बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
उत्तर -
अष्टछाप का अर्थ
अष्टछाप से अभिप्राय उन आठ कवियों से है जिन्हें गोस्वामी विटठलनाथ द्वारा श्रीनाथ जी की सेवा में पद गायन हेतु नियुक्त किया गया था। बल्लभाचार्य के पुष्टिमार्ग के अन्तर्गत श्रीनाथ जी गोवर्धन के मन्दिर में कीर्तन सेवा आरम्भ हुई थी। इसमें क्रियात्मक सेवा पर जोर दिया गया था। इसमें नैमित्तिक सेवा की प्रधानता है। ये कर्म आठ हैं- मंगल, शृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थान, भोग, सन्ध्या, आरती और शयन। इस नैमित्तिक कर्मों के सम्पादन के समय उपर्युक्त गीत लिखे गये और उनके गायन की योजना बनी। प्रत्येक सेवा के समय शिष्यों की नियुक्ति की गयी। बल्लभाचार्य के चार शिष्य इनकी सेवा में नियुक्त हुए। ये चार शिष्य थे - सूरदास, परमानन्द दास, कुम्भनदास, कृष्णदास। महाप्रभु के स्वर्गलोकवास के बाद गोस्वामी विट्ठलनाथ जी ने नाथ मन्दिर की व्यवस्था सम्भाली और कीर्तन सेवा में बढ़ावा दिया। उन्होंने भी चार शिष्य श्रीनाथ जी के मन्दिर में नियुक्त कर दिये नन्ददास, चतुर्भुच दास, गोविन्द स्वामी व छीत स्वामी। यही आठों लोग अष्टछाप के कवि कहलाये। इनका विवरण निम्न प्रकार हैं-
(1) सूरदास
कृष्णभक्ति काव्य के प्रतिनिधि कवि हैं- सूरदास। अष्टछाप के कवियों में भी ये महत्वपूर्ण हैं।. सूरदास के जन्म स्थान, अन्धत्व आदि विषयों पर पर्याप्त विवाद है। सामान्यतः यह स्वीकार किया जाने लगा है कि इनका जन्म दिल्ली के निकट ब्रज की ओर स्थित सीही नामक गाँव में हुआ था। इनका जन्म संवत् 1478 ई0 मान लिया गया है। सूरदास अन्धे पर वे जन्मान्ध थे या बाद में हुए, यह प्रश्न अभी भी उलझा हुआ है। पर सूर के काव्य पर दृष्टिपात करने के उपरान्त यही कहा जा सकता है कि वे बाद में अन्धे हुए थे। वह भी यौवनावस्था का अनुभव प्राप्त करने के उपरांत। सन् 1583 में उन्होंने देहत्याग किया। उनका आरम्भिक जीवन कैसा था, इस सन्दर्भ में ज्यादा उल्लेख नहीं मिलता। इतना ही ज्ञात है कि कृष्णलीला के गान की प्रेरणा उन्हें महाप्रभु बल्लभाचार्य से प्राप्त हुई।
डॉ. दीनदयाल गुप्त के अनुसार सूर ने 25 ग्रन्थ लिखे। पर आज तक आठ पुस्तकें ही प्रकाश में आई हैं - सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, सूरपचीसी, सूररामायण आदि। इनमें से सूरसागर एवं साहित्य लहरी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं और कृतित्व की दृष्टि से भी श्रेष्ठ हैं।
सूर ने भागवत को पदों का आधार बनाया है। लेकिन उनमें मौलिकता भी आ गयी है। उनका काव्य मुख्यतः भगवान् श्रीकृष्ण की रासलीलाओं से संबद्ध है। विशेषकर श्रीकृष्ण के शैशव व किशोरावस्था की लीलाओं में सूर का मन विशेष रमा है। उन्हें कृष्ण का लोकरंजक रूप ज्यादा ही पसन्द है। सूर के काव्य में दो भाव प्रमुख हैं- वात्सल्य और श्रृंगार। वात्सल्य वर्णन में तो उनकी काव्य प्रतिभा अन्यतम रूप में व्यक्त है।
अन्य अष्टछाप के कवियों ने भी काव्य के इसी विषय का चयन किया है, परन्तु बीचबीच के प्रसंगों के आकर्षण में छटा को अनोखा कर दें तो सूर का पलड़ा सबसे भारी पड़ता है।
(2) परमानन्ददास
परमानन्द कन्नौज के निवासी थे। वे कान्यकुब्ज ब्रह्मण थे। इन्होंने बाल्यावस्था में काव्य रचना आरम्भ कर दी थी। वे संगीत के मर्मज्ञ थे। वे गृहस्थ नहीं बने। महाप्रभु बल्लभाचार्य से इन्होंने प्रयाग में दीक्षा ली थी। इनके पद परमानन्द सागर के नाम से उपलब्ध हैं। इनमें मथुरा गमन से लेकर भँवर गीत तक के प्रसंगों को गीतात्मक पदों में गायन है। अधिकतर पद बाललीलाओं से सम्बद्ध हैं। वह कृष्ण लीलाओं के माधुर्य पक्ष के गायक कहे जा सकते हैं। बालमनोविज्ञान के सुन्दर चित्र उनके काव्य में उपलब्ध हैं। माधुर्य भाव के वर्णनों की तुलना में इनके वियोग वर्णन से सम्बद्ध पद ज्यादा मार्मिक है। इनकी भाषा ब्रज है। सूर और नन्ददास के बाद इनके काव्य को ही सूफी वृन्द ने सुन्दर एवं आकर्षक बताया है।
(3) कुम्भनदास
कुम्भनदास अष्टछाप के कवियों में ज्येष्ठ थे। इनके सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है। 'चौरासी वैष्णवन की वार्ता' भक्तमाल की टीकाओं व हरिराम के भाव प्रकाश के साक्ष्यों के आधार पर ही इनके विषयों में कुछ कहा जा सकता है। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि ये ब्रज में गोवर्धन पर्वत से कुछ ही दूरी पर जमुनावती गाँव में रहते थे। ये क्षत्रिय परिवार से सम्बन्धित थे एवं गृहस्थ थे। सन् 1462 ई0 में महाप्रभु बल्लभाचार्य से इन्होंने दीक्षा ली। इनका स्वर जन्म से ही मधुर था। महाप्रभु ने इन पर ही श्रीनाथ जी के मन्दिर में कीर्तन - गायन की जिम्मेदारी सौंपी थी। कुम्भनदास का 186 पदों का एक संग्रह प्रकाशित हुआ है। यह काकरोली विद्याभवन ने प्रकाशित किया है। एक संकलन नाथ द्वारा के पुस्तकालय में भी उपलब्ध है, जिसमें उनके 37 पद संग्रहीत हैं। लय सौन्दर्य की दृष्टि से उनके पद महत्वपूर्ण हैं।
(4) कृष्णदास
कृष्णदास के विषय में चौरासी वैष्णवन की वार्ता और दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता से कुछ जानकारी प्राप्त होती है। इनका जन्म राजनगर राज्य (अहमदाबाद) में चिलौतरा गाँव में हुआ था। वे कुशाग्र बुद्धि थे। बल्लभाचार्य को उनके इसी गुण ने प्रभावित किया था। सन् 1510 में उन्होंने बल्लभ सम्प्रदाय में दीक्षा ली। ये कवि, गायक तथा संगीत मर्मज्ञ थे। इनकी किसी भी रचना का आज तक पता नहीं चल पाया है। केवल सौ से ज्यादा स्फुट पद अवश्य उपलब्ध हुए हैं। इनके पद श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आश्रित हैं। बाललीला, राधा-कृष्ण प्रेम-प्रसंग और रूप सौन्दर्य इनके पदों के विषय हैं। ये पद शुद्ध ब्रजभाषा में लिखे गये हैं। इनके पदों में ललित शब्दावली हैं और शब्द शैली भी चित्ताकर्षक है।
(5) नन्ददास
नन्ददास गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे। इनकी काव्य प्रतिभा की भक्ति काव्य के आलोचकों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। नन्ददास के जीवन के बारे में जानकारी दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता' और 'अष्टसखान की वार्ता' से मिलती है। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के सोरों क्षेत्र में कामपुर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम जीवन राम था। ये सनाढ़य ब्राह्मण परिवार से सम्बन्धित थे। कुछ आलोचक नन्ददास को तुलसीदास का भाई बताते हैं। नृसिंह पंडित से इन्हें संस्कृत का ज्ञान प्राप्त हुआ था। किवदंती है कि ये किसी स्त्री के प्रति आसक्त हो गये थे लेकिन बाद में इन्होंने विट्ठलनाथ जी से दीक्षा ली और पूर्णतः श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित हो गये। नन्ददास की पन्द्रह रचनाएँ बताई गयी हैं। रस मंजरी रूप मंजरी और रास पंचाध्यायी, इनकी श्रेष्ठ रचनाएं है। रास पंचाध्यायी इनकी काव्य प्रतिभा का सुन्दर उदाहरण है। बाह्य रूप में यह लौकिक प्रेम रचना है, लेकिन अन्ततः भाव जगत आध्यात्मिक कृष्ण प्रेम में बदल जाता है। इन्होंने भँवर गीत की रचना भी की है। इस रचना का उद्देश्य निर्गुण काव्य का खण्डन व सगुण मंडन है। इनके विषय में प्रसिद्ध है नंददास जड़िया। वे परिमार्जित ब्रजभाषा के कवि हैं। इनके शब्दों का माधुर्य अप्रतिम है। इनकी भाषा में लोकोक्तियों एवं मुहावरों का सुन्दर प्रयोग है। इनके काव्य का अवलोकन कर सहज ही कहा जा सकता है कि उनका ब्रजभाषा पर असाधारण अधिकार था।
(6) चतुर्भुजदास
अष्टछाप के कवियों मे ये कुम्भनदास के छोटे पुत्र बताये जाते हैं। इनका जन्म गोवर्धन के निकटवर्ती जमुनावती गाँव में हुआ था। इन्होंने पिता से गायन विद्या प्राप्त की थी। इनका स्वतंत्र काव्य नहीं मिलता। परन्तु इनके स्फुट पद चतुर्भुज कीर्तन संग्रह, कीर्तनावली और दानलीला नामक शीर्षकों से संग्रहीत हैं। इनके पदों में कृष्ण जन्म से लेकर गोपी विरह की ब्रजलीला का वर्णन मिलता है। इनकी काव्य रचनाओं में मौलिकता नहीं दिखाई देती हैं -
(7) गोविन्द स्वामी
गोविन्द स्वामी राजस्थान के भरतपुर के अंतरी गाँव के थे। संसार के प्रति विरक्ति का भाव हो जाने के बाद ये ब्रजमण्डल के महावन नामक स्थान पर चले आये और वहीं रहकर भजन-कीर्तन करते रहे। इन्हें संगीत का अच्छा ज्ञान था। ये अपने पद स्वयं ही गाया करते थे। सन् 1535 ई0 में इन्होंने गोस्वामी विट्ठलनाथ जी से दीक्षा ली थी। दीक्षा के बाद ये गोवर्धन चले गये थे। इनका कोई स्वतंत्र ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है। इनके पदों का संकलन 'गोविन्द स्वामी के पद' नाम से है। इसमें पदों की संख्या 600 बतलाई जाती है। इनके पद अधिकतर राधा कृष्ण की श्रृंगारलीला से सम्बद्ध हैं। कुछ पद बाललीलाओं से सम्बन्धित हैं।
(8) छीतस्वामी
छीतस्वामी का सम्बन्ध मथुरा के चतुर्वेदी परिवार से बताया जाता है। यौवन काल में ये उदंड प्रवृत्ति के थे। शरारती मनोवृत्ति के कारण एक बार ये खोटा रुपया व थोथा नारियल लेकर गोस्वामी विट्ठलनाथ के पास चले गये। किंवदती है कि ये दोनों चीजें असली हो गयीं। यह देखकर छीतस्वामी ने विट्ठलनाथ के चरण पकड़ लिये। बाद में गोस्वामी जी ने इन्हें पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर लिया। दीक्षित होने के उपरांत इन्होंने वैरागी जीवन व्यतीत किया। इनकी रुचि काव्य संगीत में पहले से थी, बाद में इनका विकास हुआ। इनके दो सौ पद स्फुट रूप में मिलते हैं। ये पदावली नाम से विख्यात हैं। इनके काव्य में ब्रजभाषा का लालित्य देखा जा सकता है।
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- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।