बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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हिन्दी काव्य का इतिहास
प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
अथवा
हिन्दी भाषा एवं साहित्य के इतिहास लेखन में आने वाली विभिन्न समस्याओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर -
हिन्दी भाषा एवं साहित्य के इतिहास लेखन में विभिन्न प्रकार की समस्याएँ आती रही हैं। उनका अनेक प्रकार शोध कार्य होने के उपरान्त भी अनेक विषय ऐसे हैं जिन पर इतिहास लेखन के समय अनेक समस्याएँ आती हैं। कुछ प्रमुख समस्याएँ जिनका विचार नीचे दिया गया है जो निम्नलिखित हैं-
(1) हिन्दी भाषा एवं साहित्य की प्रारम्भिक तिथि की समस्या - हिन्दी साहित्य के इतिहास के पुनर्लेखन की सबसे प्रथम और मूलभूत समस्या जो उभरकर सामने आती हैं वह यह है कि हिन्दी भाषा एवं साहित्य का आरम्भ कब से माना जाये और उसका प्रारम्भिक स्वरूप कैसा हों।
इस विषय पर विचार करने पर समस्या उठती है कि हिन्दी का पहला कवि कौन था, पहला साहित्य कौन था, हिन्दी के प्रारम्भ के साथ-साथ यह समस्या भी आती है कि जिस कवि की रचना को प्रारम्भिक रचना मानेंगे उसे ही आदिकाल का आरम्भ मानना होगा। अनेक विद्वानों ने अपने- अपने ग्रन्थों में अलग-अलग रचनाओं एवं कवियों को पहला साहित्य एवं रचनाकार माना है। नवीन इतिहास के लेखन में इन समस्याओं का समाधान आवश्यक है।
(2) काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या - दूसरी समस्या आती है कि हिन्दी साहित्य में काल विभाजन किस प्रकार किया जाये तथा उसका नामकरण क्या हो? जैसे हिन्दी के आदिकाल के बारे में देखा जाये तो उसका नामकरण एवं समय सबसे विवादास्पद है। विभिन्न विद्वानों ने आदिकाल का नामकरण सिद्धसामन्तकाल, आदिकाल चारणकाल, बीजवपनकाल, वीरगाथाकाल आदि किया है जो पुनर्लेखकों के सामने एक समस्या बनकर आती है।
(3) साहित्यकार एवं उनके जीवनवृत्त की समस्या - जब काल निर्धारण हो जाता है तब उनमें साहित्यकारों का चयन एवं जीवनवृत्त एक समस्या होती है। प्रत्येक काल के अन्दर किन साहित्यकारों को रखा जाये एवं उनके चयन का क्या आधार हो यह एक समस्या पुनर्लेखकों के सामने आती है। हर युग में इतने साहित्यकार होते हैं कि उनको एक ही समय में स्थान दे पाना एक समस्या होती है। इन साहित्यकारों के कृतित्व को परखने का निष्कर्ष क्या हो इसकी सुनिश्चितता होनी चाहिए।
(4) भक्तिकालीन सम्प्रदायों की समस्या - भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल कहा जाता है। इस काल में दार्शनिक एवं धार्मिक पृष्ठभूमि का निर्माण जिन सम्प्रदायों के सहयोग से हुआ था वे आज भी साहित्येतिहास में उपेक्षित हैं। साहित्य के इतिहास में इन सबका जो इतिहास प्राप्त होता है वह बहुत ही संक्षिप्त और अपूर्ण तथा विवादास्पद है। पुनर्लेखकों के सामने यह एक जटिल बिन्दु होगा।
(5) प्रक्षिप्त अंशों से सम्बन्धित अंश हिन्दी साहित्य के इतिहास में एक बहुत बड़ी समस्या प्रक्षीप्त अंशों की भी है। विशेष रूप से आदिकाल एवं मध्यकाल की रचनाओं के सम्बन्ध में यह समस्या गम्भीर प्रश्न बनकर उभरी है।
पृथ्वीराज रासो तथा कबीर की रचनाओं और जायसी के पदमावत को लेकर विद्वान् बराबर मंथन करते ही रहे हैं फिर भी वे आज तक किसी सर्वमान्य निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाये हैं। अनेक स्थल विवादों से घिरे हुए हैं, जिनके प्रामाणिक पाठालोचन की समस्या, अत्यन्त जटिल रूप में हिन्दी जगत् के सामने खड़ी है। इस समस्या का समाधान भी बहुत कुछ व्यापक शोध पर आधारित है। इतिहासकार उपरोक्त समस्या को अकेले नहीं हल कर सकता है।
(6) विभिन्न शोध ग्रन्थों के उचित उपयोग की समस्या - हिन्दी साहित्य के इतिहास के पुनर्लेखन की एक समस्या यह भी है विभिन्न खोज रिपोर्टों में उल्लिखित ग्रन्थों के सदुपयोग की। इस सम्बन्ध में मिश्रबन्धुओं में जिस परम्परा की नींव डाली थी, उसे फिर से पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। हस्तलिखित ग्रन्थों को भी इतिहास में सम्मान मिलना चाहिए। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने ग्रन्थ हिन्दी साहित्य के इतिहास में इस समस्या को उठाया है। यथा -
"सहस्त्रों हस्तलिखित हिन्दी पुस्तकें देश के अनेक भागों में राज पुस्तकालयों तथा लोगों के घरों में अज्ञात पड़ी है।'
साथ ही साथ लोक साहित्यों को भी हिन्दी साहित्य में सम्मिलित किया जाना चाहिए। स्वतंत्रता के बाद इस क्षेत्र में पर्याप्त कार्य हुए हैं और बहुत से प्रकाशित और अप्रकाशित सामग्री सामने आ चुकी है। साहित्येतिहास लेखन करते समय इन सामग्रियों का वर्णन होना। हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में अब तक बहुत बड़ी संख्या में शोध कार्य हो चुका है। यह कार्य भिन्न-भिन्न दिशाओं में हुआ है अभी तक हिन्दी साहित्य के विद्यार्थी को इन सबकी किसी एक स्थान पर प्रामाणिक जानकारी मिलने की कोई व्यवस्था नहीं है बहुत सा शोधकार्य अप्रकाशित है जब तक वह प्रकाशित नहीं होता हिन्दी जगत् उससे अनभिज्ञ ही रहेगा और कालान्तर में वह शोध भी काल कलवित हो जायेगा। जितना भी शोधकार्य हुआ है इस शोध कार्य की स्तरीयता और विद्यानुसार वर्गीकरण की दृष्टि से पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है। तत्पश्चात् इनके विशिष्ट बिन्दुओं को हिन्दी साहित्य के इतिहास में सम्यक् स्थान देने की आवश्यकता है। यह एक नितान्त महत्वपूर्ण कार्य है। इसकी उपेक्षा से हिन्दी साहित्य का इतिहास अपनी एक बहुत बड़ी उपलब्धि को खो बैठेगा। अतः इतिहास के पुनर्लेखन के समय इस समस्या पर भी सम्यक् ध्यान देना चाहिए।
उपरोक्त विवरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इन समस्याओं को देखते हुए हिन्दी साहित्य के इतिहास के पुनर्लेखन की महती आवश्यकता है। ये समस्याएँ चाहें आदिकाल और रीतिकाल के नामकरण से सम्बन्धित हो, चाहें पुरानी हिन्दी और उसके साहित्य को लेकर हों। सभी के समुचित समाधान की आवश्यकता है। यदि ऐसा नहीं होता है तो हिन्दी साहित्य के इतिहास प्रेमी पाठक सदैव भ्रम के शिकार होते रहेंगे। यदि इन समस्याओं का समाधान हो जाता है तो हिन्दी साहित्य का यह अंग भी शीघ्र ही प्रौढ़ता को प्राप्त होगा और अन्य साहित्येतिहासों की अपेक्षा हिन्दी साहित्य का इतिहास गरिमामय हो उठेगा।
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- प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
- प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
- प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
- प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
- प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
- प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
- प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
- प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।