लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2682
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।

अथवा
डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दलितों के उत्थान के लिये धार्मिक क्षेत्र में दिये गये योगदान का विश्लेषण कीजिये।

उत्तर -

डॉ. भीमराव अम्बेडकर को प्रारम्भ से ही दलित समाज का होने के कारण सामाजिक अपमान का सामाना करना पडा। डॉ. अम्बेडकर धार्मिक क्षेत्र में सुधार करने की सोच रहे थे क्योंकि उन्होंने समस्त संघर्षों से निष्कर्ष निकाला था कि अस्पृश्यता एवं जाति उत्पीड़न शास्त्रीय ढाँचे के हिन्दू धर्म की आधारशिला थी, अतः इसके अन्तर्गत रहकर इसको समाप्त नहीं किया जा सकता था। उन्होंने यह अनुभव किया कि हिन्दू धर्म में रहकर जाति प्रथा को समाप्त करने का प्रयास मीठे विष को चाटने का प्रयास है। उन्होंने हिन्दू धर्म को अपरिवर्तनशील माना और हिन्दू धर्म छोड़कर बाहर से शक्ति प्राप्त करने पर जोर दिया। 13 अक्टूबर 1935 ई. को नासिक के येवला में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें हैदराबाद राज्य प्रतिनिधियों सहित लगभग 10,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, डॉ. अम्बेडकर इस सम्मेलन में इस निष्कर्ष पर पँहुचे कि हमें हिन्दू धर्म से सम्बन्ध-विच्छेद करने एवं किसी अन्य धर्म, जो बिना किसी आरक्षण के व्यवहार स्थिति एवं अवसरों की समानता आश्वस्त करता हो, में जाकर आत्मसम्मान प्राप्त करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है क्योंकि हिन्दू अस्पृश्यों को कभी भी समान अधिकार नहीं दे सकते। डॉ. अम्बेडकर ने इस समर्थन में घोषणा की कि "दुर्भाग्य से मैं हिन्दू पैदा हुआ हूँ, इसे रोकना मेरी शक्ति से बाहर था किन्तु मैं दृढ़तापूर्वक आपको यह आश्वासन देता हूँ कि मैं एक हिन्दू होकर नहीं मरूँगा "।

इस घोषणा के बाद सभी धर्मों के लोगों ने इन्हें प्रलोभन देकर अपने-अपने धर्म में लाने की पूरी कोशिश की, किन्तु असफल रहे। घोषणा के बाद लगभग 1956 ई. तक उन्होंने सभी धर्मों का गहन अध्ययन किया। 30-31 मई 1936 ई. को मुम्बई में आयोजित एक सम्मेलन में डॉ. अम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन पर कहा कि अस्पृश्यता एक स्थायी लड़ाई है, हिन्दुओं की मान्यता के अनुसार जिन्हें सामाजिक व्यवस्था में कोई परिवर्तन स्वीकार्य नहीं है, अस्पृश्यता शाश्वत है, हिन्दू शास्त्रों एवं धर्म को स्वीकार करते रहेंगे। डॉ. अम्बेडकर की इस घोषणा का खुलकर विरोध किया गया। डॉ. अम्बेडकर ने कहा कि अस्पृश्यों के लिए धर्म परिवर्तन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं। वह ऐसे धर्म की तलाश में थे जिसमें आधुनिक विज्ञान हो, वह अखिल विश्व के लिए सम्माननीय हो, और जो सभी देशों व समयों के लिए शाश्वत हो। उन्होंने धर्म के चार लक्षण बताए -

(1) धर्म में नैतिकता की मान्यता पाई जाती हो।
(2) धर्म का आधार बौद्धिकता (विज्ञान) हो।
(3) धर्म के नैतिक नियमों में स्वतन्त्रता, समानता, भ्रातृत्व भाव का समावेश हो।
(4) धर्म द्वारा दरिद्रता को प्रोत्साहित न किया जाता हो।

ये सभी लक्षण बौद्ध धर्म में निहित थे जिस कारण इससे अस्पृश्यों का कल्याण ही होगा। डॉ. अम्बेडकर बौद्ध धर्म को पसंद करते थे और दलितों के लिए इसे अधिक उपयुक्त मानते थे। बौद्ध धर्म के बारे में डॉ. अम्बेडकर ने बताया था कि बुद्ध द्वारा एक ही स्थान पर तीन सिद्धान्त मिलते हैं जो अन्य किसी धर्म में नहीं पाए जाते हैं वे हैं- कल्याण, प्रज्ञा और समता। यह मनुष्य के अच्छे और सुखी जीवन के लिए आवश्यक हैं। समाज को न ईश्वर बचा सकता है न आत्मा। डॉ. अम्बेडकर ने ईश्वर और आत्मा को मिथ्या बताया। बौद्ध धम्म एक सामाजिक सिद्धान्त है। लम्बे अध्ययन के बाद डॉ. अम्बेडकर इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि बौद्ध धम्म ग्रहण कर लेना चाहिए और उन्होंने 23 सितम्बर 1956 ई. को एक पत्रक निकालकर घोषित किया कि वे नागपुर में विजय दशमी के अवसर पर 14 अक्टूबर 1956 को सुबह 9 से 11 की अवधि में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेंगे। तद्नुसार गोरखपुर जिले के कुशीनगर के महास्थीवर चंद्रमणि ने 14 अक्टूबर 1956 ई. को बौद्ध धम्म की दीक्षा डॉ. अम्बेडकर को त्रिसरण व पंचशील के साथ दी। डॉ. अम्बेडकर ने दीक्षा के बाद स्वयं लाखों लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी तथा बौद्ध धम्म में 22 प्रतिज्ञाएँ जोड़कर उसे भी लोगों द्वारा करवाया। ये प्रतिज्ञाएँ निम्नवत थीं-

1. मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को ईश्वर नहीं मानूँगा और न मैं इनकी पूजा करूँगा।
2. मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नहीं मानूँगा और मैं उनकी पूजा नहीं करूँगा।
3. मैं गौरी, गणपति आदि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवता को नहीं मानूँगा और न ही उनकी पूजा करूँगा।
4. ईश्वर ने अवतार लिया, इस पर मेरा विश्वास नहीं है।
5. मैं ऐसा कभी नहीं मानूँगा कि बुद्ध भगवान के अवतार हैं। ऐसे प्रचार को मै पागलपन और झूठा समझता हूँ।
6. मैं श्राद्ध कभी नहीं करूँगा और न ही कभी पिंडदान करूँगा।
7. मैं बौद्ध धम्म के विरूद्ध कभी कोई बात नहीं करूँगा।
8. मैं कोई भी क्रिया-कर्म ब्राह्मणों के हाथों नहीं करवाऊँगा।
9. मैं इस सिद्धान्त को मानूँगा कि सभी मनुष्य समान हैं
10. मैं समानता की स्थापना का यत्न करूँगा।
11. मैं भगवान बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का पूरा पालन करूँगा।
12. मैं भगवान बुद्ध के बताए हुए दस परमपिताओं का पूरा पालन करूँगा।
13. मैं प्राणिमात्र पर दया रखूँगा और उनका लालन-पालन करूँगा।
14. मैं चोरी नहीं करूँगा।
15. मैं झूठ नहीं बोलूंगा।
16. मैं व्यभिचार नहीं करूँगा।
17. मैं शराब नहीं पीऊँगा।
18. मैं अपने जीवन को बौद्ध धम्म के तीन तत्व-प्रज्ञा, शील और करूणा पर ढालने का प्रयत्न करूँगा।
19. मैं मानव मात्र के विकास के लिए हानिकारक और मनुष्य मात्र को ऊँच-नीच मानने वाले हिन्दू धर्म को पूर्णत: त्यागता हूँ और बौद्ध धम्म को स्वीकार करता हूँ।
20. मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि भगवान बुद्ध का धम्म ही सही धम्म है।'
21. मैं यह मानता हूँ कि मेरा अब पुनर्जन्म हो गया है।
22. मैं यह पवित्र प्रतिज्ञा करता हूँ कि आज से मैं बौद्ध धम्म के अनुसार आचरण करूँगा।

इस प्रकार डॉ. अम्बेडकर के नेतृत्व में धम्म चक्र प्रवर्तन हो गया और पहली बार इतनी भारी संख्या में लोगों ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली। डॉ. अम्बेडकर के अनुसार धम्म हमें आशावादी बनाता है, पीड़ित गरीबों को संदेश देता है कि घबराना नहीं, जीवन आशावदी होगा। इसीलिए गरीब और पीड़ित व्यक्ति धम्म का आश्रय लेता है। बौद्ध धम्म दलितों को स्वीकार करना चाहिए और इसी संस्कृति को अपनाना चाहिए क्योंकि यह उदारवादी धम्म है। बौद्ध धम्म न्याय व शांति है जो बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, लोकानुकपाय पर आधारित धम्म है। इसमें प्रत्येक बौद्ध, व्यक्ति को दीक्षा देने का अधिकार है। धर्मान्तरण से दलितों में एक नए युग का आरम्भ होगा। डॉ. अम्बेडकर नें दलितों को बौद्ध धम्म स्वीकार करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने दलित संस्कृति को ही बौद्ध संस्कृति और बौद्ध संस्कृति को बहुजन संस्कृति बताया, इतना ही नहीं उन्होंने दलित संस्कृति को हिन्दू संस्कृति से भिन्न बताया। वास्तव में स्वतन्त्रता, समता, बंधुत्व, न्याय व विज्ञान पर आधारित बहुजन, संस्कृति तथा इसको नकारना हिन्दू संस्कृति कहलाती है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
  2. प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
  3. प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
  4. प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  6. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  7. प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  8. प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  9. प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
  11. प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  12. प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
  13. प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  14. प्रश्न- शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  15. प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
  16. प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
  17. प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
  19. प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
  20. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
  21. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
  22. प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
  24. प्रश्न- प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  25. प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  26. प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
  27. प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  28. प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
  29. प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
  30. प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
  31. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  32. प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  33. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
  34. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
  35. प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
  36. प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
  38. प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
  39. प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
  41. प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  42. प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  43. प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  44. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  45. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  46. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
  48. प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
  49. प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  50. प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
  52. प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
  53. प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
  54. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
  55. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
  56. प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
  57. प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  58. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
  59. प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
  60. प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
  61. प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
  62. प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
  63. प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
  64. प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
  67. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  68. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  69. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
  70. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
  71. प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
  74. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
  75. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
  76. प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
  77. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book