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बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2653
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र

प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए - (i) तत्व-मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा,
(iii) मूल्य-मीमांसा।

अथवा
शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. तत्व - मीमांसा को संक्षेप में समझाइए तथा शिक्षा के सन्दर्भ में इसका निहितार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. ज्ञान - मीमांसा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। ज्ञान-मीमांसा तथा तत्व-मीमांसा में सम्बन्ध बताइए तथा शिक्षा के लिए ज्ञान-मीमांसा की आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।
3. शिक्षा के लिए मूल्य-मीमांसा की आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में दर्शन के निम्न तीन बड़े भाग किये जाते हैं -

(i) तत्त्व मीमांसा
( Metaphysics)

इसके अन्तर्गत निम्न पाँच विभाग आते हैं-

(1) ईश्वर सम्बन्धी तत्त्वज्ञान - इसमें ईश्वर के अस्तित्त्व, उसके स्वरूप, उसकी एकरूपता अथवा अनेकरूपता, इन सबके प्रमाण आदि से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया जाता है।

(2) आत्म सम्बन्धी तत्त्वज्ञान - इस विभाग के अन्तर्गत जीव के अस्तित्त्व आत्मा के अस्तित्त्व की स्वतन्त्रता पर परतन्त्रता, शरीर से उनके पारस्परिक सम्बन्ध आदि से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया जाता है।

(3) ब्रह्माण्ड विज्ञान - इसमें ब्रह्माण्ड के स्वरूप, उसके अक्षर और नश्वर तत्त्वों, उसके सादि और सांत तत्त्वों, इन विभिन्न तत्त्वों के आपसी सम्बन्धों से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया जाता है।

(4) सृष्टि - विज्ञान - इसमें ब्रह्माण्ड के विकास से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं पर विचार किया जाता है, जैसे ब्रह्माण्ड एक है अथवा अनेक? इसकी रचना भौतिक तत्त्वों के संयोग से हुई है अथवा आध्यात्मिक के संयोग से, आदि।

(5) सृष्टि - शास्त्र - इस विभाग में सृष्टि की उत्पत्ति अथवा रचना से सम्बन्धित समस्याओं, जैसे सृष्टि की उत्पत्ति हुई है तो किस प्रकार हुई है? यदि उत्पत्ति न होकर रचना हुई है तो वह किस प्रकार हुई है? आदि पर विचार किया जाता है।

शिक्षा के लिये तत्व मीमांसा का निहितार्थ - वस्तुतः तत्त्व-मीमांसा की जीव जगत् सम्बन्धी अवधारणा छात्र की संकल्पना, छात्र शिक्षक सम्बन्ध, पाठ्यक्रम तथा शैक्षिक मूल्यों को प्रभावित करती है। उदाहरणार्थ, भौतिकवादी दर्शन में आस्था रखने वाला शिक्षक बालक को एक भौतिक पदार्थ के रूप में ही देखेगा तथा उसकी शिक्षण विधि भी उद्दीपन अनुक्रिया के सिद्धान्त पर आधारित होगी। ऐसी स्थिति में जीवन के मूल्य भी भोगवादी तथा ठोस जगत में सुखपूर्वक रह सकने से सम्बद्ध होंगे। लेकिन, इसके विपरीत, यदि जगत् तत्त्वों से बना हुआ स्वीकार किया जायेगा तो छात्र तथा शिक्षा - सम्बन्धी अवधारणायें उसी के अनुरूप बदल जायेंगी।

(ii) ज्ञान-मीमांसा
(Epistemology)

ज्ञान मीमांसा को ही पुराने समय में दर्शन विभाग कहा जाता था और तत्कालीन दर्शनशास्त्रियों ने इसे ही दर्शनशास्त्र की प्रमुख विषय-वस्तु के रूप में स्वीकार किया था। इस विभाग में मानव वृद्धि एवं उसकी ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया जाता है जैसे दृष्टि के ज्ञान प्राप्त करने की सीमा, उसके साधन, प्रमाण- ज्ञान के स्वरूप, सत्य और असत्य के स्वरूप, यथार्थ और भ्रम के स्वरूप तथा मानव-बुद्धि के यथार्थ ज्ञान प्राप्त कर सकने की सम्भावनाएँ आदि।

ज्ञान मीमांसा तथा तत्व-मीमांसा में सम्बन्ध - ज्ञान, मीमांसा व तत्त्व मीमांसा में आपस में सम्बन्ध होते हैं उदाहरणार्थ, जगत् के सम्बन्ध में यदि हमारा दृष्टिकोण भौतिकवादी है तो ज्ञान प्राप्ति के साधन प्रत्यक्ष इन्द्रिय-ज्ञान से सम्बद्ध होंगे। ज्ञान-प्राप्ति की विधि वैज्ञानिक मानी जाएगी और प्रत्यक्ष ज्ञान ही केवल वैध माना जायेगा, जबकि जगत् को यदि आत्मिक माना जाता है तो ज्ञान प्राप्ति की विधि तर्क तथा सहज ज्ञान से सम्बद्ध होगी।

शिक्षा के लिए ज्ञान मीमांसा की आवश्यकता - विद्यालय का पाठ्यक्रम निर्धारित करते समय ज्ञान-मीमांसा हमें प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करती है। विषयों के चयन, पाठ्य-वस्तु के संकलन तथा पाठ्य-पुस्तकों के निर्माण में यह हमें स्पष्ट रूप से प्रभावित करती है। ज्ञान-मीमांसा हमारी शिक्षण विधियों को भी प्रभावित करती है। हमारी शिक्षा-व्यवस्था में वैज्ञानिक विधि का कम प्रयोग, अनुकरण तथा असत वाक्य की महत्ता, सहज ज्ञान पर अधिक निर्भर रहना आदि हमारी दार्शनिक धारणाओं को स्पष्ट रूप से परिलक्षित करते हैं।

(iii) मूल्य-मीमांसा
(Axiology)

मूल्य-मीमांसा का सम्बन्ध मानव जीवन के विभिन्न मूल्यों, उद्देश्यों और आदर्शों से होता है। इसके अन्तर्गत निम्न तीन विभाग होते हैं-

(1) तर्कशास्त्र - मूल्य-मीमांसा के अन्तर्गत तर्कशास्त्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि तर्क के द्वारा ही यथार्थ के स्वरूप का निर्धारण किया जाता है। यह शास्त्र ही अपनी आगमन एवं निगमन विधियों के द्वारा तर्क की वैज्ञानिक विधि का बोध कराता है। इस विभाग के अन्तर्गत तर्कपूर्ण चिन्तन, कल्पना अथवा अनुमान, उसके लक्षण, तर्क की पद्धति आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।

(2) नीतिशास्त्र - इस विभाग के अन्तर्गत मनुष्य के आचरण से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं पर विचार करके विश्लेषण किया जाता है कि मनुष्य को कैसा आचरण करना चाहिए और कैसा नहीं करना चाहिए।

(3) सौन्दर्य शास्त्र - इस विभाग में सौन्दर्य सम्बन्धी विभिन्न समस्याओं पर विचार किया जाता है, जैसे- सौन्दर्य अथवा असौन्दर्य क्या है? उसके लक्षण क्या हैं तथा उनके मापदण्ड क्या हो सकते हैं?

शिक्षा के लिये मूल्य-मीमांसा की आवश्यकता
(Educational Implications of Axiology)

शिक्षा की दृष्टि से दर्शनशास्त्र की इस शाखा का अत्यधिक महत्त्व है। नैतिक जीवन नीतिशास्त्र के क्षेत्र में आता है तथा सद्जीवन सौन्दर्य शास्त्र एवं नीतिशास्त्र दोनों के अन्तर्गत आता है। इसके अतिरिक्त मूल्य-मीमांसा हमारी अनुशासन सम्बन्धी धारणाओं को प्रभावित करती है। मूल्य-मीमांसा के ही अन्तर्गत करने योग्य कर्म तथा न करने योग्य कर्म की व्याख्या की जाती है एवं मानव-व्यवहार के औचित्य - अनौचित्य का विचार किया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा के संकुचित तथा व्यापक अर्थों की व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा की परिभाषा देते हुए इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए। शिक्षा तथा साक्षरता एवं अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है?
  4. प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
  5. प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए - (i) तत्व-मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
  7. प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
  8. प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है?
  9. प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
  10. प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
  12. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
  14. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
  15. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
  16. प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
  17. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है?
  19. प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
  21. प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये |
  22. प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
  23. प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
  24. प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
  25. प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
  26. प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
  27. प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
  28. प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  29. प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  30. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक की भूमिका को समझाइए।
  31. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है?
  32. प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
  33. प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
  34. प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
  36. प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
  37. प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।" स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों?
  40. प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है?
  43. प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है?
  44. प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
  45. प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  46. प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
  47. प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
  48. प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
  49. प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  50. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
  52. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
  53. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
  54. प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्त्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
  55. प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
  56. प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
  57. प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
  58. प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं? लिखिए।
  62. प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
  63. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है?
  64. प्रश्न- डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन का क्या अभिप्राय है? बताइए।
  66. प्रश्न- जाति भेदभाव को खत्म करने के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  67. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर की शिक्षा दर्शन की शिक्षण विधियाँ क्या हैं? बताइए। शिक्षक व शिक्षार्थी सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है? सोदाहरण समझाइए।
  71. प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं?
  72. प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आधुनिक शिक्षण विधियों एवं पाठ्यक्रम के निर्धारण में जॉन डीवी के योगदान का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- बहुलवाद से क्या तात्पर्य है? राज्य के विषय में बहुलवादियों के क्या विचार हैं?
  76. प्रश्न- बहुलवाद और बहुलसंस्कृतिवाद का क्या आशय है?
  77. प्रश्न- बहुलवाद, बहुलवादी शिक्षा से आपका क्या आशय है? इसकी विधियाँ बताइये।
  78. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की प्रक्रिया को बताइए।
  80. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों की विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में जाति, वर्ग एवं लिंग की भूमिका बताइए।
  82. प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं? विद्यालय संगठन का अर्थ, उद्देश्य एवं इसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- विद्यालय संगठन की परिभाषाए देते हुए विद्यालय संगठन की विशेषताओं का वर्णन करें।
  84. प्रश्न- विद्यालय संगठन एवं शैक्षिक प्रशासन में सम्बन्ध बताइए।
  85. प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं?
  86. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? इनसे सम्बन्धित धारणाओं का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  88. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए |
  89. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में विद्यालय की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
  91. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएँ बताइए।
  92. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रारूप बताइए।
  93. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं? सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक एवं शिक्षा की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न रूपों का विवेचन कीजिए।
  95. प्रश्न- उच्चगामी गतिशीलता क्या है?
  96. प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  97. प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  98. प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
  100. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
  103. प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
  105. प्रश्न- 'निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
  106. प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
  107. प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
  108. प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा इनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  109. प्रश्न- 'अधिकार तथा कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
  111. प्रश्न- मौलिक कर्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
  112. प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निदेशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  114. प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निदेशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
  116. प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
  117. प्रश्न- राज्य के उन नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
  118. प्रश्न- नीति निदेशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
  120. प्रश्न- राष्ट्रीय विकास में शिक्षा की भूमिका को विस्तार से बताइए।
  121. प्रश्न- सतत् विकास के लिए शिक्षा से आप क्या समझते हैं? सतत् विकास में शिक्षा की अवधारणा और उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- सहस्राब्दी विकास लक्ष्य मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स का निर्धारण कौन-सा संस्थान करता है?
  123. प्रश्न- एमडीजी और एसडीजी के मध्य अन्तर बताइए।
  124. प्रश्न- ज्ञान अर्थव्यवस्था की राह पर विकास के संकेतक के रूप में शिक्षा को संक्षेप में बताइए। ज्ञान अर्थव्यवस्था के महत्व को भी बताइए।
  125. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- सतत् शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- सतत् शिक्षा के प्रमुख अभिकरण की व्याख्या कीजिए।
  128. प्रश्न- मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (MDGs) व सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) क्या है? बताइए।

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