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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

अध्याय - 9

रणजीत सिंह के नेतृत्व में पंजाब का उदय
(विजय और प्रशासन)

Rise of Punjab under Ranjeet Singh
(Conquests and Administration)

 

 

प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।

अथवा
रणजीत सिंह पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की नीति एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

 

उत्तर -

रणजीत सिंह का परिचय

मुगल साम्राज्य की कमजोर अवस्था तथा अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों से पंजाब में अस्थिरता व्याप्त हो गई थी। अहमदशाह का वर्चस्व पंजाब में कर एकत्रित करना मात्र था। जल्द ही यहाँ किसी का राज्य नहीं रहा। ऐसी राजनैतिक परिस्थितियों में सिक्ख मिसलों का जन्म हुआ। इन सिक्ख मिसलों की कुल संख्या बारह थी तथा इनमें से एक शुकरचकिया मिसल थी जिसका वर्चस्व रावी व चिनाब के मध्य स्थिर हो गया था।

रणजीत सिंह का जन्म शुकरचकिया मिसल के मुखिया महासिंह के यहाँ 2 नवंबर, 1780 में हुआ। रणजीत सिंह के पिता की मृत्यु तभी हो गई थी जब वह 12 वर्ष के थे। पिता के स्वर्गवास के पश्चात् 1792 से 1797 तक एक प्रतिशासन परिषद् ने कार्यभार चलाया, जिसमें इनकी माता, सास तथा दीवान लखपत राय ने कार्य किया। 1797 में उसने स्वयं कार्यभार संभाल लिया।

अफगानों के साथ सम्बन्ध

पंजाब जिसमें अहमदाह अब्दाली की अराजकता फैली हुई थी, उसके साम्राज्य का एक हिस्सा था लेकिन 1773 में उसकी मृत्यु के पश्चात् मुल्तान कश्मीर आदि छोटे-छोटे भागों को छोड़कर शेष पर सिक्ख मिसलों का अधिकार हो गया। उधर अफगानों में आन्तरिक कलह के कारण रणजीत सिंह को अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिल गया। अब्दाली का पौत्र शाहशुजा 1800 में काबुल की गद्दी पर विराजमान हुआ लेकिन उसके भाई मसूद ने शक्तिशाली बरकजई सरदारों फतह खां तथा मित्र मुहम्मद की सहायता से उसे 1809 में गद्दी से हटा दिया। अब इन सरदारों का कश्मीर तथा पेशावर पर कब्जा हो गया। शाहशुजा ने काबुल का राज्य पाने के लिए रणजीत सिंह से सहायता की गुहार लगायी। उसने उन्हें कोहनूर का अनमोल हीरा भी भेंट किया। महाराजा वास्तव में उसके नाम का प्रयोग मुल्तान, कश्मीर तथा सिंध नदी के पूर्वी तट के प्रदेश आदि को विजय करने के लिए करना चाहते थे। शाहशुजा को जब कोई निश्चित आश्वासन नहीं मिला तो वह लुधियाना में कंपनी के संरक्षण में रहने लगा। 1831 में शाहशुजा ने दोबारा फिर रणजीत सिंह से सहायता के लिए निवेदन किया। रणजीत सिंह ने सहायता करने के लिए उससे एक शर्त रखी कि वह अपने युवराज को महाराजा के पास एक सहायक सेना देकर लाहौर में तैनात करें अफगानिस्तान में गोहत्सा को बन्द कर दे तथा सोमनाथ मंदिर के द्वारा उसे लौटा दे। शाहशुजा ने इन शर्तों को मानने से इंकार कर दिया। कंपनी ने भी रणजीत सिंह की शर्तों का समर्थन नहीं किया। 1835 में महाराजा ने शर्तों के बजाय एक संधि शाहशुजा के साथ की जिसमें यह स्वीकार कर लिया गया कि महाराजा सिंध के पश्चिमी तट के प्रदेश अपने साथ मिला लेगा। रणजीत सिंह ने अवसर का लाभ उठाते हुए 1834 में पेशावर जीत लिया। दोस्त मुहम्मद जो उस वक्त काबुल की गद्दी पर जम चुका था, इस पर बहुत कुण्ठित हुआ। उसने 40,000 कबाइलियों की सेना के साथ पेशावर पर आक्रमण कर दिया लेकिन रणजीत सिंह के जनरल हरिसिंह नलवा ने पेशावर की रक्षा की और साथ ही साथ जमरूद का दुर्ग भी जीत लिया। इस प्रकार खैबर दर्रे तक संपूर्ण क्षेत्र रणजीत सिंह के अधीन आ गया।

अंग्रेजों के साथ सम्बन्ध

रणजीत सिंह का अंग्रेजों के साथ उस समय संबंध स्थापित हुआ जब वह सतलुज के पार राज्य विस्तार करने के प्रयास कर रहा था। 1800 में जमानशाह के भारत पर दोबारा आक्रमण करने की चर्चा थी। अंग्रेजों ने मुन्शी युसुफ अली को महाराजा के पास यह प्रार्थना करने के लिए भेजा कि वह जमानशा के आक्रमण करने पर उसके साथ न मिले। जसवन्त राव होल्कर अंग्रेजों से हार कर भागा था, 1805 में सिक्खों की सहायता प्राप्त करने के लिए पंजाब आया। रणजीत सिंह उस समय पश्चिम की ओर प्रसार कर रहा था। अतः उसने अंग्रेजों से बैर न लेना ही विवेक समझा। दूसरे, उसे जसवन्त राव होल्कर का केवल स्वार्थ ही दिखाई पड़ रहा था। अन्त में उसने पहली जनवरी 1806 को लार्ड लेक से मित्रता पर संधि के हस्ताक्षर कर दिये। इसके अंतर्गत रणजीत सिंह ने जसवन्त राव होल्कर को अमृतसर से वापिस जाने पर मजबूर करना था तथा दूसरी ओर अंग्रेजों ने यह विश्वास दिलाया कि उनके द्वारा रणजीत सिंह के राज्य को जीतने की किसी भी प्रकार की कोई योजना नहीं बनायी जायेगी। 1807 में यूरोप में नैपोलियन तथा जार अलैक्जेण्डर के बीच सन्धि हो गई तथा भारत पर इन दोनों शक्तियों के आक्रमण का भय हो गया। लार्ड मिण्टों ने चार्ल्स मेटकॉफ को सलाह दी कि वह रणजीत सिंह से मित्रता की सन्धि कर ले। रणजीत सिंह ने भी मेटकॉफ के द्वारा आक्रमणात्मक व रक्षात्मक संधि के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। शर्त यह थी कि यदि सिक्ख अफगान युद्ध हो तो अंग्रेज निष्पक्ष रहेंगे तथा समस्त पंजाब जिसमें सतलुज पार के प्रदेश, जिन्हें मालवा कहते हैं, भी सम्मिलित हैं, रणजीत सिंह को एकमात्र राजा स्वीकार करेंगे। इतने समय में नेपोलियन का डर खत्म हो गया क्योंकि स्पेन में युद्ध होने के कारण अंग्रेजों का रुख कठोर हो गया। अंग्रेजी कमाण्डर डेविड आक्टरलोनी ने सेना को एकत्रित किया तथा लुधियाना की ओर बढ़ा। 1809 में एक घोषणा कर दी जिसमें यह कर दिया कि सतलुज के पार का प्रदेश अंग्रेजी संरक्षण में है तथा यदि लाहौर की ओर से किसी भी प्रकार का आक्रमण हुआ तो वह सैनिक बल से रोका जायेगा। महाराजा ने मात खाई तथा अन्त में 25 अप्रैल, 1809 को अमृतसर की संधि पर हस्ताक्षर कर दिये जिसमें निम्नलिखित धारायें थीं-

(1) ब्रिटिश सरकार तथा लाहौर के बीच गहरी मित्रता बनी रहेगी। ब्रिटिश सरकार इस राज्य को सर्व माननीय राज्यों में स्वीकार करेगी तथा ब्रिटिश सरकार सतलुज नदी के उत्तर के प्रदेश और जनता से कोई सम्बन्ध नहीं रखेगी।

(2) राजा के पास सतलुज नदी के किनारे पर जो प्रदेश है उनमें वह आन्तरिक आवश्यकताओं से अधिक सेना नहीं रखेगा और इसके अतिरिक्त किसी सीमावर्ती प्रदेश तथा राजाओं के अधिकार क्षेत्र में आने वाले प्रदेशों का अतिक्रमण नहीं करेगा।

(3) उपरोक्त धाराओं के उल्लंघन पर अथवा मित्रता के सिद्धान्तों को तोड़ने पर यह सन्धि निष्प्रभाव समझी जायेगी।

यह सन्धि तत्कालिक और सम्भावित प्रभावों के कारण महत्वपूर्ण थी। तात्कालिक प्रभाव यह हुआ कि रणजीत सिंह का सतलुज पार के सिक्ख राजाओं के ऊपर अधिकार जमाने का स्वप्न टूट गया, लेकिन दूसरी ओर जैसा कनिंघम ने कहा है कि, महाराजा को पश्चिम दिशा में प्रसार करने के लिए खुली छूट दे दी गई है। उसने 1818 में मुल्तान 1819 में कश्मीर और 1834 में पेशावर को जीत लिया, लेकिन इस संधि ने परोक्ष रूप से यह भी दर्शा दिया कि रणजीत सिंह कंपनी की तुलना में कमजोर हैं। अंग्रेज लाहौर के पास पहुंच गये और युद्ध का भय बढ़ गया। इसके अतिरिक्त महाराजा के सिन्ध और बहालतपुर रियासतों से सम्बन्धों पर भी कुछ सीमा तक नियंत्रण हो गया। 1809 और 1839 के बीच महाराजा की शक्तिहीन परिस्थिति स्पष्ट थी। कंपनी ने सिन्ध में महाराजा की चालों को और अधिक दिन तक नहीं चलने दिया और उसकी चालों को समाप्त कर दिया। 1831 में एलेक्जेण्डर वर्ज को लाहौर भेजा गया और वह सिन्ध नदी द्वारा लाहौर पहुंचा। अक्टूबर 1831 में विलियम बैंटिक की मुलाकात राजा रणजीत सिंह जी से रोपड़ के स्थान पर हुई और दोनों ने मित्रता के हाथों को आगे बढ़ाया। महाराजा के इस प्रस्ताव को कि सिंध को जीतने तथा बांटने को वेटिक ने मानने से इंकार कर दिया। जिस समय रोपण में भेंट हो रही थी। ठीक उसी समय कर्नल पोटिंगर ने हैदराबाद के अमीरों से एक व्यापारिक समझौता किया। महाराजा अंग्रेज की चाल को समझ गये थे लेकिन वह उस समय कुछ भी नहीं कर सकता था। वह लड़ने को उत्साहित नहीं था। रूस के डर के कारण अंग्रेजों ने फिरोजपुर पर अधिकार कर लिया और वहाँ छावनी बना ली। रणजीत सिंह को इस बात से चिन्ता हुई लेकिन वह कुछ नहीं कर सका। उधर रूस भी अफगानिस्तान में अपना आधिपत्य जमाने के लिए चाल चलना आरम्भ कर दिया था, कंपनी ने उन चालों को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए दोस्त मुहम्मद को काबुल के सिंहासन से हटाने का निश्चय किया और उसके स्थान पर शाहशुजा, जो कंपनी के संरक्षण में रह रहा था। उसे ही काबुल का अमीर बनाने का निश्चय किया। इस योजना में महाराजा रणजीत सिंह जी को भी शामिल होने के लिए कहा गया। रणजीत सिंह काबुल और रूस के स्थान पर अंग्रेजों से भय खाता था लेकिन जब मैकनोंटन ने कहा कि यह योजना कार्य रूप से परिणत होगी, महाराजा सम्मिलित हों अथवा न हो, रणजीत सिंह ने सम्मिलित होना स्वीकार कर लिया लेकिन एक शर्त पर कि अंग्रेजी सेनाओं को पंजाब की भूमि में से गुजरने नहीं देगा।

ऐसा प्रतीत होता है कि रणजीत सिंह की कंपनी के साथ संबंधों में रणजीत सिंह की हीनत्व की भावना बनी रही।

अंग्रेजों का बढ़ता हुआ प्रभाव उसके लिए भयावह तो था ही परन्तु फिर भी रणजीत सिंह ने भारतीय राजाओं को अंग्रेजों के विरुद्ध कोई संगठन बनाने का प्रयास नहीं किया, और न ही शक्ति सन्तुलन का कोई प्रयत्न नहीं किया। वह बुरे दिनों को टालता रहा और वह इस मामले में घटिया राजनीतिज्ञ साबित हुआ।

एम. के. सिन्हा के अनुसार, "अपने जीवन के अन्तिम दशक में रणजीत सिंह एक दयनीय, असमर्थ और जड़ व्यक्ति नजर आता है। वह अपने राज्य की निःशक्तता को दर्शाने से घबराता था और उसकी नीति थी, झुको और झुको '

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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