लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2682
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।

उत्तर -

मार्क्सवादी स्वरूप

देसाई ने अपने अध्ययन 'भारतीय राष्ट्रवाद की सामाजिक पृष्ठभूमि' में राष्ट्रीय आन्दोलन के वर्ग चरित्र को उजागर किया है। उन्होने भारत के इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन को सर्वप्रथम मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य के च में से देखते हुये अनेक चरणों में निम्न प्रकार से स्पष्ट किया है -

(1) आन्दोलन का प्रथम चरण - देसाई ने स्पष्ट किया है कि भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रथम चरण नरमपन्थियों जैसे गोपालकृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, रानाड़े एवं ह्यूम इत्यादि के हाथ में था। ये सभी नेता उच्च एवं उच्च मध्यम वर्ग से थे। जो पेशे से डॉक्टर, वकील आदि थे। इनका उद्देश्य ब्रिटिश शासन को हटाना नहीं वरन भारतीय समाज के लिए कुछ रियायते लेने का था। किन्तु इस चरण में जनसाधारण राष्ट्रीय आन्दोलन से नहीं जुड़ पाया था। मुख्यतः किसान एवं मजदूर वर्ग आन्दोलन के प्रति जागरूक नहीं था।

(2) आन्दोलन का द्वितीय चरण - इस चरण में राष्ट्रवादियों के प्रयास से देश में शिक्षा का प्रसार हुआ किन्तु ब्रिटिश शासन की नीतियों में भारतीयों के प्रति दुर्रभावना के कारण शिक्षित भारतीयों को उच्च पदों पर नहीं चुना गया इससे प्रशिक्षित बेरोजगारी में वृद्धि हुई। साथ ही 19वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में अकाल, सूखा एवं महामारी ने भारतीयों को भयानक रूप से चोट पहुँचाई। लगभग इन्ही वर्षों में ब्रिटिश सरकार ने बंगाल विभाजन जैसे भारत विरोधी निर्णय लागू कर दिए। ऐसी विकट परिस्थितियों में राष्ट्रीय कांग्रेस के पक्ष में एक जन लहर उत्पन्न हो गई और जन समर्थन की शक्ति पाकर कांग्रेस के कई नेताओं ने ब्रिटिश अधिपत्य को पूरी तरह उखाड़ फेकने के लिए उग्रवाद धारण कर लिया। कांग्रेस नेताओं के गरम पन्थियों के इस धडे में शामिल नेताओं जैसे - बाल गंगाधर तिलक, बी०सी० पाल, लाला लाजपतराय एवं अरविन्द घोष इत्यादि ने येन-केन-प्रकारेण ब्रिटिशर्स को वापस ब्रिटेन की राह दिखाने के लिए कमर ली। इनके प्रभाव में कांग्रेस के उद्देश्यो में परिवर्तन हुआ और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठ खड़ी हुई।

(3) आन्दोलन का तृतीय चरण - इस चरण में कांग्रेस द्वारा चलाए गए अनेक कार्यक्रमों जैसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन, विदेशी वस्तुओं व सेवाओं के बहिष्कार से जुडे स्वदेशी आन्दोलन आदि के माध्यम से जनता में ब्रिटिशर्स के विरुद्ध वर्ग चेतना उत्पन्न हो गई। इसी समय आयरलैंड एवं रूस की क्रान्ति से प्रभावित अनेक भारतीयों जैसे-चन्द्र शेखर आजाद, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल आदि ने हथियार उठा लिए। उनके द्वारा चलाई गई गतिविधियों एवं कुरबानियों ने भारतीय जनमानस को पूरी तरह से झकझोर दिया और आजादी के प्रति उत्साह जाग्रत हो गया। इसी दौरान 1914 से 1919 में प्रथम विश्वयुद्ध हुआ जिसके दौरान मूल्यों में वृद्धि, मुनाफाखोरी और कालाबाजारी के कारण आम भारतीयों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसी समय मोहनदास कर्मचन्द गाँधी का राष्ट्रीय आन्दोलन में पदार्पण हुआ जो बाद में बापू एवं महात्मा के नाम उप नाम से जाने गए। उनके नेतृत्व में भारतीयों ने अंग्रेजों के काले कानून रौलेट एक्ट का विरोध किया। इसके विरोध में 13 अप्रैल, 1919 को जलियावाला बाग में अंग्रेज जनरल डायर द्वारा निहत्थों पर चलाई गई गोली में लगभग एक हजार मासूमो की जाने गई और हजारों घायल हो गए। जिसके बाद प्रत्येक भारतीय किसी भी कीमत पर आजादी हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्पित हो गया और ब्रिटिशर्स की छवि अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर धूल फाँकने लगी। साथ ही, अनेक भारतीयों जैसे मैडम भीखाजी कामा, लाला हरदयाल, राणा जी, कृष्ण वर्मा आदि ने सीमा पार के क्रान्तिकारियों से संपर्क स्थापित किया और विदेशों में भी आजादी की अलख जगा दी।

(4) आन्दोलन के चतुर्थ चरण - आम भारतीय छात्र, मजदूर, किसान, व्यापारी सभी आजादी की प्राप्ति के लिए इस महत्वपूर्ण चरण में समग्ररूपेण आन्दोलित हो उठे। 8 अप्रैल, 1929 ई० को भगतसिंह ने अपने अन्य क्रान्तिकारी साथियों की सहायता से केन्द्रिय असेम्बली में अंग्रेजों के बहरे कानों को गुँजाने के लिए बम धमाका कर दिया। जने भावना का अनुरूप 31 दिसम्बर, 1929 के लाहौर अधिवे ान में रात्रि के ठीक 12 बजे कांग्रेस की ओर से जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के किनारे जुड़ी आम भारतीयों की जनसभा की उपस्थिति में भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय ध्वज फहराया। तदोपरांत 26 जनवरी, 1930 को कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार को सीधी चुनौती देते हुए पहला स्वाधीनता दिवस मनाया। इसके बाद पुनः गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 ई. को 61 वर्ष की आयु में साबरमती से 200 कि०मी० दूर डाँडी पहुँच कर अंग्रेजो का नमक कानून तोड़ डा। गाँधी जी के मुट्ठी भर नमक हाथ में उठाने का यह कृत्य यद्यपि तत्कालीन अंग्रेजी सरकार की दृष्टि में अर्थहीन था किन्तु इसने भारतीयों में अन्तिम तौर पर वह चेतना भर दी जो मार्क्स के अनुसार क्रान्ति के लिए आवश्यक है। 1930 ई. में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू को फाँसी और 1931 में चन्द्रशेखर आजाद की शहादत ने प्रत्येक भारतीयों के दिल में आग के शोले भर दिए। परिणामस्वरूप, 1931 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता कर रहे बंगाल के तत्कालीन गवर्नर सर सटैलने जैक्सन पर कॉलेज की एक छात्र बीना दास ने गोली चलाई जिसमे यद्यपि जैक्सन बच गए किन्तु इससे साबित हो गया कि अंग्रेजों द्वारा शोषित एक-एक भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हो गया था।

(5) आन्दोलन का अंतिम चरण - यह चरण 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध से शुरू हुआ। जिस दौरान भारतीयों ने आजादी की लड़ाई के प्रयास तेज कर दिए। अंग्रेजो ने सभी बडे भारतीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इसी कड़ी में सुभाष चन्द्र बोस को उनके घर में नजरबन्द कर दिया गया किन्तु मार्च 1941 ई. में वे छदमवेश में भारत से बाहर जाने में सफल हुआ। उन्होने जर्मनी एवं जापानियों की सहायता से आजाद हिन्द फौज का गठन किया। इसके कुछ समय उपरांत गाँधी जी के आह्वान पर 1942 ई. में भारत छोडो आन्दोलन चलाया गया। इस आन्दोलन ने हिंसक रूप धारण कर लिया। 1945 ई. में जापान एवं जर्मनी की हार के बाद विश्वयुद्ध समाप्त हुआ तथा. इसी दौरान आजाद हिन्द फौज ने भी सप्लाई लाईन टूट जाने के कारण आत्मसमर्पण कर दिया। किन्तु तब तक प्रत्येक भारतीय आजादी के लिए क्रान्ति की राह पकड़ चुका था। फरवरी 1946 में बम्बई में नौ- सैनिक युद्धपोत तलवार में भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। अंग्रेजों ने वायु सेना के माध्यम से इसे दबाना चाहा किन्तु वायु सैनिक हड़ताल पर चले गए। कुल मिला कर परिस्थितियां अंग्रेजों के पूरी तरह प्रतिकूल हो गई अतः 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि में उन्हे भारत को आजाद कर भारत भूमि छोड़ कर जाना पड़ा। मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य से यह शोषाकों पर शोषितों की विजय थी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
  2. प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
  3. प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
  4. प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  6. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  7. प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  8. प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  9. प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
  11. प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  12. प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
  13. प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  14. प्रश्न- शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  15. प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
  16. प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
  17. प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
  19. प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
  20. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
  21. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
  22. प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
  24. प्रश्न- प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  25. प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  26. प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
  27. प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  28. प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
  29. प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
  30. प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
  31. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  32. प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  33. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
  34. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
  35. प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
  36. प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
  38. प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
  39. प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
  41. प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  42. प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  43. प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  44. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  45. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  46. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
  48. प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
  49. प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  50. प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
  52. प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
  53. प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
  54. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
  55. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
  56. प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
  57. प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  58. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
  59. प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
  60. प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
  61. प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
  62. प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
  63. प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
  64. प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
  67. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  68. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  69. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
  70. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
  71. प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
  74. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
  75. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
  76. प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
  77. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book