बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
वणिकवाद के जन्म देने वाली परिस्थितियों को बताइये।
उत्तर -
कीन्स के अनुसार कोई भी लेखक अपने आपको पूर्ण रूप से अपने युग और देश की परिस्थितियों के प्रभावों से मुक्त नहीं कर सकता और न ही यह वांछनीय है कि वह ऐसा करें। अतः भूतकाल में प्रतिपादित किये गये सिद्धान्तों को उस समय तक न तो भली प्रकार समझा ही जा सकता है और न उसकी उपयुक्तता भली-भाँति जाँची जा सकती है जब तक उन तात्कालिक घटनाओं को ध्यान में न रखा जाय जिन्होंने व्यक्तियों की दृष्टि को आकर्षित किया था और उनके विचारों को प्रभावित किया था।
वणिकवादियों के सिद्धान्तों को समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम पहले उन सामाजिक, राजनीतिक, कृषि और विज्ञान सम्बन्धी परिस्थितियों को समझ लें जो यूरोप में 13वीं और 14वीं शताब्दियों में हो रहे थे।
1. आर्थिक कारक (Economic Factors) - 15वीं शताब्दी के अन्त में समाज के आर्थिक ढाँचे में काफी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे थे। घरेलू अर्थव्यवस्था के स्थान पर विनिमय अर्थव्यवस्था की स्थापना हो रही थी। कृषि के स्थान पर निर्माण उद्योगों का जोर बढ़ता जा रहा था। उस समय विनिमय का क्षेत्र विस्तृत हो रहा था और आन्तरिक एवं विदेशी विनिमय तेजी से बढ़ रहा था। मुद्रा के उपयोग में भी दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही थी। कृषि उत्पादन की सामान्तवादी जड़ खोखली होती जा रही थी जिसके परिणामस्वरूप सामन्तवादियों की व्यक्तिगत अर्थव्यवस्था को बहुत आघात पहुँचा था। उनकी आय कम हो गयी थी और उनको व्यापार तथा निर्माण उद्योगों में भाग लेने के लिए विवश होना पड़ा था। स्थानीय एकाधिकार और गिल्ड प्रणाली भी छिन्न-भिन्न हो गयी थी।
अर्थव्यवस्था में निर्माण उद्योगों का महत्त्व बढ़ जाने के कारण नये वर्ग अर्थात् श्रमिक वर्ग को जन्म मिला था। इस वर्ग की भी अपनी समस्याएँ थीं। औद्योगिक उत्पादन का आकार अब अधिकतर उपयोगिता के आधार पर निश्चित किया जाने लगा था। ऐसे वातावरण में विशेषज्ञों की अधिकाधिक आवश्यकता अनुभव होने लगी थी। विनिमय तथा व्यापार क्षेत्रों में प्रगति के कारण मुद्रा की आवश्यकता भी बढ़ गयी थी और उसकी पूर्ति नये संसार के अवतार के फलस्वरूप स्वर्ण और चाँदी के प्राप्त होने से भली-भाँति हो गयी थी। मूल्य बढ़ते जा रहे थे। जिसके कारण सरकारों तथा श्रमिकों की आवश्यकताएँ इस सीमा तक बढ़ गयी थी कि उनको आय प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक करारोपण का सहारा लेना पड़ा। निःसन्देह ही उद्योगों एवं वाणिज्य की प्रगति ने सरकार को इस दिशा मे बड़ी सहायता प्रदान की थी। इन्हीं सब बातों के कारण मुद्रा का महत्त्व और भी अधिक हो गया था। इन्हीं परिवर्तनों के साथ-साथ जनसंख्या में भी वृद्धि हुई। परिवहन के सस्ते साधन भी उपलब्ध हुए और कृषि की उन्नत विधियों का भी उपयोग हुआ। वणिकवादी विचारधारा अधिकांशतया इन्हीं सब परिवर्तनों का परिणाम थी।
2. राजनीतिक कारक (Political Factors) - राजनीति के क्षेत्र में सर्वप्रथम सामन्तवाद का स्थान राष्ट्रवाद ने ले लिया और उसके बाद निरंकुश साम्राज्य की स्थापना हुई। सामन्तवाद एक कमजोर केन्द्रीय सरकार की आवश्यकता है। जबकि कृषि प्रधान सभ्यता एक ऐसी स्थिति है जिसमें सैनिक कार्यकलापों का असाधारण महत्त्व होता है। क्षेत्रों तथा व्यक्तियों का आर्थिक विशिष्टीकरण जो मुद्रा प्रधान है, अपेक्षाकृत कम ही होता है। परिणामतः मध्यकालीन युग में सैनिकों एवं पादरियों का बोलबाला था और निर्धनता अपनी चरम सीमा पर थी। बोनर के अनुसार, “आधुनिक राजनीतिक अर्थव्यवस्था का उदय करारोपण के आरम्भ के साथ हुआ, जो राज्य के निर्वाह का एक साधन था और करारोपण निरंकुश साम्राज्य की स्थापना के साथ आरम्भ हुआ था।" विचारों के इन परिवर्तनों ने दो समस्याओं को जन्म दिया था। राष्ट्रीय स्तर पर स्थानीय इकाइयाँ और केन्द्रीय सरकार की अर्थव्यवस्था एक-दूसरे से टकरा रही थी, जिसके कारण वणिकवाद लेखकों ने जीवन में मुद्रा, आर्थिक प्रयत्नों तथा मितव्ययता के महत्त्व को दर्शाया क्योंकि कैथोलिकवाद का उद्देश्य था कि मनुष्य को सभी भौतिक वस्तुओं से दूर रहना चाहिए। प्रोटेस्टेण्टवाद में व्यक्तिगत और वैयक्तिक स्वतन्त्रता के विचार निहित थे। इसका परिणाम यह हुआ कि यूरोप में राजा और व्यापारी वर्ग ने प्रोटेस्टेण्ट धर्म अपनाया और रोमन चर्च से नाता तोड़कर अपने अलग चर्च स्थापित किये। रोम चर्च के सत्ता की जड़ें खोखली हो गयी और राजा का प्रतिद्वन्द्विता नष्ट हो गयी। यह एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन था। मध्यकालीन युग में चर्च सबसे बड़ा भू-स्वामी था किन्तु राजा को आय या तो सामन्तवादियों स्वामियों से प्राप्त होती है या अपनी रियासतों से। अब राजा ने कर लगाना आरम्भ कर दिया था और वेतनभोगी सैनिक नियुक्त किये थे। इसके अतिरिक्त वाणिज्य तथा व्यापार से प्राप्त होने वाली आय केवल राजा को ही मिलती थी और उसके प्रतिद्वन्द्वियों को इससे कोई लाभ नहीं होता था। इन सब धार्मिक परिवर्तनों के कारण भी वणिकवादी विचारधारा का प्रादुर्भाव हुआ।
3. सांस्कृतिक परिवर्तन (Changes in Cultural Aspects) - सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी यूरोप में तेजी से परिवर्तन हो रहे थे। कला-कौशल तथा विद्या सम्बन्धी जागृति ने भी व्यक्तियों को नयी रोशनी तथा नयी जानकारी प्रदान की थी। मध्यकालीन युग के धार्मिक उपदेशों का सार था कि मनुष्यों को सांसारिक दुःख के लिए चिन्तित नहीं होना चाहिए क्योंकि इनकी क्षतिपूर्ति तो स्वर्गिक आनन्दों से हो जायेगी। परन्तु कला-कौशल सम्बन्धी जागृति और यूरोप के धार्मिक विप्लव ने लोगों को इस बात की जानकारी करायी थी कि मनुष्य का जीवन स्वर्ग के जीवन की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है। कलाकारों, दार्शनिकों और विचारकों ने इन नये विचारों को अनन्त जीवन प्रदान करने की चेष्टा की। इरेसमस बैकन और रेबलेस जैसे दार्शनिक, लियोनार्डो द विंसी और माइकल ऐजिलो जैसे कलाकार 'अपने-अपने क्षेत्र में मार्गदर्शन कर रहे थे। टामस मोरे ने 'Utopia' में एक आदर्श समाज का चित्रण किया था। परिणामतः मुद्रा की स्थिति और निरंकुश साम्राज्य की स्थापना पर बल दिया था। उस युग के विचारों का स्पष्ट वर्णन हमें मैकियावेली की पुस्तक 'The Prince' जीन बोडिन की पुस्तक 'Six Livres de la Republic' में मिलता है। इन लेखकों ने इस बात को भली प्रकार समझ लिया था कि आर्थिक एकता के बिना राजनीतिक एकता सम्भव न थी। इनके अनुसार निरंकुशता ही इन गड़बड़ियों को दूर कर सकती थी। आर्थिक परिवर्तनों के कारण समाज में व्यापारी वर्ग का भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान हो गया था और ऐसा होना स्वाभाविक भी था। राजाओं ने सोना और चाँदी प्राप्त करने के लिए अन्य राष्ट्रों तक अपना व्यापार बढ़ाना आरम्भ कर दिया। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के अतिरिक्त विभिन्न राज्यों में इस बात की होड़ सी लगी हुई थी कि कौन ज्यादा शक्तिशाली था। इसके लिए विभिन्न राज्यों ने बड़े-बड़े जहाजी बेड़ों की स्थापना की। शुल्क तथा जहाजी - बेड़ों के कार्य संचालन सम्बन्धी नियमों का बड़ी स्वतन्त्रता से उपयोग किया जाने लगा। सेनाओं की व्यवस्था तथा पोषण के लिए राजा को धन की आवश्यकता थी जो केवल अनुकूल व्यापार सन्तुलन द्वारा ही प्राप्त हो सकता था। राजनीतिक दृष्टिकोण से यूरोप एक संकटकालीन स्थिति से गुजर रहा था और यह स्थिति न केवल सरकार के स्वरूप से ही सम्बन्धित थी बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में भी विद्यमान थी। अनेक वणिकवादी लेख इन्हीं बदलती हुई परिस्थितियों के परिणाम भी थे और कारण भी।
4. धार्मिक कारण (Religious Factors) - 16वीं शताब्दी में धार्मिक विप्लव (The Reformation Movement) ने रोमन चर्च के प्रभुत्व के विरुद्ध आवाज उठायी और राजनीतिक तथा धार्मिक क्षेत्रों में पोप की अन्तर्राष्ट्रीय सत्ता को चुनौती दी। प्रोटेस्टेण्टवाद ने ईसाई धर्म की अधिक तर्कसंगत व्याख्या की और मानवीय सम्बन्धों में उसने एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था। साथ ही भौतिकवादी शक्तियों को भी बढ़ावा मिला।
5. वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक परिवर्तन (Changes in Science and Technology)- विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्र में भी तीव्र परिवर्तन हुए थे और नये-नये आविष्कारों को जन्म मिला। इन परिवर्तनों ने वणिकवादी विचारों तथा नीतियों को और भी बल प्रदान किया गया। नये आविष्कारों में कम्पास तथा छापाखाना का आविष्कार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए। अब जहाजरानी अधिक सुविधाजनक हो गयी और नये-नये महाद्वीपों की खोज हुई। परिणामस्वरूप व्यापार का क्षेत्र विस्तृत हुआ और क्षेत्रीय विशिष्टीकरण को भी बढ़ावा मिला। कनिंघम के अनुसार व्यापार का विस्तार आधुनिक दिशाओं में होने लगा था और व्यापारियों को अपनी पूँजी का उपयोग करने की स्वतन्त्रता अधिक थी। पूँजी का उपयोग अधिक लाभप्रद क्षेत्र में किया जाने लगा। नक्शों, चार्टो, तालिकाओं इत्यादि में निरन्तर सुधार किये गये। रोशनीघर स्थापित किये गये और नये-नये बन्दरगाहों का विकास हुआ। इन सबका परिणाम यह हुआ कि एक ओर यातायात व्यय कम हो गया और दूसरी ओर विदेशी व्यापार का क्षेत्र विस्तृत हो गया। उपर्युक्त कारणों ने वणिकवादी विचारधारा को फलीभूत होने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया था।
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
- प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
- प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
- प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
- प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
- प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
- प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
- प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।