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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र
प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
यह कहाँ तक सत्य है कि हमारे पास पंचवर्षीय योजनाएँ तो है किन्तु क्रियान्वयन बहुत कमजोर है? इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर -
भारत में भारत सरकार ने आदेश जारी करके 15 मार्च, 1950 में योजना आयोग की स्थापना की गई तथा प्रधानमंत्री को इसका अध्यक्ष बनाया गया। 1950 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में योजना आयोग की स्थापना की गई। इन पंचवर्षीय योजनाओं के कारण देश को आर्थिक सामाजिक उद्देश्यों में सफलता मिली। पंचवर्षीय योजनाओं का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है -
प्रथम पंचवर्षीय योजना (कार्यकाल 1951-56)
प्रथम पंचवर्षीय योजना का गठन 1 अप्रैल, 1951 से मार्च 1956 तक किया गया इसके उद्देश्य निम्न -
(1) देश की सामाजिक आर्थिक उन्नति।
(2) द्वितीय विश्व युद्ध एवं देश विभाजन के कारण पीड़ित व्यक्तियों के पुनर्वास की योजना।
(3) व्यक्ति के रहन-सहन के स्तर में वृद्धि करना।
(4) राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना।
(5) संचार तथा यातायात के साधनों में वृद्धि।
(6) कच्चे माल की पूर्ति।
(7) विद्युत उत्पादन तथा औद्योगिक प्रगति को बढ़ावा देना।
इस योजना में प्रारम्भ में 2069 करोड़ रुपये व्यय करने की योजना की जिसे बाद में बढ़ाकर 2356 करोड़ रुपये कर दिया गया।
इस योजना के फलस्वरूप निम्न सफलतायें मिली-
(1) उद्योग-धन्धों का विकास हुआ।
(2) राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई।
(3) दुर्गापुर, भिलाई एवं राउरकेला में इस्पात के कारखाने लगाये गये।
(4) कृषि तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई।
(5) खनिज संचार, लघु सिंचाई, कपड़ा उद्योग व सहकारिता में वृद्धि हुई।
इस योजना की कुछ असफलतायें भी रही -
(1) ग्रामीण उद्योगों का विकास नहीं हुआ।
(2) गृह उद्योगों का विकास नहीं हुआ।
(3) बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि हुई।
(4) लोगों के जीवन स्तर में अपेक्षानुकूल सुधार नहीं हुआ।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना (कार्यकाल 1956-61)
उद्देश्य -
(1)समाजवादी समाज की स्थापना।
(2) औद्योगीकरण की प्रक्रिया को तेज करना।
(3) शक्ति का अधिक न्यायपूर्ण समान वितरण।
(4) राष्ट्रीय आय में 25% वृद्धि करना।
(5) रोजगार की दिशा में प्रयास करना।
इस योजना लिए 4,800 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया जिसे निम्न कार्यों के लिए व्यय किया गया -
क्र.सं. | कार्य |
खर्च करोड़ में | प्रतिशत |
1. |
कृषि एवं सामुदायिक विकास | 550 | 11 |
2. |
शक्ति साधन . | 445 | 10 |
3. |
यातायात एवं संचार साधन | 1300 | 28 |
4. |
उद्योग एवं खनिज | 900 | 20 |
5. |
वृहत एवं मध्यम सिंचाई योजना | 420 | 9 |
6. |
ग्रामीण एवं लघु उद्योग | 175 | 4 |
7. |
सामाजिक एवं अन्य सेवाएँ | 830 | 18 |
योग | 4690 | 100 |
इस योजना में खर्च अन्त में 16,000 करोड़ रुपये हुआ
सफलताएँ -
(1) कृषि के क्षेत्र में वृद्धि।
(2) औद्योगिक क्षेत्र का बहुमुखी विकास।
(3) राष्ट्रीय आय में 20% तथा प्रति व्यक्ति आय में 8% वृद्धि हुई।
(4) सामुदायिक विकास के कार्यक्रम।
असफलताएँ -
(1) घाटे की व्यवस्था पर निर्भर।
(2) यातायात के साधनों को कम प्रोत्साहन
(3) कृषि विकास के लिए कम प्रयास।
(4) बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि।
(5) वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि।
तृतीय पंचवर्षीय योजना (कार्यकाल 1962-1966)
तृतीय पंचवर्षीय योजना का प्रारम्भ 1962 से हुआ परन्तु कुछ कारणों से 1965 में इसमें संशोधन किया गया इसके उद्देश्य निम्न थे -
(1) खाद्यन्नों में आत्म-निर्भरता।
(2) कृषि उत्पादन में वृद्धि।
(3) आय की विषमता को दूर करने का प्रयास।
(4) आर्थिक शक्ति को बढ़ावा देना।
(5) मानव शक्ति का अधिकतम विकास।
(6) रोजगार की सुविधाओं में वृद्धि।
(7) रसायन पेट्रोल, इस्पात के उद्योगों का विस्तार
इस योजना के अन्तर्गत योजना की राशि 6300 करोड़ रुपये तथा संस्थापना व्यय 1200 करोड़ रुपये रखा गया इस योजना में व्यय 8577 करोड़ रुपये हुआ इस योजना में व्यय का निर्धारण निम्न क्षेत्रों में किया गया -
क्र.सं. | कारण (मद) | खर्च (करोड़ रुपये में) |
1. |
कृषि तथा सामुदायिक विकास | 1089 |
2. |
सिंचाई एवं बिजली | 1917 |
3. |
उद्योग एवं खनिज | 1976 |
4. |
यातायात एवं संचार साधन | 2113 |
5. |
सामाजिक व अन्य सेवाएँ | 1482 |
6. |
योग | 8577 |
सफलताएँ -
(1) कृषि उत्पादन में वृद्धि।
(2). औद्योगिक विकास में वृद्धि।
(3) रासायनिक खादों में वृद्धि।
(4) शिक्षा एवं सामाजिक सेवाओं में वृद्धि।
(5) रोजगार के अवसरों में वृद्धि।
असफलताएँ -
(1) धन का अभाव।
(2) राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में कमी।
(3) समाजवादी आदर्शों में कमी।
(4) शक्तिशाली संगठनों की कमी।
(5) अव्यवस्थित नीतियाँ।
(6) बेरोजगारी में वृद्धि।
(7) मध्यम व श्रमिक वर्ग की निम्न स्थिति।
(8) क्षेत्रीय विषमताओं में अधिकता।
इस योजना की समाप्ति के पश्चात् एक-एक वर्ष की तीन वार्षिक योजना चलाई गई जिससे योजना अवकाश रखना पड़ा।
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (कार्यकाल 1969-1974)
उद्देश्य
(1) मूल्यों की स्थितरता को बढ़ावा देना।
(2) घाटे की अर्थव्यवस्था को समाप्त करना।
(3) निर्यात में वृद्धि व आयात में कमी के लिए औद्योगिक उत्पादनों को बढ़ावा।
(4) कृषि उत्पादन में वृद्धि।
(5) कृषि संयन्त्रों तथा कीटनाशक दवाइयों में वृद्धि।
(6) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने के लिए परिवार नियोजन सम्बन्धी कार्यक्रम।
(7) सामाजिक सेवा के क्षेत्र को बढ़ावा।
इस योजना में 2150 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रावधान रखा गया इसका विवरण निम्न है -
क्र.सं. | कार्य | खर्च (करोड़ रुपये में) |
1. | कृषि तथा सामुदायिक विकास | 2320 |
2. | उद्योग एवं खनिज | 3107 |
3. | यातायात एवं संचार | 3080 |
4.. | सिंचाई एवं बिजली | 4286 |
5. | सामाजिक सेवाएँ | 2986 |
योग | 1517 |
सफलताएँ -
(1) सन्तुलित भुगतान तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि।
(2) विदेशी व्यापार में वृद्धि।
(3) विदेश पर निर्भरता में कमी।
असफलतायें -
(1) कृषि उत्पादन में कमी।
(2) औसत वृद्धि में कमी।
(3) औद्योगिक वृद्धि दर में कमी
(4) बेरोजगारी में वृद्धि।
पंचम पंचवर्षीय योजना (कार्यकाल 1974-78)
उद्देश्य -
(1) गरीब एवं पिछड़े वर्गों को प्रोत्साहन।
(2) विदेशों की सहायता तथा आर्थिक विकास के फलस्वरूप आत्म-निर्भर बनाने का प्रयास।
(3) कृषि तथा घरेलू उद्योगों में वृद्धि।
(4) मूल सुविधाओं को देने का लक्ष्य।
(5) गरीब जनता को निश्चित मूल्यों पर वस्तुओं की उपलब्धता।
(6) समान मूल्य तथा वेतन का सन्तुलन।
(7) अनावश्यक उपभोग पर रोक।
(8) सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों को प्रोत्साहन।
(9) सामाजिक, आर्थिक एवं क्षेत्रीय विषमता को दूर करने का प्रयास।
इस योजना के लिए 53,411 करोड़ रुपये व्यय करने का लक्ष्य रखा गया जिसमें 37,250 करोड़ सार्वजनिक क्षेत्र के लिए तथा 16161 करोड़ रुपये निजी क्षेत्र के लिए रखे गये।
क्र.सं. | कार्य | व्यय (करोड़ रुपये में) |
1. |
कृषि एवं सामुदायिक विकास | 4644 |
2. |
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण | 3434 |
3. |
ऊर्जा विज्ञान | 8142 |
4. |
उघोग एवं खनिज | 10201 |
5. |
यातायात एवं संचार | 6881 |
6. |
सामाजिक व अन्य सेवायें | 6001 |
योग | 393030 |
इस योजना में कुल व्यय 172210 करोड़ रुपये रखा गया जिसमें 97500 करोड़ रुपये सरकारी व्यय तथा 74,710 करोड़ रुपये निजी व्यय के लिए रखा गया।
क्र.सं. | कार्य | खर्च (करोड़ रुपये में) |
1. |
कृषि एवं सामुदायिक विकास | 12539 |
2. |
शक्ति साधन | 26535 |
3. |
13. सिंचाई एवं बाढ़ नियन्त्रण | 12160 |
4. |
यातायात एवं संचार व्यवस्था | 15546 |
5. |
उद्योग एवं खनिज | 15018 |
6. |
सामाजिक एवं अन्य सेवायें | 15702 |
योग | 97500 |
सफलताएँ
(1) औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि
(2) कृषि उत्पादन में वृद्धि।
(3) खनिज पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि।
(4) गरीबी एवं रोजगार की दिशा में उपलब्धि।
(5) शक्ति उत्पादन लक्ष्य।
(6) सार्वजनिक क्षेत्र में वृद्धि
असफलताएँ -
(1) राजनीतिक एवं आर्थिक विषमता।
(2) जनसंख्या वृद्धि।
(3) मुद्रा स्फीति की दर में अधिकता।
आठवीं पंचवर्षीय योजना (कार्यकाल 1992-97)
उद्देश्य -
(1 रोजगार में वृद्धि।
(2) क्षेत्रीय नियोजन के माध्यम से सामाजिक बदलाव।
(3) कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र का विकास।
(5) शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि।
इस योजना में 361, 100 करोड़ रुपये निवेश की योजना बनाई गई।
लक्ष्य -
इस योजना के निम्न लक्ष्य थे -
(1) राष्ट्रीय आय में वृद्धि
(2) घरेलू बचत में वृद्धि।
(3) रोजगार में वृद्धि।
(4) प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम।
असफलता-
इस योजना में निम्न असफलताएँ भी रही -
(1) राष्ट्रीय आय में वृद्धि के प्रतिशत को प्राप्त करना कठिन।
(2) रोजगार के अवसरों की कमी।
(3मुद्रास्फीति का दबाव।
निष्कर्ष - अन्त में कहा जा सकता है कि पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश को विकासशील बनाने का हर सम्भव प्रयास किया गया इससे देश के न केवल राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई अपितु प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई। विकास से सम्बन्धित क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करना यद्यपि कठिन कार्य है फिर भी पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से इसे दूर करने के प्रयास किये जाते रहे हैं।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताते हुए सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारकों का विवरण दीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजित सामाजिक परिवर्तन की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में नियोजन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते है? सामाजिक परिर्वतन के स्वरूपों की व्याख्या स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।.
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए - (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रूपांतरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक नियोजन की अवधारणा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रवर्जन व सामाजिक परिवर्तन पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति में सहायक दशाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के लिए जैव-तकनीकी कारण किस प्रकार उत्तरदायी है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज में प्रगति के मापदण्डों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उद्विकास व प्रगति में अन्तर स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में जनसंख्या वृद्धि ने सामाजिक आर्थिक विकास में बाधाएँ उपस्थित की हैं।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन मे आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारत के सन्दर्भ में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के बारे समझाइये।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था का नये स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की उपादेयता व सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की सीमाएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगीकरण के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- सतत् विकास की संकल्पना को बताते हुये इसकी विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास का महत्व अथवा आवश्यकता स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- विकास से सम्बन्धित पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने की विधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरणीय सतत् पोषणता के कौन-कौन से पहलू हैं? समझाइये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यकता / महत्व को स्पष्ट कीजिये। भारत जैसे विकासशील देश में इसके लिये कौन-कौन से उपाय किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- "भारत में सतत् पोषणीय पर्यावरण की परम्परा" शीर्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता क्या है? भारत में जीवन की गुणवत्ता को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता के आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- स्थायी विकास या सतत विकास के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास सूचकांक, 2017 क्या है?
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यक शर्ते कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख सिद्धान्तों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- समरेखीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भौगोलिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उद्विकासीय समरैखिक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक प्रसारवाद सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबर एवं टामस का सामाजिक परिवर्तन का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी निर्णायकवादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा वेब्लेन के सिद्धान्त से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स व वेब्लेन के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए!
- प्रश्न- जनसांख्यिकी विज्ञान की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सॉरोकिन के सांस्कृतिक सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक) एवं भावात्मक (विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते हैं? सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- जनांकिकीय कारक से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के कारकों को बताइये एवं सामाजिक जीवन में उनके प्रभाव पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सन्देशवहन के साधनों के विकास का सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मार्क्स तथा वेब्लन के सिद्धान्तों की तुलना कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- विश्व प्रणाली सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- केन्द्र परिधि के सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज में विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आर्थिक व सामाजिक विकास में योजना की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक तथा आर्थिक नियोजन में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में योजना आयोग की स्थापना एवं कार्यों की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये तथा भारत की पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय समस्याएँ एवं नियोजन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण दूर करने के लिए नियोजित नीति क्या है?
- प्रश्न- विकास में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गैर सरकारी संगठनों से आप क्या समझते है? विकास में इनकी उभरती भूमिका की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- भारत में योजना प्रक्रिया की संक्षिप्त विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं से आप क्या समझते हैं। पंचवर्षीय योजनाओं का समाजशास्त्रीय मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पूँजीवाद पर मार्क्स के विचारों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए लोकतंत्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के विभिन्न सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोकतंत्र को बताते हुये इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अधिनायकवाद को परिभाषित करते हुए इसकी विशेषताओं का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय नियोजन को परिभाषित करते हुए, भारत में क्षेत्रीय नियोजन के अनुभव की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नीति एवं परियोजना नियोजन पर एक टिप्पणी लिखिये।.
- प्रश्न- विकास के क्षेत्र में सरकारी संगठनों की अन्य भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गैर-सरकारी संगठन (N.G.O.) क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के गुण एवं दोषों की संक्षिप्त में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सोवियत संघ के इतिहासकारों द्वारा अधिनायकवाद पर विचार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं?