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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2645
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य : सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

अथवा
जयशंकर प्रसाद के नाटक ध्रुवस्वामिनी का सारांश लिखिए।

उत्तर -

जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटक ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु भारतीय इतिहास के गुप्त साम्राज्य पर आधारित कथानक पर व्यक्त की गई है। गुप्त कुल के सम्राट समुद्रगुप्त द्वारा अपने जीवन के अवशेष रहते ही अपने छोटे पुत्र चन्द्रगुप्त को गुप्त साम्राज्य का उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया गया था क्योंकि उनका बड़ा पुत्र रामगुप्त अत्यन्त अत्याचारी व निरंकुश था, फिर भी गुप्त साम्राज्य की परम्परा का निर्वहन करते हुए चन्द्रगुप्त ने अपने बड़े भाई रामगुप्त के लिए अपने पिता का दिया हुआ राज्य वापस करके अपने को राष्ट्र की सेवा में तत्पर कर लिया। रामगुप्त मद्यप, क्लीव, दुराचारी व विलासी था। इसके कारण सम्पूर्ण गुप्त साम्राज्य में बिखराव हो गया, अनाचार सम्पूर्ण राज्य में व्याप्त हो गया। रामगुप्त के सैनिकों ने अत्याचारी शासक का अनुकरण किया, सम्पर्ण साम्राज्य में शक्ति का ह्रास हो गया, रामगुप्त ने अपने पिता समुद्रगुप्त द्वारा पराजित शकराज से युद्ध का एलान कर दिया, किन्तु विलास में डूबे रामगुप्त के सैनिक शकराज की सेना से परास्त हो गए। रामगुप्त से शकराज ने सन्धि के प्रस्ताव के रूप में रामगुप्त की पत्नी ध्रुवस्वामिनी को अपने लिए और गुप्त साम्राज्य की अन्य नारियों को अपने सामन्तों के लिए माँगा, जिसे रामगुप्त ने स्वीकार कर लिया। रामगुप्त का मन्त्री शिखरस्वामी सलाह देता है कि इसी प्रस्ताव से भलाई है, किन्तु ध्रुवस्वामिनी इस सन्धि प्रस्ताव का प्रबल विरोध करती हैं, वह शत्रु के अंक की गामिनी बनने से अच्छा आत्महत्या मानती हैं, इसलिए ध्रुवस्वामिनी विवश होकर आत्महत्या करने के लिए कटार निकाल लेती है, उसी क्षण चन्द्रगुप्त का आगमन होता है। चन्द्रगुप्त ने ध्रुवस्वामिनी को आत्महत्या से रोका और योजना बद्ध ढंग से शकराज को मार देता है। गुप्त सैनिक चन्द्रगुप्त की इस विजय से उसकी जय- जयकार करते हैं, तो रामगुप्त को यह भय होता है कि कहीं वह गुप्त साम्राज्य का शासक न बन जाए और ध्रुवस्वामिनी का पति भी शकराज की पत्नी कोमा ध्रुवस्वामिनी से शकराज के शव की याचना के लिए आती है, ध्रुवस्वामिनी द्रवित होकर कोमा को शकराज का शव ले जाने की अनुमति दे देती है, किन्तु गुप्त राज्य के सैनिक कोमा और उसके पिता का वध कर देते हैं। चन्द्रगुप्त का तेज प्रताप चमकता है। उसका प्रभाव यह होता है कि सम्पूर्ण गुप्त सैनिक और शकराज के सामन्त चन्द्रगुप्त को ही सम्राट बनाने का निश्चय करते हैं, इससे रामगुप्त व्याकुल हो जाता है तथा पीछे से चन्द्रगुप्त पर तलवार का प्रहार करता है, किन्तु इसके पहले कि वह चन्द्रगुप्त पर वार करे एक सामन्त कुमार रामगुप्त का वध कर देता है। रामगुप्त के मर जाने पर चन्द्रगुप्त सम्राट और ध्रुवस्वामिनी साम्राज्ञी पद को सुशोभित करते हैं।

नाटककार जयशंकर प्रसाद ने ध्रुवस्वामिनी नाटक को तीन अंकों में विभक्त किया है, प्रत्येक अंक का क्रमशः विस्तृत कथासार इस प्रकार है -

प्रथम अंक

नाटक के आरम्भ में पर्वतीय प्रदेश का चित्रण है। रामगुप्त से विवाहित ध्रुवस्वामिनी कुछ चिन्तित और व्यग्र होकर प्रस्तुत है। ध्रुवस्वामिनी का अभी तक रामगुप्त से मिलाप नहीं हो पाया रामगुप्त ध्रुवस्वामिनी के चरित्र पर विश्वास नहीं करता उसका अनुमान है कि उसकी पत्नी ध्रुवस्वामिनी उससे प्यार नहीं करती वह तो उसके छोटे भाई चन्द्रगुप्त से प्यार करती है। यद्यपि महाराज समुद्रगुप्त ने अपने राज्य का उत्तराधिकारी अपने छोटे पुत्र चन्द्रगुप्त को बनाया था, किन्तु शिखरस्वामी रामगुप्त जैसे नीच, क्लीव को राजा बनवा देता है, जिससे उसकी स्थिति राज्य में महामन्त्री के रूप में सर्वदा बनी रहे। रामगुप्त अपने मन्त्री के आदेश पर ही कार्य करता है। वह अत्यन्त विलासी और मद्यप है, वह सुरा और सुन्दरी में दिन- रात डूबा रहता है, राज्य व्यवस्था के संचालन में उसकी कोई रुचि नहीं है। खड्गधारिणी ध्रुवस्वामिनी से कहती है कि चन्द्रगुप्त ने स्वेच्छा से राज्य का त्याग किया है। महाराज रामगुप्त को सन्देश देने के लिए एक प्रतिहारी आता है जो ध्रुवस्वामिनी को यह बताता है कि युद्ध सम्बन्धी सूचना उसे महाराज को देना है। ध्रुवस्वामिनी के पास से रामगुप्त निकलता है। रामगुप्त अत्यधिक खीझा हुआ है। उसे अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ध्रुवस्वामिनी चन्द्रगुप्त को अभी भी प्रेम करती है या नहीं। सेवक द्वारा कहा जाने वाला कथन रामगुप्त सुनना नहीं चाहता, किन्तु प्रतिहारी राजा को यह आवश्यक सूचना देने के लिए व्यग्र दिखाई देता है और रामगुप्त से कहता है कि हे महाराज ! शकों ने पहाड़ी के मार्ग से उतर कर हमारे निकलने के सभी मार्गों को अवरुद्ध कर लिया है, हम दोनों ओर से घिर गए हैं। रामगुप्त को इसका भी कोई असर नहीं होता। चन्द्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी के सम्बन्ध में विचारमग्न रामगुप्त प्रतिहारी की बात पर ध्यान नहीं देता, उसी समय रामगुप्त का महामन्त्री शिखरस्वामी आता है और कहता है कि शकराज का एक दूत हमारे लिए ...सन्देश लाया है, वह सन्देश का पत्र रामगुप्त को देता है। रामगुप्त पत्र की भाषा से चौंक जाता है। उस सन्देश में शकराज द्वारा ध्रुवस्वामिनी समेत रामगुप्त के राज्य की समस्त स्त्रियाँ शकराज द्वारा माँगी गयी हैं। रामगुप्त इस सन्धि-सन्देश के प्रस्ताव से प्रसन्न हो जाता है। रामगुप्त शिखर स्वामी से शकराज के इस प्रस्ताव की स्वीकृति देता है। ध्रुवस्वामिनी को यह बात ज्ञात होती है तो वह रामगुप्त से कहती हैं- “मैं गुप्त कुल की कुलवधू होकर इस राज परिवार में आयी हूँ मेरी रक्षा करो। मेरे और अपने गौरव की रक्षा करो। राजा आज मैं शरण की प्रार्थिनी हूँ” किन्तु दुष्ट व विलासी रामगुप्त कहता है “तुम मेरी रानी नहीं, तुम उपहार की वस्तु हो। आज मैं तुम्हें किसी दूसरे को देना चाहता हूँ। इसमें तुम्हें क्यों आपत्ति है।" नारी रक्षा में कायरता का परिचय देने पर रामगुप्त से ध्रुवस्वामिनी अपनी रक्षा स्वयं करने का निर्णय लेती है और कहती है कि यदि मैं अपनी रक्षा नहीं कर पायी तो मैं अपनी आत्महत्या कर लूँगी, ध्रुवस्वामिनी आत्महत्या के लिए कटार निकाल लेती है और जैसे ही अपने ऊपर वार करने को होती है उसी क्षण चन्द्रगुप्त आ जाता है। चन्द्रगुप्त ध्रुवस्वामिनी से ऐसा करने को रोकता है और इस अनाछूत समस्या में ध्रुवस्वामिनी का साथ देने का वचन देता है। ध्रुवस्वामिनी जो मन से चन्द्रगुप्त को प्रेम करती है, उसके आने पर आत्महत्या का विचार त्याग देती है और कहती है जिस प्रकार तुम मुझे महारानी बनाकर गुप्त कुल में लाये थे आज उसी प्रकार शकराज से मेरी रक्षा करो। चन्द्रगुप्त रक्षा का आश्वासन देता है। चन्द्रगुप्त निर्णय करता है कि शकराज के शिविर में ध्रुवस्वामिनी का वेश धारण करके वह स्वयं जाएगा, किन्तु ध्रुवस्वामिनी कहती है कि. इस निर्वासन का सुख तुम अकेले नहीं भोग सकते मैं भी तुम्हारे साथ शकराज के शिविर में जाऊँगी। चन्द्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी धीरे-धीरे चले जाते हैं। मन्दाकिनी गम्भीर स्वर से गाती हुई आती है और चन्द्रगुप्त तथा ध्रुवस्वामिनी के चले जाने से अकेली खड़ी रह जाती है। यहीं प्रथम अंक का पटाक्षेप हो जाता है।

द्वितीय अंक

द्वितीय अंक का आरम्भ शकराज के शिविर से होता है। कोमा अकेली विचार मान मुद्रा में टहल रही है, उसके मन में शकराज के प्रेम का ज्वर है, वह अपने प्रेमी द्वारा ध्रुवस्वामिनी के माँगे जाने से उद्विग्न है तभी शकराज का आगमन होता है।

कोमा शकराज से वार्तालाप करती है वह शकराज से अपने प्रेम के बँटवारे का उलाहना देती है, कोमा शकराज से युद्ध के उपद्रव से दूर रहने की सलाह देती है, किन्तु शकराज इस बात को नहीं स्वीकार करता। शकराज कोमा से मदिरा का प्याला माँगता है, उसी समय शकराज का मन्त्री खिंगल आता है, वह शकराज से रामगुप्त के सन्धि प्रस्ताव को स्वीकार कर लेने की सूचना देता है। इससे शकराज अत्यन्त प्रसन्न हो जाता है। शकराज ध्रुवस्वामिनी के आगमन की सूचना से मद से मस्त होकर सामंतों के साथ नर्तकियों का नृत्य- आनन्द उठाता है। उसी समय तोरण दुर्ग से शिविकाएँ आने का समाचार प्राप्त होता है। ध्रुवस्वामिनी और चन्द्रगुप्त दोनों शकराज के सामने प्रस्तुत होते हैं। चन्द्रगुप्त भी स्त्री रूप में हैं। वह अपने को ध्रुवस्वामिनी कहता है, दो सुन्दरियों को देखकर शकराज भ्रमित हो जाता है। चन्द्रगुप्त शकराज की हत्या कर देता है।

तृतीय अंक

तृतीय अंक के आरम्भ में शकराज की हत्या के बाद ध्रुवस्वामिनी शकराज के शिविर में सिंहासन पर बैठी है। चन्द्रगुप्त को शकराज से युद्ध में चोट आई है व उपचार कक्ष में है ध्रुवस्वामिनी चन्द्रगुप्त का हाल पूछती है। शकराज की मृत्यु का समाचार सुनकर रामगुप्त भी राजभवन आ रहा है। शकराज की मृत्यु के बाद शुद्धिकरण हेतु पुरोहित आता है, किन्तु महादेवी पुरोहित से कहती है कि मैं महादेवी नहीं हूँ, क्योंकि मुझे तो उपहार में भेज दिया गया है। ध्रुवस्वामिनी पुरोहित को वेदान्त की बाते न करने को रोकती है। कोमा ध्रुवस्वामिनी से अपने पति शकराज का शव माँगती है, ध्रुवस्वामिनी कोमा को शकराज का शव देने का आदेश देती है। कोमा पति का शव लेकर चली जाती है। कोमा की और अपनी दशा पर विचार करके ध्रुवस्वामिनी मंदाकिनी से कहती है कि नारी की दशा कितनी दयनीय है। उसी समय चन्द्रगुप्त आ जाता है। ध्रुवस्वामिनी चन्द्रगुप्त से विश्राम करने को कहती है, किन्तु चन्द्रगुप्त अपना कर्त्तव्य पूरा करने के बाद जाने को होता है, चन्द्रगुप्त ध्रुवस्वामिनी को चाहकर भी संकोच भाव व्यक्त करता है। शकराज के सामन्त कुमार रामगुप्त जैसे कलुषित राजा को अपना राजा स्वीकार नहीं करना चाहते, रामगुप्त आकर + चन्द्रगुप्त को बन्दी बना लेता है। ध्रुवस्वामिनी के कहने पर चन्द्रगुप्त लौह जंजीरों को तोड़ देता है। रामगुप्त के समझाने पर भी ध्रुवस्वामिनी उसे स्वीकार नहीं करती। मन्त्रिपरिषद् रामगुप्त को कलंकी, पापी करार देती है, इससे उत्तेजित होकर रामगुप्त चन्द्रगुप्त को मारने को कटार निकाल लेता है, किन्तु पीछे से एक सामन्त कुमार रामगुप्त का वध कर देता है। ध्रुवस्वामिनी और चन्द्रगुप्त की जय जयकार होने लगती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आदिकाल के हिन्दी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी की विधाओं का उल्लेख करते हुए सभी विधाओं पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- हिन्दी नाटक के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- कहानी साहित्य के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- हिन्दी निबन्ध के विकास पर विकास यात्रा पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- 'आत्मकथा' की चार विशेषतायें लिखिये।
  8. प्रश्न- लघु कथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी गद्य की पाँच नवीन विधाओं के नाम लिखकर उनका अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  10. प्रश्न- आख्यायिका एवं कथा पर टिप्पणी लिखिये।
  11. प्रश्न- सम्पादकीय लेखन का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- ब्लॉग का अर्थ बताइये।
  13. प्रश्न- रेडियो रूपक एवं पटकथा लेखन पर टिप्पणी लिखिये।
  14. प्रश्न- हिन्दी कहानी के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- नई कहानी आन्दोलन का वर्णन कीजिये।
  17. प्रश्न- हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- उपन्यास और कहानी में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए ?
  19. प्रश्न- हिन्दी एकांकी के विकास में रामकुमार वर्मा के योगदान पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  20. प्रश्न- हिन्दी एकांकी का विकास बताते हुए हिन्दी के प्रमुख एकांकीकारों का परिचय दीजिए।
  21. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि डा. रामकुमार वर्मा आधुनिक एकांकी के जन्मदाता हैं।
  22. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का योगदान बताइये।
  24. प्रश्न- निबन्ध साहित्य पर एक निबन्ध लिखिए।
  25. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के आधार पर जीवनी और संस्मरण का अन्तर स्पष्ट कीजिए, साथ ही उनकी मूलभूत विशेषताओं की भी विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- 'रिपोर्ताज' का आशय स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- आत्मकथा और जीवनी में अन्तर बताइये।
  28. प्रश्न- हिन्दी की हास्य-व्यंग्य विधा से आप क्या समझते हैं ? इसके विकास का विवेचन कीजिए।
  29. प्रश्न- कहानी के उद्भव और विकास पर क्रमिक प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- सचेतन कहानी आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- जनवादी कहानी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
  32. प्रश्न- समांतर कहानी आंदोलन के मुख्य आग्रह क्या थे ?
  33. प्रश्न- हिन्दी डायरी लेखन पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- यात्रा सहित्य की विशेषतायें बताइये।
  35. अध्याय - 3 : झाँसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा (व्याख्या भाग )
  36. प्रश्न- उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- झाँसी की रानी उपन्यास में वर्मा जी ने सामाजिक चेतना को जगाने का पूरा प्रयास किया है। इस कथन को समझाइये।
  38. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास में रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर प्रकाश डालिये।
  39. प्रश्न- झाँसी की रानी के सन्दर्भ में मुख्य पुरुष पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ बताइये।
  40. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास के पात्र खुदाबख्श और गुलाम गौस खाँ के चरित्र की तुलना करते हुए बताईये कि आपको इन दोनों पात्रों में से किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
  41. प्रश्न- पेशवा बाजीराव द्वितीय का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  42. अध्याय - 4 : पंच परमेश्वर - प्रेमचन्द (व्याख्या भाग)
  43. प्रश्न- 'पंच परमेश्वर' कहानी का सारांश लिखिए।
  44. प्रश्न- जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की शिक्षा, योग्यता और मान-सम्मान की तुलना कीजिए।
  45. प्रश्न- “अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।" इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
  46. अध्याय - 5 : पाजेब - जैनेन्द्र (व्याख्या भाग)
  47. प्रश्न- श्री जैनेन्द्र जैन द्वारा रचित कहानी 'पाजेब' का सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
  48. प्रश्न- 'पाजेब' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
  49. प्रश्न- 'पाजेब' कहानी की भाषा एवं शैली की विवेचना कीजिए।
  50. अध्याय - 6 : गैंग्रीन - अज्ञेय (व्याख्या भाग)
  51. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर अज्ञेय द्वारा रचित 'गैंग्रीन' कहानी का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- कहानी 'गैंग्रीन' में अज्ञेय जी मालती की घुटन को किस प्रकार चित्रित करते हैं?
  53. प्रश्न- अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'गैंग्रीन' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  54. अध्याय - 7 : परदा - यशपाल (व्याख्या भाग)
  55. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  56. प्रश्न- 'परदा' कहानी का खान किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, तर्क सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।
  57. प्रश्न- यशपाल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  58. अध्याय - 8 : तीसरी कसम - फणीश्वरनाथ रेणु (व्याख्या भाग)
  59. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  61. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  66. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है ?
  68. प्रश्न- हीरामन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए?
  69. अध्याय - 9 : पिता - ज्ञान रंजन (व्याख्या भाग)
  70. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है? स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  73. अध्याय - 10 : ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग)
  74. प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
  75. प्रश्न- नाटक के तत्वों के आधार पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
  76. प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक के आधार पर चन्द्रगुप्त के चरित्र की विशेषतायें बताइए।
  77. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  78. प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  80. प्रश्न- 'धुवस्वामिनी' नाटक के अन्तर्द्वन्द्व किस रूप में सामने आया है ?
  81. प्रश्न- क्या ध्रुवस्वामिनी एक प्रसादान्त नाटक है ?
  82. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रयुक्त किसी 'गीत' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  83. प्रश्न- प्रसाद के नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' की भाषा सम्बन्धी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  84. अध्याय - 11 : दीपदान - डॉ. राजकुमार वर्मा (व्याख्या भाग)
  85. प्रश्न- " अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है।" 'दीपदान' एकांकी में पन्ना धाय के इस कथन के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का कथासार लिखिए।
  87. प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का उद्देश्य लिखिए।
  88. प्रश्न- "बनवीर की महत्त्वाकांक्षा ने उसे हत्यारा बनवीर बना दिया। " " दीपदान' एकांकी के आधार पर इस कथन के आलोक में बनवीर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  89. अध्याय - 12 : लक्ष्मी का स्वागत - उपेन्द्रनाथ अश्क (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथावस्तु लिखिए।
  91. प्रश्न- प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक की उपयुक्तता बताइए।
  92. प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी के एकमात्र स्त्री पात्र रौशन की माँ का चरित्रांकन कीजिए।
  93. अध्याय - 13 : भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  94. प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।
  95. प्रश्न- लेखक ने "हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं।" वाक्य क्यों कहा?
  96. प्रश्न- "परदेशी वस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो।" कथन से क्या तात्पर्य है?
  97. अध्याय - 14 : मित्रता - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (व्याख्या भाग)
  98. प्रश्न- 'मित्रता' पाठ का सारांश लिखिए।
  99. प्रश्न- सच्चे मित्र की विशेषताएँ लिखिए।
  100. प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  101. अध्याय - 15 : अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी (व्याख्या भाग)
  102. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के नाम की सार्थकता पर विचार करते हुए उसका सार लिखिए तथा उसके द्वारा दिये गये सन्देश पर विचार कीजिए।
  103. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के आधार पर उनकी निबन्ध-शैली की समीक्षा कीजिए।
  104. अध्याय - 16 : उत्तरा फाल्गुनी के आसपास - कुबेरनाथ राय (व्याख्या भाग)
  105. प्रश्न- निबन्धकार कुबेरनाथ राय का संक्षिप्त जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  106. प्रश्न- कुबेरनाथ राय द्वारा रचित 'उत्तरा फाल्गुनी के आस-पास' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. प्रश्न- कुबेरनाथ राय के निबन्धों की भाषा लिखिए।
  108. प्रश्न- उत्तरा फाल्गुनी से लेखक का आशय क्या है?
  109. अध्याय - 17 : तुम चन्दन हम पानी - डॉ. विद्यानिवास मिश्र (व्याख्या भाग)
  110. प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
  111. प्रश्न- "विद्यानिवास मिश्र के निबन्ध उनके स्वच्छ व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति हैं।" उपरोक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
  112. प्रश्न- पं. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  113. अध्याय - 18 : रेखाचित्र (गिल्लू) - महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  114. प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- सोनजूही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में किन विचारों ने जन्म लिया?
  116. प्रश्न- गिल्लू के जाने के बाद वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
  117. अध्याय - 19 : संस्मरण (तीन बरस का साथी) - रामविलास शर्मा (व्याख्या भाग)
  118. प्रश्न- संस्मरण के तत्त्वों के आधार पर 'तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा' संस्मरण की समीक्षा कीजिए।
  119. प्रश्न- 'तीस बरस का साथी' संस्मरण के आधार पर रामविलास शर्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  120. अध्याय - 20 : जीवनी अंश (आवारा मसीहा ) - विष्णु प्रभाकर (व्याख्या भाग)
  121. प्रश्न- विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग किया गया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  122. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' अथवा 'पथ के साथी' कृति का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  123. प्रश्न- विष्णु प्रभाकर के 'आवारा मसीहा' का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
  124. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में समाज से सम्बन्धित समस्याओं को संक्षेप में लिखिए।
  125. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में बंगाली समाज का चित्रण किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के रचनाकार का वैशिष्ट्य वर्णित कीजिये।
  127. अध्याय - 21 : रिपोर्ताज (मानुष बने रहो ) - फणीश्वरनाथ 'रेणु' (व्याख्या भाग)
  128. प्रश्न- फणीश्वरनाथ 'रेणु' कृत 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में रेणु जी किस समाज की कल्पना करते हैं?
  130. प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में लेखक रेणु जी ने 'मानुष बने रहो' की क्या परिभाषा दी है?
  131. अध्याय - 22 : व्यंग्य (भोलाराम का जीव) - हरिशंकर परसाई (व्याख्या भाग)
  132. प्रश्न- प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्य ' भोलाराम का जीव' का सारांश लिखिए।
  133. प्रश्न- 'भोलाराम का जीव' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हरिशंकर परसाई की रचनाधर्मिता और व्यंग्य के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  135. अध्याय - 23 : यात्रा वृत्तांत (त्रेनम की ओर) - राहुल सांकृत्यायन (व्याख्या भाग)
  136. प्रश्न- यात्रावृत्त लेखन कला के तत्त्वों के आधार पर 'त्रेनम की ओर' यात्रावृत्त की समीक्षा कीजिए।
  137. प्रश्न- राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तान्तों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  138. अध्याय - 24 : डायरी (एक लेखक की डायरी) - मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित 'एक साहित्यिक की डायरी' कृति के अंश 'तीसरा क्षण' की समीक्षा कीजिए।
  140. अध्याय - 25 : इण्टरव्यू (मैं इनसे मिला - श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी) - पद्म सिंह शर्मा 'कमलेश' (व्याख्या भाग)
  141. प्रश्न- "मैं इनसे मिला" इंटरव्यू का सारांश लिखिए।
  142. प्रश्न- पद्मसिंह शर्मा कमलेश की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  143. अध्याय - 26 : आत्मकथा (जूठन) - ओमप्रकाश वाल्मीकि (व्याख्या भाग)
  144. प्रश्न- ओमप्रकाश वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए 'जूठन' शीर्षक आत्मकथा की समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- आत्मकथा 'जूठन' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  146. प्रश्न- दलित साहित्य क्या है? ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
  147. प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की भाषिक-योजना पर प्रकाश डालिए।

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