बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्र बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्र
अध्याय - 1
भारतीय दर्शन का परिचय
(Introduction of Indian Philosophy)
प्रश्न- भारतीय दर्शन का अर्थ बताइये व भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें बताइये।
अथवा
भारतीय दर्शन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? विवेचना कीजिए।
उत्तर-
भारतीय दर्शन का अर्थ
भारतीय दर्शन का शाब्दिक अर्थ बहुत ही विस्तृत है कुछ व्यक्ति भारतीय दर्शन का अर्थ 'हिन्दू दर्शन' से मानते हैं जो गलत है क्योंकि भारतीय दर्शन के अन्तर्गत हिन्दू अहिन्दू सभी विचारधाराओं का समावेश है। सभी प्राचीन तथा आधुनिक दार्शनिक विचारधाराएँ भारतीय दर्शन में देखने को मिलती हैं। इसमें वेद, उपनिषद्, कुरान, गीता, चार्वाक, जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, मीमांसा दर्शन, वेदान्त दर्शनों आदि सभी का अध्ययन किया जाता है। अतः भारतीय दर्शन को किसी एक अर्थ के साथ जोड़कर उसे संकुचित नहीं कर सकते।
भारतीय दर्शन का प्रमुख सिद्धान्त तत्व या सत्य को जानना है उसे देखना है अतः इसे दर्शन कहा जाता है। कुछ व्यक्ति इसे 'सम्यक् दर्शन' भी मानते हैं | 'सम्यक् दर्शन' से तात्पर्य है कि मनुष्य इतना ज्ञान प्राप्त कर लेता है कि वह ज्ञान का अंश बन जाता है।
मनु के अनुसार "सम्यक् दर्शन प्राप्त होने पर कर्म मनुष्य को बन्धन में नहीं डाल सकते, जिनको यह सम्यक् दृष्टि नहीं है वे ही संसार के मायाजाल में फँसे रहते हैं।"
भारतीय दर्शनशास्त्र दर्शन के निम्नलिखित अंगों का अध्ययन करता है :-
1. तत्व विज्ञान (Metaphysic or ontology),
2. प्रमाण विज्ञान (Theory of knowledge),
3. विश्व विज्ञान (Cosmology),
4. ईश्वर विज्ञान (Theology),
5. नीति विज्ञान (Ethics),
6. तर्क विज्ञान (Logic).
भारतीय दर्शनशास्त्र में दर्शन का महत्वपूर्ण स्थान है कुछ व्यक्ति तो यहाँ तक मानते हैं कि प्रत्येक भारतीय जन्म से ही दार्शनिक पैदा होता है।
भारतीय दर्शनशास्त्र में जितने भी दार्शनिक मतों का विकास हुआ है उनकी स्थापना खंडन-मंडन विधि से हुई है।
भारतीय दर्शन में देश तथा काल को अनादि और अनन्त माना गया है भारतीय दर्शन सृष्टि के काल की माप ब्रह्मा के दिनों की जाती है। ब्रह्मा का एक दिन 1000 युग अर्थात् 43,20,000 वर्ष के समान होता है। उस समय ब्रह्मा की रात आरम्भ होती जिसे प्रलय कहा जाता है।
भारतीय दर्शन में बहुत सी दार्शनिक विचारधाराएँ हैं जिन्हें आस्तिक व नास्तिक दो रूपों में बाँटा जाता है।
नास्तिक दर्शन के भीतर तीन नाम प्रमुख हैं -
1. चार्वाक दर्शन,
2. बौद्ध दर्शन,
3. जैन दर्शन।
आस्तिक दर्शन में छः दार्शनिक विचारधाराएँ आती हैं :
1. न्याय दर्शन,
2. वैशेषिक दर्शन,
3. सांख्य दर्शन,
4. योग दर्शन,
5. मीमांसा दर्शन,
6. वेदान्त दर्शन।
न्याय और वैशेषिक छोटे-मोटे भेदों के होने के बाद भी प्रकृति आत्मा और ईश्वर को मानते हैं।
सांख्य और योग दर्शन प्रकृति और पुरुष के विषय में सम्प्रतिपत्ति है सांख्य निरीश्वरवादी है और योग ईश्वरवादी।
मीमांसा के दो सम्प्रदाय हैं इसमें से एक के प्रवर्तक कुमारिल भट्ट हैं और दूसरे के प्रवर्तक आचार्य प्रभाकर हैं।
चार्वाक भौतिकवादी हैं. वे केवल भू-द्रव्य को मानते हैं आत्मा और ईश्वर को नहीं मानते।
बौद्ध परिवर्तनवादी हैं अर्थात् परिवर्तन को मानते हैं तथा नित्यता के सत्य को नहीं मानते हैं।
जैन द्वैतवादी हैं और जीव अजीव के अस्तित्व को मानते हैं जैन निरीश्वरवादी है।
चार्वाक, बौद्ध और जैन इसलिए नास्तिक कहे जाते हैं क्योंकि ये वेदों को प्रमाण नहीं मानते।
समस्त दर्शनशास्त्र के दार्शनिक विचारों में समानता पाई जाती है जिन्हें हम भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें कहते हैं ये निम्न हैं:
1. समस्त भारतीय दर्शनों में वेद, उपनिषद् को भारत का आदि साहित्य माना है केवल चार्वाक, जैन बौद्ध दर्शन ने इन्हें नहीं माना फिर भी नास्तिक स्कूल पर भी आस्तिक स्कूल का प्रभाव दिखाई पड़ता है।
2. भारतीय दर्शनों का सामान्य उद्देश्य सत्यम् शिवम् सुन्दरम् को प्राप्त करना है, तथा दर्शन का उद्देश्य परमतम तत्व का अन्तिम सत्य ही व्याख्या करना है।
3. भारतीय दर्शन के अनुसार, आध्यात्मिक असंतोष से दर्शन का जन्म होता है केवल जिज्ञासा से नहीं होंता अर्थात् दार्शनिक विचारों की उत्पत्ति जानने की इच्छा से होती है।
4. भारतीय दर्शन में निराशावाद प्रारम्भिक अवस्था होती है अन्तिम अवस्था आशावाद है।
5. भारतीय दर्शन में विश्व की शाश्वत नैतिक व्यवस्था पर विश्वास किया जाता है। चार्वाक दर्शन ही उसका विपरीत रूप है।
6. भारतीय दर्शन में धर्म को अधिक प्रधानता दी गई है।
7. भारतीय दर्शनशास्त्र में विशेषकर चार्वाक दर्शन में संसार को एक रंगमंच माना गया है।
8. भारतीय दर्शन में आत्म नियंत्रण, आत्म संयम को महत्वपूर्ण या आवश्यक बताया है।
9. भारतीय दर्शन के अनुसार अज्ञान ही बन्धनों का कारण है तथा अज्ञान को समाप्त करके बन्धनों को समाप्त किया जा सकता है।
10. भारतीय दर्शन के अनुसार, अज्ञानता को दूर करने के लिए निदिध्यासन (Meditation) की आवश्यकता होती है।
11. भारतीय दर्शन में अज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने को ही जीवन का अन्तिम उद्देश्य माना गया है।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन का अर्थ बताइये व भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन का अर्थ बताइये व भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि क्या है तथा भारत के कुछ प्रमुख दार्शनिक सम्प्रदाय कौन-कौन से हैं? भारतीय दर्शन का अर्थ एवं सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि क्या है तथा भारत के कुछ प्रमुख दार्शनिक सम्प्रदाय कौन-कौन से हैं? भारतीय दर्शन का अर्थ एवं सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- क्या भारतीय दर्शन जीवन जगत के प्रति निराशावादी दृष्टिकोण अपनाता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या भारतीय दर्शन जीवन जगत के प्रति निराशावादी दृष्टिकोण अपनाता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- दर्शन के सम्बन्ध में भारतीय तथा पाश्चात्य दृष्टिकोणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दर्शन के सम्बन्ध में भारतीय तथा पाश्चात्य दृष्टिकोणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वेद के सामान्य सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारतीय वेद के सामान्य सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के आस्तिक तथा नास्तिक सम्प्रदायों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के आस्तिक तथा नास्तिक सम्प्रदायों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन किसे कहते हैं? चार्वाक दर्शन में प्रमाण पर विचार दीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन किसे कहते हैं? चार्वाक दर्शन में प्रमाण पर विचार दीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में तत्व सम्बन्धी बातों पर निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में तत्व सम्बन्धी बातों पर निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के ईश्वर सम्बन्धी विचार दीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के ईश्वर सम्बन्धी विचार दीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में प्रमाण विचारों का अर्थ बताइए तथा साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में प्रमाण विचारों का अर्थ बताइए तथा साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- चार्वाक के भौतिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक के भौतिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक की तत्व मीमांसा का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- चार्वाक की तत्व मीमांसा का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- ईश्वर के अस्तित्व के लिए प्रमाणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के प्रत्यक्ष प्रमाण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के आत्मा सम्बन्धी विचार दीजिए।
- प्रश्न- सुख प्राप्ति ही जीवन का अन्तिम उद्देश्य है। बताइये।
- प्रश्न- चार्वाक के ज्ञान सिद्धांत की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "चार्वाक की तत्वमीमांसा उसकी ज्ञान मीमांसा पर आधारित है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैन महावीर के जीवन वृत्त तथा शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में जैन धर्म के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन में स्याद्वाद किसे कहते हैं?
- प्रश्न- जैन दर्शन के सात वाक्य भंगीनय लिखिए।
- प्रश्न- सात वाक्यों का आलोचनात्मक दृष्टिकोण से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैनों के बन्धन तथा मोक्ष सम्बन्धी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार द्रव्य का परिचय दीजिये।
- प्रश्न- द्रव्य के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- द्रव्य को आकृति द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जीव अथवा आत्मा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अजीव द्रव्य क्या है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन में जीव का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- जैन दर्शन के द्रव्य सिद्धान्त की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैन धर्म के पतन के कारण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म व बौद्ध धर्म में समानताओं और असमानताओं का तुलनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म की शिक्षाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- पुद्गल किसे कहते हैं?
- प्रश्न- जैन नीतिशास्त्र और धर्म पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जैन धर्म के पाँच महाव्रत बताइए।
- प्रश्न- जैन धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय बताइए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का सामान्य स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- सांख्य की 'प्रकृति' तथा वेदान्त की 'माया' के बीच सम्बन्ध की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गौतम बुद्ध के जीवन एवं उपदेशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के उत्थान व पतन के क्या कारण थे? समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में बौद्ध धर्म का योगदान बताइये।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन से क्या आशय है?
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बुद्ध ने कौन से दुःख के कारणों के चक्र बताए? बौद्ध दर्शन के तृतीय आर्य सत्य की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म पर लेख प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के चार सम्प्रदाय लिखिए।
- प्रश्न- क्षणिकवाद का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के महत्त्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के अनुसार निर्वाण प्राप्ति के अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में निर्वाण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- बौद्ध संगीतियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाजनपदों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धान्त क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति को बौद्ध धर्म की क्या देन थी?
- प्रश्न- क्या बौद्ध दर्शन निराशावादी है?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार प्रकृति की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार प्रकृति के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सत्, रज और तम गुण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रकृति के गुणों के क्या परिणाम होते हैं?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार सत्कार्यवाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के तत्व सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृति तथा पुरुष का अर्थ तथा सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- ज्ञानेन्द्रियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पुरुष के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। पुरुष के अस्तित्व के लिए सांख्य द्वारा दिये गये तर्कों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य ज्ञानमीमांसा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के पुरुष की अनेकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन से क्या तात्पर्य है? समझाइये।
- प्रश्न- पंतजलि ने योग सूत्रों को कितने भागों में बाँटा?
- प्रश्न- योग दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन के अभ्यास के अंग कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- योग दर्शन में तीन मार्ग कौन से हैं?
- प्रश्न- योग के अष्टांग साधन बताइए।
- प्रश्न- योगांग किसे कहते हैं?
- प्रश्न- योग दर्शन के पाँच नियमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- योग' से आप क्या समझते हैं? योग साधना के विभिन्न सोपानों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन में ईश्वर के स्वरूप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन में ईश्वर के स्वरूप की विवेचना कीजिए तथा उसके अस्तित्व को सिद्ध करने सम्बन्धी प्रमाणों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैराग्य क्या है? इसकी भेदों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन से ईश्वर किन रूपों में कार्य करता है।
- प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर के अस्तित्व के प्रमाण लिखिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन की भूमिका प्रस्तुत कीजिए तथा न्यायशास्त्र का महत्त्व बताइये? तथा न्यायशास्त्र का प्रमाण शास्त्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमाण शास्त्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तर्कशास्त्र में हेत्वाभास के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार अनुमान' के स्वरूप और प्रकारो की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार सोलह पदार्थों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रमा को परिभाषित करते हुए प्रमा के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रमा की परिभाषा दीजिए तथा उसके सामान्य लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रमाण की परिभाषा देते हुए प्रमाण के प्रमुख प्रकारों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- न्याय के आलोक में पदार्थ के विभिन्न प्रकारों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- शब्द-प्रमाण में शब्द को स्वतन्त्र प्रमाण माना गया है विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपमान प्रमाण के स्वरूप का विवेचन करते हुए इसकी परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- 'न्याय दर्शन' में 'अनुमान प्रमाण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए एवं अनुमान प्रमाण के प्रकारान्तर भेदों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुमान क्या है? परमार्थानुमान व स्मार्थानुमान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्ष प्रमाण का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- न्यायदर्शन में निर्विकल्प प्रत्यक्ष का स्वरूप समझाइये।
- प्रश्न- न्यायदर्शन में उपमान प्रमाण का क्या स्वरूप है? न्याय दर्शन में उपमान प्रमाण का स्वरूप
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में अनुमान प्रमाण का खंडन किस प्रकार करता है?
- प्रश्न- अनुमान प्रमाण में व्याप्ति की भूमिका समझाइये।
- प्रश्न- प्रमा और अप्रमा के भेद को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन में कितने प्रमाण स्वीकार किए गए हैं? सभी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समानतन्त्र के रूप में न्याय वैशेषिक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन के पदार्थों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वैशेषिक द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में कितने गुण होते हैं?
- प्रश्न- कर्म किसे कहते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामान्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विशेष किसे कहते हैं? लिखिए।
- प्रश्न- समवाय किसे कहते हैं?
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में अभाव क्या है?
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन क्या है? न्याय दर्शन और वैशेषिक दर्शन में आपस में क्या सम्बन्ध है? वैशेषिक दर्शन में सात प्रकार के पदार्थ बताइए।
- प्रश्न- व्याप्ति क्या है? व्याप्ति की स्थापना किस प्रकार होती है?
- प्रश्न- 'गुण' और 'कर्म' पदार्थों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- न्याय-वैशेषिक दर्शन के स्वरूप पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- न्याय-वैशेषिक दर्शन में अनुमान का क्या स्वरूप है?
- प्रश्न- समानतन्त्र के रूप में न्याय वैशेषिक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संयोग और समवाय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मीमांसा से क्या तात्पर्य है इसे भली-भाँति समझाइये।
- प्रश्न- पूर्व मीमांसा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मीमांसा दर्शन में ज्ञान के कितने साधन माने गये हैं?
- प्रश्न- उपमान किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अर्थापत्ति किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अनुपलब्धि या अभाव किसे कहते हैं?
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- प्रश्न- रामानुज के जगत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट द्वैत दर्शन की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- बन्धन और मोक्ष क्या है?
- प्रश्न- चित्त क्या है?