बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन
प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
अथवा
शक्ति सन्तुलन का अर्थ तथा वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता के बारे में बताइए।
अथवा
शक्ति सन्तुलन का अर्थ तथा विश्व शान्ति की स्थापना में इसकी भूमिका का वर्णन कीजिये।
अथवा
शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की विवेचना कीजिए एवं नवीन विश्व व्यवस्था में इसकी प्रासंगिकता का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
उत्तर -
शक्ति सन्तुलन का अर्थ एवं अवधारणा शक्ति सन्तुलन का अर्थ समझने के लिए यह उचित होगा कि हम शक्ति और सन्तुलन दोनों को अलग-अलग परिभाषित करके देखें तो शक्ति सन्तुलन का अर्थ स्वतः ही समझ में आ जायेगा। अतः दूसरों को नियंत्रित करने तथा उनसे मनचाहा व्यवहार करवाने और उन्हें मनचाहा व्यवहार या कार्य करने से रोकने के सामर्थ्य को शक्ति (Power) कहते हैं। अथवा अन्य राज्यों की व्यवस्था अपनी इच्छानुसार बना सकने की योग्यता ही शक्ति है। इसी प्रकार से सन्तुलन किसी एक सत्ता या सत्ताओं के समूह पर या उनके भीतर कार्य कर रहे बलों का वह आपसी सम्बन्ध है, जिससे समष्टि में कुछ मात्रा में एक प्रकार का स्थायित्व दिखाई देता है। वैसे शक्ति सन्तुलन का प्रयोग अनेकों बार किया जाता है। इसकी कोई एक उपयुक्त परिभाषा नहीं है। इसीलिए डाइक (Dyke) ने कहा है कि "हम सन्तुलन (Balance) शब्द का प्रयोग इस प्रकार करते हैं कि मानो कि इस बात को जानते हैं कि हमें इसका अर्थ पता है? किन्तु वास्तविकता यह है कि कोई भी नहीं जानता कि इसका अर्थ क्या है.? परन्तु शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में परिभाषित करते हुए प्रोफेसर मार्गेनथाऊ ने कहा है कि - "शक्ति सन्तुलन एक देश के उन प्रयत्नों को कहते हैं जिनमें वह दूसरे देश से यदि अधिक नहीं तो कम से कम बराबर तो हो जायें।"
पामर एवं पार्किन्स ने शक्ति सन्तुलन को निम्नलिखित सात विशेषताओं पर आधारित बताया है -
1. विश्व के राष्ट्रों के बीच शक्ति सन्तुलन सदैव नहीं बना रह सकता है।
2. शक्ति सन्तुलन की स्थापना के लिए प्रयत्न करना पड़ता है।
3. शक्ति सन्तुलन को इतिहासकार वस्तुनिष्ठ दृष्टि से देखते हैं जबकि राजनीतिक व्योत्कनिष्ठ दृष्टि से।
4. शक्ति सन्तुलन की नीति गतिशील है एवं यह परिवर्तित हुआ करती है।
5. शक्ति सन्तुलन का मापदण्ड युद्ध है, क्योंकि युद्ध प्रायः तभी प्रारम्भ होते हैं जब शक्ति सन्तुलन विच्छित्र हो जाते हैं।
6. शक्ति सन्तुलन न तो प्रजातांत्रिक देशों के लिए उपयुक्त है और न ही तानाशाह देशों के लिए।
7. शक्ति सन्तुलन के खेल में केवल बड़े राष्ट्र ही खिलाड़ी होते हैं, छोटे राष्ट्र केवल प्रभावित या दर्शक के रूप में रहते हैं, किन्तु यदि वे आपस में मिल जायें तो इस खेल में सक्रिय हिस्सेदार भी बन सकते हैं।
शक्ति सन्तुलन के उद्देश्य (Aims of Balance of Power) - शक्ति सन्तुलन के केवल दो प्रमुख उद्देश्य हो सकते हैं -
1. शान्ति स्थापना में शक्ति सन्तुलन की नीति सहायक सिद्ध हो सकती है।
2. शक्ति सन्तुलन प्रभुत्ता सम्पन्न राज्यों के मध्य स्थिरता बनाये रखने में सहायता प्रदान करता है अर्थात यह राज्यों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी लेता है।
शक्ति सन्तुलन का लाभ (Benefits of Balance of Power) - डॉ. महेन्द्र कुमार ने शक्ति सन्तुलन की उपयोगिता के सन्दर्भ में इसके दो बताये ह जो निम्नलिखित हैं
1. छोटे राष्ट्रों की स्वाधीनता - शक्ति सन्तुलन के सिद्धान्त से छोटे राष्ट्रों की स्वाधीनता बनी रहती है। ऐसा इसलिए है कि जब बड़े राष्ट्र अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं तो दूसरे राष्ट्र उन राष्ट्रों के अधीन छोटे राष्ट्रों पर अपनी इच्छा नहीं थोप सकते। इसलिए छोटे राष्ट्र की. कुछ स्वाधीनता अवश्य प्राप्त रहती है तथा उन्हें अन्य राष्ट्रों के आक्रमण का भय नहीं रहता। बर्टेण्ट रसेल का कहना है कि "यूरोप में शक्ति सन्तुलन का तात्पर्य है अनेक राज्यों की स्वतंत्रता। किसी भी राज्य की शक्ति प्रधानता इस स्वतंत्रता में संकट उत्पन्न करती है तथा उसे समाप्त करती। दूसरी तरफ वैटल का मत है कि, "यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें कोई भी शक्ति दूसरे पर हावी न हो सके।"
2. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति का पोषण - शक्ति सन्तुलन के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति का पोषण संभव है। शक्ति सन्तुलन के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति इसलिए संभव है क्योंकि जब सभी राष्ट्रों की शक्ति सन्तुलित हो जायेगी और कोई भी राष्ट्र आक्रमण नहीं करेगा क्योंकि आक्रमणात्मक स्थिति में उसका सामना शक्ति वाले राष्ट्र से होगा और उसे निश्चित सफलता नहीं प्राप्त हो सकेगी। इसलिए कोई भी राष्ट्र आक्रमण नहीं करेगा और इस तरह अंतर्राष्ट्रीय शान्ति बनी रहेगी। शक्ति सन्तुलन का महत्व बताते हुए ओपनहीम कहते हैं कि, "अंतर्राष्ट्रीय कानून के अस्तित्व के लिए शक्ति सन्तुलन एक अनिवार्य अवस्था है, चूँकि अंतर्राष्ट्रीय कानून को लागू करने वाली होई केन्द्रीय सत्ता नहीं है अतः शक्ति सन्तुलन के द्वारा ही किसी भी राष्ट्र को सर्वशक्तिमान होने से रोका जा सकता है।'
शक्ति सन्तुलन के उद्देश्य को बताते हुए वर्बान वान डाईक ने ठीक ही कहा है कि, "अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के रूप में इसका उद्देश्य शान्ति एवं सुरक्षा बनाये है। इस प्रकार उपर्युक्त तर्कों और परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि शक्ति सन्तुलन का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा एवं शान्ति है और इसके द्वारा ही विश्व में शान्ति स्थापित की जा सकती है।
प्रासंगिकता - यदि शक्ति सन्तुलन की सफलता की चर्चा की जाये तो आज विश्व के अधिकतर राष्ट्र यही प्रयास कर रहे हैं कि उनकी शक्ति दूसरे राष्ट्रों की शक्ति से अधिक नहीं तो कम से कम बराबर तो हो जाये। हालाँकि शक्ति सन्तुलन अभी तक पूर्ण रूप से नहीं बन सका है क्योंकि किसी भी राष्ट्र की अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए आर्थिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है और विश्व में आज भी अनेकों ऐसे राष्ट्र हैं जिनकी अर्थव्यवस्था अत्यधिक खराब है, इसलिए ऐसे राष्ट्रों को बड़े और ताकतवर राष्ट्रों की अधीनता स्वीकार करनी पड़ती है। इस प्रकार शक्ति सन्तुलन की मान्यता संधियों पर भी आधारित होती है, जैसे 1648 से 1914 तक का काल शक्ति सन्तुलन का काल कहलाता था क्योंकि इस काल से अनेक प्रकार की संधियाँ हुई थीं।ऐसी धारणा है कि 1918 की बेस्टफालिया की संधि, 1815 का वियना समझौता, 1919 की वसार्य संधि तथा 1945 में UNO की स्थापना के पीछे शक्ति सन्तुलन की अवधारणा कार्यरत थी।
आज का युग परमाणु कहलाता है और हर राष्ट्र परमाणु राष्ट्रों का निर्माण करना चाहता है। परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र यह कहते हैं कि परमाणु शस्त्रों का निर्माण उन्होंने शक्ति सन्तुलन की नीति पर किया है। इस तरह से पूरा विश्व अगर परमाणु शक्ति के द्वारा ही शक्ति सन्तुलन बनाने की कोशिक करेगा तो इसका परिणाम बहुत ही भयानक होगा क्योंकि यदि अगर भविष्य में किसी राष्ट्र ने गलती से भी परमाणु शस्त्र का इस्तेमाल कर दिया तो एक के बाद एक परमाणु हथियार पूरे विश्व में प्रयोग किये जाने लगेंगे जोकि विश्व शान्ति के बजाय अशान्ति और प्रलय ला सकता है।
निष्कर्ष - इन तर्कों का अगर गहराई से अध्ययन किया जाये तो यह निष्कर्ष निकलता है कि शक्ति सन्तुलन विश्व शान्ति और सुरक्षा में बहुत हद तक सफल हुआ है, लेकिन शक्ति - सन्तुलन के लिए एक गम्भीर समस्या उत्पन्न कर सकता है। आज विश्व सुरक्षित है और यहाँ शान्ति है किन्तु यदि भविष्य में तीन बड़े युद्ध हुए तो यही शक्ति सन्तुलन विश्व की बर्बादी का कारण बनेगा क्योंकि कोई भी राष्ट्र दूसरे राष्ट्र से बढ़ने के बजाय खुलकर अपनी शक्ति का प्रयोग करेगा और इस प्रकार सभी राष्ट्र अपनी-अपनी शक्तियों का प्रयोग करेंगे और विश्व की बर्बादी का पर्याय बनेंगे।
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- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
- प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
- प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
- प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
- प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
- प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
- प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
- प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
- प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
- प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
- प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
- प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
- प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए