बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
अथवा
एन. के. बोस के 'सभ्यता परिप्रेक्ष्य' की विवेचना कीजिये।
उत्तर -
सभ्यता की अवधारणा
संस्कृति के भौतिक पक्ष को सभ्यता कहा जाता है। सभ्यता के अन्तर्गत वे चीजें आती है। जिसका उपयोग करके व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। सभ्यता का सम्बन्ध उन भौतिक साधनों से हैं जिनमें उपयोगिता का तत्त्व पाया जाता है। जैसे कि उद्योग, आवागमन के साधन, मुद्रा इत्यादि। मानव की विविध प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के साधनों या माध् यमों को हम सभ्यता कह सकते हैं। मैथ्यू आरनोल्ड, अल्फ्रेडवेबर तथा मैकाइवर आदि विद्वानों ने संस्कृति के भौतिक पक्ष को ही सभ्यता कहा है। सभ्यता की अवधारणा को इस की परिभाषाओं एवं विशेषताओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
सभ्यता की प्रमुख परिभाषाएँ
सभ्यता को प्रमुख विद्वानों ने निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है -
(1) मैकाइवर तथा पेज के अनुसार, "सभ्यता से हमारा अर्थ सम्पूर्ण प्रविधि तथा संगठन से हैं जैसे कि, मनुष्य ने अपने जीवन की दशाओं को नियन्त्रित करने के प्रयत्न से बनाया है।"
ग्रीन के अनुसार, "एक संस्कृति तभी सभ्यता बनती है जब उसके पास एक लिखित भाषा, विज्ञान दर्शन, अत्याधिक विशेषीकरण वाला श्रम विभाजन एवं जटिल तकनीकी तथा राजनीतिक पद्धति हो।"
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि, मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के माध्यम या साधन सभ्यता के परिचायक होते हैं। सभ्यता के अन्तर्गत उन समस्त साधनों को सम्मिलित किया जाता है। जो मानव की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति तथा मानवीय जीवन के लिए आवश्यक है।
एन०के० बोस का रूम्यवादी परिप्रेक्ष्य
एन०के० बोस प्रथम पीढ़ी के उन भारतीय समाजशास्त्रियों में से हैं। जिन्होंने सभ्यता के आधार पर समाज के विश्लेषण पर बल दिया है। सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में किसी भी समाज के विश्लेषण हेतु सभ्यता के आधार - बिन्दु माना जाता है। बोस ने घुरिये द्वारा लिखित पुस्तक की विषय-वस्तु जुटाने में और उससे सम्बन्धित लेख लिखने में घुरिये को काफी सहयोग प्रदान किया।
बोस ने नगर एवं सभ्यता को विभिन्न आयामों की दृष्टि से देखने का प्रयास किया है। यदि सभ्यता के मानवशास्त्रीय अर्थ को स्वीकार किया जाता है तो उसका तात्पर्य एक समय विशेष में किसी समाज के लोगों के खान-पान रहन-सहन सभी प्रकार की भौतिक वस्तुओं, उद्योगों आदि के संगठित रूप से हैं। इसी के आधार पर प्राप्त भौतिक वस्तुओं द्वारा हड़प्पा और मोहनजोदड़ों की सभ्यता का चित्रण करने का प्रयास करते हैं तो हमारा ध्यान निश्चित रूप से इन दोनों स्थलों पर एक समय विशेष किए गये भौतिक निर्माण, कृषि, व्यापार, उद्योग, राजनीतिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, धर्म, शिक्षाव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था आदि की ओर जाता है।
बोस ने सभ्यता का प्रयोग मानव के चारों ओर निर्मित भौतिक वातावरण के अर्थ में किया है। उन्होंने भारतीय नगरों को सभ्यता का केन्द्र स्वीकार करते हुए उनके उद्गम तथा विकास के कारकों को खोजने का प्रयास किया है। इनका मत है कि नगरों ने ही मानव की सभ्यता को जन्म दिया है तथा वे ही सभ्यताओं की जन्म स्थली है।
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- प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
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- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।