बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण
प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
महाकवि अश्वघोष के ग्रन्थ दो भागों में विभक्त किये जा सकते हैं -
(1) धार्मिक ग्रन्थ और
(2) साहित्यिक ग्रन्थ।
(1) धार्मिक ग्रन्थ - बौद्ध धर्म एवं दर्शन से सम्बन्धित कुछ ग्रन्थ अश्वघोष द्वारा विरचित बताये गये हैं किन्तु उनकी संख्या तथा प्रामाणिकता के विषय में विद्वानों में मतभेद है। उनके धार्मिक ग्रन्थ निम्नलिखित हैं-
(क) वज्रसूची - अश्वघोष के इस ग्रन्थ में वर्णव्यवस्था का खण्डन किया गया है। विद्वानों में अश्वघोष की कृति होने पर मतभेद है।
(ख) महायान श्रद्धोत्पादशास्त्र - बौद्धदर्शन विषयक इस ग्रन्थ में विज्ञानवाद तथा शून्यवाद का विस्तृत विवेचन किया गया है। कतिपय विद्वान इसे अश्वघोष कृत मानते हैं और कतिपय कुछ अन्य की रचना मानते हैं।
(ग) गण्डीस्तोत्रगाथा - यह एक गीति काव्य है। इसमें स्नग्धरा छन्द में लिखी गयी 26 गाथायें हैं।
(घ) सूत्रालंकार - यह ग्रन्थ नैतिक कथाओं भक्ति- गाथाओं का संग्रह है जोकि अवदान तथा जातकों की शैली पर गद्य-पद्य मिश्रित अलंकृत काव्य के रूप में लिखा गया है। इस ग्रन्थ की मूल संस्कृत रचना अप्राप्य है। इसका चीनी भावान्तरण कुमारजीव ने 405 ई. में किया था और उसने इसे अश्वघोषकृत बतलाया है।
(2) साहित्यिक ग्रन्थ - उनकी साहित्यिक कृतियों में दो महाकाव्य तथा एक नाटक उपलब्ध है। इनका परिचय इस प्रकार है -
(क) बुद्धचरित - यह 28 सर्गों का एक महाकाव्य है। सातवीं तथा आठवीं शती में इसका अनुवाद तिब्बती भाषा में हुआ, जो अविकल रूप में प्राप्त है। इस महाकाव्य के प्रथम सर्ग में श्लोक 1 से 7 तक तथा चतुर्दश सर्ग में श्लोक 32 से 112 तक (81 श्लोक) मूल नहीं मिलते हैं। सन् 1942 ई. में श्री सूर्य नारायण चौधरी ने 'बुद्धचरित' महाकाव्य को दो भागों में संस्कृत भवन कर्णेतिया, जिला पूर्णियाँ (बिहार) से प्रकाशित किया। पहले भाग में 14 सर्ग तक मूलपाठ तथा हिन्दी अनुवाद है जहाँ मूलपाठ नष्ट हो गया है वहाँ केवल हिन्दी अनुवाद है। दूसरे भाग में केवल हिन्दी पाठ है। बुद्धचरित का आधा भाग काव्यमय प्रबन्ध है। किन्तु उत्तरार्द्ध बौद्ध धर्म के सिद्धान्त और उपदेशों की ही व्याख्या है।
उदाहरणार्थ - सीता की तरह बुद्धचरित की यशोधरा भी पति के लिए चिन्ता करती है -
सुचौ शयित्वा शयने हिरण्मये प्रबोध्यमानो निशि तूर्यनिस्वनैः।
कथं बत स्वप्स्यति शोऽद्य में व्रती पटैकदेशान्तरित महीतले।
(ख) सौन्दरनन्द - सौन्दरनन्द कवि का दूसरा महाकाव्य है। इसमें 18 सर्ग हैं। इस काव्य की दो प्राचीन हस्तलिखित प्रतियाँ प्राप्त हैं जो बहुत अच्छी दशा में नहीं हैं। इनके आधार पर इसका सम्पादन हुआ है। ये प्रतियाँ नेपाल महाराज के पुस्तकालय में सुरक्षित हैं।
इस महाकाव्य की कथावस्तु अत्यन्त हृदस्पर्शी तथा उपदेशपरक है। इसकी मुख्य कथा बुद्ध के सौतेले भाई नन्द और उसकी पत्नी सुन्दरी का प्रेम है। नन्द को बुद्ध ने उसकी इच्छा के विरुद्ध बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था। नन्द तथा सुन्दरी की मूक चेतना के चित्रण में अश्वघोष को जितनी सफलता मिली है, उतनी ही उसे बौद्ध धर्म के उपदेशों को सुन्दर भाषा में अंकित करने में भी मिली है। सौन्दरनन्द विषय की गम्भीरता तथा कोमल काव्य भावना के अंकन में 'बुद्धचरित' की अपेक्षा कहीं अधिक सरस तथा सफल काव्य है। भाषा की सरलता, भावों की कोमलता और वर्णन की सजीवता का यह उदाहरण प्रस्तुत है -
तां सुन्दरी चेन्न लभेत नन्दः सा वा निषेवेत न तं नतभ्रूः।
द्वन्द्वं धुवं तद्विकलं न शोभेतान्योन्यहीनाविव रात्रिचन्द्रौ॥
(ग) शारिपुत्र प्रकरण - यह नाटक 9 अंकों का है। इस नाटक के अन्तिम वाक्य के अनुसार इसके प्रणेता सुवर्णाक्षिपुत्र अश्वघोष हैं। इसका जितना अंश प्राप्त है, उससे इसकी कथा स्पष्ट हो जाती है। इसमें बुद्ध द्वारा मौद्गल्यायन तथा शारिपुत्र के बौद्ध धर्म में दीक्षित किये जाने का आख्यान है।
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- प्रश्न- भास का काल निर्धारण कीजिये।
- प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष के व्यक्तित्व एवं शास्त्रीय ज्ञान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के काव्य की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भट्ट नारायण का परिचय देकर वेणी संहार नाटक की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण की शैली पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त के जीवन काल की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भास के नाटकों के नाम बताइए।
- प्रश्न- भास को अग्नि का मित्र क्यों कहते हैं?
- प्रश्न- 'भासो हास:' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भास संस्कृत में प्रथम एकांकी नाटक लेखक हैं?
- प्रश्न- क्या भास ने 'पताका-स्थानक' का सुन्दर प्रयोग किया है?
- प्रश्न- भास के द्वारा रचित नाटकों में, रचनाकार के रूप में क्या मतभेद है?
- प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के चित्रण में पुण्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अश्वघोष के स्थितिकाल की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अश्वघोष महावैयाकरण थे - उनके काव्य के आधार पर सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'अश्वघोष की रचनाओं में काव्य और दर्शन का समन्वय है' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भवभूति की रचनाओं के नाम बताइए।
- प्रश्न- भवभूति का सबसे प्रिय छन्द कौन-सा है?
- प्रश्न- उत्तररामचरित के रचयिता का नाम भवभूति क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'उत्तरेरामचरिते भवभूतिर्विशिष्यते' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- महाकवि भवभूति के प्रकृति-चित्रण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेणीसंहार नाटक के रचयिता कौन हैं?
- प्रश्न- भट्टनारायण कृत वेणीसंहार नाटक का प्रमुख रस कौन-सा है?
- प्रश्न- क्या अभिनय की दृष्टि से वेणीसंहार सफल नाटक है?
- प्रश्न- भट्टनारायण की जाति एवं पाण्डित्य पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भट्टनारायण एवं वेणीसंहार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का रचयिता कौन है?
- प्रश्न- विखाखदत्त के नाटक का नाम 'मुद्राराक्षस' क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का नायक कौन है?
- प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटकीय विधान की दृष्टि से सफल है या नहीं?
- प्रश्न- मुद्राराक्षस में कुल कितने अंक हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पद्यों का सप्रसंग हिन्दी अनुवाद कीजिए तथा टिप्पणी लिखिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "वैदर्भी कालिदास की रसपेशलता का प्राण है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य की सर्थकता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् को लक्ष्यकर महाकवि कालिदास की शैली का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के नाम की व्युत्पत्ति बतलाइये।
- प्रश्न- 'वैदर्भी रीति सन्दर्भे कालिदासो विशिष्यते। इस कथन की दृष्टि से कालिदास के रचना वैशिष्टय पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 3 अभिज्ञानशाकुन्तलम (अंक 3 से 4) अनुवाद तथा टिप्पणी
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के प्रधान नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- शकुन्तला के चरित्र-चित्रण में महाकवि ने अपनी कल्पना शक्ति का सदुपयोग किया है
- प्रश्न- प्रियम्वदा और अनसूया के चरित्र की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् में चित्रित विदूषक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् की मूलकथा वस्तु के स्रोत पर प्रकाश डालते हुए उसमें कवि के द्वारा किये गये परिवर्तनों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रधान रस की सोदाहरण मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के प्रकृति चित्रण की समीक्षा शाकुन्तलम् के आलोक में कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शकुन्तला के सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् का कथासार लिखिए।
- प्रश्न- 'काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला' इस उक्ति के अनुसार 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' की रम्यता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 4 स्वप्नवासवदत्तम् (प्रथम अंक) अनुवाद एवं व्याख्या भाग
- प्रश्न- भाषा का काल निर्धारण कीजिये।
- प्रश्न- नाटक किसे कहते हैं? विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'स्वप्नवासवदत्तम्' नाटक की साहित्यिक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर भास की भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के अनुसार प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाराज उद्यन का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् नाटक की नायिका कौन है?
- प्रश्न- राजा उदयन किस कोटि के नायक हैं?
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर पद्मावती की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के प्रथम अंक का सार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- यौगन्धरायण का वासवदत्ता को उदयन से छिपाने का क्या कारण था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'काले-काले छिद्यन्ते रुह्यते च' उक्ति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "दुःख न्यासस्य रक्षणम्" का क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : -
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिये (रूपसिद्धि सामान्य परिचय अजन्तप्रकरण) -
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्त प्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - I - पुल्लिंग इदम् राजन्, तद्, अस्मद्, युष्मद्, किम् )।
- प्रश्न- निम्नलिखित रूपों की सिद्धि कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - II - स्त्रीलिंग - किम्, अप्, इदम्) ।
- प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूप सिद्धि कीजिए - (पहले किम् की रूपमाला रखें)