बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - प्राचीन समाजशास्त्रीय परम्परायें एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - प्राचीन समाजशास्त्रीय परम्परायेंसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - प्राचीन समाजशास्त्रीय परम्परायें
प्रश्न- पैरेटो के भ्रान्त-तर्क के सिद्धांत की विवेचना कीजिए।
अथवा
भ्रान्त-तर्क की अवधारणा बताइये।
अथवा
भ्रान्त-तर्क के प्रकार स्पष्ट कीजिये, या वर्गीकरण बताइये।
अथवा
पैरेटो के अनुसार समाज में भ्रान्त तर्क की अवधारणा तथा प्रकार का वर्गीकरण स्पष्ट करें।
उत्तर -
भ्रान्त-तर्क की अवधारणा (Concept of Derivations) - मनुष्य को जब कभी भी अपने कार्यों के औचित्य को प्रमाणित करने या उसके 'वास्तविक' (कार्यों के दृष्टिकोण से) गुणों को दिखाने, प्रमाणित करने तथा उसकी व्याख्या करने की आवश्यकता होती है, तभी वह भ्रान्त-तर्कों का सहारा लेता है और वह अपने कार्यों के पक्ष में बहुत कुछ कह जाता है, चाहे उनकी सामाजिक उपयोगिता हो या नहीं। ये भ्रान्त-तर्क इस अर्थ में भ्रान्त है कि ये सामान्य मत के विरुद्ध अतर्कसंगत तथा अप्रयोग सिद्ध आधारों पर आधारित होते हैं। इस कारण ये हमें प्रायः गलत निष्कर्षों पर पहुँचाते हैं। इस दृष्टि से भ्रान्त - तर्क विशिष्ट चालकों से कहीं अधिक अस्थिर, विविध, परिवर्तनीय तथा परस्पर विरोधी होते हैं। अतः स्पष्ट है कि इनका कोई स्थान पैरेटो के तार्किक प्रयोगात्मक विज्ञान के क्षेत्र में नहीं हो सकता। पैरेटो के अनुसार कोई भी समाजशास्त्री, जोकि घटनाओं की व्याख्या या विश्लेषण में इन भ्रान्त-तर्कों को किसी भी रूप में स्वीकार करता या मान्यता देता है, विज्ञान समस्त निष्कर्षो पर कदापि नहीं पहुँच सकता। ऐसे निष्कर्ष सदैव ही गलत, अतर्कसंगत तथा छद्म-वैज्ञानिक होते हैं।
(Types of Derivations)
पैरेटो के अनुसार गौण उपविभाजनों को छोड़कर भ्रान्त तर्कों के निम्नलिखित चार वर्ग हैं 1. घोषणाएँ (Affirmations) - इस वर्ग के भ्रान्त तर्कों से पैरेटो का तात्पर्य उन साधारण घोषणाओं या कथनों से जो विज्ञान की भाँति अनुभव तथा परिमाणात्मक तथ्यों पर आधारित नहीं होते हैं। फिर भी, इनकी पुष्टि में वास्तविक अथवा काल्पनिक तथ्यों को प्रस्तुत किया जा सकता है। ये कथन इतनी दृढ़ता और जोरदार शब्दों में व्यक्त किये जाते हैं कि उनमें सहज ही विश्वास उत्पन्न हो जाता है। यदि इस प्रकार की घोषणा की भाषा जोरदार शब्दों और छपे हुए अक्षरों से प्रकाशित होती है तो उसका प्रभाव सहज ही दूसरों पर पड़ता है। जब कभी ऐसी घोषणाओं में तथ्यों के साथ भावनाओं का मेल हो जाता है, तो स्वभावतः ही उसका प्रभाव लोगों के मस्तिष्क पर सरलता से पड़ता है। घोषणा का प्रभाव इस बात पर निर्भर है, कि उसे कितनी बार दोहराया जाता है। बिल्कुल ही झूठा कथन भी सच प्रतीत होने लगता है यदि उसे बार-बार दोहराया जाए।
2. अधिकार या अधिसत्ता (Authority) - इस श्रेणी के अन्तर्गत वे भ्रान्त-तर्क आते हैं, जिनके पीछे कोई शक्ति अथवा सत्ता होती है। किसी कारणवश जब एक व्यक्ति एक क्षेत्र में प्रतिष्ठित हो जाता है, तब गलती से लोग उसे दूसरे क्षेत्र में भी प्रतिष्ठित मान लेते हैं, जब कि वास्तव में उसे उस क्षेत्र के विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं होता है, फिर भी उसकी प्रतिष्ठा के कारण उसके कथनों को लोग सहज ही मान लेते हैं। यह शक्ति केवल व्यक्तिगत न होकर ईश्वरीय या सामाजिक शक्ति भी हो सकती है।
उदाहरणार्थ - अनेक धार्मिक नियम इस प्रकार हो सकते हैं, जिनका पालन एक प्रकार से अनेक के लिए अनिवार्य हो जाता है क्योंकि उनके पीछे कोई ईश्वरीय शक्ति या सत्ता छिपी हुई होती है। उसी प्रकार प्रथा, परम्परा आदि में सामाजिक सत्ता अभिव्यक्त होती है और इसलिए वे अत्यन्त शक्तिशाली होते हैं और मानव-व्यवहार के नियन्त्रण में इनका पर्याप्त हाथ होता है।.
3. भावना या सिद्धान्तों से अनुरूपता (Accord with Sentiments of Principles) - इस श्रेणी के अन्तर्गत उन भ्रान्त-तर्कों को सम्मिलित करते हैं जो किसी कार्य के औचित्य को प्रमाणित करने के लिए एक व्यक्ति प्रस्तुत करता है।
इस प्रकार के तर्क कुछ भावनाओं पर आधारित होते हैं और उसी आधार पर कार्य को उचित मान लिया जाता है। इस प्रकार तर्क की भावनाओं पर आधारित होते हैं। ये व्यक्ति से, विधान से या ईश्वर से सम्बन्धित हो सकती हैं। उदाहरणार्थ, किसी कार्य को करके कोई नेता यह तर्क प्रस्तुत कर सकता है कि उसने यह काम राष्ट्रीय हित के लिए किया है। भूतकाल के कुछ विद्वानों ने सुखद भावनाओं के आधार पर अपराधी व्यवहार तक को समझाने का प्रयत्न किया है। उसी प्रकार नैतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, वैधानिक और ऐसे कितने ही नियम और सिद्धान्त बने हुए हैं जोकि भावनाओं पर आधारित हैं।
4. मौखिक प्रमाण (Verbal Proofs) - इन श्रेणी के अन्तर्गत वे मिथ्या तर्क, कुतर्क, सन्देह मूलक और द्विअर्थक बातें आती हैं जो वास्तविक तथ्यों के अनुरूप नहीं होतीं, लेकिन जिन्हें व्यवहार के आचरण का औचित्य सिद्ध करने के लिए उपयोग किया जाता है। पैरेटो ने इस प्रकार के भ्रान्त तर्कों को इतना अधिक महत्व दिया है कि आपने एक पूरे अध्याय में इस प्रकार के भ्रान्त तर्कों की अनन्त जटिलताओं पर विचार किया है। ये भ्रान्त-तर्क प्रायः अन्य प्रकार के भ्रान्त-तर्कों से जुड़े रहते हैं और उनमें अनेक विशिष्ट चालक भी अन्तर्निहित हो सकते हैं। केवल पौराणिक गाथाओं में ही नहीं, बल्कि अतीत काल के अनेक विद्वानों के लेखों में भी इस प्रकार के अनेक मौखिक प्रमाण मिलते हैं।
पैरेटो इस मत से सहमत नहीं हैं कि भ्रान्त-तर्क समाज के लिए बिल्कुल ही अनुपयोगी या हानिकारक होते हैं। आपका विश्वास तो इसके कुछ विपरीत ही है। पैरेटो का कहना है कि यह सच है कि भ्रान्त- तर्क सत्य नहीं होते, इस कारण सामाजिक घटनाओं की व्याख्या में इनके प्रभावों से प्रत्येक वैज्ञानिक को सदैव बचने का प्रयत्न करना चाहिए। परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं है कि ये भ्रान्त-तर्क समाज के लिए उपयोगी नहीं है।
पैरेटो ने अपने अध्ययन में इस बात को प्रमाणित करने का प्रयत्न किया है कि अनेक भ्रान्त-तर्क ऐसे भी हैं जो सामाजिक व्यवस्था में एकता बनाए रखने में उपयोग सिद्ध हुए हैं, जबकि कितने ही सत्य ऐसे भी है जो कि सामाजिक व्यवस्था या संगठन के लिए घातक सिद्ध हुए हैं। इस प्रकार पैरेटो के अनुसार, “यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक सत्य उपयोगी हो और प्रत्येक अन्धविश्वास हानिकारक ही हो।"
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- प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव की ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समाजशास्त्र की उत्पत्ति एवं विकास के विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- भारत में समाजशास्त्र के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में समाजशास्त्र के विकास की प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक विचारधारा की प्रकृति व उसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ज्ञान का समाजशास्त्र क्या है? दुर्खीम के अनुसार इसकी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'दुर्खीम बौद्धिक पक्ष' की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम का समाजशास्त्र में योगदान बताइये।
- प्रश्न- समाजशास्त्र के विकास में दुर्खीम का योगदान बताइये।
- प्रश्न- विसंगति की अवधारणा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कॉम्ट तथा दुर्खीम की देन की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम का समाजशास्त्रीय योगदान बताइये।
- प्रश्न- 'दुर्खीम ने समाजशास्त्र की अध्ययन पद्धति को समृद्ध बनाया' व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम की कृतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट करें।
- प्रश्न- इमाइल दुर्खीम के जीवन-चित्रण तथा प्रमुख कृतियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- दुर्खीम के समाजशास्त्रीय प्रत्यक्षवाद के नियम बताइए।
- प्रश्न- दुर्खीम के आत्महत्या-सिद्धान्त की आलोचनात्मक जाँच कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम के आत्महत्या के सिद्धान्त के क्या प्रकार हैं?
- प्रश्न- आत्महत्या का परिचय, अर्थ, परिभाषा तथा कारण बताइये।
- प्रश्न- दुर्खीम के आत्महत्या के सिद्धान्त की विवेचना करते हुए उसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के आत्महत्या सिद्धान्त के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'आत्महत्या सामाजिक कारकों की उपज है न कि वैयक्तिक कारकों की। दुर्खीम के इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आत्महत्या का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अहम्वादी आत्महत्या के सम्बन्ध में दुर्खीम के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार आत्महत्या से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के आत्महत्या के सिद्धान्त को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार 'विसंगत आत्महत्या' क्या है?
- प्रश्न- आत्महत्या का समाज के साथ व्यक्ति के एकीकरण की समस्या।
- प्रश्न- दुर्खीम के पद्धतिशास्त्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के पद्धतिशास्त्र की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक तथ्य की अवधारणा की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- बाह्यता (Exteriority) एवं बाध्यता (Constraint) क्या है? वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम ने सामाजिक तथ्य की व्याख्या किस प्रकार की है?
- प्रश्न- समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम' पुस्तक में दुर्खीम ने सामाजिक तथ्य को कैसे परिभाषित किया है?
- प्रश्न- दुर्खीम के सामाजिक तथ्य की विशेषताओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों के लिये कौन-कौन से नियमों का उल्लेख किया है?
- प्रश्न- दुर्खीम ने सामान्य और व्याधिकीय तथ्यों में किस आधार पर अंतर किया है?
- प्रश्न- दुर्खीम द्वारा निर्णीत “अपराध एक सामान्य सामाजिक तथ्य है" को रॉबर्ट बीरस्टीड मानने को तैयार नहीं है। स्पष्ट करें।
- प्रश्न- अपराध सामूहिक भावनाओं पर आघात है। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार दण्ड क्या है?
- प्रश्न- दुर्खीम ने धर्म और जादू में क्या अंतर किये हैं?
- प्रश्न- टोटमवाद से दुर्खीम का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- दुर्खीम ने धर्म के किन-किन प्रकार्यों का उल्लेख किया है?
- प्रश्न- दुर्खीम का धर्म का क्या सिद्धांत है?
- प्रश्न- दुर्खीम के सामाजिक तथ्यों की अवधारणा पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- दुर्खीम के धर्म के सामाजिक सिद्धान्तों को विश्लेषित कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम ने अपने पूर्ववर्तियों की धर्म की अवधारणों की आलोचना किस प्रकार की है।
- प्रश्न- दुर्खीम के धर्म की अवधारणा को विशेषताओं सहित स्पष्ट करें।
- प्रश्न- दुर्खीम की धर्म की अवधारणा का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
- प्रश्न- धर्म के समाजशास्त्र के क्षेत्र में दुर्खीम और वेबर के योगदान की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- पवित्र और अपवित्र, सर्वोच्च देवता के रूप में समाज धार्मिक अनुष्ठान और उनके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- टोटमवाद क्या है? व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- 'कार्ल मार्क्स के अनुसार ऐतिहासिक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के ऐतिहासिक युगों के विभाजन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के ऐतिहासिक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स की वैचारिक या वैचारिकी के सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के अनुसार अलगाव को कैसे समाप्त किया जा सकता है?
- प्रश्न- मार्क्स का 'आर्थिक निश्चयवाद का सिद्धान्त' बताइए। 'सामाजिक परिवर्तन' के लिए इसकी सार्थकता समझाइए।
- प्रश्न- मार्क्स के अनुसार वर्ग संघर्ष का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के विचारों में समाज में वर्गों का जन्म कब और क्यों हुआ?
- प्रश्न- आदिम साम्यवादी युग में वर्ग और श्रम विभाजन का कौन-सा स्वरूप पाया जाता था?
- प्रश्न- दासत्व युग में वर्ग व्यवस्था की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- मार्क्स ने वर्गों की सार्वभौमिक प्रकृति को कैसे स्पष्ट किया है?
- प्रश्न- पूर्व में विद्यमान वर्ग संघर्ष की धारणा में मार्क्स ने क्या जोड़ा?
- प्रश्न- मार्क्स ने 'वर्ग संघर्ष' की अवधारणा को किस अर्थ में प्रयुक्त किया?
- प्रश्न- मार्क्स के वर्ग संघर्ष के विवेचन में प्रमुख कमियाँ क्या रही है?
- प्रश्न- वर्ग और वर्ग संघर्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के "द्वन्द्वात्मक भौतिकवादी सिद्धान्त" का मूल्याकंन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स की वर्गविहीन समाज की अवधारणा को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के राज्य सम्बन्धी विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पूँजीवादी व्यवस्था तथा राज्य में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- मार्क्स की राज्य सम्बन्धी नई धारणा राज्य तथा सामाजिक वर्ग के बार में समझाइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य के रूप में विखंडित, ऐतिहासिक, भौतिकवादी अवधारणा बताइये |
- प्रश्न- स्तरीकरण के प्रमुख सिद्धांत बताइये।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'ऐतिहासिक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मार्क्स के अनुसार वर्ग संघर्ष का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के विचारों में समाज में वर्गों का जन्म कब और क्यों हुआ?
- प्रश्न- मार्क्स ने वर्गों की सार्वभौमिक प्रकृति को कैसे स्पष्ट किया है?
- प्रश्न- पूर्व में विद्यमान वर्ग संघर्ष की धारणा में मार्क्स ने क्या जोड़ा?
- प्रश्न- मार्क्स ने 'वर्ग संघर्ष' की अवधारणा को किस अर्थ में प्रयुक्त किया?
- प्रश्न- मार्क्स के वर्ग संघर्ष के विवेचन में प्रमुख कमियाँ क्या रही हैं?
- प्रश्न- वर्ग और वर्ग संघर्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र को मार्क्स का क्या योगदान मिला?
- प्रश्न- मार्क्स ने समाजवाद को क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- साम्यवादी समाज के निर्माण के लिये मार्क्स ने क्या कार्य पद्धति सुझाई?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के बारे में मार्क्स के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- मार्क्स द्वारा प्रस्तुत वर्ग संघर्ष के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सर्वहारा क्रान्ति की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- मार्क्स के अनुसार अलगाववाद के लिए उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्क्स का आर्थिक निश्चयवाद का सिद्धान्त बताइए। 'सामाजिक परिवर्तन' के लिए इसकी सार्थकता बताइए।
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की मुख्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मैक्स वेबर के बौद्धिक पक्ष के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- वेबर का समाजशास्त्र में क्या योगदान है?
- प्रश्न- वेबर के अनुसार सामाजिक क्रिया क्या है? सामाजिक क्रिया के विभिन्न प्रचारों का वर्णन भी कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक क्रिया के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
- प्रश्न- नौकरशाही किसे कहते हैं? वेबर के नौकरशाही सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वेबर का नौकरशाही सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- नौकरशाही की प्रमुख विशेषताएँ बतलाइये।
- प्रश्न- सत्ता क्या हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मैक्स वैबर के अनुसार समाजशास्त्र को परिभाषित किजिये।
- प्रश्न- वेबर का पद्धतिशास्त्र तथा मूल्यांकनात्मक निर्णय क्या हैं? स्पष्ट करो।
- प्रश्न- आदर्श प्ररूप की धारणा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- करिश्माई सत्ता के मुख्य लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रोटेस्टेण्ट आचार और पूँजीवाद की आत्मा' सम्बन्धी मैक्स वेबर के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कार्य प्रणाली का योगदान या कार्य प्रणाली का अर्थ, परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- मैक्स वेबर के 'आदर्श प्रारूप' की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मैक्स वैबर का संक्षिप्त जीवन-चित्रण तथा प्रमुख कृतियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मैक्स वेबर का बौद्धिक दृष्टिकोण क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक क्रिया को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मैक्स वेबर द्वारा दिये गये सामाजिक क्रिया के प्रकारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैबर के अनुसार सामाजिक वर्ग और स्थिति क्या है? बताइये।
- प्रश्न- वेबर का सामाजिक संगठन का सिद्धान्त क्या है? बताइये।
- प्रश्न- वेबर का धर्म का समाजशास्त्र क्या है? बताइये।
- प्रश्न- धर्म के सम्बन्ध में कार्ल मार्क्स तथा मैक्स वेबर के विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- वेबर ने शक्ति को किस प्रकार समझाया?
- प्रश्न- नौकरशाही के दोष समझाइए?
- प्रश्न- वेबर के पद्धतिशास्त्र में आदर्श प्रारूप की अवधारणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- मैक्स वेबर द्वारा प्रदत्त आदर्श प्रारूप की विशेषताएँ बताइये। .
- प्रश्न- वेबर की आदर्श प्रारूप की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- डिर्क केसलर की आदर्श प्रारूप हेतु क्या विचारधाराएँ हैं?
- प्रश्न- मैक्सवेबर के अनुसार दफ्तरी कार्य व्यवस्थाएँ किस तरह की होती हैं?
- प्रश्न- मैक्स वेबर के अनुसार, कर्मचारी-तंत्र के कौन-कौन से कारण हैं? स्पष्ट करें।
- प्रश्न- 'मैक्स वेबर ने कर्मचारी तंत्र का मात्र औपचारिक रूप से ही अध्ययन किया है।' स्पष्ट करें।
- प्रश्न- रोबर्ट मार्टन ने कर्मचारी तंत्र के दुष्कार्य क्या बताये हैं?
- प्रश्न- मैक्स वेबर के अनुसार, 'कार्य ही जीवन तथा कुशलता ही धन है' किस तरह से?
- प्रश्न- “जो व्यक्ति व्यवसाय में कुशल है, धन और समाज दोनों ही पाते हैं।" मैक्स वेबर की विचारधारा पर स्पष्ट करें।
- प्रश्न- मैक्स वेबर की धर्म के समाजशास्त्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं? स्पष्ट करें।
- प्रश्न- मैक्स वेबर का पद्धतिशास्त्र क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- वेबर का धर्म का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- वेबर का पूँजीवाद समाज में नौकरशाही व्यवस्था पर लेख लिखिये।
- प्रश्न- प्रोटेस्टेन्टिजम और पूँजीवाद के बीच सम्बन्धों पर वेबर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेबर द्वारा प्रतिपादित आदर्श प्ररूप की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परेटो की वैज्ञानिक समाजशास्त्र की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- परेटो के अनुसार समाजशास्त्र की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- परेटो की वैज्ञानिक समाजशास्त्र की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विलफ्रेडो परेटो की प्रमुख कृतियों के साथ संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- प्रश्न- पैरेटो के “सामाजिक क्रिया सिद्धान्त का परीक्षण कीजिए?
- प्रश्न- परेटो के अनुसार तर्कसंगत और अतर्कसंगत क्रियाओं की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परेटो ने अतर्कसंगत क्रियाओं को कैसे समझाया?
- प्रश्न- विशिष्ट चालक की अवधारणा का वर्णन कीजिए एवं महत्व बताइये।
- प्रश्न- विशिष्ट चालक का महत्व बताइये।
- प्रश्न- पैरेटो के भ्रान्त-तर्क के सिद्धांत की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पैरेटो के 'अवशेष' के सिद्धांत का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- भ्रान्त तर्क की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- भ्रान्त-तर्क का वर्गीकरण कीजिये।
- प्रश्न- संक्षेप में परेटो का समाजशास्त्र में योगदान बताइये।
- प्रश्न- पैरेटो की मानवीय क्रियाओं के वर्गीकरण की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- तार्किक क्रिया व अतार्किक क्रिया में अन्तर स्पष्ट कीजिये।