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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

व्याख्या भाग

 

प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)

(1)

एक तो पीठ में गुदगुदी लग रही है। दूसरे रह-रहकर चम्पा का फूल खिल जाता है उसकी गाड़ी में बैलों को डाँटो तो इस बिम करने लगती है उसकी सवारी। ...... उसकी सवारी। और अकेली, तम्बाकू बेचने वाली बूढ़ी नहीं। शब्दों को सुनने के पश्चात् वह बार-बार मुड़कर टप्पर में नजर डाल देता है। अँगोछे से पीठ झाड़ता है।...... भगवान ही जाने क्या लिखा है उसकी किस्मत के बारे में। गाड़ी जब पूरब की ओर मुड़ी, एक टुकड़ा चाँदनी उसकी गाड़ी में समा गया। सवारी की नाक पर एक जुगनूँ जगमगा उठा। हीरामन को सब कुछ रहस्यमय अजगुट अजगुट लग रहा है।"

शब्दार्थ - नजर - दृष्टि। किस्मत - भाग्य। समा गया - भर गया। अजगुट - अजीब।

सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यांश फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग - हीराबाई हीरामन की बैलगाड़ी में टप्पर में बैठी है इस उपस्थिति में हीरामन बेचैन है। एकाएक उसे हीराबाई के सौन्दर्य की झांकी मिल जाती है।

व्याख्या - मथुरा मोहन की नौटंकी में काम करने वाली हीराबाई, हीरामन की गाड़ी में जब बैठी थी, तब वह एक काली चद्दर लपेटे हुए थी। हीरामन ने उसको शुरू में माल असवाव समझा था। लेकिन अब वह समझ गया कि उसकी सवारी सुरीली आवाज वाली नारी है। उसकी पीठ में गुदगुदी हो रही है। और गाड़ी में चम्पा के फूल की गन्ध आ रही है। मानों उसकी गाड़ी में ही चम्पा का पौधा लगा हो। चम्पा की गन्ध बखेरने वाली सवारी नारी के प्रति वह तरह-तरह की बातें सोचने लगता है। वह कितनी दयावान है कि बैलों को भी मारने डॉटने नहीं देती है। हीराबाई की सुरीली आवाज सुनने के बाद हीरामन उसके प्रति आकर्षण का अनुभव करने लगता है। और मुड़-मुड़कर गाड़ी के टप्पर के भीतर बैठी हुई हीराबाई की ओर देख लेता है। अगौंछे से बार-बार पीठ झाड़ता है। और अपने भाग्य को सराहने लगता है। वैसे ही गाड़ी पूर्व की ओर मुड़ती है। वैसे ही सामने चन्द्रमा की चाँदनी हीराबाई के मुखमण्डल पर पड़ती है। उस चमक में हीरामन को हीराबाई का चाँद सा मुखड़ा दिखाई दे देता है। मुखड़ा क्या था। चन्द्रमा का एक टुकड़ा था।

चाँदनी के प्रकाश में हीराबाई के नाक का बेसर चमक उठता है। हीरामन को मालूम होता है कि उसकी नाक पर जुगनूँ बैठा है। लेकिन अन्धेरे में ऐसी चमक जुगनू ही मारता है। हीरामन के लिए समस्त दृश्य अजीब और भेद भरा लग रहा था उसकी गाड़ी में इतनी सुन्दर नारी क्यों का आ गई थी?

विशेष -
नारी का सौन्दर्य वर्णन छायावाद की शैली का स्मरण कराता है तथा रसिक किन्तु भोले हीरामन के मनोभावों की ओर संकेत मुख्य है।

(2)

"कचराही बोली में दो-चार सवाल-जवाब चल सकता है, दिल की बात तो गाँव की बोली में ही की जा सकती है किसी से।"

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - इस अवतरण में हीरामन द्वारा हीराबाई के ऊपर आकर्षित होकर बातचीत करने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या - हीरामन हीराबाई से बातचीत करने की भाषा के विषय पर सोचता है। बड़ों को आप कहकर सम्बोधित किया जाता है। कचहरी की बोली में कुछ देर तक दो चार बातों तक चल सकता हूँ। दिल खोलकर बातचीत तो केवल गाँव की भाषा में की जा सकती है। बात करने का पूरा आनन्द अपनी गाँव की बोली द्वारा ही लिया जा सकता है। दूसरी बोली केवल कुछ क्षण तक बोली जा सकती है।

विशेष -
1. भाषा सरल तथा सुगम है।
2. लेखक ने प्रस्तुत पंक्ति में गाँव की बोली मुख्य होती है ग्रामीण व्यक्ति को उसी में बातचीत करने का आनन्द मिलता है, का वर्णन किया है।

 

(3)

"आमिन - कातिक की ओर में छा जाने वाले कुहसि से हीरामन को पुरानी चिढ़ है। बहुत बार वह सड़क भूलकर भटक चुका है, परन्तु आज की भोर के इस घने कुहरे में भी वह मगन। नदी के किनारे घने खेतों से फूले हुए धान के पौधों की पवनियाँ गंध आती है। पूर्व पावन के दिन गाँव में ऐसी ही सुगन्ध फैली रहती है। उसकी गाड़ी में फिर चम्पा का फूल खिला। उस फूल में एक परी बैठी है।..... जै भगवती '

शब्दार्थ - भोर - सुबह। चिढ़ - रंजिस। मगन - खुश। पावन - पवित्र।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश में प्रकृति के सुन्दर वातावरण में हीरामन का मन हीराबाई के प्रति आकर्षित होता है।

व्याख्या - क्वार और कार्तिक के महीने में सुबह हल्का सा कोहरा छा जाया करता है। यह कोहरा हीरामन की अत्यन्त बहुत खराब लगता था। इस कोहरे में वह कई बार सड़क नहीं देख सका था। और इधर-उधर भटक गया था। लेकिन वही कोहरा अत्यधिक घना होने पर भी उसको बुरा नहीं लग रहा है। आज तो कोहरे में गाड़ी चलाते हुए आनन्द का अनुभव कर रहा है, उसकी बगल में चम्पा का फूल की गन्ध फैलाने वाली हीराबाई जो बैठी हुई है। नदी के किनारे अनेक खेत है। उनमें धान फूल रहा है। और उसकी सुगन्ध हवा के झोंकों के साथ आ रही है। और उसका स्पर्श हीरामन को बेचैन कर रही है। सुन्दर त्योहार दीपावली के अवसर पर 'गाँव भर में ऐसी ही सुगन्ध फैल जाती है।" जब धान के गट्ठरों का ढेर चारों ओर लगा दिए जाते हैं। उसको पुनः चम्पा के फूल की गन्ध आई, मानों चम्पा का फूल उसकी गाड़ी में खिल रहा है। वह गन्ध एक सुन्दरी के बदन से आ रही थी। इस सहचर्य को उसने अपना सौभाग्य समझा। माता भगवती की जय बोलकर हीरामन अपने भाग्य को सराहा।

विशेष -
इस गद्यांश में लेखक ने मातातुर पुरुष के मन की दशा का सजीव चित्रण किया है। चम्पा की गंध की वर्णन में मानवीकरण एवं विशेषण विवर्षय का सुन्दर संगम है।

 

(4)

"हीरामन का मन पल-पल में बदल रहा है। मन में सतरंगा छाता धीरे धीरे खुल रहा है। उसको लगता है...... उसकी गाड़ी पर देवकुल की औरत सवार है। देवता आखिर देवता है।'

शब्दार्थ - पल-पल - क्षण-क्षण। सतरंगा - सात रंग का। आखिर - अंतिम।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - हीरामन थोड़ा-सा मौका निकालकर हीराबाई से बात-चीत करने लगता है। वह अंग्रेजी राज्य की सुनी-सुनाई बात करने लगता है। उसकी महेदृश्य का वर्णन है -

व्याख्या - हीरामन इधर हीराबाई से बातें कर रहा है और उधर उसके मन में हीराबाई के प्रति अच्छे-बुरे विचार उठते रहते हैं। वह हीराबाई के प्रति कभी कामासक्त होता है और कभी उसके प्रति पवित्र भाव रखने का प्रयत्न करता है। उसके मन में उठने वाले अनेकों भावों का लेखक ने सतरंगे छाते का खुलना कहता है। लेकिन ये समस्त भाव उसके मन मानस में सुषुप्त पड़े थे। हीराबाई की सुगन्ध उसको जगा देती है। वह मन को वश में करते हुए कहता है। कि मेरी गाड़ी में देवताओं के वंश की महिला बैठी है सम्भलकर रहना चाहिए। देवता न मालूम कौन सी सजा दे दे।

विशेष -
सतरंगा छाता खुल रहा है। बहुत ही सीधा प्रयोग लेखक ने किया है।

 

(5)

 

"उसने हीराबाई से अपनी गीली आँखें चुराने की कोशिश की। लेकिन हीराबाई उसकी मन में बैठ न जाने कब से सब कुछ देख रही थी। हीरामन ने अपनी काँपती हुई बोली को काबू में लाकर बैलों को झिड़की दी। इस गीत में न जाने क्या है कि सुनते ही दोनों थसथसा जाते हैं। मालूम होता है सौ मन बोझ लाद दिया किसी ने।'

शब्दार्थ- कोशिश - प्रयत्न। काबू - वश। बोझ - भार।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - हीरामन को महुवा घटवारिन की गति याद आती है उसके हृदय की कसम आँखों में आँसू भर देती है। वह नहीं चाहता कि उसकी यह दशा हीराबाई देख सके परन्तु वह देख लेती है।

व्याख्या - गीत गाते हुए हीरामन की आँखें भर आती हैं। उसका यकायक ध्यान आता है कि उसकी यह दशा देखकर हीराबाई ने न मालूम क्या सोचने लगे। इसके पश्चात् हीरामन अपनी आँखें उससे छिपाने का प्रयत्न करता है, उसके मन में समाई हुई हीराबाई बहुत देर से उसकी इस दशा को आँखों के आँसुओं का देख रही थी। किन्तु जैसे ही हीरामन को होश आता है, वैसे ही वह अपने मन को वश में करके अपनी आवाज को स्वालिविक बनाने का प्रयत्न करता है। और अत्यन्त चतुराई पूर्वक प्रसंग बदलते हुए बैलों को डाँटने लगता है। और गाड़ी को ठीक से न चलने के लिए बैलों को दोष देते हुए कहता है न मालूम क्या बात है कि इसको सुनते ही ये एकदम शिथिल हो जाते हैं। और इतनी धीरे-धीरे चलने लगते हैं मानो इनके ऊपर सौ मन बोझ लाद दिए गये हों।

विशेष - लेखक ने प्रस्तुत गद्यांश में रस दशा का चित्रण किया है।

 

(6)

".... ठीक कहता है। बड़ी नेमवाली रंडी है। .... कौन कहता है कि रंडी है। दाँत में मिस्सी कहाँ है? पौडर से दाँत धो लेती होगी। हरगिज नहीं कौन आदमी है, बात की बेवात करता है। कम्पनी की औरत की पतुरिया कहता है। तुमको बात क्यों लगी है? कौन है रंडी का भड़वा? मारो साले को ! तेरी......"

शब्दार्थ - नेमवाली - नियम पूर्वक काम करने वाली। पौडर - पाउडर। बेबात - बिना बात के बात। पतुरिया - वेश्या।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - हीराबाई रीता कम्पनी की मंच पर आती है वह अपना नृत्य करने ही वाली है, तो किसी ने 'पतुरिया' है, की आवाज लगाई, लाल मोहर इस पर नाराज होता है मार-पीट की शुरूआत होती है।

व्याख्या - नगाड़े की आवाज सुनकर हीराबाई नाचना शुरू कर देती है। निदेशक कहता है कि हीराबाई कोई नशा नहीं करती है, पान, बीड़ी, सिगरेट जर्दा कुछ नहीं लेती है, इसको सुनकर कुछ दर्शक व्यंग्य करते हैं कि यह व्यक्ति ठीक ही कहता होगा। हीराबाई बड़े ही नियम धर्म में रहने वाली रंडी है। बस इस बात को सुनकर उन लोगों को क्रोध आ जाता है। जिनको हीराबाई ने फ्री पास दिए थे ऐसे व्यक्ति हीराबाई की ऐवज लेकर उन लोगों को मारना शुरू कर देते हैं। जो हीराबाई के उपयोग कर रहे थे। इनमें लाल मोहर सबसे आगे दिखाई देता है। वह कह रहा था कि कौन कहता है कि हीराबाई रंडी है। वह तो साधारण नारियों की तरह मिस्सी लगाकर दाँतों को रंगती भी नहीं है। वह बेचारी तो केवल सफेद पाउडर जैसी वस्तु से दाँतों को धो भर लेती है। वह रंडी कभी नहीं हो सकती है। यह आदमी तो व्यर्थ की बातें कर रहा है। कम्पनी में काम करने वाली सम्मानित नारी को रंडी कहता है। इतने में ही दूसरी ओर से आवाज आती है। तुझे क्यों बुरी लग गई हीराबाई की? तू कौन है उसका? भडुवा है। क्या तू उसकी दलाली करता है? मारो साले को और बस मार-पीट शुरू हो जाती है।

विशेष -
नाटक की भीड़ में किस प्रकार थोड़ी-सी बात पर दंगा शुरू हो जाता है। इसका सुन्दर वर्णन इस गद्यांश में किया गया है।

 

(7)

" दिन भर हीराबाई को देखता होगा। कल कह रहा था..... हीरामन मालिक तुम्हारे अकबाल से खूब मौज में हूँ। हीराबाई के साड़ी धोने के बाद कठौते का पानी अतरगुलाब हो जाता है। उसमें अपनी गमछी डुबोकर छोड़ देता है। सूंघोगे..... हर रात, किसी न किसी के मुँह से सुनता है वह हीराबाई रंडी है। कितने लोगों से लड़े वह ! बिना देखे ही लोग कैसे कोई बात बोलते हैं। राजा को भी लोग पीठ पीछे गाली देते हैं...... आज वह हीराबाई से मिलकर कहेगा नौटंकी कम्पनी में रहने से बहुत बदनाम करते हैं। लोग। सरकस कम्पनी में क्यों नहीं काम करती? ...सबके सामने नाचती है। हीरामन का कलेजा ढप ढप जलता रहा है। उस समय। सरकस कम्पनी में बाघ को सजायेगी !.... बाघ के पास जाने की हिम्मत कौन करेगा। सुरक्षित रहेगी हीराबाई..... "

शब्दार्थ - खूब - बहुत। हर - प्रत्येक। बदनाम - बुरा नाम।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - हीराबाई मथुरा मोहन कम्पनी में वापस जा रही है। धुन्नीराम को लहुँसनवा से ईर्ष्या है क्योंकि वह हीराबाई की नौटंकी में रहने के कारण हर घड़ी उसको देखने का अवसर पा गया है। धुन्नीराम बुखार की हालत में बड़बड़ा रहा है।

व्याख्या - धुन्नीराम बड़बड़ा रहा है... गुलबदन हीराबाई, तेरा भी क्या कहना। तेरा तख्त हजारा वाला कथन मन में चुभ कर रह गया है। लहसनवाँ हीराबाई की नौकरी कर मौज मार रहा है। वह दिनभर हीराबाई को देखकर अपनी आँखें सेकता होगा "और मजा लेता होगा। कल वह मुझसे अपनी मौज-मस्ती की बात कर रहा था कि 'मालिक हीरामन के रौब से मैं खूब मौज में हूँ। हीराबाई की साड़ी धोने के पश्चात् बचे हुए पानी में गुलाब की इत्र की खुशबू आती है। मैं अपना अँगोछा धोवन के उस पानी में डुबोकर उसको भी खुशबू से भर देता हूँ। लो, सूँघकर देखें तो सही वह कह रहा था कि हर रोज किसी न किसी व्यक्ति से सुनता रहता हूँ कि हीराबाई रंडी है। लहसनुवाँ कहता था कि यह बात मुझको बहुत बुरी लगती है। लेकिन लहूँ तो मैं किस-किस से लडूं। लोग कितने बुरे होते है? बिना आँखों से देखे ही चाहे जिस व्यक्ति पर इच्छानुसार लांछन लगा देते है, और उसके बारे में उल्टी-सीधी बातें कह देते हैं, पर किया भी क्या जाये? लोग राजा को भी पीठ पीछे गाली देते रहते हैं। आज मिलने पर वह हीराबाई से कहेगा कि वह किसी सर्कस कम्पनी में क्यों नहीं काम करती है। वह सबके सामने जब नाचती है तो हीरामन के छाती धक-धक करने लगती है। और उसको बहुत बुरा लगता है। यदि वह सर्कस कम्पनी में काम करने लगेगी, तो नाचने से उसका पिण्ड छूट जाएगा। वहाँ वह स्वयं न नाचकर, शेर को नचाया करेगी। बाघ के पास जाने की हिम्मत हर एक आदमी में नहीं होती है। सर्कस में काम करने पर हीराबाई सर्वथा सुरक्षित रहेगी। लोग उसको घेरना बन्द कर देंगे।'

विशेष - इस गद्यांश में दो बातें स्पष्ट है। हीराबाई के प्रति हीरामन का आकर्षण सब पर प्रकट हो गया है। दूसरी बात यह है कि नौटंकी की अपेक्षा सर्कस में नारी अधिक सुरक्षित रहती है।

 

(5)

सुनते हैं, घर में देवता ने जन्म लिया। कहिए भला, देवता आखिर देवता है। है या नहीं? इन्द्रासन छोड़कर मिरतूभवन में जन्म ले ले तो उसका तेज कैसे सँभाल सकता है कोई ! सूरजमुखी फूल की तरह माथे के पास तेज खिला रहता। लेकिन नज़र का फेर, किसी ने नहीं पहचाना।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - हीरामन और हीराबाई जमाने की बात करते हैं। उसका वर्णन इन पंक्तियों में किया गया है।

व्याख्या - भगवान की पहचान करने में सबकी निगाह अलग-अलग होती है। हीरामन कहता है कि हमने सुना है कि घर में देवता पैदा हुआ है, देवता देवता होता है। इन्द्रलोक से जब वह मृत्युलोक में आता है तो उसके तेज को कोई संभाल नहीं सकता है। भगवान या देवता के मस्तक पर तेज निकलता रहता है कोई पहचाने या न पहचाने।

विशेष -
हीरामन के गप रसाने के भेद का वर्णन मार्मिक ढंग से किया गया है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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