बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान
प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
व्यक्ति का जीवन कभी भी स्थिर नहीं है बल्कि लगातार परिवर्तित होता रहता है। पर्व में यह परिवर्तन व्यक्ति की शारीरिक संरचना तथा कार्य प्रणाली में परिपक्वता को लाता है, जबकि बाद के जीवन में यह परिवर्तन बाल्यकाल की ओर प्रतिगमन करता हुआ होता है। इस प्रकार के परिवर्तन को मनोवैज्ञानिक भाषा में जरण (Aging) कहते हैं, जिसके अंतर्गत मानसिक व शारीरिक संरचना व उनकी कार्यशैली में परिवर्तन होता है।
उत्तर प्रौढ़ावस्था को वृद्धावस्था के नाम से जाना जाता है। यह जीवन की अंतिम अवस्था है। व्यक्ति में सामान्यतः दैहिक एवं मानसिक ह्रास प्रारंभ हो जाता है। इस प्रकार के ह्रास का प्रमुख कारण प्रेरणा का अभाव है। ऐसे व्यक्ति जो इस अवस्था में भी सीखने की चाह, स्वयं को आधुनिक समय के साथ जोड़कर रखने की प्रवृत्ति रखते हैं उनमें वृद्धावस्था का आगमन धीमी गति से होता है। वृद्धावस्था की शुरूआत शारीरिक ह्रास से प्रारंभ होती है व धीरे-धीरे मानसिक हास होना शुरू हो जाता है।
हरलॉक ने इस अवस्था को "जीवन विस्तार को अंतिम अवस्था" कहा है। जब व्यक्ति पूर्व जीवन की अत्यधिक वांछित आकांक्षाओं से दूर होना प्रारंभ करता है, वह अपने जीवन के बिताये गये दिनों को याद कर उपलब्धियों के सहारे जीवनयापन करना शुरू कर देता है तथा जीवन के शेष दिनों के जीने के लिये स्वयं को तैयार करता है। आयु वृद्धि के साथ व्यक्ति का व्यवहार भी परिवर्तित होता है तथा वह बच्चों जैसा साधारण व्यवहार करना शुरू कर देता है।
भारतवर्ष में यह कथन काफी प्रचलित है, कि "बच्चे व बूढ़े में कोई अंतर नहीं होता है।" व्यक्ति जितने समय तक जीता है उस पर वृद्धावस्था का छोटा या लम्बा होना निर्भर होता है। इस अवस्था में आयु वृद्धि के साथ-साथ व्यक्ति की शक्ति, स्फूर्ति, काम करने की गति आदि कम हो जाती है परंतु अपने कौशल के द्वारा वे आसानी से क्षतिपूर्ति कर लेते हैं, जैसे-स्कूटर को वह धीमी गति से चलाकर दुर्घटना से बच सकता है। वृद्धावस्था का वह समय जब हास धीमा होता है और क्षतिपूर्ति हो सकती है 'जरत्व' कहलाता है। हास की गति तब तीव्र होती है तथा व्यक्ति शारीरिक, मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है या टूट चुका होता है और क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है। उस काल को 'जरावस्था' (Old Age) कहते हैं। एक व्यक्ति कब जराग्रस्त होगा कहना मुश्किल है, हो सकता है कि जराग्रस्त होने से पूर्व उसकी मृत्यु हो जाए। अतः जरावस्था अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न हो सकती हैं, जिसे शारीरिक आयु से मानना उचित नहीं होगा। रहन-सहन की परिस्थितियों तथा चिकित्सा के उन्नत तरीकों के कारण स्त्री एवं पुरुष में जरावस्था का आगमन साठ-पैंसठ वर्ष की आयु के बाद होता है।
व्यक्ति में जब शारीरिक ह्रास के चिन्ह प्रकट होना शुरू होते हैं तो वे मानसिक रूप से निष्क्रिय होने लगते हैं। व्यक्ति के शरीर के भिन्न-भिन्न अवयवों का जीवन काल भिन्न-भिन्न होता है, जैसे- स्त्रियों में अण्डाशय एक निश्चित समय तक काम करता है फिर निष्क्रिय हो जाता है। दुर्घटना या बीमारी नेत्रों के लैंस की नमनीयता शीघ्र खत्म कर देती है। बीमार स्त्रियों में रजोनिवृत्ति भी जल्दी हो सकती है।
इसी प्रकार मानसिक ह्रास में व्यक्तिगत भेद पाए जाते हैं। जैसे—अर्थग्रहण की क्षमता, शब्द भण्डार तथा ज्ञान प्राप्ति में ह्रास कम होता है। अंक परीक्षण में ह्रास अधिक होता है तथा स्मृति का ह्रास सबसे ज्यादा होता है। जरण की अवधि अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग समय पर होने के निम्नलिखित कारण हैं-
(i) आनुवांशिकता।
(ii) लिंग।
(iii) जाति।
(iv) वातावरण।
(v) पारिवारिक स्वरूप।
(vi) शिक्षा।
वृद्धावस्था की विभिन्न श्रेणियाँ
(Different Categories of Old Age)
रेसमन के अनुसार वृद्धावस्था की तीन श्रेणियां हैं-
1. स्वायत्त (Independent ) — इस प्रकार की श्रेणी में वे व्यक्ति आते हैं जिनमें आत्मिक स्फूर्ति होती है। ये सृजनात्मक होने के साथ-साथ सक्रिय होते हैं। ये व्यक्ति विशाल हृदय वाले एवं सक्रिय होते हैं। किसी भी प्रकार के परिवर्तन का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आयु वृद्धि के साथ-साथ ये अधिक समझदार हो जाते हैं। वैसे ये स्वभाव से बहुत ज्यादा सुसमायोजित तो नहीं होते हैं परंतु इनमें उत्साह भरपूर होता है। समाज में इस श्रेणी के वृद्धों की संख्या कम होती है।
2. समायोजित (Adjusted ) — ये व्यक्ति नदी के बहाव की ओर चलने वाले हैं अर्थात् वातावरण के अनुसार स्वयं को ढाल लेते हैं। इसलिये इनमें उत्साह बना रहता है। जब तक वातावरण उनके अनुकूल होता है तब तक वे क्रियाशील रहकर काम कर सकते हैं।
3. परायत्त (Dependent ) - ऐसे व्यक्ति स्वतंत्रतापूर्वक कार्य में असमर्थ होते हैं। ये दूसरों के सहारे चलते हैं तथा अनुकूल परिस्थितियों में ही कार्य कर सकते हैं।
अतः उपरोक्त श्रेणियों को जानने के बाद यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि जरण के साथ-साथ व्यक्ति का व्यवहार, सोच, कार्यक्षमता का प्रभाव भी वृद्धावस्था को प्रभावित कर सकता है। ऐसे व्यक्ति जिन्हें वृद्ध होने का भय रहता है वे साधारणतया इस अवधि के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं।
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- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
- प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
- प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
- प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
- प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
- प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
- प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
- प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
- प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
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- प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
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- प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
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- प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
- प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।