बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 भूगोल बीए सेमेस्टर-3 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 भूगोल सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 5
जैव विविधता एवं इसका संरक्षण
(Bio-diversity and its Conservation)
प्रश्न- जैव-विविधता से आप क्या समझते हैं? पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता में इसके योगदान की विवेचना कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय जैव विविधता नीति का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर -
जैव-विविधता
(Biodiversity)
जैव विविधता उस पारिस्थितिक तंत्र के सभी पौधों और जन्तुओं की जातियों और उनके आनुवंशिक पदार्थों को जिनका वे भाग हैं, शामिल करती हैं।
जैव विविधता एक पारिस्थितिक विशेषता है जो कि किसी विशेष पारिस्थिति में प्राकृतिक और सामाजिक तंत्र के बीच एक सम्बन्ध है। जैव विविधता प्राकृतिक तंत्र में भिन्न आनुवंशिक विशेष समुदाय के बीच में एक सम्बन्ध स्थापित करता है। यह सम्बन्ध, जैव भौगोलिक इकाई, पारिस्थितिक तंत्रों के बीच भी हो सकता है। सामाजिक तंत्र प्राकृतिक तंत्रों से संवर्धन, तकनीक, आर्थिकी संगठन और ज्ञान आदि के द्वारा प्रतिक्रिया करता है।
आज जैव विविधता एक ब्रह्माण्ड का विषय बन गया है। पारिस्थितिक तंत्र बहुत बुरी तरह से प्रभावित है। कुछ जीन्स बीमारी से लड़ने के लिए खो दिये जाते हैं। ये भविष्य की जलवायु में परिवर्तन या नये पौधों के रोग या विषमता से कीटों की हानि हमारे लिए एक अन्तिम आपत्तिजनक सूचना है। वनस्पति वितरण के हिसाब से भूमध्य रेखा के प्रत्येक ओर चार क्षेत्र हैं। (1) आरटिक या एल्पाइन ( 2 ) शीतोष्ण (3) अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय (4) उष्ण कटिबन्धीय।
शीतोष्ण क्षेत्र में उच्च तापक्रम होने का कारण लगभग 20% क्षेत्रफल एल्पाइन क्षेत्र द्वारा घिरा है। अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में जहाँ पर्वत बर्फ से ढके रहते हैं वहाँ पर 10% क्षेत्र में आर्कटिक फ्लोरा को ढके रहते हैं।
हेनसेन ने पृथ्वी को सात उपसमूहों में बाँटा है -
1. भूमध्यरेखीय क्षेत्र - 0°-15°
2. उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र - 150°- 23°-30°
3. अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र - 23° 30-34°
4. गर्म शीतोष्ण क्षेत्र - 34°-45°
5. ठंडा शीतोष्ण - 45°-58°
6. अर्द्ध आर्टिक क्षेत्र - 58°-96, 30°
7. आर्टिक क्षेत्र - 66° 30°-62°
8. पोलर ध्रुवीय क्षेत्र प्राकृतिक - 62°-90°
गुड (1941) ने इसे फ्लोरिस्टिक क्षेत्रों या संरचनात्मक क्षेत्रों में बाँटा जो वनस्पति संघ इन क्षेत्रों में फैले हैं, 13 जातियों में बँटे हैं, यह एक दोष है कि सभी वनस्पति के आकार क्षेत्र के अनुसार हैं। आवृतबीजी पौधों का सबसे अच्छा आकार ( आँकड़ा) 2 लाख 50 हजार जातियाँ 300 फैमिली और 10,500 जेनेरा में हैं। अनावृतबीजी में 600 जातियों में 65 जेनेरा और फर्न में 1000 जातियाँ और 250 जेनेरा हैं। ब्रायोफाइट (लीवरवर्ट) 14,000-25,000 जातियाँ, लाइकेन 16,000-20,000 जातियाँ और शैवाल में लगभग 20,000-32,500 जातियाँ हैं।
ये आँकड़ा दिखाता है कि हमारे पौधों में अधिक पौधों की विषमता है। भारत के फूल वाले क्षेत्र- जलवायु की दशा जैसे पश्चिम में कम वर्षा वाले क्षेत्र, अधिक वर्षा वाले क्षेत्र उत्तर में, गर्म मरुस्थल, प्राचीन मरुस्थल क्षेत्र (लद्दाख), ठंडे और बर्फ से ढके क्षेत्र। इस अत्यधिक भिन्नता से फूलों की खेती में बड़ी विषमता पायी जाती है। चैम्पिअन और सेठ (1968) ने 16 बड़े जंगल दिखाये हैं। गुड (1947) ने फूलों के क्षेत्र का वर्गीकरण किया -
(1) आर्टिक या उपार्टिक
( 2 ) यूरोसाइबेरियन
(3) सायनोजापानीज
(4) पश्चिम और मध्य एशियाटिक
( 5 ) मेडीटेरिनन
(6) मैकरोनेसियन
( 7 ) अल्टेनिक उत्तरी अमेरिका
(8) पैसिफिक उत्तरी अमेरिका,
(9) सगानीज पार्क स्टीप
( 10 ) अफ्रीकन भारतीय मरुस्थल
( 11 ) उत्तरी पूर्व अफ्रीकन हाईलैण्ड
(12) पश्चिमी अफ्रीकन जंगल
( 13 ) दक्षिण अफ्रीकन ट्रासेक्सन
(14) पूर्वी अफ्रीकन जंगल
( 15 ) सेण्ट हेलेना
( 16 ) पूर्व अफ्रीकन प्लैड
( 17 ) भारतीय
( 18 ) महाद्वीपीय दक्षिण-पूर्वी एशियाटिक
( 19 ) मलाया
( 20 ) हवाई
( 21 ) नया कैनेडोनिया
( 22 ) मिलैनेशिया
(23) माइक्रोनेशिया
(24) पालीनेशिया
( 25 ) कैरीबेन
( 26 ) वेनेजुएला और गीनिया
( 27 ) ब्लैजीलियन
(28) एंडीन
(29) पम्पास
( 30 ) जान फर्नाडीस
( 31 ) उत्तर पूर्वी ऑस्ट्रेलियन
(32) न्यूजीलैंड
(33) पैटासोनियन
(34) दक्षिण शीतोष्ण
( 35 ) समुद्री द्वीप।
जंगलों का वर्गीकरण चैम्पियन और सेठ के अनुसार-
(1) उष्ण कटिबन्धीय नम सदाबहार जंगल अरुणाचल प्रदेश, आसाम, कर्नाटक, केरला, मणिपुर, नागालैण्ड, तमिलनाडु, अंडमान निकोबार द्वीप, गोआ।
(2) उष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध सदाबहार जंगल आसाम, गुजरात, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, नागालैण्ड, उड़ीसा, तमिलनाडु, गोआ।
(3) उष्ण कटिबन्धीय नम डेसीडुअस जंगल केरल, मध्य प्रदेश मणिपुर, मेघालय त्रिपुरा, नागालैण्ड, उड़ीसा, गोआ।
(4) लिप्टोरल और दलदली जंगल गुजरात, उड़ीसा, महाराष्ट्र, अंडमान निकोबार द्वीप समूह आदि।
(5) उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार जंगल आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब |
(6) उष्ण कटिबन्धीय शुष्क सदाबहार जंगल आन्ध्र प्रदेश।
(7) अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाले पहाड़ी जंगल आसाम, मेघालय, महाराष्ट्र, आदि।
(8) अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय एल्पाइन जंगल अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम |
(9) अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय शुष्क सदाबहार जंगल मिजोरम, जम्मू और कश्मीर, आदि।
(10) पर्वती नम जंगल - अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, नागालैण्ड, मनीपुर, कर्नाटक आदि।
(11) हिमालयन नम शीतोष्ण जंगल उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश।
(12) हिमालयन शुष्क शीतोष्ण जंगल हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर आदि।
( 13 ) अर्द्ध एल्पाइन जंगल हिमाचल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, नागालैण्ड,
(14) नम अर्द्ध एल्पाइन जंगल आन्ध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश।
(15) शुष्क एल्पाइन स्क्रब जंगल जम्मू और कश्मीर। ये जंगल दस जीव भौगोलिक क्षेत्रों में अदवराय द्वारा (1975) बाँटे गये हैं। राय (1994) ने रोडर और पनवार" का अनुसरण किया और 1988 में उसने भारत में 12 जैव भौगोलिक क्षेत्रों को देखा
(1) मध्य हिमालय
( 2 ) पश्चिम हिमालय
( 3 ) पूर्वी हिमालय
(4) उत्तर पूर्वी भारत
( 5 ) भारतीय 'थार मरुस्थल'
(6) अर्द्ध मरुस्थल क्षेत्र
(7) गंगा का क्षेत्र
(8) पश्चिमी घाट
(9) डीकन पेनी सूला
(10) भारतीय छोर (पूर्व और पश्चिम )
( 11 ) अंडमान निकोबार द्वीप समूह
(12) लक्षद्वीप समूह।
प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विषमता है। वनस्पति के हिसाब से भारतीय भूमि को निम्न भागों में बाँटा गया है-
(1) उत्तर पश्चिमी हिमालय
(2) पूर्वी पश्चिमी हिमालय
( 3 ) पश्चिमी शुष्क क्षेत्र
(4) गंगा का मैदान
(5) पूर्वी भारत
(6) डीकन प्लेटल
(7) पश्चिमी घाट
( 8 ) पूर्वी घाट
(9) अंडमान निकोबार द्वीप |
भारत में - आवृतबीजी 2/5 कुल इनके द्वारा 40 कुल बने हैं।
जिम्नोस्पर्म-------------64
टेरिडोफाइट--------------1022
ब्रायोफाइट--------------2584
लाइकेन------------------1600
कवक---------------------23000
शैवाल--------------------2500
जीवाणु-----------------850
प्रभावी आवृतबीजी कुल (भारत में)
क्रम सं. |
कुल | वंश | जाति |
1. | बेकासेया | 225 | 255 |
2. | आर्किक्लेसिया | 145 | 990 |
3. | फैबासेया | 123 | 775 |
4. | एस्टेरासेया | 161 | 764 |
5. | रूबेसिया | 90 | 495 |
6. | साइपेरेसेआइ | 24 | 449 |
7. | यूकोर्बिअसी | 74 | 419 |
8. | लेबिएटी | 69 | 393 |
9. | एकान्थेसी | 84 | 379 |
10. | स्क्रोफलुरेसी | 66 | 356 |
कुछ तीस कुल में सौ से अधिक जातियाँ होती हैं। पौधों की रईसता (अधिकता) में गुण बढ़ जाने के कारण भारत "फूलों का झूला" या "फूलों का पालना" माना गया है। एक प्रसिद्ध रसियन वर्गीकरण वैज्ञानिक 'तख्तोजन' ने प्रारम्भिक आवृतबीजी समूहों के कारण उसने भारत को "फूलों का पालना" माना
है।
प्रारम्भिक आवृतबीजी
मैगनोलिया (मैगनोलियेसी) मुक्त बाह्यदल, दल, पुंकेसर,
मिचेलिया (चम्पा) Tetracentron (Tetra cenvaleae)
एनोना (एनोनासी)
मिरिस्टिको सी (मिरिस्ट केसी) मिरिस्तिका इने मोमम तमला पत्ती (तेजपत्ता)
लारेसी बार्क (दालदीनी) क्लोरेनटेसी
धातु ग्रहण करने वाली जातियाँ
सिर्रेटोफ्लोरेसी, क्लोरोफिलोरेसी, अमारेन्थेसी, फाइटोलिकेसी, भोजन, चारा ईधन, रेशे, लकड़ी, गोंद, लिगिन, रंजक और जीव रसायन उद्देश्य की जातियाँ जो कि गुड वुड तारकोल, और बहुत सी जंगली जातियाँ अनेक धातु उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत रोडोडेन्ड्रान और जिजीवस के मामले में काफी रईस है।
फूलों के लिए आपत्तिजनक सूचना का कारण
(a) प्राकृतिक कारण मानव द्वारा उत्पन्न कारण प्राकृतिक कारण बाढ़, ज्वालामुखी, जमीन का खिसकना, रोग, कीट (खरपतवार का बढ़ना) आदि।
(1) मानव द्वारा निर्मित कारण
(1) कृषि का विस्तार,
(2) लकड़ी के लिए वृक्ष लगाना,
(3) जंगल की आग,
(4) जंगली उत्पादों का पशुओं द्वारा चरना,
(5) जंगल के उत्पादों का शोषण,
(6) औद्योगीकरण का बढ़ना,
(7) ईधन की खपत,
(8) झूम की खेती।
लगभग 50% भारत की जनसंख्या लकड़ी को ईंधन के रूप में प्रयोग करती है। लगभग 18%लकड़ी का उत्पादन टिम्बर उद्योग के लिए होता है। आज ईधन की खपत 131135 मिलियन टन गाँवो में और 23 मिलियन टन शहर में है जो कि प्राकृतिक जंगलों से मिलता है।
(a) जंगलों में चरना -
(a) अत्यधिक वृक्षों का कटना
(b) कम वृद्धि। ये अनुमान लगाया गया है कि 83% जंगल की भूमि 90 मिलियन जन्तुओं द्वारा चरने से साफ होती है।
(b) जंगल की आग - ये प्राकृतिक वनस्पति के लिए बड़ा चिन्ताजनक विषय है, यदि एक बार ये आग पकड़ ले तो ये मीलों तक फैलती जाती है।
(c) चयनित- पृथक्करण और जातियों का शोषण कुछ पौधों के समूहों का पृथक्करण और उनका शोषण डायोसकोरा, डायोकोरा, डेल्टोडीकेस समूहों को नष्ट करने की आपत्तिजनक सूचना दे रहे. हैं। इस कारण लगभग ये समूह गायब होते दिख रहे हैं। नीचे दिये हुये पेड़-पौधे गायब हो रहे हैं क्योंकि ये निर्दयतापूर्वक हटाये जा रहे हैं।
( 1 ) पोडो फाइलम हेक्साडम
(2) पैनेक्स
(3) सीडोफाइलम
(4) स्टरकुलिया
(5) कत्था (एकेसिया कन्टेचू )
(6) थाइसैनोलेना मैक्सिमा
( 7 ) वेटीवेरिया
(8) नेपेन्थीज।
(d) विकास कार्यक्रम - इस प्रकार की प्रक्रिया जैसे शहरी क्षेत्रों की वृद्धि, बाँधों का निर्माण, पहाड़ों पर रस्सों की इमारतें, फैक्टरी, सुरंगों का खोदना, होटल, बिल्डिंग आदि इन सभी कार्यक्रमों के कारण भी वनस्पति खतरे में है। वनस्पतियों की कमी का डर भिन्न सूचियों में बताया है।
(1) दुर्लभ - ये एक विशेष भौगोलिक क्षेत्रों या स्वभाव या बहुत विस्तृत क्षेत्र में फैले रहते हैं इनकी जनसंख्या घटती जा रही है इसलिए इनकी सुरक्षा की जरूरत है। जैसे:- एकोनाइटम कैल्चिकमलुटेयम, कैरम आर्किडस फेरुला, पोडोफाइलम, हेक्साड्रम।
(2) भेद्यज्ञ या घाव पहुँचाने वाला - ये उस समूह से सम्बन्धित है जहाँ जनसंख्या बहुत अधिक लेकिन वातावरणीय हलचल, विनाश के कारण लगातार घट रही है। ये जातियाँ अगली सूची तक पहुँचने में आपत्तिजनक हैं। जैसे आगे के भविष्य में खतरा है यदि ये कारक न हटाये गये। उदाहरण: मैसाफेरा ( दवाई में प्रयोग दवा ) थैसुरा लेपा, आर्कीसलेटिफैलिया (स्वास्थ्य टानिक) उंगली की तरह जड़ें स्कीलेहिआ चियरा (एडकेलयिड)।
खतरे में डालना - बहुत सी जातियों का वितरण और उनकी प्राप्ति का पहुँचना एक प्रामाणिक सीमा पर है। ये पौधे नाश करने के खतरे में हैं जब तक इस क्षेत्र में कारकों को हटाया न जाये ये विशेष संरक्षण प्रयत्नों की मांग करते हैं जैसे कार्पाटस टीटा, इफेड्रिव नेफेन्थीज, नैप्डोस्टैकस ग्रान्डी फ्लोरा ( जटामासी)।
अप्रचलित - कुछ वनस्पतियाँ एक साथ लुप्त होती दिखाई दे रही हैं क्योंकि ये एक विशेष क्षेत्र में देखा गया है, जैसे घास, वर पुरपुसिला। ये अनुमान लगाया गया है कि लगभग 10% फूलों का अस्तित्व आपत्ति में है। एक आँकड़े के अनुसार कम से कम एक जाति उष्ण कटिबन्धीय जंगल से गायब हो रही है। निष्कर्ष बताता है कि पौधों के आनुवंशिक संसाधनों की सीमा को स्थापित करना चाहिये।
IBPGR और UNESCO ने MAB (मानव और उसका जीवमंडल) की नीव डाली है। भारत `में ICAR के अन्तर्गत नेशनल ब्यूरो आफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज की नीव दिल्ली में डाली गयी है। जैवविषमता का संरक्षण आज की सबसे बड़ी चुनौती है। ये वानस्पतिक बगीचों जीवमंडल और मीटिंग द्वारा संरक्षित की जा सकती है। भारत में दोनों संरक्षण की विधियों को गंभीरता से लिया गया है। अन्तःस्थिति और बाह्य स्थिति दोनों ही विधियाँ जारी हैं। भारत के प्रधानमंत्री ने भारत में जंगली जीवन को संरक्षित करने के लिए एक योजना बनायी है जो कि राष्ट्रीय पार्क, जीवमंडल जीन शरण स्थल और दूसरी जगहों को संरक्षित करता है।
संरक्षित (सुरक्षित क्षेत्र) 1983, 44MP, 207 जल-स्थल शरण स्थल लगभग 88,000 स्क्वायर किमी० को घेरते हैं और जो भारत में अधिक भाग को प्रदर्शित करते हैं। सुरक्षित क्षेत्रफल देश का 2.6% और कुल जंगल क्षेत्रफल का 11.7% भाग दिखाता है। महत्वपूर्ण जीव सैक्चुरी ( नीबू) के लिए, रोडोडेन्टान के लिए नेपेन्थीज, आर्किड और मुसा रफली, 188 संरक्षण प्लाट 166 प्राकृतिक जंगल और 22 जंगल की वनस्पति 1975 में संरक्षित की गयी है।
जीव मंडल संरक्षण - सबसे पहली स्थितिज क्षेत्र में जीवमंडल को सुरक्षित किया गया, तब ये अनुरोध किया गया कि प्रथम मुख्यता वाले क्षेत्र में 14 जीवभौगोलिक क्षेत्र तथा द्वितीय प्रधानता वाले क्षेत्र में 5 जीव भौगोलिक क्षेत्र होने चाहिये। हमारी प्रोग्राम कमेटी विज्ञान के विभाग, तकनीकी और वातावरण के अन्तर्गत ही 12 जगह पोटेलसियल जीवमंडल आरक्षण के रूप में प्रस्तावित की गयी है, वे निम्न हैं-
1. मनार का गल्फ - ट्रान्सपोर्ट नगर
2. कान्हा - मध्य प्रदेश
3. काजिरंगा - आसाम
4. मनास - आसाम
5. नामदफा - आन्ध्र प्रदेश
6. उत्तराखंड - उत्तर प्रदेश
7. नन्दादेवी - उत्तराखण्ड
8. नीलगिरि - केरला, कर्नाटक
9. मोकरेक टुरा - मेघालय
10. उत्तरी द्वीप - अंडमान
11. सुन्दरवन - प. बंगाल
12. थार मरुस्थल - राजस्थान
ये आशा की जाती है कि ये जीवमंडल वैज्ञानिक व्यवस्था के द्वारा संरक्षित हैं और ये विश्व संरक्षण वैज्ञानिकों द्वारा सुगम बनाये रखे हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय पौधों की आनुवंशिक संस्था - ये कुल मिलाकर 16 केन्द्र हैं जो अपने बड़े संस्थाओं में रोम में स्थित हैं। (CGAIAR) कान्सन्ट्रेटिव ग्रोथ आन इण्टरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च। ये (IPGRI) मिशन संरक्षण और पौधों को आनुवंशिक संसाधनों की प्रक्रिया को सहारा करके प्रोत्साहित करने, और शक्ति देने का कार्य करता है।
IPGRI विकासशील देशों की जरूरतों पर जोर देती है इसीलिए ये चार सबसे अधिक भौगोलिक क्षेत्रों को नियंत्रित करता है (1) सब सहारन अफ्रीका (2) अमेरिकन (3) यूरोप (4) पश्चिमी एशिया उत्तरी अफ्रीका | IPGRI इस उददेश्य के लिए मानव विन्यासित है जैसे ही हम R और D प्रक्रिया को बढ़ाते हैं खेतों और संरक्षण में सामाजिक, सांस्कृतिक और जेन्डर कारक और स्थानीय संस्था और मूल्य तंत्र गणना में लिये जाते हैं। भारत कृषि पर अधिक आधारित है इसीलिए एग्रो- पारिस्थितिक तंत्र में वानस्पतिक आनुवंशिक संसाधनों का उपयोग आवश्यक है। आनुवंशिक संसाधन संरक्षण और विकास तथा लोगों को अच्छा ज्ञान अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक होना चाहिए।
अति-परिस्थितियों के संरक्षण की विधि ये बीज और पराग बैंक की स्थापना से सम्बन्धित है,
सैम्पल (नमूना) की वृद्धि और उन्हें पुनः उत्पन्न करने में आनुवंशिक संसाधन स्टेशन, में कुछ पौधों को घरेलू रूप में लगाना जिनमें से प्रत्येक (वनस्पति गोर्डेन संवर्धन) को दिखाता है, प्रदर्शित करता है।
(1) सीड-बैंक इस प्रकार की सुविधा दिल्ली में (NBPGR) नेशनल ब्यूरो प्लान्ट जेनेटिक रिसर्च में अधिक है इसमें 200 हजार (180°C) और मध्यम से कम है
(2) पालेन - संग्रह इसमें पालेन वायबिलिटी की एक निश्चित भूमिका है, ये बहुत कम समय के लिए और इसके लिए उचित उपकरण और व्यवस्था की जरूरत है।
(3) संग्रह आनुवंशिक संसाधन स्टेशन हैं MBPGR और दूसरे आनुवंशिक विषमता का संग्रह कृषि जैसे- चावल, मक्का, जौ, सेम, सोयाबीन, फेंचबीन उड़दबीन, और दूसरे खाद्य पदार्थों के रूप में करते हैं। जंगली जातियाँ भारत में पायी जाती हैं भिन्न संस्था में जर्मप्लाज्म का संग्रह पुनः जीवित करके खरीफ और रबी की फसल को संरक्षित करता है। MBPGR और क्षेत्रीय स्टेशन में अनेक गेहूँ, चावल और मक्का की फसलें और अनाज, मिलेट आदि की महत्वपूर्ण फसलें हैं।
सेन्ट्रल क्राप रिसर्च इन्स्टीट्यूट ऐट कैसरगढ़ (केरला)
ये संस्था नारियलं, कत्था, खजूर, सुपारी और तेल के संरक्षण और उनके मूल्य को बढ़ाने में विशेष है।
(4) ऊतक संवर्धन - आर्थिक और रखरखाव का खर्चा रोगों को हटाता है। इसलिए इस कारण ऊतक बैंकों की क्षमता सम्भालकर रखी जाती है खतरे वाली जातियाँ आनुवंशिकी के द्वारा सुरक्षित की जाती हैं ये अधिकतर फ्रील द्वारा किया जाता है।
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- प्रश्न- पर्यावरण के कौन-कौन से घटक हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण की परिभाषायें बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण के विषय क्षेत्र को बताइए तथा इसके सम्बंध में विभिन्न पहलुओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं? स्पष्टतया समझाइए।
- प्रश्न- पर्यावरण भूगोल के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के संघटकों को समझाइए।
- प्रश्न- पर्यावरण के जैविक तत्वों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी की मूलभूत संकल्पनाओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकीय असंतुलन के कारणों का परीक्षण कीजिए एवं उसे दूर करने के उपायों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक संतुलन की सुरक्षा हेतु कारगर योजना नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी क्या है?
- प्रश्न- पारिस्थितिकी की परिभाषायें बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी के उद्देश्यों को बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी समस्याओं के कारकों को बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिक सन्तुलन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जैविक संघटक के आधार पर पारिस्थितिकी का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पारस्थितिकी विकास में भौगोलिक क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वपारिस्थितिकी किसे कहते हैं?
- प्रश्न- समुदाय पारिस्थितिक क्या है? इसके उपविभाग को समझाइए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक असन्तुलन एवं संरक्षण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक अध्ययनों के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानव पारिस्थितिकी क्या है?
- प्रश्न- ग्रिफिथ टेलर का योगदान क्या है?
- प्रश्न- पारिस्थितिकी तंत्र की संकल्पना, अवयव एवं कार्यप्रणाली की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- पारितंत्र की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- निवास्य क्षेत्र के आधार पर पारिस्थितिक तंत्र का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र के संघटकों को बताइए।
- प्रश्न- मनुष्य पारिस्थितिक तंत्र में अस्थिरता उत्पन्न करता है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकीय दक्षता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण कैसे निहित है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के सन्दर्भ में पारम्परिक ज्ञान से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदा "भूकम्प" की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पारम्परिक ज्ञान क्या है एवं इसके प्रमुख लक्षण बताइए।
- प्रश्न- "प्रकृति को बचाएँ, प्राकृतिक जीवन शैली अपनाएँ।" इस वाक्य पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय पारम्परिक ज्ञान एवं पर्यावरण संरक्षण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारम्परिक ज्ञान को परिभाषित करते हुए उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैव-विविधता से आप क्या समझते हैं? पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता में इसके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता संरक्षण हेतु भारत के राष्ट्रीय पार्कों तथा अभ्यारण्यों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पादप संरक्षण से आप क्या समझते हैं? विभिन्न संकटग्रस्त पादपों के संरक्षण के लिए किये गये विभिन्न उपायों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैव-विविधता के विलोपन (ह्रास) के मुख्य कारण क्या हैं? उनका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के संरक्षण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? पर्यावरण संतुलन में इसकी क्या भूमिका है?
- प्रश्न- जैव विविधता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के विभिन्न स्तरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता में ह्रास के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता संरक्षण के उपाय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "वनोन्मूलन वातावरण का एक कारक है।' भारत के सन्दर्भ में इसकी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतवर्ष में वातावरण का विनाश किन-किन क्षेत्रों में सर्वाधिक हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वन विनाश का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वनोन्मूलन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वनों के महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय वन व्यवसाय की समस्यायें बताइए।
- प्रश्न- भारत में वन संरक्षण नीति क्या है?
- प्रश्न- वन संरक्षण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत में वन संरक्षण नीतियों को समझाइए।
- प्रश्न- वन संरक्षण क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- वनों के विकास के कारक बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण के सुधार में वनीकरण की भूमिका क्या है?
- प्रश्न- चिपको आन्दोलन को समझाइए।
- प्रश्न- वन विनाश की समस्या पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मिट्टी के कटाव के प्रमुख प्रकार बताइये, मिट्टी के कटाव के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए तथा इसके निस्तारण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मृदा अपरदन से उत्पन्न पर्यावरणीय समस्याएँ क्या हैं? मृदा अपरदन को रोकने के क्या उपाय हैं?
- प्रश्न- मृदा अपरदन से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- मृदा क्षय और मृदा अपरदन रोकने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मिट्टी अपरदन के कारण क्या हैं? बताइये।
- प्रश्न- मृदा अपरदन में मुख्य रूप से कौन प्रक्रियायें सम्मिलित होती हैं? बताइये।
- प्रश्न- मृदा की अपरदनशीलता से क्या तात्पर्य है? मिट्टियों की अपरदनशीलता किन कारकों पर आधारित होती हैं? बताइये।
- प्रश्न- FAO के अनुसार कौन से कारक मृदा अपरदन को प्रभावित करते हैं बताइये?
- प्रश्न- मृदा संरक्षण के संदर्भ में विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मिट्टी की थकावट क्या है?
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण के प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- मरुस्थलीय प्रक्रिया के प्रमुख रूपों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण नियंत्रण के उपायों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थल कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- भारत के भेद में मरुस्थलीकरण के निरन्तर विस्तार को समझाइये |
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण भारत की मुख्य समस्या है। प्रदूषण समस्या की समीक्षा निम्नलिखित संदर्भ में कीजिए (i) वायु प्रदूषण (ii) जल प्रदूषण।
- प्रश्न- जल प्रदूषण की परिभाषा दीजिए। जल प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों का वर्णन करते हुए नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- जल संरक्षण एवं प्रबन्धन के महत्व की विवेचना करते हुए जल संरक्षण एवं प्रबन्धन की प्रमुख विधियों का विवरण लिखिए।
- प्रश्न- प्रदूषण किसे कहते हैं? वायु प्रदूषण के कारण एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट से क्या आशय है? ठोस अपशिष्ट के कारणों तथा प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण के सामान्य कारणों को बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण संतुलन से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषक क्या है? इनके प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण क्या है?
- प्रश्न- वायु प्रदूषण की परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- वायु प्रदूषकों के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में वायु प्रदूषण की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण का पर्यावरण में प्रभाव को बताइए, तथा विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण रोकने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण की प्रकृति को बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- गंगा प्रदूषण पर निबंध लिखिए या गंगा प्रदूषण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किन प्रमुख स्रोतों से गंगा का जल प्रदूषित हो जाता है कारण बताइए।
- प्रश्न- गंगा जल प्रदूषण को रोकने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण के प्रभावों को बताइए तथा इन कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ध्वनि प्रदूषण के कारण एवं नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मृदा प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- मृदा की गुणवत्ता में हास या अवनयन किन-किन कारणों से होता है, बताइए?
- प्रश्न- मृदा प्रदूषण के कारकों को बताइए तथा मिट्टी प्रदूषकों के नाम बताइए।
- प्रश्न- मिट्टी प्रदूषण के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- मिट्टी प्रदूषण के कुप्रभाव बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्टों के घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट प्रदूषण की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट के स्रोत बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट के प्रकार बताइये तथा प्रत्येक की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्टों का प्रदूषण में क्या योगदान है विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट पदार्थों के निपटान के बारे में सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ध्वनि प्रदूषक क्या हैं?
- प्रश्न- प्रदूषित पेयजल जनित रोग बताइए?
- प्रश्न- "पर्यावरण प्रदूषण एक अभिशाप है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जल संरक्षण की विधियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट क्या है?
- प्रश्न- गंगा एक्शन प्लान (GAP) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी उच्च बाँध परियोजना के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- टाइगर प्रोजेक्ट के विशेष सन्दर्भ में वन्य जीवन परिसंरक्षण की सार्थकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की बाघ परियोजना का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- नर्मदा घाटी परियोजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नर्मदा घाटी से सम्बन्धित पर्यावरणीय चिन्ताएँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गंगा एक्शन प्लान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी बाँध परियोजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी बाँध परियोजना के क्या उद्देश्य थे?
- प्रश्न- भारत में कितने टाइगर अभयारण्य हैं?
- प्रश्न- भारत में टाइगर प्रोजेक्ट योजना का निर्माण क्यों आवश्यक था?
- प्रश्न- गंगा कार्य योजना (गंगा एक्शन प्लान) के संस्थागत पहल के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन को समझना क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग क्या है? इसके मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक उष्णता से आप क्या समझते हैं? इसके कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हरित गृह प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हरित गैस के प्रमुख स्रोत बताइए।
- प्रश्न- हरित गृह द्वारा कौन-कौन सी समस्यायें उत्पन्न होती हैं? समझाइए।
- प्रश्न- हरित गृह प्रभाव की रोकथाम को बताइए।
- प्रश्न- ओजोन क्षरण से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ओजोन परत क्षरण के कारण लिखिए।
- प्रश्न- भूमण्डलीय ताप वृद्धि के प्रभाव क्या है?
- प्रश्न- प्रमुख भूमण्डलीय समस्याओं को बताइये।
- प्रश्न- भूमण्डलीय तापन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन (रियो सम्मेलन) के प्रमुख मुद्दों को बताइए।
- प्रश्न- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन के मुद्दों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक ताप वृद्धि के निवारक उपाय बताइए।
- प्रश्न- भारतीय पर्यावरण विधियों (अधिनियमों) की कमियाँ बताइये।
- प्रश्न- भारत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक जलवायु आकलन आई.पी.सी.सी. पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आई.पी.सी.सी. की मूल्यांकन रिपोर्ट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल की व्याख्या कीजिए एवं आई.पी.सी.सी. की आकलन रिपोर्ट बताइए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन क्या है एवं इसके कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन के संभावित वैश्विक प्रभाव को बताइए।
- प्रश्न- एशियाई क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का वर्णन एवं इसके मिशन को भी बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सौर मिशन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सुस्थित निवास पर राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जल मिशन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य क्या है .
- प्रश्न- सुस्थिर कृषि पर राष्ट्रीय मिशन की व्याख्या करें।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीति ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "जलवायु परिवर्तन एवं भारतीय स्थिति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में भारत और अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकार के प्रस्ताव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु हितैषी उपायों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर निगरानी रखने से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनुसंधान क्षमता और संस्थागत आधारभूत संरचना का निर्माण जलवायु परिवर्तन के लिये क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर शैक्षिक ढाँचा क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप से क्या आशय है? प्राकृतिक एवं मानव जनित प्रकोपों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप तथा विनाश का अर्थ एवं परिभाषा को बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रकोप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानव जनित प्रकोप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रकोप के प्रति सामाजिक प्रतिक्रिया की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रकोपों तथा आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए प्रबंधन के अन्तर्गत किन- किन पक्षों को सम्मिलित किया जाता है।
- प्रश्न- Idndr के तहत प्रकोप नयूनीकरण कार्यक्रम के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- सूखा प्रकोप से आप क्या समझते हैं? सूखा प्रकोप के प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- सूखा नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- बाढ़ प्रकोप से आप क्या समझते हैं? बाढ़ के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाढ़ नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भूकम्प प्रकोप का सामान्य परिचय देते हुए उनके प्रभावों को बताइए।
- प्रश्न- भारत के जोखिमकारी अवशिष्टों का प्रबन्धन क्यों आवश्यक है एवं देश में जोखिमकारी अवशिष्टों को पर्यावरणीय अनुकूलन की दृष्टि से प्रबन्धित करने हेतु विभिन्न हस्तक्षेपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से जैव विविधता के सामने प्रस्तुत खतरे और समाधान को बताइए।
- प्रश्न- "आक्रामक विजातिय प्रजातियों से नियंत्रित होने का खतरा बना रहता है। कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जोखिमकारी अवशिष्टों के उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- अवशिष्टों की उत्पत्ति पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है?
- प्रश्न- "पुनर्उपयोग, पुनः प्राप्त करना पुनर्चक्रणीय जोखिमकारी अवशिष्ट" की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जोखिमकारी नियामक ढाँचे से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- 'अधिवास के नुकसान से दबाव, अवमूल्यन में कमी से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय वानिकी और पारिस्थितिकीय विकास बोर्ड के कार्य बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार एवं आपदा प्रबन्धन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कृषि व सिंचाई की दृष्टि से जल की उपलब्धता व सूखे का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूखा-प्रणत क्षेत्र कार्यक्रम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपदा के समय क्या करना एवं क्या न करना चाहिए?
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाएँ एवं प्रबन्धन के विषय में बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाओं से अत्यधिक प्रभावित राज्य कौन से हैं?
- प्रश्न- सूखा अथवा अनावृष्टि को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- जल की उपलब्धता पर सूखे के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुनामी आपदा क्या है? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तटों पर सुनामी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 26 दिसम्बर 2004 का सुनामी आपदा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुनामी द्वारा लाये गये परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 2013 की अनावृष्टि (सूखा) का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमाणु आपदा का विवरण दीजिए। इससे होने वाले विनाशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक आपदा क्या है? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- किसी आपात या रासायनिक आपात स्थिति के दौरान क्या करना चाहिए?
- प्रश्न- नाभिकीय / रेडियोधर्मी प्रदूषण को रोकने के उपाय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भू-स्खलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।