बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठन बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठन
प्रश्न- बड़े आकार से प्राप्त होने वाली मितव्ययिताएँ या बचतें समझाइये।
उत्तर -
(Economies of Large-sized Units)
व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाई के बड़े आकार के कारण प्राप्त होने वाली मितव्ययिताएँ या बचतें निम्नलिखित हैं-
(I) उत्पादन में बचतें (Economies in Production) - बड़े आकार की इकाई में छोटे आकार वाली इकाई की अपेक्षा उत्पादन सम्बन्धी निम्नलिखित बचतें होती हैं -
(a) बाह्य बचतें (External Economies) - प्रो. केअरनक्रॉस के अनुसार, "बाह्य बचतें वे बचतें हैं जो कई फर्मों को या उद्योगों को प्राप्त होती हैं जबकि एक उद्योग में या उद्योगों के एक समूह में उत्पादन का पैमाना बढ़ता है।" ये बचतें किसी एक फर्म को प्राप्त नहीं होतीं वरन इनका लाभ उद्योग की अनेक फर्मों या समस्त फर्में उठाती हैं। एक फर्म या कई फर्मों की आन्तरिक बचतें दूसरी फर्मों के लिये बाह्य बचतें हो सकती हैं। बाह्य बचतें उन कारणों से उत्पन्न होती हैं जो व्यावसायिक इकाई के अधिकार- क्षेत्र से बाहर होते हैं। ऐसी बचतों का सम्बन्ध किसी विशेष व्यावसायिक इकाई से नहीं होता बल्कि पूरे उद्योग से होता है। सभी फर्म या कारखाने, जो व्यवसाय अथवा उद्योग विशेष में भाग लेते हैं, इन बचतों को प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी बचतों की मात्रा सारे उद्योग के विकास की स्थिति पर निर्भर होती है। प्रमुख बाह्य बचतें निम्नलिखित हैं-
1. बड़ी मात्रा में माल खरीदने की बचतें (Economies in Purchasing Goods in Large Quantity) - बड़ी मात्रा में उत्पादन करने वाली व्यावसायिक इकाई की बड़ी मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती है। यह माल सस्ती दर पर क्रय हो जाता है क्योंकि इसे उत्पादकों अथवा बड़े-बड़े थोक व्यापारियों से सीधा खरीदा जा सकता है। यही नहीं, व्यावसायिक इकाई का आकार बहुत बड़ा होने पर कच्चे माल को अपने ही यहाँ उत्पादित किया जा सकता है।
2. भाड़े में बचतें (Economies in Freight) - बड़ी मात्रा में माल लाने-ले जाने पर भाड़े में बचत होती है।
3. स्थानीयकरण की बचतें (Economies of Location ) - प्रत्येक इकाई को कुशल श्रमिक आसानी से प्राप्त हो जाते हैं तथा श्रमिकों के प्रशिक्षण की सुविधाओं का भी विकास हो जाता है। अधिक माल का उत्पादन होने के कारण क्षेत्र - विशेष में परिवहन तथा संचार व्यवस्था का बहुत अच्छा विकास हो जाता है जिसका लाभ प्रत्येक इकाई उठाती है। विद्युत शक्ति का भी बहुत विकास हो जाता है और शक्ति की सस्ती दर का लाभ इकाई को मिल जाता है। बैंक, बीमा कम्पनियाँ तथा अन्य वित्तीय संस्थाएँ अधिक संख्या में खुल जाती हैं जिससे इकाई को उचित दर पर वित्तीय सुविधाएँ मिल जाती हैं।
(b) आन्तरिक बचतें (Internal Economies) - आन्तरिक बचतें औद्योगिक इकाई की भीतरी स्थिति से सम्बन्धित होती हैं। आन्तरिक बचतें निम्नलिखित हैं-
1. श्रम विभाजन के लाभ (Advantages of Division of Labour ) - बड़े आकार वाली इकाइयों में श्रम-विभाजन को क्रियान्वित करके कई बचतें (जैसे आधुनिक मशीनों से बचतें, कुशल व्यक्तियों की नियुक्ति से बचतें आदि) प्राप्त होती हैं।
2. अवशिष्ट उत्पादों के उपयोग से बचत (Savings by using Bye-Products) - बड़े आकार वाली इकाइयों में अवशिष्ट पदार्थ निकलते हैं। इन पदार्थों का उपयोग करके सहायक उत्पादन किया जा सकता है।
3. शोध से लाभ (Advantages from Research) - बड़े आकार वाली व्यावसायिक इकाइयों में शोध एवं विकास विभाग शोध व विकास कार्य करके अच्छा माल बनाने में सहायक होता है।
4. मरम्मत की सुविधाएँ ( Repairing Facilities) - बड़ी व्यावसायिक इकाई स्वयं अपना मरम्मत विभाग बनाती है। यह विभाग टूटी व खराब हुई मशीनों को शीघ्र सुधारता है। इससे उत्पादन में अवरोध नहीं आता।
5. अन्य लाभ (Other Advantages) - बड़ी व्यावसायिक इकाइयों की कुछ अन्य आन्तरिक बचतें निम्नलिखित हैं-
(i) स्वचालित यन्त्रों के लाभ मिलना,
(ii) ऊर्जा के उपयोग में बचत,
(iii) पैकिंग में बचतें.
(iv) कार्यालयी व्ययों में बचल आदि।
(II) प्रबन्धकीय बचतें (Managerial Economies) -
1. सूक्ष्म बातों को सौंपना - एक बड़ी इकाई में एक योग्य प्रबन्धक नित्य क्रियाओं तथा सूक्ष्म बातों को कार्यालय में अधीनस्थ पदाधिकारियों को सौंपकर अपना समय फर्म की अत्यन्त आवश्यक बातों एवं समस्याओं के लिये दे सकता है। इससे इकाई की कुशलता बढ़ती है।
2. कार्यात्मक विशिष्टीकरण (Functional Specialisation) - फर्म के कार्य को भागों में बाँट दिया जाता है; जैसे लेखांकन तथा लागत विभाग, मशीन तथा बिल्डिंग अनुरक्षण, क्रय विभाग, विक्रय विभाग, यातायात विभाग इत्यादि। प्रत्येक विभाग में विशेषज्ञ नियुक्त किया जाता है।
3. श्रम बचत करने वाले यन्त्रों का उपयोग - बड़े आकार वाली व्यावसायिक इकाई में आधुनिक श्रम बचत करने वाले यन्त्रों का उपयोग सरलता से किया जा सकता है; जैसेबिजली से चलने वाला टाइपराइटर, समय अंकित करने की मशीन, इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर आदि ऐसा करने से श्रम की बचत होती है, कुशलता में वृद्धि होती है तथा प्रति इकाई उत्पादन व्यय घट जाता है।
4. उपरिव्ययों में कमी (Reduction in Overheads) - बड़े आकार वाली औद्योगिक इकाई में उत्पत्ति की प्रति इकाई के पूरक व्यय या उपरिव्यय अपेक्षाकृत कम होते हैं क्योंकि कारण यह है कि इस प्रकार के व्यय साधारणतया निश्चित अथवा स्थिर होते हैं। चूँकि बड़े आकार वाली इकाई में उत्पत्ति की मात्रा अधिक होती है, अतः प्रति इकाई ऊपरी व्यय कम हो जाते हैं।.
(III) वित्त सम्बन्धी बचतें (Financial Economies) - बड़ी इकाइयों के पास अधिक सम्पत्ति होती है, इनकी ख्याति दूर तक फैली होती है, तथा रुपया उधार देने वाली संस्थाओं पर भी इनका प्रभाव होता है। बड़ी इकाइयों को बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं से उचित ब्याज दर पर तथा पर्याप्त मात्रा में आसानी के साथ द्रव्य मिल जाता है। इसके अतिरिक्त बड़ी इकाइयाँ अपने अंश बेचकर भी बाजार से द्रव्य प्राप्त कर लेती हैं।
1. आय का पुनर्विनियोजन (Ploughing Back of Income) - बड़े आकार वाली औद्योगिक इकाई में लाभ की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है। समस्त लाभ का वितरण न करके उसका कुछ भाग रोक लिया जाता है। इस रोके गये लाभ का इकाई में पुनर्विनियोजन कर दिया जाता है। यह पद्धति प्रति वर्ष अपनायी जाती हैं, अतः धीरे-धीरे यह राशि विशाल पूँजी का रूप धारण कर लेती है। इस प्रकार उक्त औद्योगिक इकाई को स्वयं अपने ही साधनों से बिना ब्याज की पूँजी उपलब्ध हो जाती है।
2. उधार विक्रय की वसूली में सुविधा (Easy Recovery of Credit Sales) - बड़े आकार वाली इकाइयों में उधार माल विक्रय की वसूली के लिये विशेष व्यक्तियों की नियुक्ति की जा सकती है जिसके कारण वसूली व्ययों में बचत रहती है तथा ऋण के डूबने का भय भी कम हो जाता है। माल उधार लेने वाला जानता है कि यदि मैंने भुगतान नहीं किया तो जो मुझे भविष्य में उधार माल नहीं मिलेगा।
3. पूँजी के उपयोग में बचत (Saving in Use of Capital) - बड़े आकार वाली इकाई में उत्पादक को पूँजी के उपयोग में भी बचत होती है। ऐसे उत्पादक की बाजार में साख ऊँची होती है जिससे उसे कम ब्याज तथा उचित शर्तों पर ऋण मिल जाता है।
(IV) विपणन में बचतें (Economies in Marketing) -
1. विक्रय में बचतें (Economies in Selling) - बड़ी फर्मों को अपना निर्मित माल बेचने में भी बचतें प्राप्त होती हैं। उन्हें भाड़ा सस्ती दर पर मिल जाता है, या वे अपनी निजी यातायात व्यवस्था करके मितव्ययिता प्राप्त करती हैं। बड़ी फर्मों एजेण्ट, इत्यादि नियुक्त करके तथा विभिन्न स्थानों पर शो- रूम' तथा 'बिक्री डिपो की स्थापना करके तथा अन्य विभिन्न प्रकार के विज्ञापन के कार्यक्रमों को अपनाकर निर्मित माल की बिक्री को बढ़ाती हैं। विज्ञापन पर किया गया व्यय अधिक इकाइयों पर फैल जाने के कारण सस्ता पड़ता है। ये अपने ग्राहकों को मरम्मत सेवा तथा माल बदलने की सुविधाएँ दे सकती हैं।
2. सामूहिक बिक्री के लाभ (Benefits of Collective Sale) - बड़े आकार वाली इकाइयों में उपभोक्ताओं की पसन्दगी के अनुसार विभिन्न प्रकार का उत्पादन होता है। इकाई इन सभी वस्तुओं का अपने कुशल विक्रय संगठन द्वारा सामूहिक विक्रय करने में समर्थ हो जाती है।
(V) जोखिम सहने की बचतें (Risk Bearing Economies) - एक बड़ी औद्योगिक इकाई को, छोटी औद्योगिक इकाई की अपेक्षा, जोखिम कम होती है क्योंकि वह जोखिम को फैला सकती है। 'जोखिम के फैलाने के सिद्धान्त' को एक बड़ी औद्योगिक इकाई निम्न उपायों से क्रियाशील करती है -
1. उत्पादन का विविधीकरण (Diverzification of Output ) - बड़ी औद्योगिक इकाई कई वस्तुओं का उत्पादन कर सकती हैं। यदि एक वस्तु पर हानि होती हैं तो वह अन्य वस्तुओं के लाभ द्वारा पूरी हो जाती है।
2. बाजारों की विविधता (Diversification of Markets) - बड़ी इकाई अपनी निर्मित वस्तु को कई बाजारों में बेचते हैं ताकि मौका पड़ने पर एक बाजार के नुकसान को अन्य बाजारों के लाभ - से पूरा किया जा सके।
3. कच्चे माल के स्रोतों का विविधीकरण (Diversification of Sources of Raw Material) - बड़ी इकाई अपने कच्चे माल की पूर्ति विभिन्न स्रोतों से करती हैं। यदि कभी एक जगह से कच्चे माल की पूर्ति न हो सके तो अन्य जगहों से माल की पूर्ति मिलते रहने से उसका कार्य चलता रहेगा।
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- प्रश्न- व्यवसाय का अर्थ बताइये। इसकी विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यवसाय की विशेषताएं बताइये।
- प्रश्न- व्यवसाय के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'व्यवसाय किसी भी राष्ट्र की संस्कृति में एक प्रधान संस्था है, राष्ट्र के साधनों का एक प्रमुख उपभोक्ता एवं प्रबन्ध है तथा रोजगार एवं आय का मूल स्रोत है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यवसाय की परिभाषा दीजिए तथा इसके क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यवसाय का क्षेत्र समझाइये।
- प्रश्न- 'व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होना चाहिए या सेवा करना अथवा दोनों ही? इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यवसाय के विकास की अवस्थाएँ समझाइए।
- प्रश्न- व्यापार तथा वाणिज्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वाणिज्य तथा उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार तथा उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'व्यवसाय एक सामाजिक क्रिया है। समझाइये |
- प्रश्न- व्यापार, वाणिज्य तथा उद्योग का परस्पर सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- व्यापार किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ?
- प्रश्न- वाणिज्य, व्यवसाय व व्यापार में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
- प्रश्न- व्यवसाय के उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- यदि व्यापार वाणिज्य का अंग है तो उद्योग उसका आधार है। इस कथन की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यवसाय की अवधारणा स्पष्ट करो।
- प्रश्न- व्यावसायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इसका महत्व अथवा लाभ बताइए।
- प्रश्न- व्यावसायिक संगठन का महत्व या लाभ समझाइए।
- प्रश्न- व्यावसायिक संगठन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक संगठन के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- व्यावसायिक संगठन का कार्यक्षेत्र समझाइए।
- प्रश्न- आधुनिक व्यवसाय का क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएँ क्या होती हैं? ई-व्यवसाय का वर्णन कीजिए। इसके लाभ एवं हानियाँ भी बताइये।
- प्रश्न- ई-व्यवसाय क्या है?
- प्रश्न- ई-व्यवसाय के लाभ समझाइये।
- प्रश्न- ई-व्यवसाय की हानियाँ समझाइये |
- प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण अथवा व्यावसायिक प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण की अवधारणा समझाइए। इसके लाभ एवं हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण के लक्षण समझाइये।
- प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण अथवा व्यावसायिक प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण के लाभ समझाइये |
- प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण की हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- उन सेवाओं को समझाइए जिनका बाह्यस्रोतीकरण किया जा सकता है।
- प्रश्न- ई-व्यवसाय का क्षेत्र बताइये।
- प्रश्न- ई-व्यवसाय तथा परम्परागत व्यवसाय में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- ई-व्यवसाय के क्रियान्वयन हेतु जरूरी संसाधन बताइये।
- प्रश्न- एक नये व्यवसाय की स्थापना करने से पूर्व ध्यान में रखे जाने वाले घटक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- नये व्यवसाय के सम्बन्ध में प्रारम्भिक अन्वेषण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- व्यवसाय संगठन के प्रारूप का चयन करते समय ध्यान में रखे जाने बिन्दु कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- व्यवसाय की स्थापना के घटकों पर विचार करते समय वित्तीय नियोजन को समझाइये।
- प्रश्न- व्यवसाय के स्थान, स्थिति एवं आकार को बताइए।
- प्रश्न- क्या व्यवसाय की स्थापना में किन्हीं कानूनी औपचारिकताओं को ध्यान में रखना होता है?
- प्रश्न- व्यवसाय की स्थापना करने में निम्नलिखित विचारणीय कारकों को समझाइये - (a) संयन्त्र अभिन्यास (b) क्रय तथा विक्रय नीति (c) प्रबन्ध (d) कार्यालय का उचित संगठन।
- प्रश्न- एक सफल व्यवसायी कौन होता है? उन गुणों को बताइये जो आपके विचार में एक सफल व्यवसायी में होने चाहिए।
- प्रश्न- ऐसे कौन-से घटक हैं जिन पर व्यावसायिक संगठन के प्रारूप का चयन आधारित होता है? समझाइए।
- प्रश्न- व्यावसायिक इकाइयों के स्वामित्व के विभिन्न प्रकार अथवा प्रारूप कौन-कौन से हैं? एकाकी व्यापार को परिभाषित कीजिए तथा इसकी प्रधान विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एकाकी व्यापार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- एकाकी व्यापार की विशेषताएँ समझाइए।
- प्रश्न- एकाकी व्यापार के गुण एवं दोष समझाइए।
- प्रश्न- एकाकी व्यापार की हानियाँ या दोष समझाइए।
- प्रश्न- एकाकी व्यापार का सामाजिक महत्व बताइए।
- प्रश्न- क्या एकाकी व्यापार प्राचीन जंगली युग का अवशेष माना जाता है?
- प्रश्न- एकाकी व्यापार की सीमाएँ एवं भविष्य बताइए।
- प्रश्न- "एकाकी नियंत्रण विश्व में सर्वश्रेष्ठ है यदि वह एक व्यक्ति इतना बड़ा है कि व्यवसाय को भली प्रकार संभाल सके।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- साझेदारी का आशय एवं परिभाषाएँ दीजिए। इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- साझेदारी की विशेषताएँ, प्रकृति या लक्षण क्या हैं?
- प्रश्न- "व्यवसाय के अन्तर्गत साझेदारी प्रारूप अनुपयोगी बन चुका है इसे मिटा देना चाहिए।" इस कथन की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- साझेदारी की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- "साझेदारी का अधिक दिन चलना कठिन है।' आदर्श साझेदारी की विशेषताएँ बताइए और यह सिद्ध कीजिए कि आदर्श साझेदारी अधिक समय तक चल सकती है।
- प्रश्न- आदर्श साझेदारी की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- क्या आदर्श साझेदारी ज्यादा समय तक चल सकती है?
- प्रश्न- साझेदारी संलेख क्या है? इसमें किन-किन महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख रहता है?
- प्रश्न- साझेदारी तथा सहस्वामित्व में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- क्या साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है? एक साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन न कराने के क्या परिणाम होते हैं?
- प्रश्न- "लाभों का बँटवारा करना ही साझेदारी के अस्तित्व का निश्चयात्मक प्रमाण नहीं है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- साझेदारी के भेद कीजिए तथा सीमित साझेदारी की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- एकाकी व्यापार तथा साझेदारी से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- साझेदारी तथा संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- दीर्घ उत्तरीय संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी क्या है? इसकी विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- एक कम्पनी में कौन-कौन सी विशेषताएँ पायी जाती हैं? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- संयुक्त पूँजी कम्पनी के गुण एवं दोष बताइये।
- प्रश्न- संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी के दोष बताइये।
- प्रश्न- निजी कम्पनी तथा लोक कम्पनी को परिभाषित कीजिए। इनमें अन्तर बताइये।
- प्रश्न- लोक कम्पनी से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- सार्वजनिक कम्पनी की विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निजी कम्पनी तथा सार्वजनिक कम्पनी में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के बारे में बताइये।
- प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के निर्माण सम्बन्धी प्रावधान बताइये।
- प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के सम्बन्ध कम्पनी अधिनियम, 2013 में दिये गये प्रावधान बताइये।
- प्रश्न- कम्पनी और साझेदारी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कम्पनी के निगमन की विधि के अनुसार कम्पनियाँ कितने प्रकार की होती हैं? उनका संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित को समझाइए - (i) विदेशी कम्पनी (ii) सूत्रधारी कम्पनी |
- प्रश्न- निष्क्रिय कम्पनी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी को प्राप्त विशेषाधिकार / छूटें बताइये।
- प्रश्न- बहु-व्यक्ति कम्पनी तथा एक व्यक्ति कम्पनी में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- (i) एकाकी व्यापार की तुलना में संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी से होने वाले लाभ बताइये। (ii) क्या संयुक्त पूँजी कम्पनी प्रारूप साझेदारी प्रारूप पर सुधार है?
- प्रश्न- सहकारी संगठन से आप क्या समझते हैं? संगठन के सहकारी प्रारूप के लाभ-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सहकारिता या सहकारी संगठन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सहकारी संगठन के लाभ बताइये।
- प्रश्न- सहकारी संगठन अथवा सहकारिता के दोष बताइये।
- प्रश्न- सहकारिताओं के प्रारूप या प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सहकारी संगठन तथा संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- स्थानीयकरण से क्या आशय है? सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के औद्योगिक स्थान निर्धारण सिद्धान्त का आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के स्थानीयकरण सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के सिद्धान्त की आलोचनाएं बताइए।
- प्रश्न- संयन्त्र स्थान निर्धारण से आप क्या समझते हैं? संयन्त्र स्थान निर्धारण को प्रभावित करने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले घटकों को समझाइए।
- प्रश्न- अल्फ्रेड वेबर का स्थानीयकरण का सिद्धान्त क्या है? इसे कौन-कौन से घटक प्रभावित करते हैं?
- प्रश्न- वेबर के स्थानीयकरण सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
- प्रश्न- वेबर तथा फ्लोरेन्स के औद्योगिक स्थानीयकरण के सिद्धान्तों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संयन्त्र स्थानीयकरण के उद्देश्य व महत्व लिखिए।
- प्रश्न- संयन्त्र स्थानीयकरण के लाभ-दोष समझाइये।
- प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास से आप क्या समझते हैं? एक आदर्श संयन्त्र अभिन्यास के लक्षण बताइए। वे कौन से उद्देश्य हैं जिन्हें प्रबन्ध वर्ग संयन्त्र अभिन्यास के माध्यम से प्राप्त करना चाहता है?
- प्रश्न- आदर्श संयन्त्र अभिन्यास के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास के प्रकार बताइए तथा इनके सापेक्षिक लाभ तथा दोष बताइए।
- प्रश्न- उत्पाद अथवा रेखा संयन्त्र अभिन्यास के लाभ-दोष समझाइए।
- प्रश्न- कार्यात्मक अथवा प्रक्रिया संयन्त्र अभिन्यास क्या होता है? इसके लाभ व हानियाँ समझाइए।.
- प्रश्न- स्थिर सामग्री वाला संयन्त्र अभिन्यास अथवा स्थायी स्थिति संयन्त्र अभिन्यास क्या होता है? इसके गुण-दोष बताइए।
- प्रश्न- संयुक्त संयन्त्र अभिन्यास को समझाइए।
- प्रश्न- अच्छे संयन्त्र अभिन्यास का महत्व बताइए।
- प्रश्न- उचित रूप से नियोजित संयन्त्र अभिन्यास के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास को प्रभावित करने वाले घटकों को समझाइए।
- प्रश्न- व्यावसायिक इकाई से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक इकाई अथवा औद्योगिक इकाई के आकार के माप अथवा प्रमाप या मानदण्ड समझाइये |
- प्रश्न- व्यावसायिक या औद्योगिक इकाई के आकार की माप या प्रमाप अथवा मापदण्ड समझाइये।
- प्रश्न- व्यवसाय के अनुकूलतम आकार से आप क्या समझते हैं? अनुकूलतम आकार की इकाई निर्धारित करने वाले तत्व कौन-कौन हैं, इनकी व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक इकाई के अनुकूलतम आकार को निर्धारित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं, विस्तारपूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- बड़े आकार से प्राप्त होने वाली मितव्ययिताएँ या बचतें समझाइये।
- प्रश्न- व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाई के आकार को निर्धारित करने वाले घटक बताइये।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म तथा साम्य फर्म क्या हैं?
- प्रश्न- अन्तर कीजिए - (a) अनुकूलतम फर्म तथा प्रतिनिधि फर्म (b) अनुकूलतम फर्म तथा साम्य फर्म।
- प्रश्न- बड़े आकार वाली व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाइयों की हानियाँ बताइये।
- प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन से आप क्या समझते हैं? संयोजन आन्दोलन को प्रेरित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं? समझाइये।
- प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन के आन्दोलन को प्रेरित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संयोजन के विभिन्न प्रारूपों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेम्बर ऑफ कामर्स क्या है? इसके उद्देश्य व कार्य बताइये।
- प्रश्न- श्रम संघ को समझाइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक ठहराव से आप क्या समझते है? इसके प्रकार एवं लाभ-दोष बताइये।
- प्रश्न- सन्धान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्पादक संघ क्या होता है?
- प्रश्न- प्रन्यास क्या होता है? इसके गुण व दोष लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) सूत्रधारी कम्पनी (b) सामूहिक हित
- प्रश्न- पूर्ण संघनन से आप क्या समझते है? इनके गुण व दोष लिखिए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रकार के संयोजनों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक संयोजन क्या हैं? इसके लाभ व दोष बताइए।
- प्रश्न- मिश्रित संयोजन क्या है? इसके उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- सेवा संयोजन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सहायक संयोजन को समझाइए।
- प्रश्न- क्या व्यावसायिक संयोजन उपभोक्ताओं के हित में है?
- प्रश्न- व्यावसायिक संयोगों के लाभों एवं हानियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्षैतिज संयोजन तथा उदग्र संयोजन में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- पूल से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- संघ या पूल के लाभ एवं हानियाँ बताइये।
- प्रश्न- संघों के प्रकार समझाइये।
- प्रश्न- संयोजन के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- उत्पादक संघ कार्टेल तथा संघनन में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रन्यास एवं उत्पादक संघों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रन्यास एवं सूत्रधारी कम्पनी में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- विवेकीकरण से आप क्या समझते हैं? विवेकीकरण को प्रोत्साहित करने वाले घटक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विवेकीकरण की विशेषताएं बताइये।
- प्रश्न- विवेकीकरण को प्रोत्साहित करने वाले घटक अथवा कारण कौन-कौन हैं?
- प्रश्न- विवेकीकरण से आप क्या समझते हैं। इसके लाभों को बताइये।
- प्रश्न- विवेकीकरण के लाभों को बताइये।
- प्रश्न- "भारतीय उद्योगों का भविष्य विवेकीकरण में निहित है।' इस कथन की विवेचना कीजिए तथा विवेकीकरण के लाभों को समझाइये |
- प्रश्न- विवेकीकरण तथा वैज्ञानिक प्रबन्ध में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- विवेकीकरण तथा राष्ट्रीयकरण में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- विवेकीकरण के प्रमुख पहलू बताइये।
- प्रश्न- विवेकीकरण के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय उद्योगों में विवेकीकरण की धीमी प्रगति के कारण स्पष्ट रूप से समझाइये।
- प्रश्न- विवेकीकरण का मानवीय या सामाजिक पहलू बताइए। विवेकीकरण के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- विवेकीकरण की हानियाँ बताइये।