बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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हिन्दी काव्य का इतिहास
प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
यह तो निर्विवाद सत्य है कि अमीर खुसरो ने हिन्दी में कविता की रचना मनोरंजन के उद्देश्य से की थी। परन्तु यदि उनकी फारसी भाषा में रचित कृतियों पर दृष्टि डाली जाए, तो यह स्पष्ट हो जाता हैं कि भारत देश, यहाँ के लोगों, उनकी परम्पराओं व संस्कृति, यहाँ की जलवायु आदि सभी से अगाध प्रेम था। उन्होंने अपनी रचना 'बुह सिपहर' (नौ आसमान) में भारतवर्ष की महिमा और भारत के प्रति अपने प्रेम का बड़ा ही मार्मिक व भावपरक वर्णन किया है। वे कहते हैं कि मेरी दृष्टि में भारत की श्रेष्ठता के दो प्रमुख कारण हैं एक तो यह कि भारत मेरी मातृभूमि है और स्वयं पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने कहा है कि देश-प्रेम ईमान की निशानी है। दूसरा कारण यह है कि यहाँ के शासक मुबारक शाह जैसा दूसरा शासक इस संसार में नहीं है -
अस्वाते मुल्क-ए-हिन्द- बहुज्जत के जन्नत अस्त।
मुल्क-ए-हिन्द- हुज्जत हया ब-कायद-ए-अक्ली उस्तवार॥
वे कहते हैं कि भारत कुर्र-ए-खाकी पर जन्नत-ए-निशान है अर्थात् यह देश संसार में स्वर्ग के समान है। स्वर्ग से आते समय आदम ने भारत में ही उतरने का निर्णय लिया क्योंकि यहाँ की हवा, जलवायु आदि में सभी कुछ स्वर्ग की विशेषताएँ विद्यमान हैं। उन्होंने न केवल भारत की भूमि, जलवायु आदि के प्रति अपना प्रेम प्रकट किया है बल्कि इस देश की ज्ञान-गरिमा, धार्मिक व सांस्कृतिक परम्पराओं की भी प्रशंसा की है। वे कहते हैं कि "यद्यपि रोम और यूनान, दर्शन व ज्ञान के लिए प्रसिद्ध हैं परन्तु भारत उनसे किसी भी तरह से कम नहीं है। यहाँ का ब्राह्मण अरस्तू और उनके कानून की धज्जियाँ उड़ा सकता है।
उसके ज्ञान के समक्ष रोमवासियों, यूनानियों का ज्ञान धूल के समान है।' अमीर खुसरो ने भारतीय संगीत की प्रशंसा की है। वे कहते हैं कि यहाँ के गायक के गीत व संगीतज्ञ का संगीत मनुष्यों के हृदयों पर तो क्या पशुओं के भी हृदय पर अपना प्रभाव डालता है। अनेक विदेशी संगीतज्ञ यहाँ बीस वर्षों तक संगीत सीखने का प्रयास करते रहे परन्तु वे सफल नहीं हो सके। इसी प्रकार वे यहाँ की शिक्षा, गणित के ज्ञान, कला आदि की भी प्रशंसा करते हैं। वे कहते हैं कि यहाँ का कोना-कोना विद्या और कला का केन्द्र है। दूसरे देश इसके ज्ञान भण्डार से अज्ञात हैं। उन्होंने भारतीयों द्वारा विदेशी भाषाओं को सुगमता से सीख लेने, यहाँ के शतरंज के खेल, गणित के ज्ञान आदि का उल्लेख करते हुए भारत के प्रति अपना प्रेम प्रकट किया है। अतः संक्षेप में कहा जा सकता है कि उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से मातृभूमि भारत, यहाँ की भाषा हिन्दी, यहाँ की संस्कृति आदि के प्रति जो श्रद्धांजलियाँ अर्पित की हैं। वस्तुतः वे उनके राष्ट्र-प्रेम की ही द्योतक हैं।
अमीर खुसरो ने अपने काव्य में भारतवर्ष, यहाँ के वातावरण, संस्कृति आदि की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। हिन्दी व हिंदुस्तान के प्रति खुसरो का यह अनुराग उनके मन में भारतीय जन-जीवन के प्रति प्रगाढ़ राग का प्रतिफल है। उनकी हिन्दी रचनाओं में समकालीन लोक परम्परा, रीति- रिवाजों आदि का वर्णन हुआ है। उन्होंने अपनी मुकरियों में विचित्र वेष तथा सिद्धियों से आकृष्ट करने वाले अवधूतों के साथ-साथ लोक-जीवन में व्याप्त राम का वर्णन किया है -
बखत बेबखत मोय बाकी आस। रात दिना वह रहवत पास।
मेरे मन को सब करत है काम। ए सखि साजन? न सखि राम॥
इसी प्रकार उन्होंने लोक के चिर जीवन सहचर लोटा, गगरी, चरखा, सकरकंद, हुक्का चिलम आदि का भी बड़ी आत्मीयता से वर्णन किया है-
चढ़ छाती मो को लचकावत, धोय हाथ मोपर चढ़ि धावत।
सरम लगत देखत सब नगरी, ए सखि साजन? ना सखि गगरी।
खुसरो भले ही सात मुस्लिम शासकों के दरबारी कवि रहे हो परन्तु उन्होंने लोक-जीवन की ओर से कभी आँखे नहीं फेरी। उन्होंने ग्रामीण रीति-रिवाजों में लड़कियों की विदाई का चित्रण भी अपनी हिन्दी कविता में किया है। 'बाबुल' शीर्षक गीतों में विवाह के पश्चात् ससुराल जाती हुई बेटी का करुण क्रन्दन अभिव्यक्त हुआ है। उनके संवेदनशील मानस में जाड़े से ठिठुरते हुए दीन- हीन लोग घर की देहरी पर लटके हुए पिंजरे में राम-राम रटने वाले तोते, ठठरियों के बल पर महाकाल से लोहा लेने वाले निरीह बुड्ढे, गर्मियों में शरीर का पसीना सुखाने वाले पंखे, तिरस्कार करने पर भी पैर चाटने वाला व रोटी का टुकड़ा पाकर घर की रखवाली करने वाला कुत्ता, काँटे और कीचड़ से रक्षा करते हुए पैर चूमने वाले निष्काम कर्मयोग के प्रतीक जूतों के प्रति पर्यात समादर था। इसलिए ऐसे-ऐसे तुच्छ समझे जाने वाले तत्वों, पदार्थों को भी उन्होंने अपनी कविता में विशिष्ट रूप से अभिव्यक्त किया है।
छठे छमासे मोरे घर आवै। आप हिले और मोहि हिलावै।
नाम लेत मोहि आवे संका। ए सखि साजन? ना सखि पंखा ॥
इनके अतिरिक्त उनकी हिन्दी रचनाओं में देहाती जीवन में काम आने वाली जड़ी-बूटियों के नुस्खे, देहातों में दिखाई देने वाले झूलों, बर्रे के छत्तों, चरखा, हुक्का, चिलम आदि का वर्णन हुआ है।
यद्यपि खुसरो ने फारसी भाषा में राजाओं का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन, युद्ध-दृश्यों का चित्रण, प्रेम-निरूपण, देश-प्रेम आदि का वर्ण्य विषय है परन्तु हिन्दी काव्य में उन्होंने दैनिक जीवन से सम्बन्ध रखने वाली साधारण से साधारण वस्तु को भी अपना वर्ण्य विषय बनाया है तथा उसे विशिष्टता देकर सराहा है। उदाहरण के लिए, पानी जैसी साधारण वस्तु का भी उन्होंने विशिष्ट रूप से वर्णन किया है -
वा बिना मोको चैन न आवै। वो मेरी त्रिसना बुझावै।
है वह सब गुन बारह बानी। ए सखि साजन? ना सखि पानी॥
इनकी हिन्दी रचनाओं में भावों की प्रधानता है। उन्होंने मुकरियों में समस्त बातें प्रेमी के संबंध में कही हैं। प्रिय की श्रृंगारिक चेष्टाओं का निरूपण करके उसे अन्त में एक नया नाम दे दिया है।
अतः उनकी भाव अभिव्यंजना सरस, स्वाभाविक व सुन्दर है। उनकी हिन्दी रचनाओं में श्रृंगार, करुण, शांत, हास्य, अद्भुत, वीभत्स रस के स्रोत फूटते और प्रवाहित होते दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए संयोग श्रृंगार का आश्रय लेते हुए वे कहते हैं -
खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग।
तन मेरो मन पीऊ को, दोऊ भए एक रंग ॥
अमीर खुसरो की हिन्दी रचनाओं में काव्य-मर्मज्ञता, काव्य- कला के साथ-साथ रसोद्रेक के लिए अलंकारों का भी प्रयोग हुआ है। उन्होंने शब्दालंकार व अर्थालंकार दोनों का ही प्रयोग किया है। उदाहरण के लिए भुट्टे को साधु-रूप में दर्शाकर उसका मानवीकरण किया गया है। अतः इन पंक्तियों में मानवीकरण अलंकार है -
सिर पर जटा गले में झोली, किसी गुरु का चेला है।
भर भर झोली घर को धावे, उसका नाम पहेला है।
उनकी हिन्दी रचनाओं में दोहा, चौपाई आदि छन्दों के साथ-साथ उर्दू बहरें भी प्रयुक्त हुई हैं। उन्होंने परिनिष्ठित हिन्दी का प्रयोग किया है। उसमें सबल वर्ण विन्यास है। इन रचनाओं में भावानुकूल शब्दों का चुन-चुन कर प्रयोग हुआ है। उनकी काव्य-भाषा लोकोक्तियों व मुहावरों से सुसज्जित है। उसमें प्रयुक्त मुहावरों में लोहे के चने चबाना, हृदय फटना आदि प्रमुख हैं। उनकी हिन्दी रचनाओं में अभिधा व लक्षणा शब्द शक्तियों का अधिक प्रयोग हुआ है। हिन्दी रचनाओं को उन्होंने पहेली, मुकरी, दो सुखना, निस्बतें, ढकोसला आदि शैलियों का प्रयोग किया है। अतः संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि उनके काव्य में भाव व कला दोनों का ही मणिकांचन संयोग है।
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- प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
- प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
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- प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
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- प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
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- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
- प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
- प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
- प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
- प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।