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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2678
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन

प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकासक्रम में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान की समीक्षा कीजिए।

अथवा
हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का योगदन बताइये। 
अथवा
आलोचना सम्राट आचार्य शुक्ल की आलोचना शैली पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

आलोचना सम्राट आचार्य रामचंद्र शुक्ल का हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान है। इनसे पूर्व तुलनात्मक प्रणाली चल रही थी जिसके सामने न तो कोई आदर्श था और न कोई सिद्धान्त। केवल वैयक्तिक पूर्वाग्रहों के कारण अभी तक आलोचना के ऐसे स्वस्थ प्रतिमान भी सुनिश्चित नहीं हो पाये थे जो कि गद्य के विविध अंगों के लिए उपयोगी हों। आचार्य शुक्ल के नवीन मानदण्डों तथा सुविकसित समीक्षा पद्धति को निर्मित किया। उन्होंने हिन्दी आलोचना क्षेत्र को नवीन दिशाएँ प्रदान कीं। साथ ही किसी कवि या उसकी रचना को तत्कालीन सामाजिक आलोक में रखकर उसकी समीक्षा की। सैद्धान्तिक आलोचना क्षेत्र में उन्होंने अपनी मौलिक उद्भावनाओं द्वारा इस क्षेत्र के सभी अंगों का गम्भीर एवं सूक्ष्म अध्ययन प्रस्तुत किया।

ऐतिहासिक आलोचना के रूप में कवि या उसकी कृति की समीक्षा करते हुए उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। आचार्य शुक्ल रसवादी हैं और साथ-साथ सौन्दर्यवादी भी, किन्तु लोक-संग्रहात्मक की भावना उनकी आलोचना का अभिन्न अंग बनी रही है। उनके लिए समाज निरपेक्ष फोरी वैयक्तिक अनुभूति का कोई मूल्य नहीं है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वे 'कला कला के लिए और कला जीवन के लिए सिद्धान्तों के समन्वय के पक्षपाती हैं।

आचार्य शुक्ल द्वारा रचित आलोचनात्मक ग्रन्थ 'हिन्दी साहित्य का इतिहास', गोस्वामी तुलसीदास 'जायसी ग्रन्थावली की भूमिका तथा 'चिन्तामणि' प्रथम व द्वितीय भाग आदि उल्लेखनीय हैं। 'गोस्वामी तुलसीदास उनके आदर्श कवि हैं और कदाचित उनके आलोचना के मानदण्ड बहुत कुछ तुलसी के रामचरितमानस पर आधारित है। उन्होंने तुलसी एवं उनके काव्य का अत्यन्त मौलिक रूप से विवेचन किया है और तुलसी को हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ कवि सिद्ध करने के लिए उनके समक्ष हिन्दी के किसी भी कवि को महत्व नहीं दिया। अस्तु ! शुक्ल जी की शैली में प्रौढ़ता, गम्भीरता, सूक्ष्मता, सरसता, प्रवाह और अपूर्व बल है जिसके कारण वे अपनी बात मनवाने के लिए पाठक को बाध्य कर देते हैं।

हिन्दी के आज के कई आलोचकों ने शुक्ल जी की आलोचना की कतिपय न्यूनताएँ प्रदर्शित की हैं। शुक्ल अपने नीतिवादी दृष्टिकोण के कारण सूर के प्रति और अपनी वर्ण-व्यवस्था तथा अवतारवाद में आस्था के कारण कबीर आदि निर्गुण कवियों के प्रति न्याय नहीं कर सके हैं। उन्होंने प्रगति काव्य की अपेक्षा प्रबन्ध काव्य को अत्यधिक प्रश्रय दिया है, वे नवीन काव्यधारा छायावाद की अन्तरात्मा को नहीं समझ सके तथा उनके रस को विभिन्न कोटियों में विभक्त करना भारतीय परम्परा के सर्वथा विपरीत है, आदि-आदि। कुछ भी हो, इन परिसीमाओं के रहते हुए भी शुक्ल जी ने हिन्दी आलोचना को जो आदर्श दिया उसका मूल्य स्थायी है। शुक्ल जी जैसा सशक्त व्यक्तित्व वाला आलोचक शायद ही आज हिन्दी के पास कोई हो।

शुक्ल द्वारा प्रवर्तित समीक्षा पद्धति को लेकर चलने वाले हिन्दी के प्रमुख उल्लेखनीय आलोचक हैं - पं0 विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, कृष्णशंकर शुक्ल, रामकृष्ण शुक्ल, शिलीमुख, चन्द्रबली पांडेय और रमाशंकर शुक्ल रसाल। इनमें से अधिकांश ने शुक्ल जी के नीतिवादी और व्यावहारिक पक्ष को थोड़ा बहुत त्याग दिया है।

शुक्ल जी की सैद्धान्तिक आलोचना पद्धति पर भी इस युग में अच्छा कार्य हुआ है।

कन्हैयालाल पोधार, गुलाबराय, रामदहिन मिश्र 'हरिऔध' और केशव प्रसाद मिश्र के नाम इस दिशा में उल्लेखनीय हैं। शुक्ल जी द्वारा छायावादी काव्य के सम्यक मूल्यांकन के अभाव की प्रतिक्रिया में छायावादी कवियों-प्रसाद, पंत, निराला और महादेवी ने अपनी पुस्तकों की भूमिकाओं में छायावाद की कविता की अन्तर्दृष्टि और उसके सौन्दर्य पक्ष का सम्यक् विश्लेषण किया जिसका नन्द दुलारे वाजपेयी, शान्तिप्रिय द्विवेदी तथा डॉ. नगेन्द्र पर पर्याप्त प्रभाव पड़ा। परिणामतः वे छायावादी काव्य के यथार्थ स्वरूप को उपन्यस्त करने में समर्थ हुए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आलोचना को परिभाषित करते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकासक्रम में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान की समीक्षा कीजिए।
  4. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की आलोचना पद्धति का मूल्याँकन कीजिए।
  5. प्रश्न- डॉ. नगेन्द्र एवं हिन्दी आलोचना पर एक निबन्ध लिखिए।
  6. प्रश्न- नयी आलोचना या नई समीक्षा विषय पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- द्विवेदी युगीन आलोचना पद्धति का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- आलोचना के क्षेत्र में काशी नागरी प्रचारिणी सभा के योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- नन्द दुलारे वाजपेयी के आलोचना ग्रन्थों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- हजारी प्रसाद द्विवेदी के आलोचना साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  12. प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दी आलोचना के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  13. प्रश्न- पाश्चात्य साहित्यलोचन और हिन्दी आलोचना के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी आलोचना पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  15. प्रश्न- आधुनिक काल पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद से क्या तात्पर्य है? उसका उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  17. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उसकी प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी आलोचना पद्धतियों को बताइए। आलोचना के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के अर्थ और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख भर कीजिए।
  21. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के व्यक्तित्ववादी दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  22. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद कृत्रिमता से मुक्ति का आग्रही है इस पर विचार करते हुए उसकी सौन्दर्यानुभूति पर टिप्णी लिखिए।
  23. प्रश्न- स्वच्छंदतावादी काव्य कल्पना के प्राचुर्य एवं लोक कल्याण की भावना से युक्त है विचार कीजिए।
  24. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद में 'अभ्दुत तत्त्व' के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए इस कथन कि 'स्वच्छंदतावादी विचारधारा राष्ट्र प्रेम को महत्व देती है' पर अपना मत प्रकट कीजिए।
  25. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद यथार्थ जगत से पलायन का आग्रही है तथा स्वः दुःखानुभूति के वर्णन पर बल देता है, विचार कीजिए।
  26. प्रश्न- 'स्वच्छंदतावाद प्रचलित मान्यताओं के प्रति विद्रोह करते हुए आत्माभिव्यक्ति तथा प्रकृति के प्रति अनुराग के चित्रण को महत्व देता है। विचार कीजिए।
  27. प्रश्न- आधुनिक साहित्य में मनोविश्लेषणवाद के योगदान की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- कार्लमार्क्स की किस रचना में मार्क्सवाद का जन्म हुआ? उनके द्वारा प्रतिपादित द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
  29. प्रश्न- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- ऐतिहासिक भौतिकवाद को समझाइए।
  31. प्रश्न- मार्क्स के साहित्य एवं कला सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- साहित्य समीक्षा के सन्दर्भ में मार्क्सवाद की कतिपय सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  33. प्रश्न- साहित्य में मार्क्सवादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- मनोविश्लेषणवाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
  35. प्रश्न- मनोविश्लेषवाद की समीक्षा दीजिए।
  36. प्रश्न- समकालीन समीक्षा मनोविश्लेषणवादी समीक्षा से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- मार्क्सवाद की दृष्टिकोण मानवतावादी है इस कथन के आलोक में मार्क्सवाद पर विचार कीजिए?
  38. प्रश्न- मार्क्सवाद का साहित्य के प्रति क्या दृष्टिकण है? इसे स्पष्ट करते हुए शैली उसकी धारणाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- मार्क्सवादी साहित्य के मूल्याँकन का आधार स्पष्ट करते हुए साहित्य की सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- "साहित्य सामाजिक चेतना का प्रतिफल है" इस कथन पर विचार करते हुए सर्वहारा के प्रति मार्क्सवाद की धारणा पर प्रकाश डालिए।
  41. प्रश्न- मार्क्सवाद सामाजिक यथार्थ को साहित्य का विषय बनाता है इस पर विचार करते हुए काव्य रूप के सम्बन्ध में उसकी धारणा पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- मार्क्सवादी समीक्षा पर टिप्पणी लिखिए।
  43. प्रश्न- कला एवं कलाकार की स्वतंत्रता के सम्बन्ध में मार्क्सवाद की क्या मान्यता है?
  44. प्रश्न- नयी समीक्षा पद्धति पर लेख लिखिए।
  45. प्रश्न- आधुनिक समीक्षा पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- 'समीक्षा के नये प्रतिमान' अथवा 'साहित्य के नवीन प्रतिमानों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  47. प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  48. प्रश्न- मार्क्सवादी आलोचकों का ऐतिहासिक आलोचना के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
  49. प्रश्न- हिन्दी में ऐतिहासिक आलोचना का आरम्भ कहाँ से हुआ?
  50. प्रश्न- आधुनिककाल में ऐतिहासिक आलोचना की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उसके विकास क्रम को निरूपित कीजिए।
  51. प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सैद्धान्तिक दृष्टिकोण व व्यवहारिक दृष्टि पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- शुक्लोत्तर हिन्दी आलोचना एवं स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  55. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में नन्ददुलारे बाजपेयी के योगदान का मूल्याकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  56. प्रश्न- हिन्दी आलोचक हजारी प्रसाद द्विवेदी का हिन्दी आलोचना के विकास में योगदान उनकी कृतियों के आधार पर कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. नगेन्द्र के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  58. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. रामविलास शर्मा के योगदान बताइए।

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