बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
भारत में आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष
भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष दक्षिण भारत की राजनीतिक व्यवस्था के अव्यवस्थित होने पर भी अंग्रेज तथा फ्रांसीसी कम्पनियाँ अपना-अपना व्यापार शान्तिपूर्ण चला रही थी। ये भारतीय राजनीति से पृथक रही जब तक कि सन् 1742 ई. में डूप्ले पाण्डिचेरी का गवर्नर नियुक्त न हुआ। आस्ट्रियन उत्तराधिकारी के युद्ध प्रारम्भ हो जाने से दोनों कम्पनियों में विरोध आरम्भ हो गया और यूरोप में होने वाले संघर्ष का प्रभाव भारत पर व उनके सम्बन्धों पर पड़ा। फ्रांसीसियों ने यूरोप में होने वाले संघर्ष का प्रभाव
भारत में भी फ्रांसीसियों ने यूरोप तथा भारत दोनों स्थानों पर निष्पक्ष रहने का प्रयत्न किया लेकिन ऐसा सम्भव न था कि भारत में व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता दोनों के बीच संघर्ष का महत्त्वपूर्ण कारण था।
आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष के कारण - इस संघर्ष के प्रमुख कारण कर्नाटक के युद्ध थे जिनके परिणामस्वरूप यह संघर्ष बढ़ा।
प्रथम कर्नाटक युद्ध (1744-1748)
इस युद्ध के निम्न कारण थे -
(1) व्यापारिक प्रतियोगिता व भारतीय व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करने का उद्देश्य इस युद्ध का मुख्य कारण था दोनों कम्पनियाँ एक-दूसरे को भारत भूमि से विकसित करने तथा भारतीय व्यापार के लाभ को केवल अपने लिए लेने की इच्छुक थी। इस अनुचित प्रतियोगिता का परिणाम अनिवार्य मुक्त संघर्ष ही हो सकता था।
(2) ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकारी के युद्ध कां प्रारम्भ हो जाना बहुत बड़ी सीमा तक भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष के लिए उत्तरदायी था।
(3) डुप्ले द्वारा निष्पक्षता के सुझाव को मद्रास के अंग्रेज गवर्नर मोर्स ने अस्वीकार कर दिया क्योंकि उसे सूचना प्राप्त हो चुकी थी कि कॉमोडोर बार्नेट उसकी सहायता करने के लिए इंग्लैंड से भारत की ओर प्रस्थान कर चुका है।
(4) युद्ध का एक कारण यह भी था कि बार्नेट द्वारा फ्रांसीसी जहाजों को पकड़ लेना। डूप्ले ने मौरीशस के फ्रांसीसी गवर्नर ला बूदोंनें से सहायता के लिए प्रार्थना की जो शीघ्र ही सन् 1746 ई. में अपने जहाजों के साथ कारोमण्डल तट पर पहुँच गया।
युद्ध का परिणाम - यह युद्ध सन् 1748 ई. में हुई एक्स-ला शापेल की संधि से समाप्त हुआ। इस संधि के फलस्वरूप मद्रास अंग्रेजों की वापस मिल गया इस संधि से कुछ समय के लिए अंग्रेजों की आशाओं व उद्देश्यों को क्षति पहुँची।
युद्ध का महत्त्व - यह युद्ध भारतीय इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी इसकी महत्त्वता निम्नलिखित थी
(1) इसमें नौ शक्ति की महत्त्वता स्पष्ट हो गई।
(2) इस युद्ध में यह बात सिद्ध हो गई कि यूरोपीय युद्ध प्रणाली से अपेक्षाकृत उत्तम है।
(3) इस युद्ध में भारत की पतनोन्मुख स्थिति पूर्णतः स्पष्ट हो गई।
(4) इस युद्ध में फ्रांसीसी व अंग्रेजी कम्पनियों को उत्साह मिला तथा उन्होंने राजनैतिक उद्देश्यों से भारतीय राजनीति में तेजी से भाग लिया।
(5) इसमें अंग्रेज व फ्रांसीसियों का विद्रोह तेजी से बढ़ गया।
द्वितीय कर्नाटक युद्ध -
इस युद्ध में एक्ल-ला-शापेल की संधि के फलस्वरूप अंग्रेजों व फ्रांसीसियों में शान्ति स्थापित हो गई। इस बार वे प्रत्यक्ष संघर्ष में न पड़कर तंजौर, दक्षिण व कर्नाटक की सत्ता के विरोधी दावेदारों के सहायकों के रूपों में परस्पर युद्धरत हो गए।
युद्ध के कारण इस युद्ध के निम्न कारण थे -
(1) पाण्डिचेरी के फ्रांसीसी गवर्नरह्यूमस ने सन् 1758 ई. में तंजौर के सिंघासन के एक दावेदार की सहायता करके उससे कारीकल की बस्ती प्राप्त कर ली। जिसके कारण अंग्रेजों को यह न्याय पसन्द रहा दौरे संघर्ष का कारण बना।
(2) निजाम-उल-मुल्क की सन् 1748 ई. में मृत्यु हो गई तथा उसकी सत्ता के उत्तराधिकारी के लिए उसके पुत्रों में युद्ध हो गया।
(3) इसी समय कर्नाटक में नवाबी के विषय में भी विवाद 36 खड़ा हुआ। अनवर-उद्दीन अपनी प्रजा से नाखुश था अतः उसने चोहा साहिब ने गद्दी पर उसके अधिकार को चुनौती दी और डुप्ले ने चोहा साहिब की सहायता स्वीकार कर ली।
तृतीय युद्ध (1756-1763) युद्ध के कारण
गोडहयू द्वारा अंग्रेजों के साथ की गई संधि कभी भी क्रियान्वित नहीं हुई तथा दोनों कम्पनियों के पारस्परिक विरोध की स्थिति यथावत् रही। सन् 1756 ई. में यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध प्रारम्भ हो गया जिससे अंग्रेजों व फ्रांसीसियों ने एक-दूसरे के विरुद्ध भाग लिया परिणामस्वरूप भारत में भी इनका युद्ध पुनः प्रारम्भ हो गया।
युद्ध का परिणाम कर्नाटक के तृतीय युद्ध में भारत में फ्रांसीसियों की राजनीतिक शक्ति समाप्त हो गई इस प्रकार अंग्रेजों के इस राजनैतिक विरोधी के लुप्त हो जाने से अंग्रेजों की अग्रसरता के लिए मार्ग स्पष्ट हो गया एक बार फ्रांसीसियों ने अपनी शक्ति को पुनः भारत में स्थापित करने का प्रयत्न किया, परन्तु वह सफल न हो सके।
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- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
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