बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र
प्रश्न- प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला की खोज का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
भारतीय प्रागैतिहासिक कला के महत्त्वपूर्ण केन्द्रों के चित्रों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
होशंगाबाद तथा भोपाल क्षेत्र की प्रागैतिहासिक चित्रकला का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
अथवा
भारतवर्ष में उत्तर-पाषाण युग की चित्रकला के उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. उत्तर-पाषाण युग की चित्रकला के उदाहरण कहाँ-कहाँ से प्राप्त हुए हैं? केवल नाम दीजिए तथा इन्हें देखकर क्या पता चलता है?
2. बेलारी के बारे में आप क्या जानते हैं?
3. विन्ध्याचल पर्वत की कैमूर श्रेणी की चित्रकला का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
4. होशंगाबाद कहाँ स्थित है तथा यहाँ की चित्रकला के बारे में बताइए।
5. भीमबेटका गुफा चित्रों के बारे में बताइए।
6. उत्तर प्रदेश के प्रागैतिहासिक गुफा चित्रों के प्रमुख केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर -
भारतवर्ष में उत्तर-पाषाण युग की चित्रकला के उदाहरण
भारत में उत्तर - पाषाण युग की चित्रकला के साक्ष्य अनेक स्थानों पर पाए गए हैं। इन उदाहरणों के आधार पर ही हम आदिकाल की चित्रकला के विकास क्रम का ज्ञान तथा आदिमानव के जीवन पर भी पर्याप्त मात्रा में जानकारी प्राप्त कर पाए हैं। इस युग की चित्रकला के प्रमुख उदाहरण बेलारी, बाईनाड-एडकल, होशंगाबाद, सिंहनपुर, बुन्देलखण्ड तथा बघेलखण्ड (विन्ध्याचल), मिर्ज़ापुर, रायगढ़, हरनीहरन, बिल्लासरंगम, बुढ़ार, परगना आदि स्थानों से मिले हैं।
बिल्लासरंगम - यह गुफा तमिलनाडु में है। अनुमान लगाया जाता है कि इसका समय उत्तर - पाषाण युग का प्रारम्भिक चरण है। यहाँ पर कुछ हड्डियों से बने हुए हथियार प्राप्त हुए हैं। यहाँ पर जादू-टोने में आस्था के प्रतीक चिह्न या चित्र अंकित किये गए हैं। रांगेय राघव के कथनानुसार यह गुफा नियोलिथिक युग से सम्बन्धित है।
बेलारी - सन् 1892 में सर्वप्रथम एफ० फासेट ने बेलारी के निकट प्राप्त प्रागैतिहासिक चित्राकृतियों का विवरण प्रकाशित किया। पुनः 1901 ई० में इन्हीं के द्वारा बाईनाड एडकल गुफा - चित्रों का परिचय प्रकाशित किया गया। दक्षिणी भारत में बेलारी उत्तर-पाषाण युग के मानव का प्रमुख केन्द्र था। यहाँ पर एक गुफा में शिकार का एक दृश्य तथा जादू के प्रचलन से सम्बन्धित अनेक चिह्न अंकित किये गये हैं। इन चिह्नों में एक छह कोण का सितारा (षट्कोण) उल्लेखनीय है। इन गुफाओं की चित्रकला स्पेन की कोगुल गुफा की आदिम-चित्रकला से मिलती-जुलती है।
बाईनाड के एडकल - भारत में यह स्थान दक्षिण में स्थित है। यहाँ पर बेलारी के समान ही जादू के विश्वास के अनेक चिह्न मिले हैं। इन चिह्नों में स्वास्तिक चिह्न, सूर्य के चिह्न और चौखटे खाने (चतुष्कोण) लाल और काले रंग से बनाए गए हैं। यह चिह्न जादू-टोने के प्रतीक माने जाते हैं। यहाँ पर मनुष्य को सिर पर कुछ पहने हुए दिखाया गया है, जो स्पेन की गुफा के समान है।
हरनीहरन - कार्लाइल ने 1883 ई० में इस क्षेत्र के गुफा चित्रों का विवरण जनरल आफ एशियाटिक सोसायटी - बंगाल में प्रस्तुत किया। मिर्जापुर क्षेत्र में विजयगढ़ दुर्ग के समीप हरनीहरन एक गाँव की गुफा में कुछ चित्र प्राप्त हुए हैं। इस गुफा में एक गैंडे का आखेट करते हुए शिकारियों का रोचक चित्र अंकित है।
विन्ध्याचल पर्वत की कैमूर श्रेणी की चित्रकला - विन्ध्याचल की पहाड़ियों की खुदाई में उत्तर - पाषाण युग के बने कई चित्र प्राप्त हुए हैं। इन पहाड़ियों की चित्रित चट्टानों तथा गुफाओं के आस-पास पत्थर की चट्टानों पर हिरौजी के घिसे हुए पत्थर मिले हैं जो आदिमानव ने चित्र बनाने के लिए रंग स्वरूप प्रयोग किये थे। माना जाता है कि इन स्थानों पर प्रागैतिहासिक मनुष्य ने पू रूप से अपनी चित्रशालायें स्थापित कर ली थीं, जहाँ पर वह रंग को पत्थर की शिला के ऊपर घिसकर प्रयोग करता और चित्र में भरता था। इन स्थानों पर जानवरों के पुट्ठों की हड्डी भी मिली है जिसको वह रंग बनाने की प्लेट या तश्तरी के रूप में प्रयोग करता था। इस प्रकार हम देखते हैं कि उत्तर - पाषाण युग की चित्रकला के प्रमाण विन्ध्याचल तथा कैमूर पर्वतमाला में अनेक स्थानों पर सुरक्षित हैं। इसमें प्रमुख चित्र - रायगढ़, मिर्ज़ापुर, पंचमढ़ी, होशंगाबाद, ग्वालियर, बांदा आदि स्थानों से मिले हैं।
सिंहनपुर - 1910 ई० में डब्ल्यू ऐण्डर्सन ने सिंहनपुर के चित्रों की खोज की थी। तत्पश्चात् अमरनाथ दत्त ने 1913 ई० में और पर्सी ब्राउन ने 1917 ई0 में इन चित्रों के बारे में जानकारी दी। सिंहनपुर गाँव मध्य प्रदेश में मांढ नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है। सिंहनपुर गाँव में 50 चित्रित शिलाएँ तथा गुफाएँ मिली हैं। ये गुफाएँ एक रेतीली चट्टान में स्थित हैं। इन गुफाओं के द्वार पर कंगारू के असंयत चित्र बने हैं। सिंहनपुर के पास एक सुरंगनुमा गुफा में पशुओं का अंकन अधिक किया गया है— जिसमें घोड़ा, बारहसिंगा, हिरन, साही, महिष या अरना भैंसा, साँड, सूंड "उठाये हाथी तथा खरगोश आदि जानवरों का सजीव अंकन है। यहाँ पर एक गुफा की दीवार पर जंगली साँड को पकड़कर बछ से छेदते हुए आंखेटकों का एक बड़ा मार्मिक दृश्य चित्रित किया गया है। इस चित्र में कुछ आखेटक चारों ओर से एक हिंसक पशु को घेरे हुए हैं और कुछ प्रबल शु के प्रहार से वायु में उछल गये हैं और कुछ पृथ्वी पर गिर पड़े हैं। इस चित्र में पशु की भयंकरता तथा आखेटकों की आक्रामक गति का मार्मिक तरीके से अंकन किया गया है।
मिर्ज़ापुर - उत्तर प्रदेश में स्थित मिर्ज़ापुर जिले में एक सौ से अधिक चित्रित गुफायें तथा शिलाश्रय प्राप्त हुए हैं।
इस जिले में कोहबर, महड़रिया, भल्डरिया, विजयगढ़; छातों, विढ़म लिखनिया - 1, लिखनिया - 2, लौहारी, खोड़हवा, रौंप, कंडाकोट, सोरहोघाटा, घोड़मंगर, पभोसा (चुनार) आदि स्थान आदिम मनुष्य की चित्रकारी के प्रमुख केन्द्र थे। इन गुफाओं में गुहावासी मानव की चित्रकला के प्रमाण सुरक्षित हैं। मिर्ज़ापुर क्षेत्र के अन्तर्गत सहवाइयापथरी, मोहरापथरी, बागापथरी, लकहटपथरी नामक पहाड़ियों में भी आदिम चित्रों के साक्ष्य मिलने की जानकारी प्राप्त हुई है। अनुमानत: मिर्ज़ापुर क्षेत्र की परवर्ती चित्रकारी का समय 5,000 ई० पू० के आसपास का माना जा सकता है।
मनिकापुर - मनिकापुर और उसके निकटवर्ती क्षेत्र में खुले स्थान में गेरु से बने हुए कुछ चित्र प्राप्त हुए हैं। एक चित्र में पहियेरहित गाड़ी और तीन घोड़ों का अंकन है।
पचमढ़ी - श्री एच० डी० गार्डन ने पचमढ़ी क्षेत्र के चित्रों को प्रकाश में लाने का कार्य किया। 1936 ई० में उन्होंने पचमढ़ी के चित्रों से सम्बन्धित रेखाचित्रों तथा फलक चित्रों सहित एक लेख प्रकाशित किया। पचमढ़ी भोपाल से लगभग सत्तर किलोमीटर की दूरी पर मध्य प्रदेश राज्य में ही स्थित है। इस स्थान पर गुहावासी मानव की चित्रकारी के अनेक उदाहरण मिले हैं।
यहाँ पर इन्होंने पन्द्रह से अधिक शिलाश्रयों एवं गुफाओं की खोज की है। यहाँ पर महादेव - पर्वत के चारों ओर अवस्थित डोरोकोदपि, महादेव बाजार सोनभद्रा, जम्बूदीप, निम्बुभोजन, बनियाबेरी, मारोदेव, तामिया और झालई आदि स्थानों में कई चित्रित शिलाश्रय तथा गुफाएँ प्राप्त हुई हैं। इन शिलाचित्रों में पशु तथा आखेट चित्रों के अतिरिक्त सशस्त्र युद्ध दृश्यों के चित्र तथा नर्त्तन-वादन और मनोरंजक कार्यक्रमों के चित्र भी मिले हैं। अनुमान लगाया गया है कि इन चित्रों का समय ईसवी शताब्दी से बहुत परवर्ती का है।
होशंगाबाद - होशंगाबाद नगर (मध्य प्रदेश) पचमढ़ी से पैंतालीस मील दूर नर्मदा नदी के पास स्थापित है। इस नगर से ढाई-तीन मील की दूरी पर आदमगढ़ पहाड़ी है। इसी पहाड़ी में एक दर्जन से अधिक शिलाश्रय मिले हैं जिनमें हाथी, महिष, घोड़े, सांभर, जिराफ-समूह, अस्त्ररोही अश्वारोही, चार धनुर्धारी आदि क्षेपांकन (Stencil) पद्धति से बनाये गए चित्र प्राप्त हुए हैं। यहाँ पर चित्रण विभिन्न शैलियों में किया गया है जिनके पाँच-छः स्तर हैं जो अनेकानेक कालों के द्योतक हैं। डॉ० जगदीश गुप्त ने इस क्षेत्र में बुदनी तथा रहेली का नाम भी प्रागैतिहासिक चित्रकला के लिए प्रस्तुत किया है। यहाँ पर एक शिलाश्रय पर एक मोर का विशाल चित्र तथा एक स्थान पर वनदेवी का चित्र भी अंकित किया गया है।
भोपाल क्षेत्र - भोपाल क्षेत्र में धरमपुरी, गुफामंदिर, शिमलाहिल, बरखेड़ा, सांची, सेक्रेटरियेट, उदयगिरि आदि स्थानों में आदिम-चित्रकला के उदाहरण प्राप्त हुए हैं। धरमपुरी नामक स्थान पर एक शिलाश्रय में गेरुए रंग से अंकित हिरन के आखेट का रहस्यमय चित्रण है। इस चित्र में शिकारी का शरीर पैरों तक पत्तियों से ढका हुआ दिखाया है जिसके कारण भ्रमवश हिरन उनके समीप आ गया, तथा उसका शिकार किया गया अंकित है।
बांदा - बांदा क्षेत्र में सरहत, मलवा, कुरियाकुंड, अमवाँ, उल्दन, चित्रकूट आदि स्थानों में शिलाश्रय तथा चित्रित गुफाएँ प्राप्त हुई हैं।
ग्वालियर क्षेत्र - ग्वालियर, शिवपुरी तथा फतेहपुर सीकरी के आस-पास भी आदिम - चित्रकला के चिह्न प्राप्त हुए हैं।
बिहार - बिहार क्षेत्र में चक्रधरपुर नामक ग्राम में आदिम-चित्रकला के कुछ उदाहरण प्राप्त हुए हैं। एक चित्र में एक आदमी लेटा है और कुछ आदमी उसके पास बैठे हैं। यहाँ के चित्रों का समय श्रीमती अल्विन तथा असित कुमार हाल्दार ने 2,000 ई० पूर्व माना है।
मन्दसौर - मन्दसौर जिले में मोरी गाँव में गुफा - चित्र प्राप्त हुए हैं। यहाँ 30 खोहे हैं जिसमें सूर्य, कमल तथा स्वास्तिक चिह्न बने हैं।
भीमबटेका - भोपाल से लगभग 40 किमी दक्षिण में भीमबटेका नामक एक पहाड़ी में लगभग 600 प्राचीन गुफाएँ मिली हैं। इन गुफाओं से प्रस्तर सामग्री भी प्राप्त हुई है जो 30,000 ई० पूर्व से 10,000 ई० पूर्व की है। यहाँ पर लगभग 275 गुफाओं में चित्रों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहाँ पर बने चित्रों का समय लगभग 10,000 ई० पूर्व से 1,000 ई० पूर्व तक का अनुमान लगाया गया है।
यहाँ पर हिरण, बारहसिंगा, सूअर, रीछ, भैंसे आदि जंगली पशुओं के चित्र अंकित हैं। परवर्ती चित्रों में आखेटक, कृषक, ग्वाले आदि के चित्र अंकित किए गए हैं।
इन स्थानों के अतिरिक्त बेला स्टेशन की पहाड़ियों में सुदामा, लोमश, रामाश्रय, विश्व झोंपड़ी तथा गोपी गुफाओं की चित्रकला को भी प्रागैतिहासिक महत्त्व का माना गया है। भुवनेश्वर से पाँच मील पश्चिम में स्थित उदयगिरि, खण्डगिरि और नीलगिरि की 66 गुफाओं को चित्रों की दृष्टि से प्राचीन समय का माना गया है। इसी प्रकार कश्मीर की विख्यात अमरनाथ गुफा में समय के साथ चित्रों के अवशेष ही रह गये हैं।
ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि भारतवर्ष में जितने भी चित्र प्राप्त हुए हैं उनमें से अधिकांश चित्रों का समय दस या बारह हजार वर्ष ईसा पूर्व से सात या आठ सौ वर्ष ईसा पूर्व का होगा। गॉर्डन महोदय ने इन चित्रों का समय परवर्ती काल का माना है और पूर्वाग्रह के कारण इन्होंने इन चित्रों का समय आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व स्वीकार किया है, परन्तु यह बात ठीक प्रतीत नहीं होती है। यह बात सत्य है कि इन क्षेत्रों में आदिम जातियाँ वर्तमान समय में भी निवास करती हैं और अब भी इस प्रकार के चित्र बनाती हैं, परन्तु अनेकानेक स्थानों पर खरोष्टि लिपि में लेख उत्कीर्ण होने के कारण इनको हम परवर्तीकाल का नहीं मान सकते। खरोष्टि लिपि अत्यन्त प्राचीन है, इसके अतिरिक्त जो पशु तथा शस्त्र वहाँ अंकित किए गए हैं वह भी पाषाण युग के हैं। अतः गॉर्डन का मत यहाँ सही प्रतीत नहीं होता और चित्र प्राचीन हैं। ब्राहिक महोदय ने संसार के प्रागैतिहासिक चित्रों की जो विवेचना की है उसके अनुसार भारत में प्राप्त चित्रों का कालक्रम अमेरिका तथा यूरोप के बाद का रहा है।
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- प्रश्न- कला अध्ययन के स्रोतों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला की खोज का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रागैतिहासिक चित्रकला के विषयों तथा तकनीक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय चित्रकला के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा वे किस प्रकार के हैं?
- प्रश्न- भीमबेटका क्या है? इसके भीतर किस प्रकार के चित्र देखने को मिलते हैं?
- प्रश्न- प्रागैतिहासिक काल किसे कहते हैं? इसे कितनी श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं?
- प्रश्न- प्रागैतिहासिक काल का वातावरण कैसा था?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के विषय में आप क्या जानते हैं? सिन्धु कला पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी में चित्रांकन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मोहनजोदड़ो - हड़प्पा की चित्रकला को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की कला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जोगीमारा की गुफा के चित्रों की विषयवस्तु तथा शैली का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ला गुफा के विषय में आप क्या जानते हैं? वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- भाजा गुफाओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- नासिक गुफाओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं की खोज का संक्षिप्त इतिहास बताइए।
- प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं के चित्रों के विषय एवं शैली का परिचय देते हुए नवीं और दसवीं गुफा के चित्रों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अजन्ता की गुहा सोलह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- अजन्ता की गुहा सत्रह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- अजन्ता गुहा के भित्ति चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- बाघ गुफाओं के प्रमुख चित्रों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अजन्ता के भित्तिचित्रों के रंगों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अजन्ता में अंकित शिवि जातक पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंघल अवदान के चित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अजन्ता के चित्रण-विधान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अजन्ता की गुफा सं० 10 में अंकित षडूदन्त जातक का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सित्तन्नवासल गुफाचित्रों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बादामी की गुफाओं की चित्रण शैली की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सिगिरिया की गुफा के विषय में बताइये। इसकी चित्रण विधि, शैली एवं विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- एलीफेण्टा अथवा घारापुरी गुफाओं की मूर्तिकला पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एलोरा की गुहा का विभिन्न धर्मों से सम्बन्ध एवं काल निर्धारण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- एलोरा के कैलाश मन्दिर पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एलोरा के भित्ति चित्रों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एलोरा के जैन गुहा मन्दिर के भित्ति चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौर्य काल का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- शुंग काल के विषय में बताइये।
- प्रश्न- कुषाण काल में कलागत शैली पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- गान्धार शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मथुरा शैली या स्थापत्य कला किसे कहते हैं?
- प्रश्न- गुप्त काल का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- “गुप्तकालीन कला को भारत का स्वर्ण युग कहा गया है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- अजन्ता की खोज कब और किस प्रकार हुई? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करिये।
- प्रश्न- भारतीय कला में मुद्राओं का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारतीय कला में चित्रित बुद्ध का रूप एवं बौद्ध मत के विषय में अपने विचार दीजिए।