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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

व्याख्या भाग

 

प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)

(1)

उसे याद आया, कुछ महीने पहले अचानक उसे ह्यूबर्ट का प्रेमपत्र मिला था - भावुक, याचना से भरा हुआ पत्र, जिसमें उसने न जाने क्या कुछ लिखा था, जो कभी उसकी समझ में नहीं आया। उसे ह्यूबर्ट की इस बचकाना हरकत पर हँसी आयी थी, किन्तु भीतर-ही-भीतर प्रसन्नता भी हुई थी उसकी उम्र अभी बीती नहीं है, अब भी वह दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। ह्यूबर्ट का पत्र पढ़कर उसे क्रोध नहीं आया, आई थी केवल ममता। वह चाहती तो उसकी गलतफहमी को दूर करने में देर न लगती, किन्तु कोई शक्ति उसे रोके रहती है, उसके कारण अपने पर विश्वास रहता है, अपने सुख का भ्रम मानों ह्यूबर्ट की गलतफहमी से जुड़ा है....।

सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यावतरण 'निर्मल वर्मा' द्वारा रचित 'परिन्दे' नामक कहानी से अवतरित है। यह कहानी 'नई कहानी आन्दोलन की बहुचर्चित कहानी मानी जाती है। 'परिन्दे' कहानी में लेखक बदलते मूल्यों में नए सामाजिक चिन्तन के प्रश्न को लतिका की कृत्रिम चेतना तथा अतीत के दबे हुए मोह के माध्यम से सामने लाने का प्रयास करता है।

प्रसंग - प्रस्तुत अंश में कहानी की केन्द्रीय पात्रा लतिका के नीरस जीवन में एकाकी क्षणों की व्याख्या मुखर हुई है। वो ह्यूबर्ट के प्रेमपत्र के विषय में सोचते हुए जानबूझकर उसके प्रस्ताव को अस्वीकार करने का साहस नहीं कर पाने के कारण उल्लेख कर रही है। ह्यूबर्ट का प्रेमपत्र उसके खण्डित होते यौवन को पुनर्जीवित करने का साधन बन कर उसे ढाढस बँधाता रहता है। इसीलिए वह इस भ्रम को बनाए रखती है और ह्यूबर्ट पर क्रोध नहीं करती न ही कोई प्रतिक्रिया करती है।

व्याख्या - कमरे में आने के पश्चात् लतिका को याद आता है कि कुछ महीनों पूर्व उसे ह्यूबर्ट का भावुकता तथा याचना से परिपूर्ण प्रेमपत्र प्राप्त हुआ था। उस पत्र में ह्यूबर्ट ने अपने मन में दबे भावों को खोलकर रख दिया था। परन्तु लतिका के मन में पूर्व प्रेम की स्मृतियों का आवरण इतना गहन था कि उसके चलते ह्यूबर्ट के प्रेमपत्र की बातों का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। किन्तु नारी स्वभाव के चलते उसे इस बात के लिए आन्तरिक प्रसन्नता भी हुई थी कि अभी भी उसमें सौन्दर्य व आकर्षण समाप्त नहीं हुआ है। उसका यौवन अभी ढला नहीं है। वह अभी भी किसी पुरुष को अपनी ओर करने की योग्यता रखती है और यह विचार ही उसे पुलकित कर देता है। ह्यूबर्ट का पत्र पढ़कर उसे तनिक भी क्रोध नहीं आया था। वरन् उसका मन ह्यूबर्ट के प्रति गहरी ममता से भर उठा था। उसने ह्यूबर्ट के प्रस्ताव का कोई प्रतिरोध नहीं किया क्योंकि अपने प्रति उसके आकर्षण को देखकर कहीं न कहीं उसे संतुष्टि भी मिलती थी। उसका अहम् तुष्ट होता था। वह चाहती तो अत्यन्त सरलता के साथ ह्यूबर्ट की गलतफहमी दूर कर सकती थी परन्तु कोई शक्ति उसे ऐसा करने से रोकती थी। क्योंकि ह्यूबर्ट के नेत्रों में अपने प्रति प्रेम देखकर उसका आत्मविश्वास स्वयं पर बना रहता था। उसे ऐसा प्रतीत होता था कि उसके आन्तरिक सुख का भ्रम ह्यूबर्ट की गलतफहमी से ही जुड़ा है। वह दूर होते ही उसका स्वयं पर पनपा आत्मविश्वास भी चूर-चूर हो जाएगा। इसी भावना के चलते वह अपने पूर्व जीवन के अतृप्त प्रेम की बात बताकर ह्यूबर्ट के प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती है।

विशेष -
(1) लतिका की मनोस्थिति का स्वाभाविक चित्र खींचा गया है।
(2) नारी का स्वभाव है कि वह अपने सौन्दर्य पर पुरुष को विमुग्ध होते देखकर संतुष्ट व प्रसन्न होती है।
(3) लतिका द्वारा ह्यूबर्ट के प्रेमपत्र पर कोई प्रतिक्रिया न करना उसके गम्भीर व चिन्तनशील व्यक्तित्व का परिचय देता है।
(4) नारी अपने ढलते हुए यौवन को किसी भी कीमत पर हाथ से निकलने नहीं देना चाहती। इसी कारण ह्यूबर्ट के प्रेमपत्र से उसके आहत होते नारीत्व को मानो नवीन चेतना प्राप्त होती है जिससे उसका अहं तुष्ट होता है। अतः नारी मनोविज्ञान का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत हुआ है।

 

 

(2)

ह्यूबर्ट ही क्यों, वह क्या किसी को भी चाह सकेगी, उस अनुभूति के संग, जो अब नहीं रही, जो छाया-सी उस पर मंडराती रहती है, न स्वयं मिटती है, न उसे मुक्ति दे पाती है। उसे लगा, जैसे बादलों का झुरमुट फिर उसके मस्तिष्क पर धीरे-धीरे छाने लगा है, उसकी टाँगें फिर निर्जीव, शिथिल - सी हो गई है।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - विवेच्य गद्यांश में लतिका और डॉक्टर मुखर्जी के मध्य चल रहे प्रेम से सम्बन्धित वार्तालाप द्वारा विकल हुई लतिका के मन के भावों का उद्घाटन किया गया है।

व्याख्या - डॉ. मुखर्जी द्वारा लतिका को जीवन में आगे बढ़ने तथा अतीत को नई शुरूआत करने की सलाह दिये जाने पर लतिका की उद्विग्न मनोदशा प्रकट हो जाती है। वह स्वयं को उत्तर देते हुए सोचती है कि ह्यूबर्ट ही नहीं बल्कि अब वह किसी को भी उस तन्मयता के साथ प्रेम नहीं कर पाएगी।

उसके मन में पूर्व प्रेम की अनुभूतियाँ इतनी गहराई के साथ दबी हुई हैं कि प्रेमी के न रहने पर भी उसकी स्मृतियाँ उसे विकल किए रहती हैं। हर क्षण एक परछाई की भाँति ये स्मृतियाँ उसे घेरे रहती हैं। न तो वे स्वयं उसके मन से दूर होती हैं और न ही उसे इन अनुभूतियों से मुक्त होने का अवसर देती हैं। (अर्थात् उसके मन में अतीत की स्मृतियाँ इतने गहरे पैठी हैं कि लतिका चाह कर भी उनसे छुटकारा नहीं प्राप्त कर पा रही है।) उसे लगा कि जैसे बादलों की भाँति कुहरे का आवरण उसके मस्तिष्क पर भी धुंध की भाँति छाता जा रहा है। उसे प्रतीत होता है कि जैसे उसकी टाँगें पुनः निर्जीव व शिथिल सी हो गई हैं। (अर्थात् उसे लगता है कि उसकी चेतना समाप्त होती जा रही है।)

 

 

विशेष - (1) लतिका के जीवन में पूर्व अनुभूतियों के प्रभाव की व्यंजना प्रस्तुत हुई है।

(3)

आज चैपल में मैंने जो महसूस किया, वह कितना रहस्यमय, कितना विचित्र था, ह्यूबर्ट ने सोचा। मुझे लगा, पियानो का हर नोट चिरंतन ख़मोशी की अँधेरी खोह में निकलकर बाहर फैली नीली धुंध को काटता, तराशता हुआ एक भूला-सा अर्थ खींच लाता है। गिरता हुआ हर 'पोज' एक छोटी-सी मौत है, मानो घने छायादार वृक्षों की काँपती छायाओं में कोई पगडंडी गुम हो गई हो, एक छोटी-सी मौत जो आने वाले सुरों को अपनी बची-खुची गूँजों की साँसें समर्पित कर जाती है जो मर जाती है, किन्तु मिट नहीं पाती, मिटती नहीं इसलिए मरकर भी जीवित है, दूसरे सुरों में लय हो जाती है

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - विवेच्य गद्यांश में ह्यूबर्ट के मनोभावों का वर्णन किया गया है। लड़कियों के छात्रावास में शीत अवकाश से पूर्व चैपल में पियानो वादन का कार्यक्रम प्रस्तुत करने के पश्चात् ह्यूबर्ट उन क्षणों की मार्मिक व्याख्या कर रहा है।

व्याख्या - ह्यूबर्ट लतिका को बताते हुए कहता है कि आज चैपल में उसको एक रहस्यमय तथा विचित्र अनुभूति हुई। उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे पियानो का प्रत्येक नोट (स्वर) चिरंतन निस्तब्धता व खामोशी की अंधकार से भरी गुफा से निकल रहा है और उस निकलते हुए स्वर के माध्यम से वातावरण में प्रसारित नीली स्याह धुंध कटती जा रही है और कोई भूला सा अर्थ उसकी चेतना की ओर खिंचता जा रहा है। प्यानो बजाते समय गिरता हुआ प्रत्येक 'पोज' एक छोटी-सी मौत का आभास करा रहा है। उसे ऐसा लगता है जैसे घने छायादार वृक्षों की कँपकँपाती छाया में कोई पगडंडी खो गई है। गिरता हुआ पोज ऐसा प्रतीत कराता है जैसे एक छोटी-सी मौत आने वाले सुरों को अपनी शेष गूँजों की श्वासें समर्पित कर जाती हैं (अर्थात् समाप्त होने वाले सुर आने वाले सुरों का स्वागत करते हैं।) ये समाप्त हो चुकी धुनें एक तरह से मर जाती हैं परन्तु मिट नहीं पाती। मिटती इसलिए नहीं कि ये समाप्त होकर भी नई स्वर लहरी में मिलकर दूसरे सुरों का अंग बन जाती हैं।

विशेष -
(1) नई कहानी की अस्तित्ववादी संवेदना तथा मोहभंग की स्थिति का शब्द चित्र प्रस्तुत हुआ है।
(2) ह्यूबर्ट के मन की उद्विग्नता प्रकट हो रही है।

 

(4)

किन्तु जंगल की खामोशी शायद कभी चुप नहीं रहती। गहरी नींद में डूबी सपनों-सी कुछ आवाजें नीरवता के हल्के-झीने पर्दे पर सलवटें बिछा जाती हैं मूक लहरों-सी हवा में तिरती हैं - मानों कोई दबे पाँव झाँककर अदृश्य संकेत कर जाता है - 'देखो मैं यहाँ हूँ -'

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - छायाओं के छुट्टियों पर जाने के दिन से पूर्व मीडोज में चाय पार्टी का आयोजन हुआ था। उसके बाद वहाँ पसरे सन्नाटे तथा जंगल के वातावरण का सहज चित्र प्रस्तुत किया गया है।

व्याख्या - मीडोज के अलसाए ऊँघते वातावरण की निरावह शान्ति का वर्णन करने के पश्चात् लेखक कहते हैं कि जंगल में कभी मौन का स्वर सुनाई नहीं देता क्योंकि यहाँ की खामोशी में भी भिन्न-भिन्न स्वर सुनाई देते हैं। गहरी नींद में डूबी सपनों की तरह प्रतीत होने वाली कुछ आवाजें यहाँ की शान्ति रूपी आवरण के झीने पर्दे पर सिकुड़न सी बिछा देती हैं। यह स्वर लहरी मौन लहरों की भाँति तरंगों के रूप में हवा में तैरती रहती हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानों कोई अदृश्य शक्ति दबे पाँव झाँककर हमें यह संकेत देने का प्रयास करती है कि 'देखो मैं यहाँ हूँ' इस तरह से यहाँ बिखरी नीरवता में भी एक विशेष स्वर की अनुभूति होती है।

 

(5)

शायद - कौन जाने - शायद जूली का यह प्रथम परिचय हो, उस अनुभूति से, जिसे कोई भी लड़की बड़े चाव से संजोकर, सँभालकर अपने में छिपाए रहती है एक अनिर्वचनीय सुख, जो पीड़ा लिए है, पीड़ा और सुख को डुबोती हुई उमड़ते ज्वार की खुमारी जो दोनों को अपने में समो लेती है एक दर्द, जो आनन्द से उपजा है और पीड़ा देता है -

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - लतिका अपने और पूर्व प्रेमी गिरीश के विषय में विचार करते जूली के किशोर मन में दबी भावनाओं के प्रति गम्भीर हो जाती है।

व्याख्या - लतिका गिरीश की स्मृतियों से एकाकार होते हुए अचानक जूली के प्रति उन्मुख हो जाती है। वह अपने प्रेम की मधुर स्मृतियों के अनिर्वाच्य सुख की कल्पना करते हुए चिन्तन करने लगती है कि हो सकता है कि यह जूली के मन में प्रेम की प्रथम दस्तक हो। शायद यह उस किशोरी के जीवन की प्रथम अनुभूति हो जिसे कोई भी लड़की बड़े चाव से सँजोकर अपने अन्तरमन में सँभालकर छिपाए रखती है। उसे एक ऐसे सुख की अनुभूति होती है जो पीड़ा के साथ जीवन में प्रवेश करता है (अर्थात् प्रेम में पाने के सुख के साथ खो देने की पीड़ा भी संयुक्त होती है।) यह उम्र ऐसी होती है जहाँ मन उन्मुक्त होकर पीड़ा और सुख की विपरीत लहरों में डूबते हुए एक अलग-सी खुमारी में डूबा रहता है। यह प्रेम की खुमारी (मदहोशी) पीड़ा और सुख दोनों को ही अपने में समाहित कर लेती है। इस प्रकार प्रेम एक ऐसी टीस है जो आनन्द से उत्पन्न होता है परन्तु अन्त में पीड़ा भी देता है।

विशेष -
(1) लतिका जूली के रूप में अपने ही प्रेम का प्रतिबिम्ब देख रही है। इसी कारण उसकी भावनाएँ जूली के प्रेम की व्याख्या कर रही हैं।
(2) लेखक ने किशोर मन में अपने प्रेम की सहज व्याख्या प्रस्तुत की है।

 

(6)

वे दोनों फिर चलने लगे। कुछ दूर जाने पर उनकी आँखें ऊपर उठ गईं। पक्षियों का एक बेड़ा धूमिल आकाश में त्रिकोण बनाता हुआ पहाड़ों के पीछे से उनकी ओर आ रहा था। लतिका और डॉक्टर सिर उठाकर इन पक्षियों को देखते रहे। लतिका को याद आया, हर साल सर्दी की छुट्टियों से पहले ये परिंदे मैदानों की ओर उड़ते हैं, कुछ दिनों के लिए बीच के इस पहाड़ी स्टेशन पर बसेरा करते हैं, प्रतीक्षा करते हैं बर्फ के दिनों की जब वे नीचे अजनबी, अनजाने देशों में उड़ जाएँगे...

क्या वे सब भी प्रतीक्षा कर रहे हैं? वह, डॉक्टर मुकर्जी, मिस्टर राबर्ट - लेकिन कहाँ के लिए, हम कहाँ जाएँगे'

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश में कहानीकार प्रतीकों के माध्यम से डॉ. मुखर्जी, लतिका और ह्यूबर्ट के जीवन के उद्देश्य पर संकेत कर रहे हैं। नियतिवश तीन अधूरे प्रेमी 'परिन्दों' की ही भाँति इस पर्वतीय प्रदेश में एकत्रित हुए हैं, परन्तु लतिका का प्रश्न 'हम कहाँ जाएँगे' - इस कहानी के अर्थगाम्भीर्य की अभिव्यक्ति करता है।

व्याख्या - डॉ. मुखर्जी और लतिका छात्रावास की ओर वापस आ रहे थे। वे दोनों पुनः आगे बढ़ने लगे तब कुछ दूर चलने पर आकाश में परिन्दों को देखकर उनकी आँखें ऊपर उठ गईं। पक्षियों का समूह धुंध से भरे आकाश में त्रिकोण सा बनाता हुआ पहाड़ों के पीछे से उनकी ओर आ रहा था। वो और डॉ. इन परिन्दों को देखते रहे। लतिका को स्मरण हो आता है कि प्रत्येक वर्ष ये परिन्दे इसी तरह सर्दियों के अवकाश से पूर्व मैदानों की ओर उड़ने का प्रयास करते हैं। कुछ दिनों के लिए अपने गंतव्य तक पहुँचने के मध्य का समय वे इस पर्वतीय क्षेत्र पर व्यतीत करते हैं। वे बर्फ गिरने के समय तक यहाँ प्रतीक्षा करते हैं और जब बर्फ गिरनी प्रारम्भ होती है तब वे उड़कर अनजाने, अजनबी देशों में उड़ जाते हैं। इन्हें देखकर लतिका सोचती है कि क्या वो, डॉ. और ह्यूबर्ट भी प्रतीक्षारत हैं, पर वो कहाँ जाएँगे?

इस प्रकार यहाँ परिन्दे प्रतीक हैं उन टूटे हुए प्रेमियों के जो अपनी जगहों से टूटकर उस पहाड़ी स्थान पर एकत्र हो गए हैं।

लतिका, डॉ. मुखर्जी, मिस्टर ह्यूबर्ट भी तो एक तरह से परिन्दे ही हैं किन्तु वे आम परिन्दों की भाँति ठहराव के बाद मैदान की ओर नहीं उड़ पाएँगे। बल्कि उसी सुनसान पर्वतीय क्षेत्र पर एक साथ होते हुए भी अलग रहने हेतु अभिशप्त रहेंगे। इस प्रकार कहानीकार 'परिन्दे' के सांकेतिक अर्थ की मौलिक उद्भावना प्रस्तुत करते हैं।

विशेष -
(1) आधुनिकता के बोध से ग्रसित मानव की अन्तर्द्वन्द्व से ग्रसित नियति का चित्रण प्रस्तुत हुआ है।
(2) परिन्दों' को टूटे हुए प्रेमियों का प्रतीक बताया गया है।
(3) लतिका अपनी, डॉ. व ह्यूबर्ट की तुलना परिन्दों से कर रही है।
(4) अपनी इसी नवीन उद्भावना व विषय वस्तु के कारण यह कहानी 'नई कहानी' आन्दोलन की प्रतिनिधि कहानी मानी गई

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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