बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
बी. आर. अम्बेडकर एवं राम मनोहर लोहिया
(B. R. Ambedkar and R. M. Lohia)
प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने सामाजिक व आर्थिक विचारों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अम्बेडकर द्वारा दिये गये आर्थिक विचारों को उतना महत्व नहीं मिला जितना कि सामाजिक विचारों को मिला। डॉ. अम्बेडकर ने जितना महत्वपूर्ण योगदान सामाजिक विचारों के क्षेत्र को दिया उतना ही महत्वपूर्ण योगदान उनका आर्थिक विचारों के क्षेत्र में भी है। आर्थिक विचारों पर उनकी तीन पुस्तकें हैं। जो इस प्रकार हैं.
(1) 'ईस्ट इण्डिया कम्पनी का प्रकाशन और वित्त।'
(2) ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास।'
(3) 'रुपये की समस्या, इसकी उत्पत्ति और समाधान।'
प्रो. भीमराव अम्बेडकर के प्रमुख आर्थिक विचार निम्नलिखित वर्णित हैं।
(1) मौद्रिक अर्थशास्त्र में योगदान - अपने शोध प्रबन्ध 'द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी, इट्स ओरिजिन एण्ड इट्स सॉल्यूशन' में उन्होंने बताया कि मुद्रा को सोने से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। एक शुद्ध सोने के मानक का पालन किया जाना चाहिए, जहाँ सोने के सिक्कों को कागजी मुद्रा के साथ परिचालित किया जाना चाहिए, यह कीन्स के विचारों की आलोचना थी। अम्बेडकर ने तर्क दिया कि मर्केंटाइल की मात्रा को प्रकृति के पहिये से जोड़ा जाना चाहिए और कहा कि सोने के विनिमय मानक में स्थिरता, मुद्रा नहीं है जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। गोल्ड स्टैंडर्ड को लागू करने के बजाय उन्होंने सिफारिशों का मसौदा तैयार किया और इसे 'दि रॉयल कमीशन ऑन करेंसी एण्ड फाइनेंस' को सौंप दिया। जिसमें वर्णित सिफारिशें इस प्रकार थीं -
(1) सरकार के लिए टंकसालों को पूरी तरह से बंद करके रुपये का सिक्का बंद करना चाहिए क्योंकि वे जनता के लिए हैं।
(2) सोने के सिक्के और रुपये के बीच अनुपात तय करें।
(3) रुपया सोने में परिवर्तनीय नहीं होगा और सोना रुपये में परिवर्तनीय नहीं होगा लेकिन दोनों कानून द्वारा निर्धारित अनुपात में असीमित कानूनी निविदा के रूप में परिचालित होंगे।
इन सिफारिशों को आर. बी. आई. अधिनियम, 1934 के रूप में पारित किया गया।
(2) कृषि और गरीबी पर विचार - अम्बेडकर ने कृषि में छोटी जोतों की समस्या पर व्यापक शोध किया। उन्होंने आर्थिक जोत की पारम्परिक परिभाषा की आलोचना की। “आर्थिक जोत वह एक जोत है जो एक आदमी को अपने आवश्यक खर्चों का भुगतान करने के बाद, खुद को और अपने परिवार को उचित आराम से रखने के लिए पर्याप्त उत्पादन का मौका देती है।" लेकिन अम्बेडकर ने आर्थिक जोत के इस विचार को उत्पादन की दृष्टि से नहीं बल्कि उपभोग की दृष्टि से खारिज कर दिया और आर्थिक जोत के विषय में कहा कि भूमि का मात्र आकार सभी आर्थिक अर्थों से खाली है।
(3) उद्योगों का राष्ट्रीयकरण- डॉ. अम्बेडकर का मत था कि व्यापक औद्योगीकरण के बिना भारत का तीव्र विकास असम्भव है। उनके अनुसार औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर रोजगार उत्पन्न करता है जो बदले में बड़े पैमाने पर उपभोग के लिए आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करता है और पूँजीगत वस्तुओं के साथ-साथ विदेशी मुद्रा बचाता है, कच्चे माल का उचित पैमाने पर उपयोग करता है जिससे देश का सर्वांगीण विकास होता है। लेकिन निजी क्षेत्र के उद्योग इस कार्य को संतोषजनक ढंग से करने में असमर्थ हैं। भले ही उन्होंने ऐसा किया हो लेकिन इससे उद्योगों का एकाधिकार और केन्द्रीकरण ही पैदा होता है। इसलिए सरकार को अधिक से अधिक सामाजिक और राष्ट्रीय हित के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक गतिविधियों को शुरू करने के लिए आगे आना चाहिए। लघु एवं कुटीर उद्योगों को निजी क्षेत्र में ही रखा जाना चाहिए। बीमा और परिवहन संचार का राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए। मजदूरों को हड़ताल का अधिकार दिया जाना चाहिए।
(4) कर नीति - अम्बेडकर ने स्वतन्त्र मजदूर पार्टी 1936 के घोषणा पत्र में कराधान पर अपने विचार व्यक्त किये। वे भू-राजस्व प्रणाली की प्रक्रिया और अन्य करों के विरोध में थे क्योंकि उनका बोझ मुख्य रूप से समाज के गरीब वर्गों पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि कराधान के सिद्धान्त भुगतानकर्त्ताओं की क्षमता पर आधारित होने चाहिए न कि आय पर। इसके अलावा एक निश्चित सीमा तक छूट की अनुमति के साथ, कर प्रगतिशील होना चाहिए। भू-राजस्व कर अधिक लचीला होना चाहिए और कर लगाने में विभिन्न वर्गों के बीच असमानता की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। किसी भी देश की कराधान नीति से लोगों के जीवन स्तर में गिरावट नहीं आनी चाहिए। कृषि आय पर भू-राजस्व कर अनुचित है। अम्बेडकर ने भू-राजस्व संहिता के अनुच्छेद 107 को समाप्त करने और भू-राजस्व कर को आयकर के दायरे में लाने का तर्क दिया। उन्होंने तर्क दिया कि उच्च उत्पादन कर, भूमि राजस्व कर, उत्पाद शुल्क की उपस्थिति के कारण भारतीय कर प्रणाली दोषपूर्ण है और यह विभिन्न वर्गों के बीच भेदभाव और असमानता के सिद्धान्त पर आधारित है।
(5) आर्थिक विकास के लिए रणनीति - गरीबी उन्मूलन, असमानताओं का उन्मूलन और जनता का शोषण समाप्त करना, आर्थिक विकास की रणनीति होनी चाहिए। उन्होंने इस पहलू में मार्क्सवादी दृष्टिकोण को स्वीकार किया लेकिन विकास के प्रतिमान पर उनका समर्थन नहीं किया। साम्यवाद पर डॉ. अम्बेडकर के विचार उनके निबन्ध "बौद्धवाद और साम्यवाद" में प्रस्तुत किये हैं। मार्क्स के विपरीत अम्बेडकर ने आर्थिक सम्बन्धों को मानव जीवन का सम्पूर्णत्व और अन्त के रूप में स्वीकार नहीं किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि शोषण के कई आयाम हैं, वास्तव में भारतीय सन्दर्भ में सामाजिक- धार्मिक शोषण आर्थिक शोषण से अधिक दमनकारी नहीं है।
(6) जल संसाधन नीतियाँ - अम्बेडकर ने एक महान नीतिगत पहल की है। जब वे श्रम, सिंचाई, बिजली के कैबिनेट मंत्री थे। उन्होंने केन्द्रीय जल आयोग के माध्यम से वर्तमान जल बँटवारे विवाद का आधार बनाया और नेतृत्व भी किया। उन्होंने जल संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण का सुझाव दिया। उसके लिए केन्द्र सरकार को एक भूमिका देते हुए एक स्वतन्त्र प्राधिकरण की स्थापना की। उन्होंने संविधान का निर्माण करते समय इस दृष्टिकोण के लिए एक कानूनी दृष्टिकोण की रूपरेखा दी। बाद में उन्होंने नीतिगत ढाँचे के अनुसार काम को लागू किया जिसके कारण दामोदर घाटी परियोजना की स्थापना हुई। उन्होंने पहली बार कृष्णा, गोदावरी और ताप्ती नदियों को आपस में जोड़ने का सुझाव दिया था।
(7) महिला सशक्तिकरण - डॉ. अम्बेडकर मानवाधिकारों के हिमायती थे। उन्होंने समाज में समानता और बंधुत्व को बढ़ावा दिया। उन्होंने महिला अधिकारों के लिए जोरदार लड़ायी लड़ी और निम्नलिखित अधिकार हासिल करने के लिए अथक प्रयास किये -
(i) लिंग समानता, (ii) महिला शिक्षा, (iii) हिन्दू कोड बिल, (iv) मातृत्व विधेयक।
उपर्युक्त समस्याओं के अलावा, अम्बेडकर ने मुक्त उद्यम अर्थव्यवस्था, जनसंख्या नियन्त्रण, परिवार नियोजन, मानव पूँजी की अवधारणा और हिन्दू अर्थव्यवस्था के विरोध पर भी अपना मजबूत विश्लेषण किया।
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
- प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
- प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
- प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
- प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
- प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
- प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
- प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।