बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
अथवा
भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों के मुकाबले में फ्राँसीसियों की असफलता के कारणों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर -
फ्राँसीसियों की असफलता या ब्रिटिश सफलता के कारण
भारत में फ्राँसीसियों की असफलता के कई कारण थे। इनमें से प्रमुख निम्नवत् हैं
1. ब्रिटिश कंम्पनी की तुलनात्मक सुदृढ़ता - संघर्ष के प्रारम्भ से ही अंग्रेज कम्पनी की स्थिति फ्राँसीसी कम्पनी की तुलना में बहुत श्रेष्ठ थी -
(i) संगठन की दृष्टि से - दोनों ही कम्पनियाँ व्यापारिक श्रेणी की थीं। ब्रिटिश कम्पनी में भी फ्राँसीसी कम्पनी की भाँति राजा के शेयर थे किन्तु यह काफी कम थे और कम्पनी की नीतियों को प्रभावित नहीं कर पाते थे। यहाँ तक कि ब्रिटिश क्राउन अपना एक निदेशक कम्पनी के निदेशक मण्डल में चुनवाने की वोटिंग शक्ति नहीं रखता था। इस वजह से कम्पनी स्वतन्त्र थी जबकि दूसरी ओर फ्राँसीसी कम्पनी में फ्राँस के दरबारी व राजा से धन से बनी कम्पनी थी और बहुत कम अन्य लोगों का धन लगा था, जिससे कम्पनी फ्राँस की राजनीति का शिकार हो जाती थी और व्यापारिक मामलों में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती थी। इस कारण से कम्पनी की आर्थिक स्थिति गिरती गई।
(ii) भारत में प्राप्त किए गए स्थानों की दृष्टि से - अंग्रेजों के पास भारत में तीन प्रमुख बन्दरगाह थे - कलकत्ता, मद्रास तथा बम्बई। यदि शत्रु इनमें से किसी एक को भी जीत लेता तो शेष दो बचे रहते थे। पूर्वी तट पर पाण्डिचेरी अवश्य मद्रास के समकक्ष था किन्तु चन्द्रनगर कलकत्ता जितना उपयोगी न था। पश्चिमी घाट में बम्बई के समकक्ष कोई बन्दरगाह फ्राँसीसियों के पास न था। चन्द्रनगर के बारे में एलेक्जेण्डर हैमिल्टन ने लिखा है कि, "धन के अभाव में व्यापार करने की स्थिति में नहीं हैं, अतः बंगाल में गिरजाघर में प्रार्थना करना ही फ्राँसीसियों का मुख्य काम है।" पाण्डिचेरी के अलावा माही व चन्द्रनगर जैसे शेष स्थान पूरी तरह अंग्रेजों की दया पर ही रहे। इसका परिणाम यह हुआ कि पाण्डिचेरी के पतन के साथ फ्राँसीसी अपना सब कुछ हार गए।
(iii) आर्थिक दृष्टि से - ब्रिटिश कम्पनी अमेरिका व अफ्रीका में भी व्यापार करती थी। फ्राँसीसी कम्पनी की तुलना में उसका आर्थिक चक्र ज्यादा बड़ा और गतिशील था। आर्थिक मामलों में वह पूरी तरह स्वतन्त्र थी और राज्य से इस बारे में कोई अपेक्षा नहीं रखती थी। मूलतः बंगाल में आर्थिक अधिकार हो जाने के बाद इस अन्तर में वृद्धि होती गई।
2. फ्राँस की भारत के प्रति अनिच्छा - उस समय फ्राँस इंग्लैण्ड आदि देशों के साथ यूरोप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए युद्धों में लगा था जिससे उसे यूरोप में प्राकृतिक सीमाएँ प्राप्त हो सकें। इसी वजह से वह अमरीका व भारत में ब्रिटिश शक्ति से टकरा रहा था। उसका भारत में व्यापार करने या साम्राज्य स्थापित करने का कोई विशेष इरादा न था। वह यूरोप के कुछ मील क्षेत्रफल के लिए भारत के विशाल भू-भाग की अनदेखी करता था, अंग्रेजों ने ऐसा नहीं करके अपने को यूरोपीय मामलों में उलझने से बचाया और भारत में, अमेरिका की स्वतन्त्रता के बाद, पूरी तन्मयता से साम्राज्य विस्तार किया तथा इसमें वे सफल भी रहे। उधर फ्राँसीसी कम्पनी विभिन्न मोर्चों पर रत होने के कारण डूप्ले की महत्वाकांक्षा को सफल न बना सकी।
3. अंग्रेजों की बंगाल में सफलता पाना - अंग्रेजों की बंगाल में विजय एक अति महत्वपूर्ण कारण था। इससे उनकी प्रतिष्ठा बढ़ने के साथ ही साथ उन्हें बंगाल का अपार धन और जनशक्ति भी मिल गई। जिस समय फ्राँसीसियों को अपने सैनिकों को वेतन देने के लाले पड़े थे तब बंगाल कर्नाटक में धन- तथा जन दोनों ही भेज रहा था। दक्कन का प्रदेश पूरी तरह से अनुपजाऊ था। फ्राँसीसियों द्वारा भारत में किए जाने वाले युद्धों की क्षतिपूर्ति इस क्षेत्र से नहीं हो सकती थी। बंगाल पर आधिपत्य करने से अंग्रेजों .. का व्यापार भी भीतरी भागों में नदियों की सहायता से बढ़ा। मेरियट ने ठीक ही लिखा है कि - "डूप्ले ने भारत की चाबी मद्रास में खोजने का असफल प्रयास किया जबकि क्लाइव ने यह चाबी बंगाल में खोजी तथा प्राप्त कर ली।"
4. अंग्रेजों की नौसैनिक श्रेष्ठता - फ्राँस की तुलना में ब्रिटेन की नौ-सेना की शक्ति अधिक थी। आस्ट्रिया के उत्तराधिकार के युद्ध के अवसर पर ही ब्रिटेन ने फ्रांस की नौ-सेना पर अपनी श्रेष्ठता स्थापित कर ली थी। इस श्रेष्ठता ने अंग्रेजों और फ्राँसीसियों के संघर्ष को प्रत्येक स्थान पर प्रभावित किया। अंग्रेज अपनी नौ सेना की शक्ति के कारण निरन्तर यूरोप, बम्बई और बंगाल से कर्नाटक में सहायता पहुँचा सके और फ्रांसीसियों को सहायता पहुँचाने से रोकते भी थे। पश्चिमी घाट पर बम्बई जैसे प्राकृतिक बन्दरगाह के कारण वे सुरक्षित थे। डा० वी०ए० स्मिथ के अनुसार, "पाण्डिचेरी को आधार बनाकर एक ऐसी शक्ति से युद्ध करने में जिसके पास बंगाल और समुद्र की सत्ता थी, सिकन्दर महान् और नेपोलियन भी भारत में साम्राज्य स्थापित करने में सफल नहीं हो सकते हैं।"
5. फ्राँसीसी अधिकारियों के पारस्परिक झगड़े - बड़े-बड़े फ्राँसीसियों में कभी सामंजस्य नहीं रहा और वे आपस में झगड़ते रहे। लाबूरदाने व डूप्ले में झगड़ा हो गया था जब संघर्ष निर्णायक दौर में था। बुस्सी और डी-एचे कभी भी डूप्ले के साथ मिलकर कार्य नहीं कर सके। यद्यपि डूप्ले व बुस्सी व्यक्तिगत रूप से क्लाइव, साण्डर्स व लारेन्स से कम नहीं थे किन्तु वे अपने सैनिकों में जोश नहीं भर सके। दूसरी ओर अंग्रेजों को कुशल नेता और उन्हें लारेन्स फोर्ड, स्मिथ जैसे अनेकों कुशल अधीनस्थ अधिकारी प्राप्त हुए। इसका कारण फ्राँसीसी सरकार द्वारा भारत में अपराधियों व सजायाफ्ता लोगों का भारत में साम्राज्य स्थापित करने के लिए भेजा जाना था। काउंट लाली सभी को धूर्त समझता था। ऐसे "लोगों से उच्च नैतिकता की आशा व्यर्थ थी। फ्राँसीसी कम्पनी के अधिकारियों को भारत में उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए प्रोत्साहन नहीं दिया गया। काउंट लाली को फाँसी पर चढ़ाया गया, डूप्ले पर मुकदमा चलाया गया तथा वह अन्त में धनहीनता की स्थिति में मर गया, जबकि क्लाइव के कई दोषों की काफी आलोचना हुई परन्तु वह भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का संस्थापक माना गया और वारेन हेस्टिंग्स पर तो अभियोग भी चलाया गया किन्तु बाद में ससम्मान छोड़ दिया गया। मोलेसन के अनुसार, "लॉरेन्स, सॉण्डर्स, केलिऑड, फोर्ड इत्यादि अनेक अंग्रेजी पदाधिकारी डूप्ले के लॉज, दान्त्यूल, ब्रेनियर इत्यादि फ्राँसीसी अफसरों के कई गुणा वीर, साहसी व उत्तम थे।'
6. अंग्रेज कम्पनी की आर्थिक सम्पन्नता - अंग्रेजी कम्पनी मूलतः व्यापारिक कार्यों व उद्देश्य में रत रहने के कारण फ्राँसीसी कम्पनी की तुलना में व्यापार तथा आर्थिक रूप से अधिक सम्पन्न थी। अंग्रेजों ने अपने व्यापारिक उद्देश्यों को कभी नहीं त्यागा जबकि फ्राँसीसी नायक डूप्ले ने यह शीघ्र ही समझ लिया कि नौ-सैनिक अकुशलता के चलते वे भारत में बड़ी व्यापारिक शक्ति नहीं बन सकते थे, अतः डूप्ले ने भारत में राज्य स्थापित करने की योजना बनाई। इसी मूल कारण से अंग्रेज भारत में हुए युद्धों का व्यय भार उठा पाए और फ्राँसीसी कम्पनी को निरन्तर अपने देश की तरफ अपेक्षा की निगाहों से देखना पड़ा जो स्वयं यूरोप व अमरीका के उलझाऊ व खर्चीले युद्धों में फँसा था। एक व्यापारिक कम्पनी बिना अच्छी आर्थिक स्थिति के कहीं पर भी साम्राज्य स्थापित करने में सफलता नहीं पा सकती थी। स्वयं बुसी ने कहा था कि, "सफलता और विजय एक व्यापारिक कम्पनी के लिए साधारण गणित की चीजें हैं, सबसे बुरी बात व्यय का आय से अधिक होना है अथवा उत्पादन का कम से कम खर्चे के बराबर भी न होना है।" इस कारण फ्राँसीसी न तो कभी पर्याप्त सेना का संगठन कर सके और न ही अपने सैनिकों को ठीक समय पर वेतन ही दे सके, यहाँ तक कि सैनिक यदा-कदा वेतन के लिए विद्रोह भी कर दिया करते थे।
इसके विपरीत अंग्रेजों की कम्पनी आर्थिक रूप से सुदृढ़ थी। यह सुदृढ़ता बंगाल पर ब्रिटिश विजय के बाद बढ़ी। सरकार व दत्त ने लिखा है कि, "निःसन्देह, प्लासी ने कर्नाटक के संघर्ष का निर्णय .कर दिया था।' क्लाइव के अनुसार, "हमारी नौ-सेना की श्रेष्ठता और अपार धन तथा अन्य सभी प्रकार की रसद जो हम अपने मित्रों को दक्षिण में इस सूबे में भेजेंगे - जबकि शत्रु को प्रत्येक वस्तु की आवश्यकता है और उसकी पूर्ति के लिए उसके पास कोई साधन नहीं है - ऐसे लाभ हैं कि यदि इनका पूरा ध्यान रखा जाए तो हम वहीं नहीं बल्कि भारत के प्रत्येक भाग में उनका पूरा विनाश करने में सफल हो सकते हैं।'
फ्राँसीसियों की पराजय का एक प्रमुख कारण यह भी था कि वे यूरोप में भी अंग्रेजों को नहीं जीत सके। इसका प्रभाव भी भारत पर पड़ना आवश्यक था। इसके अतिरिक्त डूप्ले की दुर्बलताओं और असफलताओं ने भी फ्राँसीसी कम्पनी के भाग्य का निर्णय किया। तृतीय कर्नाटक युद्ध के बाद भारत में उनकी शक्ति समाप्त हो गई। अप्रैल, 1785 में फ्राँसीसी कम्पनी की भारत में पुनः स्थापना की गई किन्तु वह एक साधारण व्यापारिक बनकर ही रही और उसने फिर ब्रिटिश शक्ति से लोहा लेने का साहस नहीं किया।
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- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
- प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
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- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
- प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?