बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
अध्याय - 21
बिहारीलाल
(व्याख्या भाग)
बिहारी सतसई
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झांई परेँ, स्याम हरित दुति होइ ॥
शब्दार्थ - भवबाधा = संसार के विघ्न। झांई = परछाहीं। परै = पड़ने से। हरित दुति = हरे रंग वाला, हरा भरा।
सन्दर्भ - प्रस्तुत दोहा 'बिहारी सतसई' से अवतरित है। इसके रचयिता बिहारी जी हैं।
प्रसंग - प्रस्तुत दोहे में कवि ने मंगलाचरण करते हुए राधा और कृष्ण का स्मरण किया है और साथ ही अपने काव्य के नायक और नायिका की झलक भी दे दी है।
व्याख्या - वे चतुर राधा मेरे सांसारिक कष्टों का निवारण करें जिनके शरीर का प्रतिबिम्ब पड़ने से भगवान कृष्ण के शरीर की आभा भी निष्प्रभ हो जाती है। वे चतुर राधा मेरी सांसारिक बाधाओं को दूर करें जिनके शरीर की परछाईं को देखकर ही श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व प्रसन्न हो जाता है। हरा भरा दोहा प्रसन्नतापूर्वक मुहावरा है अतः यहाँ कवि का रंगों के मिश्रण का सूक्ष्म ज्ञान भी स्पष्ट हो जाता है। श्वेत तथा श्याम रंगों के मिश्रण से रहित रंग का निर्माण होता है। वे राधा नागरी मेरी सांसारिक कष्टों को दूर करें जिनका ध्यान करने मात्र से समस्त प्रकार के दुःख तथा पाप निष्प्रभ हो जाते हैं।
विशेष - (1) श्लेष, काव्यलिंग, रूपकातिशयोक्ति तथा अनुप्रास अलंकार है।
"अपने अँग के जानि कै, जेबन - नृपानि प्रवीन।
स्तन, मन, नैन, नितंब, की, बड़ौ इजाफा कीन ॥"
शब्दार्थ - जानि कै = जानकर। प्रवीन = चतुर।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - नायक नवयौवना मुग्धा के शरीर तथ् उत्साह में वृद्धि देख, रीझकर उसकी प्रशंसा करता हुआ, अपने मन में कहता है-
व्याख्या - यौवन रूपी प्रवीण (दान दंड इत्यादि उपायों में निपुण) नृपति (राजा) ने उनको अपने अंग का (दल कायापक्ष का) समझकर, स्तनों (कुचों), मन, नयनों और नितंबों का बड़ा इजाफा कर दिया है।
विशेष- किसी गुण ग्राहक की प्रशंसा से किसी वस्तु के गुणों की जैसी वास्तविकता प्रकट होती है, वैसी किसी अभिप्राय से प्रशंसा करने वाले की प्रशंसा से नहीं हो सकती।
अर तैं टरत न बर परे, दई मरक मनु मैन।
होड़ाहोड़ी बढ़ि चले, चितु चतुराई, नैन ॥
शब्दार्थ - अर = हठ। बरपरे = उमंग से भर गए। मनु = मानों मैन = कामदेव।
सन्दर्भ - प्रस्तुत दोहा 'बिहारी सतसई' से अवतरित है। इसके रचयिता बिहारी जी हैं।
प्रसंग - कवि ने नायिका के चित्त की चतुराई का वर्णन बहुत ही सुन्दर ढंग से किया है।
व्याख्या - उस नायिका के चित्त की चतुराई और नयन दोनों में मानों आपस में आगे बढ़ने की होड़ लग गई है। दोनों को कामदेव ने प्रोत्साहन दे दिया है, इसलिए दोनों अपनी-अपनी हठ से नहीं टलते और अपनी-अपनी जगह दोनों बलवान पड़ गए हैं।
विशेष (1) हेतुत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग हुआ है।
"औरे-ओप कनी निकनु, गनी छनी- सिरताज।
मनी धनी के नेहग की, बनी छनीं पट लाज।'
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - नव यौवना मुग्धा की आँखों की पुतलियों में यौवनागमन के कारण विलक्षण प्रभा तथा लज्जा का संचार हो गया है। उनकी प्रशंसा सखी उसके हृदय में उत्साह बढ़ाने के निमित्त करती है -
व्याख्या - अब तू अपनी और ही ओप ( प्रभा) वाली कनीनिकाओं के कारण अनेक ( सपत्नियों) में शिरोमणि गिनी गई हैं, ( क्योंकि ये कनीनिकाएँ) लज्जा-रूपी पट में छिपी हुई (लिपटी हुई) पति के स्नेह की ( पति के स्नेह को तेरी ओर आकर्षित करने वाली) मणियाँ बन गई हैं।
सनि-कज्जल चख-झख लगन, उपज्यौ सुदिन सनेह।
क्यों न नृपति है भोगवै, लहि सुदेसु सब देहु।।
शब्दार्थ - सनि = शनिग्रह। चख = नेत्र। झख = मीन राशि। सनेह = स्नेह ! सुदेसु = अच्छा देश या सुन्दर।
सन्दर्भ - प्रस्तुत दोहा 'बिहारी सतसई' से अवतरित है। इसके रचयिता बिहारी जी हैं।
प्रसंग - सखी नायिका के सम्बन्ध में नायक से कह रही है -
व्याख्या - उस नायिका के नेत्रों में लगा काजल मानों शनि ग्रह है। नायिका के नेत्र मानों मीन राशि हैं। इस शुभ मुहूर्त में उत्पन्न हुआ स्नेह राजा बनकर सारे देह रूपी सुन्दर देश पर राज्य क्यों न करे? अर्थात् नायिका ने आँखों में काजल डाला, मानों शनि मीन राशि में आ गया है। ज्योतिष के अनुसार मीन राशि में स्थित शनि के होने पर जन्म लेने वाला बालक राजा बनता है। इस दशा में उत्पन्न हुए स्नेह का राज्य सारे देह रूपी राज्य पर होना ही चाहिए।
विशेष- (1) रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
सालति है नटसाल सी, क्यौं हूँ निकसति नाँहि।
मनमथ नेजा नोक सी, खुभी खुभी जिय माँहि।।
शब्दार्थ - सालति है = पीड़ा देती है। नटसाल = बर्छी बाण। मनमथ = कामदेव। नेजा = भाला। खुभी = चुभी हुई।
सन्दर्भ - प्रस्तुत दोहा 'बिहारी सतसई' से अवतरित है। इसके रचयिता बिहारी जी हैं।
प्रसंग - नायक-नायिका के विषय में अपने आप कह रहा है -
व्याख्या - उस नायिका की खुभी अर्थात् कर्णाभूषण मेरे मन में कामदेव के भाले की नोंक की तरह गड़ी हुई है और तीर के शरीर में गड़े हुए फलक के समान पीड़ा दे रही है।
विशेष - (1) उपमा और यमक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
"जुवति जोन्ह मैं मिल गई, नैंक न होति लखाइ।
सौंधे कैं डोरैं लगी अली चली सँग जाइ।'
शब्दार्थ - जोन्ह = चाँदनी। अली = सखी।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - शुक्लाभि सारिका नायिका की अंतरंगिनी सखियाँ उसके शरीर की गुराई तथा सुगंध का वर्णन करती हैं
व्याख्या - देखो, यह युवती अपनी गौर छुति के कारण चाँदनी में कैसी मिल गई हैं कि किंचित मात्र भी लक्षित नहीं होती। अतः उसको दृष्टि द्वारा लक्षित करके उसके संग चलना असंभव है पर भ्रमर सी सखी उसके शरीर की सुगंध के डोरे से लगी हुई डोरे के सहारे पर उसके संग चली जा रही है।
हौं रीझी, लखि रीझिहौ, छबिहिं छबीले लाल।
सोनजुही सी ह्वेति दुति, मिलत मालती माल ॥
शब्दार्थ - हौं रीझी = मैं मुग्ध हो गई। छबीले = सौन्दर्यशाली। दुति मिलत = आभा से मिलते ही। मालती = एक सफेद फूल।
सन्दर्भ - प्रस्तुत दोहा 'बिहारी सतसई' से अवतरित है। इसके रचयिता बिहारी जी हैं।
प्रसंग - सखी नायक से नायिका के रूप के विषय में कह रही है -
व्याख्या - हे छबीले नायक। मैं तो उसे देखकर उस पर मुग्ध हो गयी हूँ, जब तुम उसे देखोगे, तो तुम भी मुग्ध हो जाओगे। उसका गौर वर्ण ऐसा अद्भुत है कि जब वह सफेद फूलों की माला पहनती है तो उसके शरीर की कांति से मिलकर वह माला पीली चमेली की सी दिखाई पड़ने लगती है।
विशेष- (1) तद्गुण और अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
फिरि फिरि चित उत हीं रहतु, टुटी लाज की लाव।
अंग-अंग छबि झौर मैं, भयौ भौंर की नाव ॥
शब्दार्थ - फिरि-फिरि = बार-बार। लाव = रस्सी। भौंर = भंवर।
सन्दर्भ - प्रस्तुत दोहा 'बिहारी सतसई' से अवतरित है। इसके रचयिता बिहारी जी हैं।
प्रसंग - किसी नायक के प्रति अनुरागिनी नायिका अपनी अन्तरंग सखी से नायक के प्रति अपने स्नेह को प्रकट करती हुई कह रही है -
व्याख्या - हे सखि ! मेरे हृदय की लज्जा रूपी रस्सी टूट गयी है। अतः मेरा मन उसी ओर जा रहा है। नायक के अंगों के सौन्दर्य के समूह में मेरा मन भंवर में चक्कर खाती नाव की तरह हो रहा है। जिस तरह नाव फँसकर उसी में घूमती रहती है, उससे निकल नहीं पाती, उसी प्रकार मेरा मन बार-बार नायक की ओर चला जाता है, अर्थात् उसकी स्मृति सदैव मेरे मन में बसी रहती है।
विशेष - (1) चित्त पर अंगों सहित नाव का आरोप करने के कारण इस दोहे में सांगरूपक अलंकार है।
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- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।