बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण
अध्याय - 6
अजन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी)
अजन्तप्रकरण
स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति।
नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।
प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
उत्तर -
1. औङ आपः
अर्थ - आबन्त अंग से परे और तथा औट् को शी आदेश होता है।
व्याख्या - सूत्र में स्थित 'औङ्' से और औ तथा और दोनों का ग्रहण समझना चाहिए।
2. सम्बुद्धौ च
अर्थ - सम्बुद्धि परे रहने पर आबन्त अंग को एकार आदेश होता है।
व्याख्या - जैसे- 'रमा + स' यहाँ आकार को एकार आदेश हो जाता है।
3. आङि चापः
अर्थ - टा और ओस् परे होने पर आबन्त अंग के स्थान पर एकार आदेश होता है।
व्याख्या - सूत्र में स्थित आङ को 'टा' कहते हैं। जैसे 'रमा + टा' यहाँ रमा के आ को एकार आदेश होता है।
4. याडाप:
अर्थ - आबन्त अंग से परे ङे ङसि ङस् और ङि को 'चाट्' का आगम होता है। व्याख्या - चाट में टकार की इत्संज्ञा हो जाती है। अतः उसका लोप हो जाता है।
5. अतोऽम्
अर्थ - अदन्त नपुंसकलिङ्ग अंग से परे 'सु' और 'अम को अम् आदेश होता है
व्याख्या - जैसे - ज्ञान + सु यहाँ सु को अम् आदेश हो जाता है।
6. नपुंसकाच्च
अर्थ - नपुंसक अंग से परे औड़ के स्थान पर शी आदेश होता है।
व्याख्या - 'शी' में केवल 'ई' शेष रहती है। प्रथमा द्विवचन में ज्ञान + औ ऐसी दशा में और को शी (ई) होकर ज्ञान + ई ऐस रूप बना।
7. यस्येति च
अर्थ - ईकार अथवा तद्धित प्रत्यय परे होने पर भसंज्ञक इवर्ण और अवर्ण का लोप हो जाता है। व्याख्या ज्ञान + ई ऐसी स्थिति में यहाँ यस्येति च से अकार को लोप प्राप्त होता है।
8. जश्शसोः शि:
अर्थ - नपुंसकलिंग अंग से परे जस और 'शस्' को 'शि' आदेश होता है।
व्याख्या - उदाहरण के लिये नपुंसकलिंगी ज्ञान से परे 'जस्' को 'शि' (इ) आदेश हुआ। तब ज्ञान + इ यह स्थिति हुयी।
9. शि सर्वनामस्थानम्
अर्थ- 'शि' की सर्वनामस्थान संज्ञा होती है।
व्याख्या - ज्ञान + इ (शि) यहाँ शि की सर्वनास्थान संज्ञा हो जाती है।
10. नपुंसकस्य झलचः
अर्थ - सर्वनामस्थान परे रहते झलन्त और अजन्त नपुंसकलिङ्ग अंग को नुम् आगम होता है।
व्याख्या - नुम् में केवल नकार शेष रहता है। 'ज्ञान + इ' यहाँ सर्वनामस्थान 'शि' परे होने पर नपुंसकस्य झलचः से नुम् प्राप्त होता है। परन्तु यहाँ यह शंका होती है कि नुम् आदि मध्य या अन्त में कहाँ हो? इसका निर्णय अग्रिम सूत्र से होता है।
11. मिदचोऽन्त्यात्परः
अर्थ - अचो में जो अन्त्य अच् उससे परे और जिस समुदाय को विधान किया गया हो उसी का अन्त अवयव मित् (नुम् आदि) होता है।
व्याख्या - जैसे 'ज्ञान + इ यहाँ इस परिभाषा के बल से 'नपुंसकस्य झलच' सूत्र से अन्त्य अकार के आगे नुम् (न्) होता है।
12. सर्वनाम्नः स्याङ्ढस्वश्च
अर्थ - आबन्त सर्वनाम से परे ङित् प्रत्ययों को स्याट् आगम होता है और आप को ह्रस्व होता है।
व्याख्या - स्याट् में टकार की इत्संज्ञा हो जाती है।
13. ङिति ह्रस्वश्च
अर्थ - इयङ् और उवङ् के स्थान, स्त्री शब्द से भिन्न तथा नित्य स्त्रीलिंङ्ग दीर्घ ईकार ऊकार तता ह्रस्व इकार उकार, ङित् प्रत्यय परे रहते विकल्प से नदी संज्ञक होते हैं।
14. इदुद्रभ्याम्
अर्थ - नदीसंज्ञक ह्रस्व अकार और उकार से परे 'ङि' को आम् आदेश होता है।
15. स्वमोर्नपुसंकात्
अर्थ - नपुंसकलिंग शब्दों से परे 'सु' और 'अम्' का लोप होता है।
16. इकोऽचि विभक्तौ
अर्थ - अजादि विभक्ति परे होने पर इगन्त अंग को नुम् आगम होता है।
व्याख्या - इगन्त अंग से अन्त्य अच् के आगे नुम् होता है। नुम् में केवल नकार शेष रहता है।
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- प्रश्न- भास का काल निर्धारण कीजिये।
- प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष के व्यक्तित्व एवं शास्त्रीय ज्ञान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के काव्य की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भट्ट नारायण का परिचय देकर वेणी संहार नाटक की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण की शैली पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त के जीवन काल की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भास के नाटकों के नाम बताइए।
- प्रश्न- भास को अग्नि का मित्र क्यों कहते हैं?
- प्रश्न- 'भासो हास:' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भास संस्कृत में प्रथम एकांकी नाटक लेखक हैं?
- प्रश्न- क्या भास ने 'पताका-स्थानक' का सुन्दर प्रयोग किया है?
- प्रश्न- भास के द्वारा रचित नाटकों में, रचनाकार के रूप में क्या मतभेद है?
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के चित्रण में पुण्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अश्वघोष के स्थितिकाल की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष महावैयाकरण थे - उनके काव्य के आधार पर सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'अश्वघोष की रचनाओं में काव्य और दर्शन का समन्वय है' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भवभूति की रचनाओं के नाम बताइए।
- प्रश्न- भवभूति का सबसे प्रिय छन्द कौन-सा है?
- प्रश्न- उत्तररामचरित के रचयिता का नाम भवभूति क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'उत्तरेरामचरिते भवभूतिर्विशिष्यते' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- महाकवि भवभूति के प्रकृति-चित्रण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेणीसंहार नाटक के रचयिता कौन हैं?
- प्रश्न- भट्टनारायण कृत वेणीसंहार नाटक का प्रमुख रस कौन-सा है?
- प्रश्न- क्या अभिनय की दृष्टि से वेणीसंहार सफल नाटक है?
- प्रश्न- भट्टनारायण की जाति एवं पाण्डित्य पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण एवं वेणीसंहार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का रचयिता कौन है?
- प्रश्न- विखाखदत्त के नाटक का नाम 'मुद्राराक्षस' क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का नायक कौन है?
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटकीय विधान की दृष्टि से सफल है या नहीं?
- प्रश्न- मुद्राराक्षस में कुल कितने अंक हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पद्यों का सप्रसंग हिन्दी अनुवाद कीजिए तथा टिप्पणी लिखिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "वैदर्भी कालिदास की रसपेशलता का प्राण है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य की सर्थकता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् को लक्ष्यकर महाकवि कालिदास की शैली का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के नाम की व्युत्पत्ति बतलाइये।
- प्रश्न- 'वैदर्भी रीति सन्दर्भे कालिदासो विशिष्यते। इस कथन की दृष्टि से कालिदास के रचना वैशिष्टय पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 3 अभिज्ञानशाकुन्तलम (अंक 3 से 4) अनुवाद तथा टिप्पणी
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के प्रधान नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- शकुन्तला के चरित्र-चित्रण में महाकवि ने अपनी कल्पना शक्ति का सदुपयोग किया है
- प्रश्न- प्रियम्वदा और अनसूया के चरित्र की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् में चित्रित विदूषक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् की मूलकथा वस्तु के स्रोत पर प्रकाश डालते हुए उसमें कवि के द्वारा किये गये परिवर्तनों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रधान रस की सोदाहरण मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के प्रकृति चित्रण की समीक्षा शाकुन्तलम् के आलोक में कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शकुन्तला के सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् का कथासार लिखिए।
- प्रश्न- 'काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला' इस उक्ति के अनुसार 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' की रम्यता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 4 स्वप्नवासवदत्तम् (प्रथम अंक) अनुवाद एवं व्याख्या भाग
- प्रश्न- भाषा का काल निर्धारण कीजिये।
- प्रश्न- नाटक किसे कहते हैं? विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'स्वप्नवासवदत्तम्' नाटक की साहित्यिक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर भास की भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के अनुसार प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाराज उद्यन का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् नाटक की नायिका कौन है?
- प्रश्न- राजा उदयन किस कोटि के नायक हैं?
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर पद्मावती की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के प्रथम अंक का सार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- यौगन्धरायण का वासवदत्ता को उदयन से छिपाने का क्या कारण था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'काले-काले छिद्यन्ते रुह्यते च' उक्ति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "दुःख न्यासस्य रक्षणम्" का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिये (रूपसिद्धि सामान्य परिचय अजन्तप्रकरण) -
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्त प्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - I - पुल्लिंग इदम् राजन्, तद्, अस्मद्, युष्मद्, किम् )।
- प्रश्न- निम्नलिखित रूपों की सिद्धि कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - II - स्त्रीलिंग - किम्, अप्, इदम्) ।
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूप सिद्धि कीजिए - (पहले किम् की रूपमाला रखें)