बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
अथवा
हमारे शरीर में प्रोटीन के मुख्य कार्य क्या हैं? बच्चों में प्रोटीन की कमी से होने वाले एक रोग का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. प्रोटीन की कमी से बच्चों में उत्पन्न होने वाले प्रभाव बताइए।
2. प्रोटीन के कार्य बताइए।
3. प्रोटीन के स्रोतों की विवेचना कीजिए।
4. क्वाशियोरकर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
5. मरास्मस पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
प्रोटीन के कार्य
(Functions of Protein)
भोजन में उपस्थित प्रोटीन शरीर को अमीनो अम्ल प्रदान करती है जिसके द्वारा नये ऊतकों का निर्माण तथा पुराने ऊतकों की मरम्मत होती है। प्रोटीन नाइट्रोजन युक्त पदार्थ है, अतः यह शरीर के विभिन्न एन्जाइम, हॉरमोन्स तथा एण्टीबॉडी का निर्माण करता है। प्रोटीन के महत्वपूर्ण कार्य अग्रलिखित है -
1. शरीर निर्माण कार्य (Body Building Function) प्रोटीन के शरीर निर्माणात्मक कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) शरीर की वृद्धि एवं विकास करना (Growth and Development of Body) प्रोटीन की आवश्यकता जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक बनी रहती है। गर्भावस्था में भ्रूण की वृद्धि एवं विकास के लिए उचित एवं सही मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। भ्रूण माता के रक्त से अमीनो अम्ल शोषित करते हैं, यही अमीनो अम्ल भ्रूण की वृद्धि एवं विकास करते हैं। इसी कारण गर्भवती स्त्री को अपने आहार में अधिक मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए ताकि भ्रूण की वृद्धि एवं विकास के लिए समुचित प्रोटीन प्राप्त हो सकें। जन्म के पश्चात् शिशुओं का शारीरिक विकास तीव्र गति से होता है, अतः शिशुओं को अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है। शिशु अवस्था से किशोरावस्था तक विकास काल रहता है, अतः इन अवस्थाओं में अधिकतम प्रोटीन का आहार में समावेश होना चाहिए।
(ii) तन्तुओं का पुनर्निर्माण करना (Reformation of Fibres) - शरीर के तन्तुओं की क्षतिपूर्ति प्रोटीन द्वारा की जाती है। शरीर के तन्तुओं में चोट लगने, जलने, शल्य क्रिया, अत्यधिक व्यायाम के कारण टूट-फूट हो सकती है। इनका पुनर्निर्माण प्रोटीन के द्वारा ही सम्भव है।
(iii) एन्जाइम, हॉरमोन व एण्टीबॉडी का निर्माण कार्य करना (Formation of Enzymes, Hormones and Antibodies) शरीर में प्रोटीन नाइट्रोजन युक्त कई प्रकार के यौगिक बनाती है। ये यौगिक शरीर की कई रासायनिक क्रियाओं में सहायक होते हैं। पाचक रस में उपस्थित एन्जाइम, पेप्सिन तथा ट्रिप्सिन प्रोटीन युक्त एन्जाइम हैं, इन एन्जाइमों में नाइट्रोजन भी पाई जाती है।
कुछ हॉरमोन जैसे थाइरॉक्सिन, एड्रीनलीन, इन्सुलिन, पैराथायराइड तथा पिट्यूटरी से निकलने वाले हॉर्मोन प्रोटीन युक्त होते हैं। इस प्रकार इन सब हॉरमोनों का निर्माण प्रोटीन पर निर्भर करता है।
रक्त में उपस्थित गामा ग्लोब्यूलिन में प्रोटीन उपस्थित रहती है। यह प्रोटीन रक्त में एण्टीबॉडी बनाती है जो शरीर की रोगरोधक क्षमता को विकसित करती है।
2. नियामक कार्य (Regulatory Functions) प्रोटीन शरीर में जल तथा अम्ल व क्षार के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(i) प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं की बाह्य एवं आन्तरिक क्रियाओं को नियंत्रित करती हैं। इनकी कमी होने पर शरीर में जल जमा हो जाता है तथा शरीर के विभिन्न अंगों पर सूजन आ जाती है।
(ii) यह रक्त के परासरण दाब को नियंत्रित करती है। कोशिकाओं में उपस्थित कम सान्द्र द्रव का बहाव अधिक सान्द्रता वाले द्रव की ओर होता है, यह बहाव तब तक होता रहता है, जब तक कि दोनों ओर की सान्द्रता बराबर न हो जाये। इस प्रक्रिया द्वारा कोशाओं की झिल्ली पर दबाव पड़ता है, प्रोटीन के अणु इसी परासरण दबाव को नियंत्रित करते हैं।
(iii) प्रोटीन शरीर में अम्ल तथा क्षार की मात्रा को संतुलित करती है। आवश्यकता पड़ने पर प्रोटीन अम्ल या क्षार के समान कार्य करती है।
(iv) प्रोटीन शरीर में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड के वाहक के रूप में कार्य करती है। हीमोग्लोबिन में ग्लोबिन एक प्रकार की प्रोटीन है। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन ऊतकों तक तथा ऊतकों से कार्बन डाइऑक्साड फेफड़ों तक पहुँचाने का कार्य करती है।
3. ऊर्जा प्रदान करना (To Provide Energy) प्रोटीन का मुख्य कार्य निर्माण व पुनर्निर्माण है तथा ऊर्जा के रूप में इसका महत्व बहुत कम है, परन्तु जब आवश्यकता से अधिक प्रोटीन लिया जाता है तो यह अतिरिक्त मात्रा ऊर्जा प्रदान करने का ही कार्य करती है। वास्तव में जब कार्बोज व वसा कम लिए जाते हैं तो प्रोटीन ऊर्जा उत्पादन का कार्य अधिक तथा निर्माण का कार्य कम करती है। दैनिक ऊर्जा की आवश्यकता का 6-12% भाग प्रोटीन द्वारा प्रदान किया जाता है।
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग
प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण (Protein Caloric Malnutrition) - प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण लक्षणों की एक लम्बी श्रृंखला है, जिसमें एक तरफ मरासमस (marasmus) है, जोकि ऊर्जा, प्रोटीन व अन्य पौष्टिक तत्वों की कमी से उत्पन्न होता है तथा दूसरी ओर क्वाशियोरकर है जोकि प्रोटीन की कमी से होता है। इन दोनों के मध्य अनेक ऐसे लक्षण देखे जा सकते हैं जो प्रोटीन तथा ऊर्जा की कमी से होते हैं। इन सभी को प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण की संज्ञा दी गई है।
प्रोटीन कैलोरी कुपोषण अविकसित देशों की सबसे सामान्य जन स्वास्थ्य समस्या है। भारत में 36 मिलियन बच्चे इस रोग से पीड़ित पाए गए हैं। अधिकतर 1-5 वर्ष तक की उम्र में यह रोग पाया जाता है। प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण भोजन में प्रोटीन तथा ऊर्जा की कमी से होता है तथा भोजन में इनकी निरन्तर कमी से वृद्धि तथा विकास में विपरीत प्रभाव पाए जाते हैं। लगभग 2-3% बच्चे 'मरासमस' तथा 'क्वाशियोरकर' में अत्यधिक विपरीत प्रभाव से पीड़ित पाए जाते हैं।
क्वाशियोरकर (Kwashiorker)- यह नाम 1938 में सिसले विलियम्स (Cicely Williums) द्वारा सर्वप्रथम परिचित कराया गया था। क्वाशियोरकर का अर्थ पहले निम्न प्रकार से दिया गया "दूसरे बच्चे के जन्म से बड़े बच्चे को बीमारी प्राप्त होती है।"
लक्षण (Symptoms)
1. सामान्य लक्षण सामान्य रूप से वृद्धि रुक जाती है, साँस लेने में कष्ट, ऑक्सीजन की कमी (Anorexia), इडीमा ( Oedema) तथा एक सामान्य उदासीनता पाई जाती है।
2. वृद्धि का रुकाव यह सर्वप्रथम दृष्टिगत होने वाला लक्षण है, यद्यपि इडीमा तथा वसा के कारण भार में हीनता कम प्रतीत होती है। भार तथा लम्बाई दोनों की वृद्धि रुक जाती है तथा माँसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं।
3. इडीमा ( Oedema) यह प्रोटीन की मात्रा में कमी के अनुसार ज्यादा या कम अंश में पाया जाता सकता है, परन्तु भोजन में उपस्थित पानी तथा नमक की मात्रा पर निर्भर करता है। यह सम्पूर्ण शरीर के साथ-साथ चेहरे पर परन्तु मुख्यतः दोनों में पाया जाता है।
4. त्वचा त्वचा में चर्मरोग हो जाता है जिसके प्रमुख लक्षण त्वचा पर चकत्ते पड़ना है तथा ये गहरे रंग के स्थानों पर छिलने से त्वचा परतदार हो जाती है। त्वचा का रंग गहरा होने लगता है तथा किरोटिन के अलग होने से त्वचा परतदार हो जाती है।
मरासमस (Marasmus)- इसकी उत्पत्ति ग्रीक शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है 'व्यर्थ करना। यह चिकित्साशास्त्र में पुराने समय से जाना जाता है।
लक्षण - यह निम्न प्रकार है-
1. सामान्य लक्षण इसमें प्रमुख रूप से वृद्धि रुक जाती है। इसके जलन, चिड़चिड़ाहट, क्रमिकहीन, संवेदनशील, उल्टी, दस्त आदि मुख्य लक्षण हैं। कुछ बच्चों की भूख बढ़ जाती है, परन्तु कुछ में भूख कम होने लगती है।
2. सामान्य भार - बच्चा दिन-प्रतिदिन सूखता जाता है तथा त्वचा पर वसा की मात्रा नगण्य हो जाती है। पानी की कमी हो जाती है।
3. पाचन तंत्र पानी के समान पतले दस्त, उल्टी या अर्द्ध ठोस दस्त होने लगते हैं। यदि यह संक्रमित हो जाता है तो दस्त कष्टदायक हो जाते हैं।
प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण (Protein Caloric Malnutrition) कुछ मरीजों में मरासमस तथा क्वाशियोरकर के सम्मिलित लक्षण पाए जा सकते हैं। कभी-कभी यह मरासमिक क्वाशियोरकर कहा जा सकता है, परन्तु सामान्यतः प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण कहलाता है। यह मुख्यतः विभिन्न प्रकार की खाद्यहीनता तथा सामाजिक कारकों से उत्पन्न होता है।
प्रौढ़ावस्था में प्रोटीन के रोग
प्रौढ़ावस्था में प्रोटीन विशेष रूप से दैनिक टूट-फूट के पुनः निर्माण के लिए आवश्यक होती है। प्रोटीन की कमी होने पर शरीर में टूट-फूट के कारण भार में कमी आ जाती है, व्यक्ति दुबला हो जाता है। रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाने से एनीमिया रोग हो जाता है। शरीर की जैवकीय क्रियाएँ नियमित नहीं होती हैं।
क्वाशियोरकर व मरासमस रोग का उपचार
भोज्य तत्वों की हीनता से उत्पन्न रोगों का उपचार प्रोटीन के द्वारा ही सम्भव होता है। रोगी को सुपाच्य व तरल भोजन दिया जाए जिसमें प्रोटीन व कैलोरी अच्छी मात्रा में उपस्थित हो।
आहार - प्रोटीन कैलरी कुपोषण पर किए गए अनुसन्धानों के आधार पर कुछ भिन्न खाद्य योजना उपचार दिए गए हैं जो पोषण तथा संक्रमण से उत्पन्न बीमारियों पर निर्भर करते हैं। इस विशेष उपचार में बच्चे को पर्याप्त अच्छे स्रोत की प्रोटीन कैलोरी भोजन में मिलनी चाहिए तथा संक्रमण से सुरक्षा आवश्यक है।
वसा रहित दूध की जगह पूर्ण दूध का पाउडर दिया जाता है अण्डा, मछली, बेसन इत्यादि भोजन में सम्मिलित किए जाते हैं।
खनिज लवण पोटेशियम तथा मैग्नीशियम 2 हफ्ते तक इनके ह्रास को पूर्ण करने के लिए देने चाहिए। लौह लवण दवाई के रूप में सभी मरीजों को आवश्यक रूप से देने चाहिए।
विटामिन्स- मल्टी विटामिन्स देने चाहिए। कुछ दिनों बाद बच्चे की भूख ठीक होने पर विटामिन्स प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को आहार में शारीरिक आवश्यकता पूर्ण करने के लिए देने चाहिए। नवजात शिशु को विटामिन 'ए' तथा 'डी' देना आवश्यक है।
चिकित्सा प्रोटीन कैलोरी कुपोषण के संक्रमण के बचाव हेतु एक आवश्यक कारक है, अतः संक्रमण सुरक्षा के लिए एण्टीबायोटिक चिकित्सा करना आवश्यक है।
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- प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
- प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
- प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
- प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
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- प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
- प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
- प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
- प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
- प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
- प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
- प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
- प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
- प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
- प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
- प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
- प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
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- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?