकृष्णन के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
- प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए.इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
- प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महर्षि दयानन्द के जीवन एवं उनके योगदान को समझाइए।
- प्रश्न- दयानन्द के शिक्षा दर्शन के विषय में सविस्तार लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी दयानन्द का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानवाधिकार आयोग के सार्वभौमिक घोषणा पत्र में मानव मूल्यों के सन्दर्भ में क्या घोषणाएँ की गई।
- प्रश्न- मूल्यों के संवैधानिक स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय मूल्य की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- जनतंत्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए जनतन्त्रीय शिक्षा का वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- लोकतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के गुण-दोषों की व्याख्या करते हुए इसमें शिक्षा की भूमिका का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ एवं परिभाषएँ बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण में शिक्षा की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता में शिक्षा की भूमिका क्या है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों में समानता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- लोकतन्त्रीय शिक्षा के पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जनतन्त्रीय शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में लोकतंत्रीय धारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की समस्या पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र में शिक्षा की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- जनतंत्र के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? शिक्षा सामाजिक परिवर्तन किस प्रकार लाती है?