बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन
प्रश्न- स्वच्छंदतावादी काव्य कल्पना के प्राचुर्य एवं लोक कल्याण की भावना से युक्त है विचार कीजिए।
उत्तर -
काल्पनिकता स्वच्छंदतावाद की एक प्रमुख प्रवृत्ति है। स्वच्छंदतावादी कवियों ने कल्पना की ऊँची उड़ान पर काव्य-सृजन किया। इन कवियों ने कल्पना को मानव मस्तिष्क की सर्वोत्तम प्रक्रिया है। अपनी कल्पना शक्ति के द्वारा ही उन्होंने प्रकृति के कण-कण में दैवी सत्ता का आभास किया और प्रत्येक वस्तु को आध्यात्मिकता से सम्बन्धित कर उसे देखा।
उदाहरणार्थ - प्रसिद्ध रोमांटिक कवि पी. वी. शैली ने पश्चिमी हवा को रक्षक तथा विनाशकारी बताया है। उसके प्रभाव से सूखी पत्तियाँ प्रेतों के समान भागती हैं :
स्वच्छंदतावादी कवियों ने कल्पना को प्रेरणादायक तत्त्व कहा है। इसीलिए वे यथार्थ से दूर कल्पना के ऐन्द्रिय जगत् में विचरण करते हैं।
इसी कल्पना के प्रभाव के कारण स्वच्छंदतावादी काव्य आकर्षक और मनोरम बन गया है। उन्होंने स्थूल के लिए सूक्ष्म उपमानों का प्रयोग किया। परिणामस्वरूप इनका काव्य अमूर्त और मापक बन गया।
'मैथ्यू आर्नल्ड' ने स्वच्छंदतावादी कवि 'शैली' के बारे में उचित ही कहा है, "वह ऐसा देवदूत है, जो अपने चमकीले पंखों को शून्य में फड़फड़ाता है।'
स्वच्छंदतावाद व्यक्तिवादी है, लेकिन लोक को पूरी तरह उपेक्षित नहीं करता है। इसमें व्यक्तिवाद के साथ-साथ रागात्मक तत्त्व की प्रधानता भी है और ये रागात्मकता निश्चय से शिवत्व से सम्बद्ध होती है। मनुष्य अपने मूलरूप में शिव है और उसका लक्ष्य है, उसी शिवत्व को पाना। फ्रांस की राज्य क्रान्ति और स्वच्छंदतावाद दोनों पर ही रूसों का प्रभाव रहा है। रूसों ने घोषणा की थी कि मानव को नगर जीवन की कृत्रिमता ने भ्रष्ट कर दिया है। प्रकृति की समीपता उसके लिए मंगलकारी है। गाँव के आडम्बरहीन सहज जीवन को अपनाने से सबका कल्याण सकता है। यही कारण है कि स्वच्छंदतावादी कवि जनकल्याण की भावना को अपनी कविता में प्रमुखता प्रदान करते हैं।
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- प्रश्न- हिन्दी आलोचना पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
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