बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र
प्रश्न- बाघ गुफाओं के प्रमुख चित्रों का परिचय दीजिए।
अथवा
बाघ के चित्रों पर निबंध लिखिए।
उत्तर -
बाघ गुफाओं के चित्र
बाघ गुफाओं के सबसे अच्छे चित्र चौथी और पाँचवीं गुफा के बाहरी बरामदे की भीतरी दीवार या गुफाओं के सामने की दीवार पर ऊपर के भाग में सुरक्षित थे। परन्तु बरामदे की छत गिर जाने से पर्याप्त चित्र नष्ट हो गए हैं। इसके अतिरिक्त दर्शकों ने नाम लिख-लिखकर भी चित्रों को क्षति पहुँचाई है।
पहला दृश्य - अधिकांश चित्र चौथी गुफा के सम्मुख भाग में प्राप्त हैं। इन चित्रों का सिंहावलोकन नितान्त दक्षिणी छोर से चौथी गुफा के द्वार से आरम्भ करेंगे। इस द्वारा के ऊपर दो दृश्य अंकित हैं। पहले दृश्य में दो स्त्रियाँ एक छज्जे पर बैठी हैं जिसमें से एक शोकाकुल है और अपने दाहिने हाथ में लगे वस्त्र से अपने मुख को छिपाए है। उसका बायाँ हाथ किसी बात को व्यक्त करने की मुद्रा में फैला है। दूसरी स्त्री संवेदना और सहानुभूति में उसकी करुण कहानी सुन रही है। इस छज्जे की छत पर नीले रंग से कबूतरों की जोड़ी बनायी गई है जो किसी प्रणय-प्रसंग का प्रतीक है। सम्भवतः यह कसी विरहिणी का चित्र है। इस विरहाकुल स्त्री के चित्र को कुछ विद्वानों ने बुद्ध के विरह में व्याकुल यशोधरा का चित्र बताया है।
दूसरा दृश्य - दूसरे दृश्य में चार गहरे वर्ण के आभूषणधारी पुरुष किसी गंभीर वार्ता में निमग्न हैं। ये सब पुरुष आकृतियाँ पाल्थी बाँधे नीली तथा पीली आसनियों पर विराजमान हैं। इन आकृतियों की पृष्ठभूमि में उद्यान के फीके से चित्रण का आभास होता है।
तीसरा दृश्य - तीसरे दृश्य में स्पष्ट रूप से आकृतियों के दो समूह हैं जो एक के ऊपर एक बनाये गए हैं, परन्तु यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि यह एक ही प्रसंग के चित्र हैं या एक ही दृश्य की घटना हैं। ऊपर वाले भाग में छ: पुरुष आकृतियाँ हैं, ये आकृतियाँ हवा में उड़ रही हैं और बादलों से आच्छादित हैं। नीचे वाले भाग में केवल पाँच सिर ही शेष बचे हैं जो स्पष्ट रूप से गायिकाओं के चित्र हैं क्योंकि बीच वाली स्त्री के हाथ में वाद्य यंत्र है। इन स्त्रियों के केश जूड़े में बंधे हैं। इस चित्र में नीले रंग से जड़ाऊ आभूषण बनाए गए हैं। यह नीला रंग लेपिसलाजुली है जिसका प्रयोग अजन्ता के चित्रों में भी किया गया है। लेपिसलाजुली रंग को उस समय फारस से आयात किया जाता था।
चौथा दृश्य - चौथे चित्र में स्त्री गायिकाओं के दो दलों को चित्रित किया गया है। यह चित्र बाघ के समस्त चित्रों में अपनी मंडलाकार व्यवस्था, लय तथा सुन्दरता के कारण सबसे अधिक प्रसिद्ध हो चुका है। पहले दल में सात स्त्रियाँ एक अन्य आठवीं नर्तकी को चारों ओर से घेरे खड़ी हैं। नृत्य करने वाली स्त्री पूरी आस्तीन का चुस्त कुर्ता पहने है जो घुटने तक नीचा है, तीन स्त्रियाँ डंडे बजा रही हैं, एक मृदंग बजा रही है और शेष तीन मंजीरे (ताल) बजा रही हैं। यह स्त्रियाँ उरोजों पर या तो आस्तीनदार चोली पहने हैं या ऊपरी भाग में अर्धनग्न हैं।
दूसरे दल में एक नर्तकी को घेरे छः गायिकाएँ मंडलाकार रूप में खड़ी हैं, नर्तकी के बाल कंधों पर लहरा रहे हैं। वह चुस्त कुर्ता तथा पतला पजामा पहने है। शेष छः गायिकाओं में से एक मृदंग बजा रही है, दो छोटे-छोटे मंजीरे बजा रही हैं और शेष तीन डण्डे बजा रही हैं। इनकी वेश-भूषा पहले वाली गायिकाओं के दल के समान ही है। इस चित्र में कुछ लेख दिया गया था परन्तु अब केवल कुछ भाग स्पष्ट है।
पाँचवाँ दृश्य - पाँचवें चित्र में कम से कम सत्रह घुड़सवारों का एक दृश्य अंकित है। यह घुड़सवार बायीं ओर जा रहे हैं। वस्त्रों की तड़क-भड़क, घोड़ों की गति तथा राजकीय चिह्न इत्यादि के कारण यह किसी राजा की शोभायात्रा या जुलूस का दृश्य प्रतीत होता है। घोड़ों का अंकन स्वाभाविकता से किया गया है। इस दल के चित्र में समस्त सवार चुस्त बाने के समान पोशाक पहने दर्शाए गए हैं और उनके सिर के पिछले भाग पर पीली या सफेद रंग की पगड़ी लगी है।
छठा दृश्य - छठे दृश्य में एक हाथियों का जुलूस दिखाया गया है। इस दल में छ: हाथी और तीन घुड़सवार हैं, परन्तु घुड़सवारों में से अब केवल एक ही का चित्रण स्पष्ट दिखाई देता है। छठा दृश्य तोरण-द्वार के चित्रण से सातवें दृश्य से अलग हो जाता है। इस चित्र में एक व्यक्ति हाथ में कमलपुष्प धारण किए हाथी पर बैठा है, इसके सिर पर छत्र लगा है तथा पीछे एक अंगरक्षक चँवर झल रहा है।
सातवाँ दृश्य - सातवाँ दृश्य छठे दृश्य के विरोध में दूसरी ओर बनाया गया है। इसमें चार हाथी और तीन घुड़सवार अपने गन्तव्य स्थान तक आ गए हैं। हाथी विश्राम करने के लिए बैठ गए हैं। यहाँ पर दो पैदल आदमी हैं जिनके हाथ में तलवारें और भाले हैं। इन सबका ध्यान सामने के भवन पर केन्द्रित है। निकट ही एक केले का वृक्ष भी है जिसके नीचे बुद्ध बैठे हुए और एक शिष्य को उपदेश देते हुए अंकित हैं।
चौथी गुफा के उत्तर की ओर भी कुछ चित्रों के अवशेष हैं जो अधिक स्पष्ट नहीं हैं। छठी गुफा में गौतम बुद्ध के अनेक चित्र हैं, जिनमें 'उपनिश- बुद्ध' का सुन्दर चित्र अवशेष मात्र रह गया है। इसी प्रकार इस गुफा की पाँचों भीतरी कोठरियाँ भी चित्रों से सजी हुई थीं। इन चित्रों की आकृतियाँ, भंगिमाएँ, अलंकरण तथा शैली अजन्ता के समान है, अतः इन चित्रों को अजन्ता शैली का माना गया है। आकृतियों के चुस्त कपड़े तथा शृंगार गुप्तकालीन मूर्तियों की याद दिलाते हैं।
बाघ गुफाओं में काले, सफेद तथा हिरौंजी के रंग के प्रयोग से उत्तम आलेखन बनाए गए हैं, जो लय तथा आकारों की पूर्णता में अजन्ता को मात करते हैं। इन आलेखनों में मनमुग्धकारी पक्षियों - शुक, सारिका, कुक्कुट, हंस, कोयल, मोर, सारस, चकोर तथा बतख आदि का कमल, कमलनाल, लताओं तथा पुष्पों के बीच-बीच में अंकन किया गया है। रंगीन चित्रों में नीले, लाल और पीले परस्पर विरोधी रंगों का प्रयोग किया गया है। रंगों की यहाँ दो शैलियाँ हैं जो सम्भवतः दो भिन्न-भिन्न कालक्रमों की परिचायक हैं।
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