बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
अथवा
प्रेमचन्द जी ने अपने उपन्यास 'गोदान' का शीर्षक किस आधार पर चुना है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
'गोदान' किस अर्थ में किसान चेतना ही महागाथा है? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
अथवा
'गोदान भारतीय कृषक की मार्मिक व्यथा का अंकन है। इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर -
गोदान वास्तव में हिन्दी उपन्यास साहित्य का एक जाज्वल्यमान कथा-रत्न है, जिसमें प्रेमचन्द जी का अपना युग और युगीन परिवेश ही मुखरित नहीं हो उठा है वरन युगों से चली आ रही जमींदारी और महाजनी सभ्यता से पीड़ित कृषक वर्ग का करुण-क्रन्दन भी मुखरित हो रहा है। प्रेमचन्द ही एक ऐसे जनवादी कलाकार थे जिन्होंने अपने 'गोदान' में युग की ग्रामीण समस्याओं उन समस्याओं से जूझते किसानों और उनके परिवेश को अभिव्यक्ति देने वाले ऐसे करुण महाकाव्य की रचना की जिसे यदि कृषक जीवन की महागाथा या गीता कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी।
प्रेमचन्द साहित्य को मनोरंजन का साधन ही नहीं मानते थे वरन् वह इससे अधिक इसे समाज के कल्याण का एक प्रमुख साधन मानते थे। अपने उपन्यासों में उन्होंने जहाँ समाज का यथार्थ चित्रण किया है वहाँ उसके पीछे उनका यह उद्देश्य सदैव रहा है उस यथार्थता से परिचित हो सके और सुधार की ओर अग्रसर हो सकें। प्रेमचन्द जी के सभी उपन्यास सोदृश्य हैं। 'गोदान' उपन्यास में भी उनका यही उद्देश्य रहा है। इससे पूर्व वे यथार्थ की भूमि से हट गये थे परन्तु जीवन के अन्तिम क्षणों में उन्होंने यह अनुभव किया कि कोई भी सुधारवादी प्रयत्न आर्थिक विषमता से उत्पन्न जीवन की कटुता को दूर नहीं कर सकेगा। अतः आदर्शवादी का मोह त्यागकर समाज का कच्चा चिट्ठा समाज के सम्मुख रखना पड़ेगा। इसी भावना से प्रेरित होकर प्रेमचन्द जी ने सम्पूर्ण भारत का नागरिक एवं ग्रामीण भारत का कच्चा चिट्ठा उपस्थित कर पाठकों को यह सोंचने पर विवश कर दिया कि यह भारतीय समाज तो अब अवनति की ओर जा रहा है। कोई सुधार इस व्यवस्था को टूटने से नहीं बचा सकता अतः जीवन के नव-निर्माण की बात सोंचना चाहिए। 'गोदान' हमें यही सब सोचने के लिए विवश करता है।
होरी की कथा में यही दुःख और व्याकुलता स्पष्ट रूप से मूर्तिमान हो उठी है। उसके जीवन की सम्पूर्ण विषमताओं का केन्द्रबिन्दु यही ऋण है। इससे अत्यन्त सभी दुःख किसान को यह जीवन छोड़ने के बाद भी मुक्ति नहीं मिलने देते! यह तथ्य पाठक के हृदय एवं अन्तरात्मा को सदैव कचोटता रहता है। किसान अपने मरने के बाद अपने इस ऋण की गठरी को अपनी सन्तान को विरासत में दे जाता है। वह भी जीवन पर्यन्त उससे मुक्त होने के लिए छटपटाती रहती है परन्तु समाज के ये साहूकार आदि उसे इससे मुक्त नहीं होने देते। प्रेमचन्द जी ने किसानों की इस मूल समस्या को अपनी आँखों और हृदय से स्पर्श किया था जो उसके 'गोदान' में इसी करुणा के सागर को हिलोरे लेने को बाध्य कर देती है। ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी आत्मा सर्वत्र विचारक रह रही है। पाठक जैसे-जैसे इस अथाह करुणा के सागर में आवगाहन करता जाता है वह अपने आँसुओं को रोक नहीं पाता। किसान के जीवन को प्रेमचन्द जी ने जितनी सच्चाई गहराई और मार्मिकता के साथ अपने 'गोदान' में चित्रित किया है उतना हृदयस्पर्शी चित्रण हिन्दी साहित्य में अन्यन्त्र देखने को नहीं मिलता।
प्रेमचन्द जी यह भली-भाँति जान चुके थे कि केवल सुधारवादी दृष्टिकोण इस समस्या का वस्तविक हल नहीं है। यह तो वह सामाजिक कोढ़ है जो बिना अंग को काटे दूर ही नहीं हो सकता उन्होंने इसी कोढ को तीखे नश्तर द्वारा ठीक करने का प्रयास किया है। जमींदार खन्ना ओंकारनाथ तथा पंडित दातादीन पटवारी, पंच दरोगा आदि ही वे सामाजिक कोढ़ हैं जो गरीबों की कमाई खा-खाकर अपने कोढ़ के घावों को बढ़ाते रहते हैं। अन्नदाता किसान उनके इस रोग से दूषित हो पीड़ा पाता रहता है। अतः वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि बिना क्रान्ति के यह असाध्य समाज का रोग नहीं किया जा सकता।
जहाँ तक 'गोदान' के नामकरण की सार्थकता का प्रश्न है, इसके लिए इसके कथानक का विश्लेषण नितान्त आवश्यक हो जाता है। 'गोदान' का सम्पूर्ण कथानक होरी के चारो ओर घूमता है। होरी बेलारी गाँव का पांच बीघे भूमि का स्वामी है। वह अपने जमींदार राय साहब अमरपाल से भेंट करने जाता है। धनिया इसका विरोध करती है परन्तु एक व्यवहार कुशल की भाँति होरी समझाकर कि - "जान बची हुई है।' राय साहब से मिलने चला जाता है मार्ग में वह अपनी दीन दशा भी गाय खरीदने की अभिलाषा पर विचार करता है कि दूसरे गाँव का भोला अपनी गायों के साथ आता हुआ मिलता है। उसकी एक एक गाय पर उसका मन ललचाने लगता है। होरी भोला को एक विधवा से विवाह कराने का लालच देता है। इसके बदले वह अपनी गाय उसे देने को तैयार हो जाता है। वह अपनी मर्यादा को बचाने के लिए 'फिर माँग लूँगा' कहकर इस बात को टाल देता है।-
घर पर होरी राय साहब की प्रशंसा करता है परन्तु गोबर उन्हें रंगा हुआ सियार ही समझता है। होरी गाय प्राप्त करने की आशा से भोला को भूसा दे देता है। होरी के मिथ्या आचरण पर धनियाँ और गोबर उसे बुरा कहते हैं परन्तु गाय आने की अभिलाषा से सारा परिवार प्रसन्न हो उठता है जैसे माने उसके घर स्वयं लक्ष्मी ही आ रही हो।
भोला जब भूसा लेने आता है तो सभी उसका स्वागत करते हैं। वह अपने यहाँ से तीन खाँचे भूसा भोला के घर पहुँचाने स्वयं अपने पुत्र के साथ जाता है। वहाँ भोला की विधवा बेटी झुनिया से गोबर की मुलाकात होती है। वे दोनों एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो उठते हैं। गोबर भोला के घर पुनः गाय लेने जाता है। इधर होरी गाय के स्वागत की तैयारियाँ करने लगता है। इधर होरी एक बाँस बेंचकर अपने भाइयों से बेईमानी करना चाहता है परन्तु असफल रहता है।
गोबर जब गाय लेकर आता है तो सारा गाँव गाय को देखने आता है। सभी उसकी प्रशंसा करते हैं। परन्तु उसके भाई उसकी गाय देखने नहीं आते हैं। होरी उन्हें बुलाने जाता है तो उन्हें अपनी बुराई करते पाता है। अतः वह दुखी मन से लौट आता है जब धनियाँ को यह पता चलता है तो वह होरी से घर जाकर खूब लड़ती है और सारा गाँव इस कलह का तमाशा देखता है।
झुनिया गोबर को गाँव तक छोड़ने जाती है तो वे रास्ते में दोनों एक-दूसरे का जीवन भर साथ देने का वायदा करते हैं झुनियां गोबर से उसके लिए सब कुछ त्यागने की प्रतीज्ञा करा लेती है। इसके बाद दोनों गुप्त रूप से आपस में मिलते रहते हैं। गोदान में प्रेमचन्द इस प्रकार के सम्पूर्ण भारतीय जीवन-ग्रामीण और नागरिक जीवन को संजोकर एक साथ रख दिया है। होरी का सम्पूर्ण जीवन आर्थिक अभावों की एक करुण कहानी है। वह अन्तिम समय तक परिश्रम करता है परन्तु उसके जीवन की एक साधना पूरी नहीं होती अपने जीवन के अन्तिम क्षणों में भी वह व्यवहार के लिए व्याकुल रहता है।
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- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)