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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।

अथवा
युद्ध में आतंक (Panic) का क्या महत्व है? इस कमजोरी को सैन्य शिक्षा के द्वारा कैसे दूर किया जाता है?

उत्तर -

आतंक
(Panic)

मानवीय युद्धों में प्रारंभ से ही आतंक को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। प्राचीनकाल के युद्धों में भी शत्रु पक्ष में आंतक उत्पन्न करने के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जाता था ताकि शत्रु का मनोबल टूट जाये और विजय में आसानी हो। विद्वानों का मत है कि युद्ध में आंतक की उत्पत्ति वस्तुतः डर अथवा भय के परिणामस्वरूप ही होती है, जिसका मुख्य लक्ष्य पलायन होता है। जब व्यक्ति को भय लगता है तो उसमें घबराहट होती है और प्रतिक्रिया स्वरूप वह भागने या बचाव करने की सोचता है तथा पलायन कर जाता है। उदाहरणार्थ सामान्य जीवन में गोली चलने या बम फटने पर जो कोई भी सुनता है वह शीघ्र ही वहाँ से भागने अर्थात् पलायन करने का प्रयत्न करता है। यह आतंक एक संगठित समूह को भी विचलित कर देता है जबकि दृढ़ता से सामना करने पर क्षति की संभावना नहीं रहती है।

सामान्यतः 'मनुष्य' आतंकित भीड़ में उस समय तक व्यवहार नहीं करते, जब तक कोई ऐसी असमान्य घटना नहीं घटती है, जिसके लिए वे तैयार नहीं रहते हैं। इसके विपरीत आतंकित भावाष्टि भीड़ जैसा व्यवहार मनुष्य में उसी समय उत्पन्न होता है जब कोई शक्तिशाली संवेग उन्हें कुछ समय के लिए अपने प्रशिक्षण और कर्त्तव्यों को भूलने के लिए बाध्य नहीं कर देता है। सैनिकों में यह व्यवहार उस समय प्रकट होता है जब उनकी अनुशासन के प्रति चेतना और परिस्थितियों से संपर्क टूट जाता है। आंतक पूर्णरूप से प्रशिक्षित और अनुशासनयुक्त सेना में भी उत्पन्न हो सकता है। यह युद्ध के मध्य में भी उत्पन्न हो सकता है, जैसे तत्कालीन सेनानायक द्वारा उतावलेपन से और उत्तेजित अनुक्रिया करना या शत्रु का कल्पित भय आदि।

आतंक की विशेषताएँ
(Characteristics of Panic)

आतंक की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

(1) अभिप्रेरक (Motive) - आतंक का अभिप्रेरकं भय है, जो विशेष प्रकार के नैराश्य पर निर्भर करता है। आंतकित व्यक्ति प्रायः जानता है कि वह किससे भयभीत है और किससे बचना चाहता है। आंतक बहुत ही बुरी तरह फैलता है। आंतक के कारण सैनिक और असैनिक असंगठित भीड़ के पीछे भागने का कारण पूछे बिना ही स्वयं भी उसी भीड़ के साथ भागने लगता है।

(2) पुनर्बल (Reinforcement)- भावाष्ठि भीड़ की भाँति आंतक पर भी संख्या की वृद्धि एक शक्तिशाली साधन सिद्ध होता है। अकेला व्यक्ति इस प्रभाव से सुरक्षित रह सकता है। हर एक को भागते हुए देखकर खुद भी भागना बुरा नहीं होता परन्तु दूसरों के भय के साथ अपने भय में वृद्धि होती है। अवधान केन्द्र सीमित होने के कारण मनुष्य उचित तथा अनुचित पर सोच-विचार किये बिना ही भाग लेता है।

(3) केन्द्र (Foucs) - आंतंक का लक्ष्य केन्द्र सामान्यतः नेता के ही द्वारा निर्धारित किया जाना आवश्यक नहीं होता। यदि कुल लोग भागते हैं, तो दूसरे लोग भी भागने लगते हैं। फिर भी आंतक की प्रेरणा देने वाला कोई न कोई व्यक्ति या नेता अवश्य होता है। भागने वाला व्यक्ति आतंक के कारण अपनी बुद्धिमत, अनुशासन आदि को भूल जाता है किन्तु इन व्यक्तियों को वीरता का उदाहरण प्रस्तुत करके नियंत्रित किया जा सकता है।

आतंक के कारण
(Causes of Panic)

प्राय: आतंक के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी होते हैं-

(1) भौतिक कारण (Physical causes) - आंतक के उत्पन्न होने में भौतिक कारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आतंक को प्रभावित करने में अत्यधिक शीत अथवा गर्मी, भोजन एवं जल की आपूर्ति, रोग की परिस्थितियाँ, मृत्यु एवं विनाश का मौजूदा प्रमाण आदि भौतिक परिस्थितियाँ सहायक होती है। इन परिस्थितियों में व्यक्ति या सैनिक की मानसिक दशा भी प्रकट होती है।

(2) दैनिक कारण (Physiological causes ) - क्षुधा, पौष्टिक आहार की कमी, 'विटामिन 'बी' का अभाव, प्यास, निद्रा की कमी, अनियमित नींद, उदासीनता, थकान, मदिरा का अत्यधिक प्रयोग आदि का प्रभाव शारीरिक क्षमता को कम कर देता है और जिसकी शारीरिक क्षमता अच्छी नहीं होती है उस पर आंतक का प्रभाव अधिक तेजी से पड़ता है। दैनिक कारण मनोबल को कम कर देता है।

(3) सामाजिक कारण (Social causes) - संवेगात्मक छूत ससूंचन (Suggestions ) सांस्कृतिक तत्व जैसे अशिक्षित मनुष्यों में सर्वेगात्मक अन्याय, दूसरे लोगों पर असमायोजित व्यक्तियों का अभाव ऐसे सामाजिक कारण है तो आतंक में वृद्धि करते हैं।

(4) संवेगात्मक कारण (Emotional causes) - काल्पनिक खतरा, अथवा वास्तविकता, संवेगात्मक तनाव लम्बी अवधि का इन्तजार, आशावादी इन्तजार, दुश्चिन्ता, जीवन को आकस्मिक भय, आशा से परे शास्त्रों का प्रयोग, सैनिक परिस्थितियों से अनभिज्ञता, अविश्वसनीयता, असुरक्षा, शारीरिक अथवा मनोवैज्ञानिक एकाकीपन आदि संवेगात्मक कारक आतंक की वृद्धि के लिए उत्तरदायी होते हैं।

(5) प्रशिक्षण का अभाव (Lack of training) - यदि सैनिकों को उचित प्रकार का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है तो सैनिकों में विभिन्न प्रकार की यौगिक क्रियाओं में अज्ञानता तथा अनुशासन और आदेश पालन की आदत की कमी हो जाती है जिस कारण सैनिकों में आतंक फैल सकता है।

(6) मनोबल का अभाव (Lack of morale) - मनोबल को युद्ध में सफलता का प्रमुख प्रेरक माना जाता है और यदि किसी सैनिक में मनोबल का अभाव है तो वह जीती हुई बाजी भी हार सकता है। आतंक के प्रमुख कारणों में से मनोबल भी एक प्रमुख कारण है। मनोबल विहीन सेना या सैनिक में आंतक बहुत शीघ्र ही फैलता है।

(7) नेता तथा नेतृत्व (Leader and leadership) - नेता ही आंतक के सभी उपरोक्त कारणों को प्रभावित कर सकता है क्योंकि नेता ही अपने सैनिकों या जनता में गुण अथवा अवगुण उत्पन्न कर सकता है। यदि नेता तथा उसका नेतृत्व श्रेष्ठ नहीं है तो भी आंतक बहुत तेज फैल सकता है। नेताओं की अनुपस्थिति, श्रेष्ठ नेता की हानि, खराब नेतृत्व, विरोधाभासी कमाण्ड और नेता के प्रति अविश्वास आदि भी आतंक के कारण है।

आतंक पर नियन्त्रण
(Controlover panic):

आतंक को रोकने का सर्वोत्तम तथा अत्यधिक उचित किन्तु कठिन उपचार आतंक को उत्पन्न न होने देना है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित साधनों का प्रयोग किया जा सकता है-

(i) युद्ध के प्रारम्भ होने के पूर्व सैनिकों को पूर्ण रूप से प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है।

(ii) सैनिकों को सभी बातों की जानकारी देते रहे तथा अफवाहों को फैलाने से रोके।

(iii) सैनिकों को भरपेट भोजन प्रदान करें तथा ऐसा कार्यक्रम निर्धारित करें कि उन्हें नियमित अवधि के बाद विश्राम और पौष्टिक आहार मिलते रहे।

(iv) प्रतिरक्षात्मक (Defensive) संग्राम के समय सैनिकों को मानसिक एवं शारीरिक तौर पर व्यस्त रखें।

(v) नेता अपने नेतृत्व का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करने का हर सम्भव प्रयास करें, ताकि सैनिकों में अपने नेता के प्रति निष्ठा और विश्वास की भावना जाग्रत हो सके।

उपरोक्त तरीको से आंतक को फैलने से पूर्व ही नियंत्रित किया जा सकता है। इन तरीकों के द्वारा ही सैनिक आतंक का सामना करने के लिए तैयार हो सकते हैं। इन तरीकों के प्रयोग के उपरान्त भी यदि आंतक फैल जाता है तो उसे रोकने के लिए निम्नलिखित उपायों का प्रयोग किया जाना चाहिए।-

(1) अवधान पर अधिकार (Capture of attention ) - यदि आंतक उत्पन्न हो जाता है तो उसके उत्पन्न होते ही नेता को चाहिए कि सैनिकों का ध्यान उस ओर से हटा दें। इसके लिए किसी महत्वपूर्ण स्थान पर खड़े होकर चिल्लायें तथा सैनिकों को निश्चित और स्पष्ट आदेश प्रदान करें। ऐसे अवसर पर नेता द्वारा निश्चित तौर पर निर्णय लेने, दृढ़ता, एवं साहस के साथ कार्य करने की क्षमता, की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में आंतकित व्यक्तियों की खिल्ली उड़ाना भी उपयोगी उपाय. सिद्ध होता है।

(2) दृढ़ता और साहस (Trimness and courage) - आंतक को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी नेता की होती है इसलिए आंतक फैलने पर रोकने के लिए नेता द्वारा दृढ़ता एवं साहस का परिचय देना अतिआवश्यक है। नेता शान्तिचित होकर नियमित कार्यक्रम का पालन करते रहें। यह कार्य वे इस प्रकार संपादित करें कि सैनिक उसे देख सकते हों। यह उपाय अन्य उपायों की अपेक्षा अधिक उपयोगी तथा कारगर सिद्ध होता है।

(3) सैनिकों के स्कोपक्रम का प्रयोग (Uses of soldiers initiatiure ) - युद्ध की स्थिति में यदि नेता की मृत्यु हो जाती तो सेना में अव्यवस्था फैल सकती है। इसीलिए यदि सैनिकों को स्कोपक्रम से प्रशिक्षित किया जाये तो नेता के घायल होने या मरने अथवा अनुपस्थित रहने पर उनमें से जो भी वरिष्ठ सैनिक विश्वासपूर्ण ढंग से स्थायी तौर पर कमाण्ड सम्भाल सकता है और इस प्रकार इस कमी को दूर करके आंतक की रोकथाम की जा सकती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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