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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2651
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र

प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।

उत्तर -

सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्षों पर जनसंख्यात्मक कारकों के प्रभाव व महत्व का अध्ययन प्राचीन काल से होता रहा है। सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्या की भूमिका को निर्णायक मानने वालों में माल्थस, सैडलर व गिनी के सिद्धान्त उल्लेखनीय हैं। सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारकों का योगदान तो होता है किन्तु उन्हें एकमात्र कारण नहीं माना जा सकता। सामाजिक परिवर्तन एक जटिल तथ्य है। उसके लिए अनेक कारक उत्तरदायी हैं। केवल जनसंख्या के आधार पर उसे स्पष्ट करना उसकी एकांगी व अपर्याप्त व्याख्या है। हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि जनसंख्या समाज को प्रभावित करती है किन्तु समाज भी उसे प्रभावित करता है। सामाजिक व्यवस्था से पृथक मानव जनसंख्या का अस्तित्व सम्भव नहीं है। संक्षेप में समाज व जनसंख्या का निष्कर्ष सही और सार्थक है इसकी (जनसंख्या सम्प्रदाय) त्रुटियों और एक पक्षीय विचारों को यदि निकाल दें तो निश्चय ही सामाजिक घटनाओं को स्पष्ट करने में इस सम्प्रदाय का योगदान महत्वपूर्ण है।

सोरोकिन के अनुसार, "जनसंख्यात्मक कारक का अर्थ किसी समाज की जनसंख्या के आकार और घनत्व में वृद्धि अथवा ह्रास होना है। उन्हीं के शब्दों में -

"By the demographic factor is meant the increase or decrease of the size and density of a population."

- P. Sorokin

जनसंख्यात्मक कारक के दो पक्ष होते हैं-

(i) गुणात्मक (Qualitative)
(2) परिमाणात्मक (Quantative)।

सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्या के परिमाणात्मक पक्ष के योगदान पर विचार किया जाता है अर्थात जनसंख्या के आकार और विशेषताओं को।

जनसंख्या और सामाजिक परिवर्तन - जनसंख्या के आकार व घनत्व का घटना बढ़ना निम्नांकित दो कारकों पर निर्भर करता है।-

(1) जन्मदर व मृत्युदर (Birth and Death rate) - जब जन्मदर मृत्युदर से अधिक होती है तो जनसंख्या में वृद्धि होती है। मृत्युदर में वृद्धि से जनसंख्या के आकार में कमी होती है। जनसंख्या वृद्धि से अनेक समस्यायें जन्म लेती हैं जैसे गरीबी, बीमारी, बेकारी, कार्यक्षमता में कमी होती है, जीवन स्तर गिरता है, संघर्षो में वृद्धि होती है, अपराध, अनैतिकता, भ्रष्टाचार बढ़ता है, विकास में बाधा पड़ती है। ये सामाजिक परिवर्तन लाती है। मृत्युदर बढ़ने से वृद्ध और अनुभवी लोगों की कमी की समस्या उत्पन्न होती है। सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहन मिलता है, मृत्युदर में कमी से परिवर्तन की गति धीमी पड़ती है।

(2) देशागमन तथा देशान्तरगमन (Immigration and emigration) - देशागमन से भी सामाजिक परिवर्तन होता है। विभाजन के समय भारत में पाकिस्तान से लाखों शरणार्थी देश में बस गये जिससे सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन में अनेक परिवर्तन हुये। जनसंख्या वृद्धि से अधिक प्रजातीय क्षेत्र में प्रभाव पड़ा है। मिश्रण से व्यवहार के नये ढंग पनपते हैं, मानसिक व शारीरिक विशेषतायें बदलने लगती हैं। इनसे लोगों की चिन्तन प्रणाली, नैतिकता, व्यवहार प्रतिमान प्रभावित होती हैं और सामाजिक परिवर्तन होता है।

इसके विपरीत देशान्तर गमन में लोग दूसरे देश चले जाते हैं तो हमारी जनसंख्या कम होती है। उत्पादन साधनों के पुनः गठन की समस्या जन्म लेती है। प्रतिभा पलायन से देश को प्रतिभाओं से लाभ नहीं मिलता। अमरीका की प्रगति का रहस्य विभिन्न देशों की प्रतिभा का पलायन ही है। यही नहीं स्त्रियों का अनुपात बढ़ता है, परिवार में विघटन होता है। डासन व गेटिस के अनुसार: “एक विशेष आर्थिक 'स्तर वाले लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की इच्छा के बिना सामाजिक परिवर्तन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।"

अन्त में जनसंख्या के आकार में परिवर्तन पर टिप्पणी करते हुए सोरोकिन ने लिखा है - "जनसंख्या के आकार में होने वाले परिवर्तन व्यक्तियों के चरित्र नैतिकता, न्यायप्रियता और मनोवृत्तियों में परिवर्तन उत्पन्न करता है।"

जनसंख्या का घनत्व व परिवर्तन (Density and Social Change) - जनसंख्या के घनत्व के बढ़ने से भी सामाजिक परिवर्तन होता है। नागरिक व ग्रामीण जीवन में भिन्नता घनत्व के कारण है। घनी बस्तियों के आबाद होने से अनेक परिवर्तन होते हैं। अधिक जनसंख्या से नये-नये आविष्कार व प्रगति सरल होती है। गहन कृषि व नई भूमि पर खेती को प्रोत्साहन मिलता है। भूमि पर दबाव बढ़ने से लोग नगरों में बस जाते हैं। घनत्व बढ़ने से विभिन्नता और गतिशीलता में वृद्धि होती है। स्वतंत्रता, समानता व न्याय के विचारों को प्रोत्साहन मिलता है।

जनसंख्या सम्बन्धी संरचना व सामाजिक परिवर्तन (Composition of Population and Social Change) - जनसंख्या की संरचना में आयु, लिंग, वैवाहिक स्तर व स्त्रियों की स्थिति का महत्व है। ये सामाजिक परिवर्तन से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित थे। यदि जनसंख्या में अधिक आयु के लोगों का बाहुल्य होता है तो अनुशासन, कठोर नियमों व परम्परा को महत्व मिलता है। नवीनता व जोखिम को प्रोत्साहन नहीं मिलता। इससे विकासगति धीमी पड़ती है। युवकों की संख्या में वृद्धि होने से स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन होते हैं।

स्त्रियों पुरुषों का अनुपात बदलने से परिवर्तन होता है। पुरुषों की संख्या अधिक होने पर समाज पुरुष प्रधान व उसके प्रभुत्व के अनुरूप होगा। स्त्रियों की संख्या अधिक होने से सामाजिक पद, आर्थिक सेवाओं व राजनैतिक प्रतिनिधित्व में उन्हें पुरुषों से कम महत्व नहीं मिलता। वे पुरुषों के सभी काम करती हैं और उनमें पुरुषोचित आदतें पनपती हैं। इससे सामाजिक सम्बन्ध प्रभावित व परिवर्तित होते हैं।

यदि किसी समाज में बहुपत्नी विवाह व बाल विवाह के स्थान पर एक विवाह और विलम्ब विवाह प्रचलित हो जाय तो स्त्रियों की स्थिति में बहुत परिवर्तन हो जाता है। स्त्रियाँ अधिक जागरूक, शोषण और पक्षपात के विरुद्ध संघर्ष कर समानता व स्वतंत्रता का दावा करने लगती हैं। विलम्ब विवाह के प्रचलन से भ्रष्टाचार और अनैतिकता का बोलबाला हो जाता है।

सामाजिक संगठन पर जनसंख्या का प्रभाव - सामाजिक संगठन के अन्तर्गत

(1) सामाजिक विभेदीकरण,
(2) सामाजिक स्तरीकरण व
(3) पारिवारिक संगठन पर विचार करेंगे।

जनसंख्या के आकार व घनत्व बढ़ने से सामाजिक विभेदीकरण व स्तरीकरण बढ़ता है। परिवार और विवाह के स्वरूप भी जनसंख्या से निर्धारित होते हैं।

इसी प्रकार युद्ध क्रान्ति, राजनैतिक व सामाजिक संस्थाओं को जनसंख्या प्रभावित व परिवर्तित करती है। समाज की प्रगति और विकास जनसंख्या से प्रभावित होते हैं तथा सामाजिक परिवर्तन लाते हैं।

मूल्यांकन -

(1) यह नहीं माना जा सकता कि सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक परिवर्तन जनसंख्या से प्रभावित होते हैं। इसी प्रकार जन्मदर, मृत्युदर, देशागमन व देशान्तरगमन से सामाजिक स्वरूप निर्धारित नहीं होते। हाबहाउस व गिन्सबर्ग ने सिद्ध किया है कि जनसंख्या के घनत्व में परिवर्तन के बिना विवाह के रूप, विश्वासों व व्यवहार प्रतिमानों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुये हैं।

(2) सोरोकिन के अनुसार जनसंख्या के घनत्व और सामाजिक गतिशीलता के बीच एक सम्बन्ध अवश्य है लेकिन इसमें किसी प्रकार की घनिष्ठता नहीं।

(3) जनसंख्या के आधार पर सामाजिक व राजनैतिक परिवर्तन को स्पष्ट नहीं किया जा सकता। जनसंख्या के परिवर्तन के बिना तानाशाही और सामंतवाद का स्थान लोकतंत्रीय व साम्यवादी संस्थाओं ने लिया है। जनसंख्या वृद्धि से क्रान्ति होना भी आवश्यक नहीं।

संक्षेप में जनसंख्या सम्बन्धी सभी निष्कर्ष सही नहीं हैं लेकिन उनमें आंशिक सत्य अवश्य है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
  5. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
  13. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
  14. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  16. प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  21. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
  22. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
  24. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  25. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
  27. प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
  31. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
  33. प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
  34. प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
  37. प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
  38. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  39. प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
  40. प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
  41. प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
  42. प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
  46. प्रश्न- विकास के अर्थ तथा प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। बॉटोमोर के विचारों को लिखिये।
  47. प्रश्न- विकास के आर्थिक मापदण्डों की चर्चा कीजिए।
  48. प्रश्न- सामाजिक विकास के आयामों की चर्चा कीजिए।
  49. प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  50. प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
  51. प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
  52. प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
  53. प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
  54. प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
  55. प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
  57. प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  58. प्रश्न- मानव विकास क्या है?
  59. प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
  60. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
  64. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  65. प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
  66. प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
  67. प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
  68. प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
  71. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
  76. प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषतायें बताइये। संस्कृतिकरण के साधन तथा भारत में संस्कृतिकरण के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
  79. प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
  80. प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
  81. प्रश्न- पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषायें बताइये। पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता बताइये तथा पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणाम बताइये।
  83. प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
  84. प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
  86. प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
  89. प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
  90. प्रश्न- विवाह की संस्था में क्या परिवर्तन हुए स्पष्ट कीजिए?
  91. प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  92. प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
  93. प्रश्न- अन्य क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
  95. प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
  96. प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
  98. प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
  99. प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
  100. प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
  101. प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
  102. प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
  103. प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
  104. प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
  105. प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
  107. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
  108. प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
  109. प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  110. प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
  112. प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
  113. प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
  114. प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
  115. प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
  116. प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
  117. प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
  118. प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
  120. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
  121. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
  122. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
  123. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
  124. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
  125. प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
  126. प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
  127. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
  128. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
  129. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
  130. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
  131. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
  133. प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
  134. प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
  135. प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
  136. प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  137. प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
  140. प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
  141. प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
  142. प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
  143. प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  145. प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
  146. प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
  147. प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
  148. प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
  149. प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  150. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
  151. प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  152. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
  153. प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
  154. प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  155. प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
  157. प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
  158. प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
  159. प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
  160. प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  161. प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
  162. प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
  163. प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
  164. प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
  165. प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  166. प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?

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