बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचनसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन
प्रश्न- मार्क्सवाद सामाजिक यथार्थ को साहित्य का विषय बनाता है इस पर विचार करते हुए काव्य रूप के सम्बन्ध में उसकी धारणा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
मार्क्सवाद एक प्रकार की जमीनी चिन्तन है। वह समाज की वास्तविकताओं के साहित्य के माध्यम से समाज के सामने रखना चाहता है। एक बात यहाँ ध्यान देने की है कि समाजवादी या मार्क्सवादी यथार्थवाद के तो पक्षधर है, पर जीवन के कुत्सित विकृत, नग्न रूप को वे यथार्थवाद नहीं मानते। क्योंकि उनकी दृष्टि उपयोगितावादी है और ऐसे विकृत चित्र भले ही वे सामाजिक यथार्थ के हों- जीवन में उपयोगितावादी दृष्टिकोण नहीं पनपा सकते। उनका यथार्थवाद मानव जीवन के विकास और विकास के लिए उत्तरदायी प्रेरक शक्तियों का यथावत् चित्रण है। ऐंजिल्स ने वस्तु और पात्रों के यथार्थवादी चित्रण के साथ- साथ ही उन तत्वों के चित्रण पर भी बल दिया है जोकि वस्तु और पात्र को उस स्तर ( विकास के स्तर) तक पहुँचाने के लिए उत्तरदायी हैं। साथ ही भविष्य में होने वाले विकास की ओर संकेत करना भी यथार्थवादी साहित्यकार का अपरिहार्य उत्तरदायित्व है।
इस प्रकार मार्क्सवाद ने तो अतियथार्थ (नग्न चित्रण) का समर्थन करते हैं और न ही कोरे आदर्शवाद का। वे कलाकार की व्यक्तिगत मान्यताओं को भी महत्व नहीं देते। उनका यथार्थवाद वास्तविक स्थितियों का ऐसा चित्र है जो भावी प्रगति और उत्थान की पूर्ति पीठिका का निर्माण कर सके। उनके अनुसार साहित्यकार का मात्र इतना ही अधिकार और कर्त्तव्य है कि वह वस्तुस्थिति में अन्तर्निहित उस उद्भविका 2 शक्ति को भी शब्द दे, जो कालान्तर मंक क्रान्ति लायेगा तथा समाज को सही मार्ग की ओर विकासोन्मुख करेगा। इसके साथ ही वे इस जीवन शक्ति का वास्तविक घटना क्रम से सम्बन्ध स्थापित करना भी साहित्यकार के दायित्व से जोडते हैं। मार्क्सवादी काव्य रूप को भी वर्ग विशेष से जोड़ते हैं। जैसे महाकाव्य को वे उस युग की देन बताते हैं। जब सामन्तशाही थे। बड़े-बड़े राजा महाराज युद्ध आदि में लिप्त रहते थे। नाटक को वे कृषि युग की उपज मानते हैं। निष्कर्षतः कह सकते हैं कि मार्क्सवाद विभिन्न काव्यरूपों को युग विशेष या परिस्थिति विशेष की उपज मानता है।
|
- प्रश्न- आलोचना को परिभाषित करते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकासक्रम में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की आलोचना पद्धति का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. नगेन्द्र एवं हिन्दी आलोचना पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- नयी आलोचना या नई समीक्षा विषय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन आलोचना पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आलोचना के क्षेत्र में काशी नागरी प्रचारिणी सभा के योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नन्द दुलारे वाजपेयी के आलोचना ग्रन्थों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हजारी प्रसाद द्विवेदी के आलोचना साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दी आलोचना के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पाश्चात्य साहित्यलोचन और हिन्दी आलोचना के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद से क्या तात्पर्य है? उसका उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उसकी प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना पद्धतियों को बताइए। आलोचना के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के अर्थ और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख भर कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के व्यक्तित्ववादी दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद कृत्रिमता से मुक्ति का आग्रही है इस पर विचार करते हुए उसकी सौन्दर्यानुभूति पर टिप्णी लिखिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावादी काव्य कल्पना के प्राचुर्य एवं लोक कल्याण की भावना से युक्त है विचार कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद में 'अभ्दुत तत्त्व' के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए इस कथन कि 'स्वच्छंदतावादी विचारधारा राष्ट्र प्रेम को महत्व देती है' पर अपना मत प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद यथार्थ जगत से पलायन का आग्रही है तथा स्वः दुःखानुभूति के वर्णन पर बल देता है, विचार कीजिए।
- प्रश्न- 'स्वच्छंदतावाद प्रचलित मान्यताओं के प्रति विद्रोह करते हुए आत्माभिव्यक्ति तथा प्रकृति के प्रति अनुराग के चित्रण को महत्व देता है। विचार कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक साहित्य में मनोविश्लेषणवाद के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्लमार्क्स की किस रचना में मार्क्सवाद का जन्म हुआ? उनके द्वारा प्रतिपादित द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक भौतिकवाद को समझाइए।
- प्रश्न- मार्क्स के साहित्य एवं कला सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्य समीक्षा के सन्दर्भ में मार्क्सवाद की कतिपय सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य में मार्क्सवादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मनोविश्लेषणवाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- मनोविश्लेषवाद की समीक्षा दीजिए।
- प्रश्न- समकालीन समीक्षा मनोविश्लेषणवादी समीक्षा से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की दृष्टिकोण मानवतावादी है इस कथन के आलोक में मार्क्सवाद पर विचार कीजिए?
- प्रश्न- मार्क्सवाद का साहित्य के प्रति क्या दृष्टिकण है? इसे स्पष्ट करते हुए शैली उसकी धारणाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्क्सवादी साहित्य के मूल्याँकन का आधार स्पष्ट करते हुए साहित्य की सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "साहित्य सामाजिक चेतना का प्रतिफल है" इस कथन पर विचार करते हुए सर्वहारा के प्रति मार्क्सवाद की धारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद सामाजिक यथार्थ को साहित्य का विषय बनाता है इस पर विचार करते हुए काव्य रूप के सम्बन्ध में उसकी धारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्क्सवादी समीक्षा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कला एवं कलाकार की स्वतंत्रता के सम्बन्ध में मार्क्सवाद की क्या मान्यता है?
- प्रश्न- नयी समीक्षा पद्धति पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक समीक्षा पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'समीक्षा के नये प्रतिमान' अथवा 'साहित्य के नवीन प्रतिमानों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवादी आलोचकों का ऐतिहासिक आलोचना के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
- प्रश्न- हिन्दी में ऐतिहासिक आलोचना का आरम्भ कहाँ से हुआ?
- प्रश्न- आधुनिककाल में ऐतिहासिक आलोचना की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उसके विकास क्रम को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सैद्धान्तिक दृष्टिकोण व व्यवहारिक दृष्टि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शुक्लोत्तर हिन्दी आलोचना एवं स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में नन्ददुलारे बाजपेयी के योगदान का मूल्याकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचक हजारी प्रसाद द्विवेदी का हिन्दी आलोचना के विकास में योगदान उनकी कृतियों के आधार पर कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. नगेन्द्र के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. रामविलास शर्मा के योगदान बताइए।