बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र
प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के लिए जैव-तकनीकी कारण किस प्रकार उत्तरदायी है?
उत्तर -
जैव तकनीकी या जैव प्रौद्योगिकी तकनीकी का वह विषय है जो अभियांत्रिकी और तकनीकी के डाटा और तरीकों को जीवों और जीवन तंत्रों से संबंधित अध्ययन और समस्या के समाधान के लिये उपयोग करता है। जिन विश्वविद्यालयों में ये अलग निकाय नहीं होता, वहाँ इसे रासायनिक अभियांत्रिकी, रसायनशास्त्र या जीव विज्ञान निकाय में रख दिया जाता है। जैव प्रौद्योगिकी जीव विज्ञान का एक क्षेत्र है जिसमें अभियांत्रिकी, प्रौद्योगिकी चिकित्सा और अन्य bio products आवश्यकता क्षेत्रों में रहने वाले जीवों और bio processes का इस्तेमाल शामिल है। जैव प्रौद्योगिकी भी निर्माण प्रयोजन के लिये इन उत्पादों का इस्तेमाल करता है। इसी प्रकार के शब्दों का प्रयोग आधुनिक आनुवंशिक साथ ही अभियांत्रिकी सेल ऊतक और संस्कृति प्रौद्योगिकी भी शामिल है। अबधारणा जीवित मानव उद्देश्यों के अनुसार जीवों को संशोधित करने के लिये प्रक्रियाओं और इतिहास की एक व्यापक श्रेणी शामिल है - पशुओं के पौधों की पालतू खेती के लिये प्रोग्राम है, जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों के लिये सबसे उपयुक्त फसलों का चयन करने में सहयोग दिया है।
विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व की प्राचीनकाल की उपलब्धियों से लेकर इस शताब्दी में प्राप्त महान सफलताओं की एक लंबी अनूठी परंपरा रही है। प्राचीन विश्व में विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र और दर्शनशास्त्र का अद्वितीय विकास हुआ। विश्व कणाद, कपिल, भारद्वाज, नागार्जुन, चरक, आर्यभट्ट, अरस्तू और भास्कराचार्य जैसे वैज्ञानिकों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहा है। इन वैज्ञानिकों ने गणित ज्योतिष, चिकित्सा शास्त्र, रसायनशास्त्र, खगोलशास्त्र, दर्शनशास्त्र आदि क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। कालांतर में विश्व भर में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन आया।
हरबर्ट स्पेन्सर ने डार्विन के प्राकृतिक प्रवरण के सिद्धांत के आधार पर जैविक आधारों पर सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया है। यह सिद्धांत काफी प्राचीन है। जैविकीय अथवा जैव तकनीकी कारकों का तात्पर्य उन दशाओं से है जो मानव की जीव रचना से संबंधित गुणों को प्रभावित करते हैं अर्थात ये जैविक प्रक्रियाओं के रूप में स्पष्ट होकर सामाजिक जीवन में परिवर्तन उत्पन्न करते हैं। इस दृष्टिकोण से वंशानुक्रम की प्रक्रिया, समाज में व्यक्तियों का स्तर अनुकूलन की प्रक्रिया, जन्मदर तथा मृत्युदर एवं जनसंख्या आदि वे प्रमुख दशायें हैं जिन्हें जैविकीय के रूप में स्पष्ट किया जाता है। अनेक समाजशास्त्रियों ने जैविकीय यानी प्राणिशास्त्रीय कारक तथा सामाजिक परिवर्तन में घनिष्ठ संबंध स्थापित करने का प्रयत्न किया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि हर जीवित प्राणी अपने अस्तित्व के लिये संघर्ष करता रहता है जिसके फलस्वरूप सामाजिक परिवर्तन घटित होता है। प्राणिशास्त्रीय दृष्टिकोण से प्रत्येक प्राणी प्रत्येक पर्यावरण में जीवित रहने योग्य होता। ऐसे अयोग्य व्यक्ति को प्रकृति अपने नियम से मार डालने के लिये चुन लेती है इसे प्राकृतिक प्रवरण कहते हैं।
सामाजिक परिवर्तन के जैविकीय कारकों में जनसंख्या का गुणात्मक पहलू आता है। जनसंख्या के गुण-दोष, आकार, वितरण, रचना आदि में परिवर्तन से व्यापक सामाजिक परिवर्तन होते हैं। उदाहरण के लिये भारत में बड़े- बड़े औद्योगिक नगरों में लाखों की संख्या में मजदूर पुरुषों के बाहर से नगर में आने से नगर में स्त्री-पुरुष की संख्या का अनुपात बिगड़ जाता है जिसका परिणाम वेश्यावृत्ति और वेश्यागमन, अपराध, मानसिक रोग, किशोरापराध आदि में वृद्धि के रूप में दिखाई पड़ता है। देश में जनसंख्या अत्यधिक बढ़ जाने पर समाज का स्वास्थ्य नीचे गिरता है और निर्धनता बढ़ती है। यह भारत में सब जगह दिखाई पड़ता है। देश में जनसंख्या अत्यधिक बढ़ जाने पर सामाजिक मूल्यों में भी परिवर्तन हुआ है। भारत में बड़े-बड़े नगरों में अत्यधिक भीड़-भाड़ और गन्दी बस्तियों की समस्या है जिससे समाज में बहुत परिवर्तन दिखाई दे रहा है।
जैव प्रौद्योगिकी का एक प्रारंभिक आवेदन किया गया था, जैव प्रौद्योगिकी का इतिहास, जैव प्रौद्योगिकी के विपरीत चिकित्सा स्वास्थ्य तथा कृषि के लिये नयी तकनीकों की खोज जैव-प्रौद्योगिक के माध्यम से की जाती है। जल्दी ही जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों के लिये सबसे उपयुक्त फसलों का चुनाव किया जा सकता है, सर्वोच्च पैदावार होने के लिये एक बढ़ती हुयी जनसंख्या समर्थन खाद्य उत्पादन जैव प्रौद्योगिकी के अन्य उपयोग के रूप में फसलों और खेतों की अच्छी तरह से देखभाल की जा सके। सामाजिक परिवर्तन के लिये जैव तकनीकीकरण हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहे हैं चाहे वह कृषि के नये तरीके, फसलों की अच्छी पैदावार तथा कीटनाशक दवाइयों में भी नये-नये प्रयोग कर रहे हैं कृत्रिम चयन और संकरण रोजगार प्रजनन के माध्यम से सुधार जैव प्रौद्योगिकी की तुलना करके bio engineering पर जो देने के साथ एक से संबंधित क्षेत्र के रूप में है कि उच्च प्रणाली दृष्टिकोण (बदलकर या जरूरी नहीं है कि जैविक सामग्री सीधे उपयोग करके) के साथ interfaung और जीवित चीजों के बारे में अधिक उपयोग करने के लिये सोचा। जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन जैव प्रौद्योगिकीय के रूप में परिभाषित करता है कोई भी प्रौद्योगिकीय अनुप्रयोग है कि जैविक प्रणालियों, रहने वाले जीवों या उसके डेरिवेटिव का उपयोग करता है, बनाने के लिये या विशिष्ट प्रयोग के लिये उत्पाद या प्रक्रियाओं को संशोधित जैव प्रौद्योगिकी अन्य शब्द जीव विज्ञान के क्षेत्र में विज्ञान और तकनीकी प्रगति के लिये तथा व्यवसायिक उत्पादों को विकसित करने का एक सरल तरीका माना गया है जो हर एक क्षेत्र में सहायक सिद्ध हो रहा है।
जैविक कारक का तात्पर्य जनंसख्या के गुणात्मक पक्ष से है जोकि वंशानुक्रमण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं। हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमताएँ, स्वास्थ्य व प्रजनन दर वंशानुक्रमण व जैविक कारकों से प्रभावित होते हैं। जैवकीय कारक अप्रत्यक्ष रूप से परिवर्तन को प्रभावित करते हैं। वंशगत मिश्रण को रोका नहीं जा सकता। इस कारण प्रत्येक पीढ़ी में शारीरिक अन्तर पाया जाता है इसके अतिरिक्त प्राकृतिक प्रवरण और अस्तित्व के लिए संघर्ष के जैवकीय सिद्धान्त भी समाज में बराबर परिवर्तन रहते हैं।
मैकाइवर व पेज के अनुसार- "सामाजिक परिवर्तन के दूसरे साधन, सामाजिक निरन्तरता की जैविक दशा में जनसंख्या के बढ़ाव व घटाव में तथा प्राणियों व मनुष्यों की वंशानुगत दशा के ऊपर निर्भर है।"
सामाजिक परिवर्तन के जैविक कारकों में जनसंख्या की गुणात्मक पहलू भी आता है। जनसंख्या के गुण-दोष, आकार, वितरण रचना आदि उदाहरण के लिए भारत में बड़े-बड़े औद्योगिक नगरों में लाखों की संख्या में मजदूर पुरुषों के बाहर से नगर में आने से नगर में स्त्री पुरुषों की संख्या का अनुपात बिगड़ जाता है। जिसका परिणाम वेश्यावृत्ति, वैश्यागमन, अपराध मानसिक रोग किशोरापराध आदि में वृद्धि के रूप में दिखलाई पड़ता है। देश में जनसंख्या अधिक बढ़ जाने से समाज का स्वास्थ्य नीचे गिरता है और निर्धनता बढ़ती है यह भारत में सब जगह दिखाई देता है। जनसंख्या अधिक बढ़ने से सामाजिक मूल्यों में भी परिवर्तन हुआ है। भारत में बड़े-बड़े शहरो में अत्यधिक भीड़-भाड़ और गन्दी बस्तियों की समस्या है जिसमें लोगों के चरित्र और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए सरकार परिवार नियोजन के लिए अत्यधिक प्रयत्नशील है। गर्भ निरोधक उपायों का विज्ञापन किया जा रहा है। इससे यौन सम्बन्धी मूल्यों में भी परिवर्तन हुआ है क्योंकि अवैध यौन-सम्बन्ध पहले से अधिक सम्भव हो गये हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या की भोजन और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए देश में नित्य नये आविष्कार हो रहे हैं और नई-नई चीजों के कारखानें खुल रहे हैं। खेती को अलग प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इन सबसे भी सामाजिक परिवर्तन हो रहा है। भारतीय जनसंख्या में अनेक गुणात्मक दोष है जैसे- नगरीय जनसंख्या की तुलना में ग्रामीण जनसंख्या का अधिक होना, अधिक जन्म दर अधिक मृत्यु दर इत्यादि। इन सब जैविकीय दोषों से विभिन्न सामाजिक संस्थाओं पर प्रभाव पड़ा और सामाजिक परिवर्तन हुआ।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताते हुए सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारकों का विवरण दीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजित सामाजिक परिवर्तन की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में नियोजन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते है? सामाजिक परिर्वतन के स्वरूपों की व्याख्या स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।.
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए - (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रूपांतरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक नियोजन की अवधारणा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रवर्जन व सामाजिक परिवर्तन पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति में सहायक दशाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के लिए जैव-तकनीकी कारण किस प्रकार उत्तरदायी है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज में प्रगति के मापदण्डों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उद्विकास व प्रगति में अन्तर स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में जनसंख्या वृद्धि ने सामाजिक आर्थिक विकास में बाधाएँ उपस्थित की हैं।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन मे आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारत के सन्दर्भ में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के बारे समझाइये।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था का नये स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की उपादेयता व सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की सीमाएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगीकरण के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- सतत् विकास की संकल्पना को बताते हुये इसकी विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास का महत्व अथवा आवश्यकता स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- विकास से सम्बन्धित पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने की विधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरणीय सतत् पोषणता के कौन-कौन से पहलू हैं? समझाइये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यकता / महत्व को स्पष्ट कीजिये। भारत जैसे विकासशील देश में इसके लिये कौन-कौन से उपाय किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- "भारत में सतत् पोषणीय पर्यावरण की परम्परा" शीर्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता क्या है? भारत में जीवन की गुणवत्ता को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता के आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- स्थायी विकास या सतत विकास के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास सूचकांक, 2017 क्या है?
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यक शर्ते कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख सिद्धान्तों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- समरेखीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भौगोलिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उद्विकासीय समरैखिक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक प्रसारवाद सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबर एवं टामस का सामाजिक परिवर्तन का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी निर्णायकवादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा वेब्लेन के सिद्धान्त से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स व वेब्लेन के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए!
- प्रश्न- जनसांख्यिकी विज्ञान की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सॉरोकिन के सांस्कृतिक सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक) एवं भावात्मक (विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते हैं? सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- जनांकिकीय कारक से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के कारकों को बताइये एवं सामाजिक जीवन में उनके प्रभाव पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सन्देशवहन के साधनों के विकास का सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मार्क्स तथा वेब्लन के सिद्धान्तों की तुलना कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- विश्व प्रणाली सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- केन्द्र परिधि के सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज में विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आर्थिक व सामाजिक विकास में योजना की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक तथा आर्थिक नियोजन में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में योजना आयोग की स्थापना एवं कार्यों की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये तथा भारत की पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय समस्याएँ एवं नियोजन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण दूर करने के लिए नियोजित नीति क्या है?
- प्रश्न- विकास में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गैर सरकारी संगठनों से आप क्या समझते है? विकास में इनकी उभरती भूमिका की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- भारत में योजना प्रक्रिया की संक्षिप्त विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं से आप क्या समझते हैं। पंचवर्षीय योजनाओं का समाजशास्त्रीय मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पूँजीवाद पर मार्क्स के विचारों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए लोकतंत्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के विभिन्न सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोकतंत्र को बताते हुये इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अधिनायकवाद को परिभाषित करते हुए इसकी विशेषताओं का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय नियोजन को परिभाषित करते हुए, भारत में क्षेत्रीय नियोजन के अनुभव की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नीति एवं परियोजना नियोजन पर एक टिप्पणी लिखिये।.
- प्रश्न- विकास के क्षेत्र में सरकारी संगठनों की अन्य भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गैर-सरकारी संगठन (N.G.O.) क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के गुण एवं दोषों की संक्षिप्त में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सोवियत संघ के इतिहासकारों द्वारा अधिनायकवाद पर विचार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं?