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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2683
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?

उत्तर -

सामाजिक स्तरीकरण के निर्धारक
(Determinants of Social Stratification)

पारसन्स ने सामाजिक स्तरीकरण के छः निर्धारकों की चर्चा की है। इनसे मात्र स्तरीकरण का ही निर्धारण नहीं होता, बल्कि व्यक्तियों की हैसियत का भी निर्धारण होता है।

(1) नातेदारी समूह की सदस्यता,
(2) व्यक्तिगत विशेषताएँ या गुण,
(3) उपलब्धियाँ,
(4) स्वामित्व,
(5) सत्ता एवं
(6) शक्ति।

पारसन्स द्वारा प्रस्तुत इन छः कारकों के द्वारा ही समाज में व्यक्तियों की स्थिति का निर्धारण होता है। विभिन्न समाजों में विभिन्न कारकों के अलग-अलग प्रभाव होते हैं।

(1) नातेदारी समूह की सदस्यता (Membership in a Kinship Unit) - व्यक्तियों की हैसियत समाज में कभी-कभी इस तथ्य से भी निर्धारित होती है कि वह किस प्रकार के समूह से जुड़ा हुआ है। समूह की सदस्यता दो प्रकार से प्राप्त होती है -

(i) जन्म से एवं
(ii) विवाह से

यदि कोई व्यक्ति राज-परिवार में जन्म लेता है, तो उस बालक की सामाजिक स्थिति साधारण परिवार में जन्म लेने वाले लोगों की तुलना में हमेशा ऊँची होगी। अगर कोई व्यक्ति साधारण परिवार या समाज के निम्न तबके में जन्म लेता है, तो उसकी सामाजिक हैसियत स्वाभाविक रूप से छोटी होगी। लेकिन यदि वह अपने गुणों या उपलब्धियों के कारण किसी उच्च कुल के परिवार से वैवाहिक सम्बन्ध जोड़ने में सफल हो जाता है, तो उस व्यक्ति को उस कुल की सदस्यता प्राप्त हो जाती है और फलस्वरूप उसकी सामाजिक हैसियत ऊँची हो जाती है।.

(2) व्यक्तिगत विशेषताएँ या गुण (Personal Qualities) – समाज के अंतर्गत कभी-कभी विभेदीकरण का आधार वैयक्तिक गुण भी हुआ करता है। यहाँ वैयक्तिक गुण से तात्पर्य वैसे गुणों से है जिसका सम्बन्ध जन्म या जैविक प्रक्रिया से जुड़ा है, जैसे- उम्र, लिंग-भेद, सुन्दरता, बुद्धि (Intelligence) शारीरिक शक्ति इत्यादि। समाज उम्र के आधार पर भी अपने सदस्यों के बीच सामाजिक प्रतिष्ठा में भेदभाव करता है। उसी तरह परिवार के अन्दर और बाहर लिंग के आधार पर स्त्री-पुरुष की स्थिति में अंतर पाया जाता है, अर्थात् समाज में कुछ लोग जैविक गुणों के आधार पर बड़े और छोटे होते हैं।

ध्यान देने की बात यह है कि मात्र जैविक गुणों के आधार पर ही स्तरीकरण या स्थिति का निर्धारण नहीं होता है। यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जैविक गुणों के साथ कोई सामाजिक मूल्य या सांस्कृतिक गुण जुड़ा हुआ है या नहीं। यहाँ जैविक और सामाजिक दोनों तत्व आपस में एक साथ मिलकर हैसियत का निर्धारण करते हैं।

(3) अर्जित उपलब्धियाँ (Achievements) - जिस समाज के अंतर्गत व्यक्तियों को आगे बढ़ने की पूरी आजादी होती है, वहाँ अर्जित उपलब्धियों के आधार पर सामाजिक हैसियत का निर्धारण कुछ विशेष रूप से होता है। उपलब्धियाँ भौतिक और अभौतिक दोनों ही हो सकती हैं। यदि कोई व्यक्ति बहुत बड़ा कवि, लेखक, कलाकार या खिलाड़ी होने में सफल हो जाता है, तो उसकी वह अभौतिक उपलब्धि मानी जाती है। पर यदि किसी को अपार सम्पत्ति या कोई उच्च राजनीतिक पद प्राप्त हो जाता है, तो उसकी वह भौतिक उपलब्धि मानी जाती है। भौतिक उपलब्धि साधारणतया अस्थाई होती है। इन उपलब्धियों के आधार पर समाज व्यक्तियों को क्रमबद्ध करता रहता है।

(4) स्वामित्व (Possessions) - व्यक्तियों को समाज में दो प्रकार का स्वामित्व प्राप्त होता है—एक तो वह जो आसानी से हस्तान्तरित हो सकता है, जैसे-भौतिक वस्तुएँ (जमीन, गाड़ी, मकान, वस्त्र, आभूषण इत्यादि), दूसरी वे जो आसानी से हस्तान्तरित नहीं होती हैं, जैसे-योग्यता या किसी खास प्रकार के वैयक्तिक गुण, जैसे—संगीत विद्या में महारत, एक अच्छा शल्य-चिकित्सक होना या मूर्तिकार होना इत्यादि।

यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि उपरोक्त अर्जित उपलब्धियाँ एवं स्वामित्व लगभग एक ही प्रकार के कारक हैं। पारसन्स यह स्पष्ट नहीं कर पाते हैं कि किन कारणों से उन्होंने इन दोनों को अलग-अलग कारक के रूप में देखा है। जो फर्क दिखाई पड़ रहा है, वह बहुत बारीक है और इसकी कोई विशेष समाजशास्त्रीय महत्ता नहीं है।

(5) सत्ता (Authority) - इसके अंतर्गत पारसन्स ने ऐसे अधिकारों की चर्चा की है जो संस्थागत हैं। यह दो प्रकार का हो सकता है-एक तो वह जो किसी व्यक्ति को समाज के परम्परागत मूल्यों के माध्यम से प्राप्त होता है, जैसे-पिता का पुत्र पर अधिकार, किसी धर्म-गुरु का उसके अनुयायियों पर अधिकार इत्यादि। सत्ता का दूसरा पक्ष वह है जो किसी व्यक्ति को किसी दफ्तर में पद से प्राप्त होता है, जैसे—जिलाधीश या मंत्री को जो सत्ता प्राप्त होती है वह उसके पद से मिलती है। सत्ता के ऐसे विभाजन से भी व्यक्तियों की सामाजिक हैसियत या समाज में स्तरीकरण का निर्धारण होता है।

(6) शक्ति (Power) - पारसन्स ने इसके अन्तर्गत उन सभी प्रकार के अधिकारों या सत्ता की चर्चा की है जिसका वर्णन ऊपर नहीं किया गया है, इसीलिए इसे उन्होंने शक्ति की अवशिष्ट श्रेणी (Residual Category of Power) कहा है। इस प्रकार की शक्ति को सामाजिक वैधता प्राप्त नहीं होती है या इसे संस्थागत अधिकार नहीं कहा जा सकता है। समाज में कुछ लोग गैर-वैधानिक तरीकों के बल पर बहुत सारे काम कराने में सक्षम हो जाते हैं। उन्हें किसी प्रकार का कोई पद या समाज से मान्यता प्राप्त अधिकार नहीं होता है, लेकिन अपने बलबूते पर कुछ लोगों को प्रभावित कर कठिन-से-कठिन काम करने या कराने में सफल हो जाते हैं, जैसे-आजकल बहुत चोर, उचक्के एवं डकैत कठिन से कठिन चुनाव जीतने या जिताने में सफल हो जाते हैं। विभिन्न प्रकार के माफिया गिरोहों, तस्करी से जुड़े लोगों एवं अन्य अपराधी प्रकृति के लोगों को जो अधिकार व शक्ति प्राप्त है, वह इसी श्रेणी की शक्ति है। समाज में वैसे लोगों की हैसियत कुछ कम नहीं होती है। प्रेम से न सही, डर से ही सही, वैसे लोग समाज की उच्च श्रेणी में रखे जाते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है? सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की क्या आवश्यकता है? सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों को स्पष्ट कीजिये।
  3. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  4. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण किसे कहते हैं? सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक विभेदीकरण में अन्तर बताइये।
  5. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण से सम्बन्धित आधारभूत अवधारणाओं का विवेचन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के सम्बन्ध में पदानुक्रम / सोपान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- असमानता से क्या आशय है? मनुष्यों में असमानता क्यों पाई जाती है? इसके क्या कारण हैं?
  8. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के स्वरूप का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  9. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के अकार्य/दोषों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  10. प्रश्न- वैश्विक स्तरीकरण से क्या आशय है?
  11. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण की विशेषताओं को लिखिये।
  12. प्रश्न- जाति सोपान से क्या आशय है?
  13. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता क्या है? उपयुक्त उदाहरण देते हुए सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सामाजिक वातावरण में परिवर्तन किन कारणों से आता है?
  16. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की खुली एवं बन्द व्यवस्था में गतिशीलता का वर्णन कीजिए तथा दोनों में अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता का विवेचन कीजिए तथा भारतीय समाज में गतिशीलता के निर्धारक भी बताइए।
  18. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता का अर्थ लिखिये।
  19. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के पक्षों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  21. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के मार्क्सवादी दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  22. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण पर मेक्स वेबर के दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  23. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की विभिन्न अवधारणाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  24. प्रश्न- डेविस व मूर के सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  25. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  26. प्रश्न- डेविस-मूर के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  27. प्रश्न- स्तरीकरण की प्राकार्यात्मक आवश्यकता का विवेचन कीजिये।
  28. प्रश्न- डेविस-मूर के रचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिये।
  29. प्रश्न- जाति की परिभाषा दीजिये तथा उसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये।
  30. प्रश्न- भारत में जाति-व्यवस्था की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  31. प्रश्न- जाति प्रथा के गुणों व दोषों का विवेचन कीजिये।
  32. प्रश्न- जाति-व्यवस्था के स्थायित्व के लिये उत्तरदायी कारकों का विवेचन कीजिये।
  33. प्रश्न- जाति व्यवस्था को दुर्बल करने वाली परिस्थितियाँ कौन-सी हैं?
  34. प्रश्न- भारतवर्ष में जाति प्रथा में वर्तमान परिवर्तनों का विवेचन कीजिये।
  35. प्रश्न- जाति व्यवस्था में गतिशीलता सम्बन्धी विचारों का विवेचन कीजिये।
  36. प्रश्न- वर्ग किसे कहते हैं? वर्ग की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था के रूप में वर्ग की आवधारणा का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अंग्रेजी उपनिवेशवाद और स्थानीय निवेश के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में उत्पन्न होने वाले वर्गों का परिचय दीजिये।
  39. प्रश्न- जाति, वर्ग स्तरीकरण की व्याख्या कीजिये।
  40. प्रश्न- 'शहरीं वर्ग और सामाजिक गतिशीलता पर टिप्पणी लिखिये।
  41. प्रश्न- खेतिहर वर्ग की सामाजिक गतिशीलता पर प्रकाश डालिये।
  42. प्रश्न- धर्म क्या है? धर्म की विशेषतायें बताइये।
  43. प्रश्न- धर्म (धार्मिक संस्थाओं) के कार्यों एवं महत्व की विवेचना कीजिये।
  44. प्रश्न- धर्म की आधुनिक प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।
  45. प्रश्न- समाज एवं धर्म में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में धर्म की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
  47. प्रश्न- जाति और जनजाति में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  48. प्रश्न- जाति और वर्ग में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- स्तरीकरण की व्यवस्था के रूप में जाति व्यवस्था को रेखांकित कीजिये।
  50. प्रश्न- आंद्रे बेत्तेई ने भारतीय समाज के जाति मॉडल की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
  51. प्रश्न- बंद संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- खुली संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  53. प्रश्न- धर्म की आधुनिक किन्हीं तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये।
  54. प्रश्न- "धर्म सामाजिक संगठन का आधार है।" इस कथन का संक्षेप में उत्तर दीजिये।
  55. प्रश्न- क्या धर्म सामाजिक एकता में सहायक है? अपना तर्क दीजिये।
  56. प्रश्न- 'धर्म सामाजिक नियन्त्रण का प्रभावशाली साधन है। इस सन्दर्भ में अपना उत्तर दीजिये।
  57. प्रश्न- वर्तमान में धार्मिक जीवन (धर्म) में होने वाले परिवर्तन लिखिये।
  58. प्रश्न- जेण्डर शब्द की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- जेण्डर संवेदनशीलता से क्या आशय हैं?
  60. प्रश्न- जेण्डर संवेदशीलता का समाज में क्या भूमिका है?
  61. प्रश्न- जेण्डर समाजीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजीकरण और जेण्डर स्तरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- समाज में लैंगिक भेदभाव के कारण बताइये।
  64. प्रश्न- लैंगिक असमता का अर्थ एवं प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- परिवार में लैंगिक भेदभाव पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- परिवार में जेण्डर के समाजीकरण का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  67. प्रश्न- लैंगिक समानता के विकास में परिवार की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  68. प्रश्न- पितृसत्ता और महिलाओं के दमन की स्थिति का विवेचन कीजिये।
  69. प्रश्न- लैंगिक श्रम विभाजन के हाशियाकरण के विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- पितृसत्तात्मक के आनुभविकता और व्यावहारिक पक्ष का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  72. प्रश्न- जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से क्या आशय है?
  73. प्रश्न- पुरुष प्रधानता की हानिकारकं स्थिति का वर्णन कीजिये।
  74. प्रश्न- आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
  75. प्रश्न- महिलाओं की कार्यात्मक महत्ता का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता का वर्णन कीजिये।
  77. प्रश्न- आर्थिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता की स्थिति स्पष्ट कीजिये।
  78. प्रश्न- अनुसूचित जाति से क्या आशय है? उनमें सामाजिक गतिशीलता तथा सामाजिक न्याय का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- जनजाति का अर्थ एवं परिभाषाएँ लिखिए तथा जनजाति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारतीय जनजातियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के लिये उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- सीमान्तकारी महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु किये जाने वाले प्रयासो का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- अल्पसंख्यक कौन हैं? अल्पसंख्यकों की समस्याओं का वर्णन कीजिए एवं उनका समाधान बताइये।
  85. प्रश्न- भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति एवं समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- सीमान्तिकरण अथवा हाशियाकरण से क्या आशय है?
  88. प्रश्न- सीमान्तकारी समूह की विशेषताएँ लिखिये।
  89. प्रश्न- आदिवासियों के हाशियाकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- जनजाति से क्या तात्पर्य है?
  91. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या कीजिये।
  92. प्रश्न- अस्पृश्य जातियों की प्रमुख निर्योग्यताएँ बताइये।
  93. प्रश्न- अस्पृश्यता निवारण व अनुसूचित जातियों के भेद को मिटाने के लिये क्या प्रयास किये गये हैं?
  94. प्रश्न- मुस्लिम अल्पसंख्यक की समस्यायें लिखिये।

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