बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
"माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जागृह कहा जाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
माइटोकॉण्ड्रिया
(Mitochondira)
माइटोकॉण्ड्रिया जिनको सामान्यतः कोशिका के पावर हाउस (power house of the cell) के नाम से जाना जाता है, जन्तुओं तथा पौधों की कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में मिलने वाली सूक्ष्म तन्तुओं या छोटी शलाकाओं के रूप में दिखाई देते हैं। ये कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करते हैं। ये पौधों एवं जन्तुओं की सभी कोशिकाओं में पाये जाते हैं किन्तु जीवाणु तथा स्तनियों की परिपक्व लाल रुधिर कणिकाओं में अनुपस्थित होते हैं।
कोलिकर (Kolliker) सन् 1850 में सर्वप्रथम कीटों की पेशी-कोशिकाओं में माइटोकॉण्ड्रिया की खोज की तथा इनको 'साइटोप्लाज्मिक ग्रेन्यूल्स का नाम दिया। फ्लैमिंग (Flamming) ने सन् 1882 में इन्हीं कोशिकाओं में देखा तथा इसका नाम 'फिला' रखा। अल्टमान (altmann) ने सन् 1894 में इसको 'बायोप्लास्ट' का नाम दिया। बाद में बेण्डा (benda) नामक वैज्ञानिक ने सन् 1897 में इन्हें 'माइटोकॉड्रिया' नाम दिया। ये कोशिकाओं के स्थायी अंगक हैं। होजबूम (Hogeboom) ने सन् • 1948 में जानकारी दी कि कोशिका में इनके द्वारा कोशिकीय श्वसन होता है।
माइटोकॉण्ड्रियल आकृति में प्रायः तन्तुओं, ग्रेन्यूलर तथा छड़ों के आकार के होते हैं। ये मुग्दर, वेसिकुलर तथा रिंग के आकार के भी होते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया का परिणाम भिन्न-भिन्न कोशिकाओं में भिन्न- भिन्न होता है। अधिकतर कोशिकाओं में इनका व्यास 0.5 से 1.0p तथा लम्बाई 3 से 10 माइक्रॉन होती है।
माइटोण्ड्रिया की संख्या भिन्न-भिन्न कोशिकाओं में भिन्न-भिन्न होती है। अमीबा-चैओस चैओस में इनकी संख्या 5,00,000 (सबसे अधिक) तक होती है, जबकि स्पर्म कोशिकाओं में ये संख्या 20 से 24 तक होती है। चूहे की यकृत कोशिकाओं में इनकी संख्या 1,000 से 2,500 तक तथा समुद्री अर्चिन के अण्डों में इनकी संख्या 14,000 से 1,50,000 तक पाई जाती है।
1. माइटोकॉण्ड्रियल झिल्लियाँ -
(i) बाह्य झिल्ली - यह चिकनी तथा 60Á मोटी होती है और माइटोकाण्ड्रिया को चारों से परिबन्धित करती है। इसकी एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के समान त्रिपटलीय संरचना होती है। यह एण्डोप्लाज्मिक एटिकुलम की झिल्लियों से समजातता प्रदर्शित करती है।
(ii) भीतरी झिल्ली यह लगभग 64Â मोटी होती है और बाह्य झिल्ली के अन्दर की ओर स्थिर होती है तथा 60-80A की गुहा से उद्रेरखों या पट्टी के रूप में प्रक्षिप्त रहती है। उद्रेखों या पटों को माइटोकॉण्ड्रियल क्रैस्ट या क्रिस्टी कहते हैं। क्रिस्टी भीतरी गुहा को अनेक परस्पर सम्बन्धित कक्षों में विभाजित कर देते हैं।
2. माटोकॉण्ड्रियल कक्ष -
(iii) बाह्य कक्ष यह माइटोकॉण्ड्रिया के दोनों कक्षों के बीच का स्थान है जो क्रिस्टी के क्रोड में भी फैला रहता है। यह लगभग 60-70A चौड़ा होता है। इसे पैरिमाइटोकॉण्ड्रियल कक्ष भी कहते हैं।
(iv) भीतरी कक्ष यह भीतरी झिल्ली द्वारा परिबन्धित स्थान है। यह काफी चौड़ा स्थान है जिसमें समांगी माइटोकॉण्ड्रिया मैट्रिक्स भरा रहता है।
माइटोकॉण्ड्रिया के रासायनिक संगठन का अध्ययन बैस्ले (Belsley) कोहन (Cohn) तथा मैल्निक तथा पैकर (Melnick and Packer, 1971) के द्वारा किया गया है। इनके अनुसार विभिन्न जन्तुओं तथा पौधों माइटोकॉण्ड्रिया का रासायनिक संघटन भिन्न-भिन्न होता है।
इनके अनुसार माइटोकॉण्ड्रिया में रासायनिक यौगिकों का प्रतिशत निम्न प्रकार होता है -
(i) प्रोटीन्स 65-70%
(ii) लिपिड्स 25-30% लिपिड्स का 90% भाग फॉस्पोलिपिड्स लैसिथिन तथा सैफेलिन), 5% फैटी एसिड्स तथा ट्राइग्लिसराइड्स होता है।
(iii) आर. एन. ए. . 0.5% (iv) डी. एन. ए. सूक्ष्म मात्रा।
बाहरी माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में फॉस्फोलिपिड्स की मात्रा बाहरी झिल्ली से अधिक पाई जाती है। बाहरी झिल्ली में कार्डियोलिपिन प्रोटीन भी उपस्थित होती है।
माइटोकॉण्ड्रिया के कार्य
(Functions of Mitochondria)
कोशिका में निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य करते हैं-
1. श्वसन तथा भोजन का आक्सीकरण - भोजन के ऑक्सीकरण के लिए कोशिका में विशेष एन्जाइम होते हैं। भोजन की स्थितिज ऊर्जा को माइटोकॉण्ड्रिया गतिज ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है। यह गतिज ऊर्जा कोशिका के विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करती है। अतिरिक्त ऊर्जा कोशिका में ए. टी. पी. के रूप में संचित हो जाती है जो बाद में आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए मुक्त हो जाती है।
2. स्राव हॉर्निंग (Horning) के अनुसार माइटोकॉण्ड्रिया में प्रोटियोलिटिक एन्जाइम होते हैं। इनका सम्बन्ध जाइमोजन कण से होता है, जिनके द्वारा संश्लेषक तथा संलयी क्रियाओं का संचालन होता है।
3. वसा का उपापचय - वोथन तथा बैन्स्ले (Wothan and Benslay) के अनुसार माइटोकॉण्ड्रिया का वसा के उपापचय से सम्बन्ध होता है। इसके अनुसार माइटोकॉन्ड्रिया में कोशिका के लिए अतिरिक्त वसा की मात्रा संचित रहती है। इस प्रकार ये अंकुरण करते हुए बीजों में डायस्टेटिक क्रिया में सहायक होते हैं।
4. शुक्राणुओं के मध्य भाग के चारों ओर माइटोकॉण्ड्रिया एवं माइटोकॉण्ड्रियल आच्छद का निर्माण करते हैं।
5. लेवी तथा चैवमॉण्ट (Lavi and Cheveremount) के अनुसार पेशी कोशिकाओं में मायोफाइब्रिल्स माइटोकॉण्ड्रिया से विकसित होते हैं।
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- प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
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- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
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- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
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- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?