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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2645
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य : सरल प्रश्नोत्तर

हिन्दी उपन्यास

अध्याय - 3 :
झाँसी की रानी
- वृन्दावनलाल वर्मा 
(
व्याख्या भाग )

1. 'शासन-शक्ति का ............... तक ही कह सकता था।'

सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ वृन्दावनलाल वर्मा द्वारा लिखित उपन्यास 'झाँसी की रानी' से उद्धृत है।

प्रसंग – निस्संतान रामचन्द्र राव की मृत्यु के बाद रघुनाथ राव को अंग्रेजों ने झाँसी का राजा बनाया था। इन पंक्तियों में आमोद-प्रमोद, राग-रंग में तल्लीन रघुनाथ राव की शासन व्यवस्था का वर्णन किया गया है।

व्याख्या - झाँसी के राजा रघुनाथ राव के राज्य में शासन व्यवस्थित नहीं था। पंचायतों के अधिकार अदालतों को सौंपे नहीं गए थे। समाज में चारों ओर असमानताएँ और अव्यवस्था फैली थी। किन्तु आर्थिक व्यवस्था मजबूत थी। जिस आश्रयदाता के पास जितने भी निर्भर आश्रित थे, सभी के लिए आर्थिक प्रबन्ध हो जाते थे। तत्कालीन सामाजिक प्रबन्धन में जैसे ही कोई आश्रयदाता राजा कहीं से भी कमजोर पड़ता, दूसरा सशक्त उसके स्थान पर आसीन हो जाता। लम्बे समय तक शासन, समाज में बने रहने के लिए सर्व प्रकार व्यवस्थित, सन्तुलित होना आवश्यक था अन्यथा उसका अधिक समय तक शक्तिशाली बना रहना असम्भव था। यदि शासन व्यवस्थित होकर केन्द्रीय रूप ले लेता तो इस प्रकार की व्यवस्था को रोका जा सकता था।

विशेष -

1. इन पंक्तियों में तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक जीवन का चित्रण किया गया है।
2. शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया गया है। भावों की अभिव्यकित सूत्र रूप में की गई है, "खोखला गौरव...... " प्रवाहपूर्ण शैली के कारण प्रभावशाली है।

2. चैत लग गया .................. पुलकित हो उठे।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - झाँसी राज्य का शासन अंग्रेजों के हाथ में आ गया था, किन्तु झाँसी नगर का शासन अभी भी राजा गंगाधर राव के ही हाथ में ही था। इस प्रकार धीरे-धीरे सात-आठ साल व्यतीत हो चुके थे। चैत्र मास का आरम्भ हो चुका था। ऋतुराज बसंत का प्रभाव सर्वत्र दृष्टिगोचर हो रहा था।

व्याख्या—बसंत ऋतु में चतुर्दिक फूल ही फूल खिले थे। पत्थर और कंकड़ भी फूलों से आच्छादित थे। प्रकाश के लाल फलों से आकाश आच्छादित और नीचे धरती का सर्वांग पुष्पमय होकर निखर उठा था। चैत्र मास का प्रारम्भ हो गया था, वायु तो सुगन्धित थी ही, आँधी भी पुष्प- गंध से मुक्त नहीं थी। बसंत ऋतु में कामदेव ने अपने सभी अंगों से पृथ्वी पर सुन्दरता बिखेर दी थी और रात-दिन भी आनन्दित हो संगीतमय हो गए थे।

विशेष -
1. यहाँ लेखक ने प्राकृतिक सुन्दरता का चित्रण किया है।
2. भाषा प्रभावशाली है तथा शब्दों का चयन प्रसंगानुकूल है।
3. शृंगार से परिपूर्ण रंजनात्मक शैली एवं वर्णनात्मक शैली का प्रयोग परिपक्वता के साथ किया गया है।

3. वसंत आ गया  ...................... कोलाहल - सा मचा दिया।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग — उपन्यासकार ने किले के महल में गौरी की प्रतिमा की स्थापना का सजीव चित्रण किया है। वसन्त का आगमन और प्रकृति द्वारा फूलों की वर्षा से पूरा महल महक उठा।

व्याख्या - बसन्त का मौसम आ गया है, चारों तरफ हरियाली छायी हुई है। ऐसा मालूम पड़ता है जैसे प्रकृति ने चारों तरफ फूलों की वर्षा की हो और फूलों की महक चारों दिशाओं में फैल रही हो और लोगों को इनकी महक से स्वच्छता तथा सुगन्धता का आभास हो रहा हो। उसी समय किले के महल में रानी ने चैत्र की नवरात्रि में गौरी की प्रतिमा की स्थापना की। उसमें पूजन प्रारम्भ हो गया है। माता गौरी की प्रतिमा आभूषणों और फूलों से सुशोभित हो रही है और धूप-दीप के द्वारा चारों तरफ प्रकाशमय वातावरण हो गया है। माता की प्रतिमा की सुन्दरता का बखान नहीं किया जा सकता। वह काफी सुशोभित लग रही थी। ऐसा लग रहा था मानो प्रकृति ने सुन्दरता का समां बाँध दिया हो और लोग महल में माँ की प्रतिमा के समक्ष अपने आनन्द और प्रेम को प्रदर्शित कर रहे हो।

विशेष-
1.उपन्यासकार ने प्रकृति की छटा का अद्भुत चित्रण किया है।
2. भाषा काव्यात्मक एवं शैली वर्णनात्मक है।

4. अंग्रेजों का चौरस  ............ भारतीय जनता के सुख के लिए!!

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - अंग्रेजी सरकार अपनी हकुमत का चारों ओर से विस्तार कर रही थी, हर जगह अपना अधिकार जमाती जा रही थी। वह हिन्दुस्तानियों को एक-दूसरे से लड़ाने में माहिर थे। उन्होंने अपने शासन को इतना मजबूत कर रखा था कि राहत के साँस की कोई गुंजाइश ही नहीं थी।

व्याख्या - लेखक कहता है कि अंग्रेजी शासन चारों तरफ बेतहाशा बढ़ता जा रहा था। अंग्रेजी सेना अपना कार्य सुचारू और सही रूप से कर रही थी। वह हिन्दुस्तानियों की तरह ढीले और गये गुजरे कानून को नहीं देखना चाहते थे उनका तो केवल एक कानून होता था। एक मालिक और कानून के प्रति एक ही नजर रखते थे। अनेकता की उनके कानून में कोई गुंजाइश नहीं थी। यही कारण था कि आक्रमण करते समय अंग्रेजी शासक छोटे-मोटे रजवाड़े को पूरी तरह समाप्त कर देते थे और भारतीय जनता सुख और शान्ति के लिए तरसती रह जाती थी। पूरी तरह अंग्रेजी हुकूमत उनके ऊपर विराजमान होती थी।

विशेष -
1. उपन्यासकार ने यहाँ अंग्रेजी सेना का शक्तिशाली होना बताया है।
2. भाषा साहित्यिक एवं शैली वर्णनात्मक है।

5. 'हिश! (डेम इट ) वह ................. बहुत बढ़िया नाच।'

सन्दर्भ — पूर्ववत्।

प्रसंग- ऐलिस, मार्टिन के साथ क्लब में आता है और वह वहाँ पर अपने आपको हल्का महसूस करता है। वह आपस में राज घराने की बातें करते रहते हैं। एलिस, मार्टिन को बताता है कि हम लोग उसी के राज में आज भी बैठे हैं। हिन्दुस्तानी लोग अपने राजा रानी के बारे में ऐसी बात सुनना पसन्द नहीं करते हैं। इस पर मार्टिन, एलिस को कहता है।

व्याख्या - हिन्दुस्तानी लोग गधे के झुण्ड के समान है फिर भी एलिस मैं तुम्हारी बातों का समर्थन करता हूँ। इसलिए नहीं कि मैं रानी से डरता हूँ बल्कि इसलिए की राज घराने की अच्छी छवि को देखना चाहिए। उसके अन्दर व्याप्त असन्तोष को कदापि नहीं देखना चाहिए जिससे मन में कड़वाहट की भावना पैदा हो। फिर भी इन्हीं के कार्यों के लिए पूरे महीने की वेतन प्राप्त करता हूँ। वह पुन: एलिस से कहता है कि मैंने सुना है कि किसी जमाने में राजा अच्छा नाचता था। उसकी नाटकशाला में काफी सुन्दर रमणियाँ हुआ करती थीं और वह बहुत बढ़िया नाचती थीं। उस दृश्य की कल्पना कैसी होगी? ऐसा मैं सोच सकता हूँ।

विशेष -
1. प्रस्तुत गद्यांश में उपन्यासकार ने हिन्दुस्तानियों के प्रति डर का भाव अंग्रेजों के अन्दर दिखाया है।
2. भाषा साहित्यिक एवं शैली वर्णनात्मक है।

6. 'तुम्हारे देवी-देवता सब ....................... आँखें खुल जाएँगी।'

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - डनलप और जूही में वार्ता के बाद कोई बात डनलप को घर कर जाती है जिससे उसके व्यवहार में परिवर्तन आता है। डनलप द्वारा मोतीबाई को वेश्या कहना, और जूही द्वारा छावनी में आने से मना करने का क्षोभ डनलप के ऊपर साफ दिखाई देता है। वह सिपाहियों को शिष्टाचार का पाठ पढ़ाता है।

व्याख्या - लेखक कहता है कि पैसा और मुक्ति का घनिष्ट सम्बन्ध पर सिपाहियों को हँसी आया करती थी। डनलप द्वारा इस वार्ता के कारण सिपाहियों के अन्दर जलन और गुस्से का आना स्वाभाविक था। डनलप कहता है कि तुम्हारे देवी-देवता व्यर्थ और खराब सूरत वाले हैं। तुम लोगों की आस्था उन पर होने के कारण तुम आज भी मूर्ख बने हुए हो, और यही कारण है कि जिससे तुम्हारी तरक्की नहीं हो पाती है। ईसाई होने पर तुम लोग एक ईश्वर और उसके पुत्र पर विश्वास रखोगे और अगर इन पर तुम्हारा विश्वास हो जायेगा, तो तमाम दुनिया भर के भूत-पिशाच और प्रेतों के प्रति विश्वास हट जायेगा और किसी प्रकार के अन्धविश्वासों में नहीं आओगे। डनलप के अनुसार हिन्दू और मुसलमान दोनों मूर्ख हैं। दोनों ही अन्धविश्वासों पर निर्भर करते हैं जो यथार्थ जीवन में सम्भव नहीं है। इसीलिए ग्रन्थ पढ़ो तो सच्चाई का तुम्हें पता चल जायेगा कि दुनिया में क्या सही है और क्या गलत है। सही बातों पर तुम्हें विश्वास आने लगेगा।

विशेष -
1. प्रस्तुत भाग में उपन्यासकार ने डनलप की मनोवृत्तियों पर प्रकाश डाला है।
2. भाषा साहित्यिक एवं शैली विवेचनात्मक है।

7. चिट्ठी और झंडे का सामंजस्य ................. परिवर्तन आवश्यक है।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - भोपटकर एक पत्र लिखना चाहता है जो नत्थेखाँ के विरुद्ध अंग्रेजों से लड़ रहे हैं। मेरी राजनीति को इस चिट्ठी से सहायता मिलेगी, यह बात वह रानी को बता रहा है। तभी रानी कहती है कि यह राजनीति कितने दिनों तक चलेगी, जबकि हमको पूरी तरह स्वराज्य स्थापित करना है। लेकिन जैसे झण्डे के नीचे स्वराज्य स्थापित करना असम्भव सा दिखाई देता है, तुम चिट्ठी में चाहे जिसकी मनमानी लिखो परन्तु झण्डा हमेशा चिट्ठी से बड़ा होता है। तब भोपटकर रानी से पूछता है।

व्याख्या - रानी चिट्ठी और झण्डे का क्या तालमेल है। यह तो कुछ समय तक के लिए अपने आदर्श को ढका रखना चाहते हैं। यदि स्वराज्य प्राप्ति का इशारा देश भर में 31 मई को एक साथ हो गया होता तो आज के दिन राजनीति की दशा कुछ और ही होती। परन्तु अब पत्र के माध्यम से परिवर्तन आवश्यक हो गया है जिससे कुछ दिनों के लिए राजनीतिक रूखों को मोड़ा जा सकता है।

विशेष -
1. प्रस्तुत भाग में लेखक ने भोपटकर के माध्यम से राजनीति के ठहराव को बताया है।
2. भाषा साहित्यिक एवं शैली विवेचनात्मक एवं वर्णनात्मक है।

8. 'आप आत्मघात करने जा रही..................... आपने बीड़ा उठाया था?'.

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के हाथ नहीं आना चाहती है। बारूद की कोठरी में सैकड़ों मन बारूद है। वह सोचती है— मैं वहाँ जाती हूँ और पिस्तौल से धड़ाके के साथ अपने आप को समाप्त कर लेती हूँ इस प्रकार अपने पुरखों से मिल जाऊँगी। रानी अपनी सेनाओं से कहती है- तुम लोग गुप्त रास्ते से निकलकर अपने प्राणों की रक्षा करो। इतनी बात सुनकर भोपटकर रानी से तुरन्त कहता है-

व्याख्या - आप आत्महत्या करने जा रही हैं। आपने गीता जैसे पवित्र ग्रन्थ को कंठस्थ किया है। आप गीता के अट्ठारहवें अध्याय को अपने जीवन में बरतती चली आयी हो, अर्थात् कर्म को प्रधानता, आत्मा कभी नहीं मरती, केवल शरीर नश्वर होता है रानी ऐसा क्यों कहती है आत्मा तो पुनः नये प्राणों में मिल जाती है तथा स्वराज्य की स्थापना के लिए प्रत्येक स्थिति को अपने वश में करने की प्रतीज्ञा कर चुकी है। अंग्रेज हमारे पुस्तकालय को भस्म करके भी कृष्ण को आघात नहीं पहुँचा सकते तो आप आत्महत्या के बारे में क्यों सोच रही हैं? करिये कृष्ण और गीता का अपमान, जबकि उन्हीं के आदर्शों को मानकर आप चलती आ रही हैं; आप रानी हैं। आपकी आज्ञा का पालन करना सबका कर्त्तव्य है। परन्तु यदि आप अपने आप को समाप्त कर लेंगी तो जनता के बारे में क्या सोचेंगी, जिसकी रक्षा के लिए आपने कमर कसी है। इसलिए इन बातों से निराश न होकर अपने कर्त्तव्य का पालन कीजिए। सफलता हमें अवश्य मिलेगी।

विशेष -
1. प्रस्तुत भाग में लेखक ने झाँसी की रानी की विवशता को झलकाया है।

9. 'प्रकाश अनंत है .................... मुखरित हो उठेगा।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - देशमुख विलखकर रोते हुए बाबा से कहता है कि झाँसी का सूर्य अस्त हो गया है। बाबा को रघुनाथ सिंह और दामोदर राव की चीत्कार और रुलाई की आवाज जोर-जोर से आ रही थी तभी बाबा ने उत्साहवर्धक बातों से उन्हें समझाने का प्रयत्न किया।

व्याख्या - बाबा कहते हैं, जिस प्रकार प्रकाश की कोई सीमा नहीं है वह अनन्त है और अपने प्रकाश से सबको प्रकाशमान करता है। उसी प्रकार झाँसी की रानी ने अपने अथक प्रयास और कर्मों के द्वारा सबको अपने साथ मिलाया और वीरता की बलि पर वे चढ़ गयी। उसके बाद फिर कोई योद्धा आयेगा और इस क्रम को आगे बढ़ाता चला जायेगा। यही तो स्वराज्य पाने का एक रहस्य है। जिस प्रकार कड़ियाँ यदि मजबूत हैं तो जंजीर भी काफी मजबूत होगी। उसको कोई तोड़ नहीं सकता।

विशेष -
1. उपन्यासकार ने मनुष्य के जीवन के सार को बताने का प्रयास किया है।
2. भाषा साहित्यिक एवं शैली वर्णनात्मक है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आदिकाल के हिन्दी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी की विधाओं का उल्लेख करते हुए सभी विधाओं पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- हिन्दी नाटक के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- कहानी साहित्य के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- हिन्दी निबन्ध के विकास पर विकास यात्रा पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- 'आत्मकथा' की चार विशेषतायें लिखिये।
  8. प्रश्न- लघु कथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी गद्य की पाँच नवीन विधाओं के नाम लिखकर उनका अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  10. प्रश्न- आख्यायिका एवं कथा पर टिप्पणी लिखिये।
  11. प्रश्न- सम्पादकीय लेखन का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- ब्लॉग का अर्थ बताइये।
  13. प्रश्न- रेडियो रूपक एवं पटकथा लेखन पर टिप्पणी लिखिये।
  14. प्रश्न- हिन्दी कहानी के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- नई कहानी आन्दोलन का वर्णन कीजिये।
  17. प्रश्न- हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- उपन्यास और कहानी में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए ?
  19. प्रश्न- हिन्दी एकांकी के विकास में रामकुमार वर्मा के योगदान पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  20. प्रश्न- हिन्दी एकांकी का विकास बताते हुए हिन्दी के प्रमुख एकांकीकारों का परिचय दीजिए।
  21. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि डा. रामकुमार वर्मा आधुनिक एकांकी के जन्मदाता हैं।
  22. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का योगदान बताइये।
  24. प्रश्न- निबन्ध साहित्य पर एक निबन्ध लिखिए।
  25. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के आधार पर जीवनी और संस्मरण का अन्तर स्पष्ट कीजिए, साथ ही उनकी मूलभूत विशेषताओं की भी विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- 'रिपोर्ताज' का आशय स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- आत्मकथा और जीवनी में अन्तर बताइये।
  28. प्रश्न- हिन्दी की हास्य-व्यंग्य विधा से आप क्या समझते हैं ? इसके विकास का विवेचन कीजिए।
  29. प्रश्न- कहानी के उद्भव और विकास पर क्रमिक प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- सचेतन कहानी आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- जनवादी कहानी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
  32. प्रश्न- समांतर कहानी आंदोलन के मुख्य आग्रह क्या थे ?
  33. प्रश्न- हिन्दी डायरी लेखन पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- यात्रा सहित्य की विशेषतायें बताइये।
  35. अध्याय - 3 : झाँसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा (व्याख्या भाग )
  36. प्रश्न- उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- झाँसी की रानी उपन्यास में वर्मा जी ने सामाजिक चेतना को जगाने का पूरा प्रयास किया है। इस कथन को समझाइये।
  38. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास में रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर प्रकाश डालिये।
  39. प्रश्न- झाँसी की रानी के सन्दर्भ में मुख्य पुरुष पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ बताइये।
  40. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास के पात्र खुदाबख्श और गुलाम गौस खाँ के चरित्र की तुलना करते हुए बताईये कि आपको इन दोनों पात्रों में से किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
  41. प्रश्न- पेशवा बाजीराव द्वितीय का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  42. अध्याय - 4 : पंच परमेश्वर - प्रेमचन्द (व्याख्या भाग)
  43. प्रश्न- 'पंच परमेश्वर' कहानी का सारांश लिखिए।
  44. प्रश्न- जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की शिक्षा, योग्यता और मान-सम्मान की तुलना कीजिए।
  45. प्रश्न- “अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।" इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
  46. अध्याय - 5 : पाजेब - जैनेन्द्र (व्याख्या भाग)
  47. प्रश्न- श्री जैनेन्द्र जैन द्वारा रचित कहानी 'पाजेब' का सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
  48. प्रश्न- 'पाजेब' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
  49. प्रश्न- 'पाजेब' कहानी की भाषा एवं शैली की विवेचना कीजिए।
  50. अध्याय - 6 : गैंग्रीन - अज्ञेय (व्याख्या भाग)
  51. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर अज्ञेय द्वारा रचित 'गैंग्रीन' कहानी का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- कहानी 'गैंग्रीन' में अज्ञेय जी मालती की घुटन को किस प्रकार चित्रित करते हैं?
  53. प्रश्न- अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'गैंग्रीन' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  54. अध्याय - 7 : परदा - यशपाल (व्याख्या भाग)
  55. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  56. प्रश्न- 'परदा' कहानी का खान किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, तर्क सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।
  57. प्रश्न- यशपाल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  58. अध्याय - 8 : तीसरी कसम - फणीश्वरनाथ रेणु (व्याख्या भाग)
  59. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  61. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  66. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है ?
  68. प्रश्न- हीरामन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए?
  69. अध्याय - 9 : पिता - ज्ञान रंजन (व्याख्या भाग)
  70. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है? स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  73. अध्याय - 10 : ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग)
  74. प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
  75. प्रश्न- नाटक के तत्वों के आधार पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
  76. प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक के आधार पर चन्द्रगुप्त के चरित्र की विशेषतायें बताइए।
  77. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  78. प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  80. प्रश्न- 'धुवस्वामिनी' नाटक के अन्तर्द्वन्द्व किस रूप में सामने आया है ?
  81. प्रश्न- क्या ध्रुवस्वामिनी एक प्रसादान्त नाटक है ?
  82. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रयुक्त किसी 'गीत' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  83. प्रश्न- प्रसाद के नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' की भाषा सम्बन्धी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  84. अध्याय - 11 : दीपदान - डॉ. राजकुमार वर्मा (व्याख्या भाग)
  85. प्रश्न- " अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है।" 'दीपदान' एकांकी में पन्ना धाय के इस कथन के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का कथासार लिखिए।
  87. प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का उद्देश्य लिखिए।
  88. प्रश्न- "बनवीर की महत्त्वाकांक्षा ने उसे हत्यारा बनवीर बना दिया। " " दीपदान' एकांकी के आधार पर इस कथन के आलोक में बनवीर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  89. अध्याय - 12 : लक्ष्मी का स्वागत - उपेन्द्रनाथ अश्क (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथावस्तु लिखिए।
  91. प्रश्न- प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक की उपयुक्तता बताइए।
  92. प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी के एकमात्र स्त्री पात्र रौशन की माँ का चरित्रांकन कीजिए।
  93. अध्याय - 13 : भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  94. प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।
  95. प्रश्न- लेखक ने "हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं।" वाक्य क्यों कहा?
  96. प्रश्न- "परदेशी वस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो।" कथन से क्या तात्पर्य है?
  97. अध्याय - 14 : मित्रता - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (व्याख्या भाग)
  98. प्रश्न- 'मित्रता' पाठ का सारांश लिखिए।
  99. प्रश्न- सच्चे मित्र की विशेषताएँ लिखिए।
  100. प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  101. अध्याय - 15 : अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी (व्याख्या भाग)
  102. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के नाम की सार्थकता पर विचार करते हुए उसका सार लिखिए तथा उसके द्वारा दिये गये सन्देश पर विचार कीजिए।
  103. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के आधार पर उनकी निबन्ध-शैली की समीक्षा कीजिए।
  104. अध्याय - 16 : उत्तरा फाल्गुनी के आसपास - कुबेरनाथ राय (व्याख्या भाग)
  105. प्रश्न- निबन्धकार कुबेरनाथ राय का संक्षिप्त जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  106. प्रश्न- कुबेरनाथ राय द्वारा रचित 'उत्तरा फाल्गुनी के आस-पास' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. प्रश्न- कुबेरनाथ राय के निबन्धों की भाषा लिखिए।
  108. प्रश्न- उत्तरा फाल्गुनी से लेखक का आशय क्या है?
  109. अध्याय - 17 : तुम चन्दन हम पानी - डॉ. विद्यानिवास मिश्र (व्याख्या भाग)
  110. प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
  111. प्रश्न- "विद्यानिवास मिश्र के निबन्ध उनके स्वच्छ व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति हैं।" उपरोक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
  112. प्रश्न- पं. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  113. अध्याय - 18 : रेखाचित्र (गिल्लू) - महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  114. प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- सोनजूही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में किन विचारों ने जन्म लिया?
  116. प्रश्न- गिल्लू के जाने के बाद वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
  117. अध्याय - 19 : संस्मरण (तीन बरस का साथी) - रामविलास शर्मा (व्याख्या भाग)
  118. प्रश्न- संस्मरण के तत्त्वों के आधार पर 'तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा' संस्मरण की समीक्षा कीजिए।
  119. प्रश्न- 'तीस बरस का साथी' संस्मरण के आधार पर रामविलास शर्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  120. अध्याय - 20 : जीवनी अंश (आवारा मसीहा ) - विष्णु प्रभाकर (व्याख्या भाग)
  121. प्रश्न- विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग किया गया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  122. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' अथवा 'पथ के साथी' कृति का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  123. प्रश्न- विष्णु प्रभाकर के 'आवारा मसीहा' का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
  124. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में समाज से सम्बन्धित समस्याओं को संक्षेप में लिखिए।
  125. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में बंगाली समाज का चित्रण किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के रचनाकार का वैशिष्ट्य वर्णित कीजिये।
  127. अध्याय - 21 : रिपोर्ताज (मानुष बने रहो ) - फणीश्वरनाथ 'रेणु' (व्याख्या भाग)
  128. प्रश्न- फणीश्वरनाथ 'रेणु' कृत 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में रेणु जी किस समाज की कल्पना करते हैं?
  130. प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में लेखक रेणु जी ने 'मानुष बने रहो' की क्या परिभाषा दी है?
  131. अध्याय - 22 : व्यंग्य (भोलाराम का जीव) - हरिशंकर परसाई (व्याख्या भाग)
  132. प्रश्न- प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्य ' भोलाराम का जीव' का सारांश लिखिए।
  133. प्रश्न- 'भोलाराम का जीव' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हरिशंकर परसाई की रचनाधर्मिता और व्यंग्य के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  135. अध्याय - 23 : यात्रा वृत्तांत (त्रेनम की ओर) - राहुल सांकृत्यायन (व्याख्या भाग)
  136. प्रश्न- यात्रावृत्त लेखन कला के तत्त्वों के आधार पर 'त्रेनम की ओर' यात्रावृत्त की समीक्षा कीजिए।
  137. प्रश्न- राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तान्तों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  138. अध्याय - 24 : डायरी (एक लेखक की डायरी) - मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित 'एक साहित्यिक की डायरी' कृति के अंश 'तीसरा क्षण' की समीक्षा कीजिए।
  140. अध्याय - 25 : इण्टरव्यू (मैं इनसे मिला - श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी) - पद्म सिंह शर्मा 'कमलेश' (व्याख्या भाग)
  141. प्रश्न- "मैं इनसे मिला" इंटरव्यू का सारांश लिखिए।
  142. प्रश्न- पद्मसिंह शर्मा कमलेश की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  143. अध्याय - 26 : आत्मकथा (जूठन) - ओमप्रकाश वाल्मीकि (व्याख्या भाग)
  144. प्रश्न- ओमप्रकाश वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए 'जूठन' शीर्षक आत्मकथा की समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- आत्मकथा 'जूठन' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  146. प्रश्न- दलित साहित्य क्या है? ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
  147. प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की भाषिक-योजना पर प्रकाश डालिए।

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