बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र
प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
लोकसभा का निर्वाचन किस प्रकार होता है? इसके सदस्यों के लिए क्या योग्यतायें निर्धारित हैं?
अथवा
भारतीय लोकसभा के गठन की विवेचना कीजिये।
अथवा
लोकसभा की रचना तथा शक्तियों का वर्णन कीजिये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोकसभा का गठन किस प्रकार होता है?
2 लोकसभा का कार्यकाल बताइये।
3. लोकसभा सदस्यों की क्या योग्यतायें निर्धारित हैं?
4. लोकसभा का निर्वाचन किस प्रकार होता है?
5. लोकसभा की विधायी शक्तियों पर टिप्पणी कीजिए।
6. लोकसभा की शक्तियों पर प्रकाश डालिए।
7. लोकसभा की वित्तीय शक्तियों का वर्णन कीजिए।
8. लोकसभा की संविधान संशोधन शक्ति संक्षेप में बतायें।
9. लोकसभा द्वारा कौन-कौन से विविध कार्य किये जाते हैं?
उत्तर-
लोकसभा की संरचना
भारतीय संसद के निम्न सदन को लोकसभा (लोकप्रिय सदन) कहा जाता है। संविधान के अनुच्छेद 81 के अनुसार लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 हो सकती है, जिसमें 530 सदस्य राज्यों से तथा 20 सदस्य संघ शासित क्षेत्रों से तथा 2 सदस्य आग्ल भारतीय समुदाय के राष्ट्रपति के मनोनयन द्वारा 1971 की जनगणना के आधार पर लोकसभा की सदस्य संख्या 545 (530 राज्य प्रतिनिधि, 13 संघ क्षेत्र प्रतिनिधि व 2 आंग्ल भारतीय) निर्धारित की गयी थी। 42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा यह व्यवस्था की गयी थी कि सन् 2001 तक लोकसभा की सदस्य संख्या 545 ही रहेगी।
अगस्त 2001 में संसद द्वारा पारित 91वें संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार लोकसभा एवं विधानसभाओं की सीटों की संख्या मे सन 2026 तक कोई बदलाव नहीं होगा।
लोकसभा का कार्यकाल
सामान्यतः लोकसभा का कार्यकाल अपने प्रथम अधिवेशन की तिथि से पाँच वर्ष के लिए होता है, लेकिन प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति इसे पाँच वर्ष के पूर्व भी विघटित कर सकता है। किसी विशेष परिस्थिति में जैसे - आपात उद्घोषणा के प्रवर्तन में रहने की स्थिति में लोकसभा के कार्यकाल को एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है अर्थात् आपात उदघोषणा के प्रवर्तन में रहने की स्थिति में लोकसभा का कार्यकाल 6 वर्ष तक हो सकता है जैसे कि पांचवीं लोकसभा का कार्यकाल लगभग 6 वर्ष था।
लोकसभा सदस्यों की योग्यतायें
लोकसभा की सदस्यता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यतायें होनी चाहिए
1. वह भारत का नागरिक होना चाहिए,
2. उसकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए,
3. वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर न हो,
4. वह पागल या दिवालिया नहीं होना चाहिए.
5. संसद द्वारा पारित किसी कानून के अधीन अयोग्य न घोषित किया गया हो।
लोकसभा सदस्यों का निर्वाचन - लोकसभा सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर क्या जाता है। लोकसभा चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र एक सदस्यीय होते हैं तथा सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाला प्रत्याशी निर्वाचित घोषित किया जाता है एवं मतदान गुप्त होता है। पहले 21 वर्ष की आयु के प्रत्येक नागरिक को मताधिकार प्राप्त था, किन्तु 61 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1989 के बाद मताधिकार की आयु घटाकर, 18 वर्ष कर दी गयी।
लोकसभा की शक्तियाँ एवं कर्तव्य
(Powers and Duties of Lok-sabha)
भारतीय संसद के दोनों सदनों में लोकसभा लोकप्रिय सदन है इसमें जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन के आधार पर निर्वाचित सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान द्वारा भी लोकसभा को राज्यसभा की तुलना में उच्च स्थिति प्रदान की गई है। संसद लोकसभा, राज्यसभा तथा राष्ट्रपति इन तीनों से मिलकर बनती है, लेकिन लोकसभा संसद की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है। लोकसभा की शक्तियाँ तथा कार्यों का अध्ययन निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है
1. विधि निर्माण सम्बन्धी शक्तियाँ - भारतीय संविधान के अनुसार संसद संघ सूची कुछ समवर्ती एवं अवशिष्ट विषयों पर तो कानून का निर्माण कर सकती है। कोई भी विधेयक लोकसभा की स्वीकृति के बिना कानून का रूप धारण नहीं कर सकता यद्यपि संविधान द्वारा साधारण विधेयक, गैर वित्तीय विधेयक और संविधान संशोधन सम्बन्धी विधेयक के सम्बन्ध में समान शक्ति प्रदान की गई है। दोनों सदनों द्वारा पारित होने पर ही राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजे जायेंगे किन्तु यदि दोनों सदनों में किसी विधेयक को लेकर मतभेद उत्पन्न हो जाता है तो राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाता है और बहुमत के आधार पर निर्णय किया जाता है। लोकसभा की सदस्य संख्या राज्यसभा से अधिक होने के कारण सामान्यतः लोकसभा के पक्ष मे ही निर्णय सम्भव होता है। इस प्रकार विधि निर्माण के क्षेत्र में अन्तिम शक्ति लोकसभा में ही निहित है। जब संसद के अधिवेशन न चल रहे हों तो राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गये अध्यादेश तीस दिन के अन्दर लोकसभा में प्रस्तुत किये जाते हैं। यदि लोकसभा इन अध्यादेशो को स्वीकर कर लेती है तो वे कानून का रूप धारण कर लेते हैं अन्यथा अस्वीकार होने की स्थिति में वे निरस्त हो जाते हैं। इस प्रकार विधि निर्माण के क्षेत्र में लोकसभा को बहुत अधिक शक्तियाँ प्रदान की गई है।
2. कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ- भारतीय संविधान द्वारा संसदीय व्यवस्था की स्थापना की गई है। अतः संविधान के अनुसार, कार्यपालिका अर्थात मन्त्रिपरिषद का गठन लोकसभा में से (संसद) किया जाता है। इसीलिए मन्त्रिपरिषद संसद (लोकसभा) के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है एवं लोकसभा के विश्वास पर्यन्त तक ही पदारूढ़ रह सकती है। संसद (लोकसभा) का प्रमुख कार्य कार्यपलिका पर नियन्त्रण रखना होता है। इसलिए संसद अनेक प्रकार से मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रख सकती है. जैसे संसद सदस्य मन्त्रियों से सरकारी नीति व सरकार के कार्यों के सम्बन्ध में प्रश्न तथा पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं, उनकी आलोचना कर सकते हैं, उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव, कामरोको प्रस्ताव आदि के द्वारा नियन्त्रण रख सकती है, यही नहीं, संसद सरकारी विधेयक तथा बजट को अस्वीकार करके मन्त्रियों के वेतन में कटौती का प्रस्ताव स्वीकार करके अपना विरोध प्रदर्शित करती है। इस प्रकार लोकसभा कार्यपालिका पर नियन्त्रण की शक्ति के अन्तर्गत संघीय लोकसभा आयोग भारत के नियन्त्रक और महालेखा परीक्षक, वित्त आयोग, अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग की रिपोर्ट पर विचार करती है। इस प्रकार लोकसभा जनता के कष्टों का निवारण करने वाले सदन के रूप में महत्वपूर्ण दायित्वों को सम्पादित करती है।
3. वित्तीय शक्तियाँ - वित्तीय कार्यों के क्षेत्र में भारतीय संविधान द्वारा राज्यसभा की तुलना में लोकसभा को अधिक शक्ति प्रदान की गई है। संविधान के अनुच्छेद 109 के अनुसार वित्त विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तावित किये जा सकते हैं, राज्यसभा में नहीं लोकसभा में पारित होने के बाद वित्त विधेयक (प्राप्ति की तिथि) राज्यसभा में भेजा जाता है। राज्यसभा को वित्त विधेयक प्राप्ति की तिथि से 14 दिन के अन्दर अन्दर लोकसभा को लौटा देना होगा। राज्यसभा वित्त विधेयक में संशोधन के लिए अपने सुझाव दे सकती है लेकिन उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करना लोकसभा की इच्छा पर निर्भर करता है। संविधान में यह भी व्यवस्था है कि यदि राज्यसभा 14 दिन के अन्दर वित्त विधेयक को पारित नहीं करती है और न लोकसभा को वापस लौटाती है तो वित्त विधेयक निश्चित तिथि के बाद दोनों सदनों द्वारा पारित मान लिया जाता है। अतः राज्य सभा को वित्त विधेयक के सम्बन्ध में केवल 14 दिन की विलम्बकारी शक्ति प्राप्त है। इसके अतिरिक्त वार्षिक बजट और अनुदान सम्बन्धी माँगें भी लोकसभा के समक्ष रखी जाती हैं। उन पर स्वीकृति देने का एकाधिकार लोकसभा को प्राप्त है। अतः वित्तीय क्षेत्र में लोकसभा एक शक्तिशाली सदन प्रतीत होता है।
4. संविधान में संशोधन सम्बन्धी शक्तियाँ - संविधान में संशोधन करने का अधिकार दोनों सदनों को समान दिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार, संविधान के अधिकांश भाग में संशोधन का कार्य केवल संसद द्वारा ही किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में प्रक्रिया यह है कि संशोधन का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है किन्तु प्रस्ताव पारित करने के लिए यह आवश्यक है कि उसे संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग अपने कुल बहुमत तथा उपस्थित एवं मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित किया जाये। असहमति होने पर प्रस्ताव अस्वीकार समझा जाता है, लेकिन गत् कुछ वर्षों से भारतीय संसद की संविधान में संशोधन करने सम्बन्धी शक्ति अधिक वाद-विवाद का विषय रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने संसद की इस शक्ति पर बहुत बड़ा प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन संविधान के 24 वें एवं 25 वें संशोधन के पश्चात् संसद को उसकी यह संशोधन सम्बन्धी शक्ति पुनः मिल गई है। अब यह निश्चित हो गया है कि संसद मौलिक अधिकार सहित संविधान के किसी भी भाग में सशोधन कर सकती है लेकिन संविधान के मूल स्वरूप को परिवर्तित नहीं कर सकती है। संविधान के मूल स्वरूप में कौन-कौन सी बातें आती हैं, इसे स्पष्ट नहीं किया गया है।
5. न्यायिक शक्तियाँ - राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है। दूसरा सदन उसकी जाँच करता है। उपराष्ट्रपति को पदच्युत करने सम्बन्धी प्रस्ताव राज्यसभा द्वारा पारित होने पर लोकसभा द्वारा उसका अनुमोदन आवश्यक है। इसके अतिरिक्त सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को पदच्युत करने सम्बन्धी प्रस्ताव लोकसभा एवं राज्यसभा द्वारा पृथक-पृथक रूप से तथा स्पष्ट बहुमत एवं उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित करके प्रतिवेदन करने पर राष्ट्रपति न्यायाधीशों को पदच्युत कर सकता है।
6. अन्य शक्तियाँ- (i) लोकसभा निर्वाचक मण्डल के रूप में भी कार्य करती है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य तथा राज्य विधान सभाओं के सदस्य मिलकर राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति को निर्वाचित करते हैं।
(ii) लोकसभा को अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष निर्वाचित एवं पदच्युत करने का अधिकार प्राप्त है।
(iii) विभिन्न संकटकालीन घोषणाओं को जारी रखने के लिए संसद की स्वीकृति आवश्यक है।
(iv) लोकसभा अपने सदस्यों तथा किसी अन्य बाहरी व्यक्ति को सदन के विशेषाधिकार के हनन के लिए दण्ड दे सकती है।
(v) यदि राष्ट्रपति सर्वक्षमा देना चाहे तो उसकी स्वीकृति संसद से लेना आवश्यक है।
(vi) लोकसभा राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, न्यायालयों के न्यायधीशों पर महाभियोग लगा कर उन्हें पदमुक्ति कर सकती है।
7. जनता की शिकायतों का निवारण- लोकसभा के सदस्य प्रत्यक्ष रूप में जनता द्वारा निर्वाचित होकर आते हैं, अतः उनके द्वारा जनता की शिकायतें, जनता के विचार और भावनाएँ सरकार तक पहुँचायी जाती हैं। लोकसभा के सदस्य इस बात की चेष्टा करते हैं कि सरकार अपनी नीतियों का निर्माण एवं कार्यों का सम्पादन जनता के हित को ध्यान में रखते हुए करे। यदि सैद्धान्तिक अध्ययन के स्थान पर वास्तविक अध्ययन किया जाये, तो यह कहा जा सकता है कि लोकसभा सबसे अधिक प्रमुख रूप से यही कार्य सम्पादित करती है।
लोकसभा की शक्तियों के उपर्युक्त अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि संसद देश का सर्वोच्च अंग है तो लोकसभा संसद का सर्वोच्च अंग। जनता का प्रतिनिधि सदन होने के कारण लोकसभा संसद का महत्वपूर्ण शक्तिशाली एवं प्रभावशाली अंग है। व्यवहार की दृष्टि से यदि लोकसभा को ही संसद कह दिया जाय, तो अनुचित न होगा।
राज्यसभा से लोकसभा निम्न कारणों से उच्च स्थिति को प्राप्त कर लेती है-
1. लोकसभा जनता का प्रतिनिधि सदन है राज्य सभा नहीं और लोकतन्त्र में जनता ही सर्वोच्च होती है।
2. लोकसभा की सदस्य संख्या राज्यसभा (250) से अधिक है।
3. लोकसभा (552) के सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं।
4. वित्तीय शक्ति के सम्बन्ध में लोकसभा की शक्ति एवं निर्णय अन्तिम है।
5. लोकसभा कार्यपालिका पर नियन्त्रण रखती है। राज्यसभा नहीं
उपर्युक्त विवेचन से यह नितान्त स्पष्ट है कि राज्यसभा को लोक सभा की तुलना में कम शक्तियों प्राप्त हैं और ऐसा होना नितान्त स्वाभाविक भी है। संसदीय व्यवस्था में अन्तिम निर्णय की शक्ति लोकप्रिय सदन (लोकसभा) को ही प्रात हो सकती है, परोक्ष रूप में निर्वाचित द्वितीय सदन को नहीं। संविधान- निर्माताओं के द्वारा राज्यसभा की कल्पना प्रत्यक्ष सदन के सहायक और सहयोगी सदन के रूप में की गई थी. प्रतिद्वन्द्वी सदन के रूप में नहीं और राज्यसभा के द्वारा इसी रूप में आचरण किया गया है। अतः लोकसभा को ही संसद कहा जा सकता है।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के उद्भव और विकास के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में कांग्रेस के उदारवादी चरण की विचारधारा, कार्यपद्धति, माँगें, सीमाओं के आलोक में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म के संदर्भ पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- काँग्रेस में उग्रवादी विचारधारा के उद्भव के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के तात्कालिक कारण क्या थे?
- प्रश्न- बंगाल विभाजन के निहितार्थ स्पष्ट करते हुए स्वदेशी आन्दोलन का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उदार राष्ट्रवादियों की विचारधारा एवं कार्यपद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय उदारवादियों के योगदान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उग्रवादी राष्ट्रीय आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके विकास के समय की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जलियाँवाला हत्याकांड की घटना तथा उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खिलाफत आन्दोलन से क्या अभिप्राय है? खिलाफत आन्दोलन के उदय एवं विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों एवं कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैध शासन प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा' का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रौलेक्ट एक्ट क्या था?
- प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के विषय में आप क्या जानते हैं? इसे आरम्भ करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता क्या था?
- प्रश्न- संविधान सभा का निर्माण किस प्रकार किया गया स्पष्ट कीजिए तथा अपने कार्य निष्पादन में इसे किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- भारतीय संविधान सभा की अवधारणा का विकास किस प्रकार हुआ, वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के निर्माण की अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रकृति स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी स्पष्ट कीजिए कि क्या इसे 'वकीलों का स्वर्ग' कहा जा सकता है?
- प्रश्न- क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि भारतीय संविधान 1935 के भारत शासन अधिनियम का वृहत् संस्करण है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिए। संविधान के मुख्य प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थी?
- प्रश्न- संविधान सभा द्वारा संविधान के लिए उद्देश्य प्रस्ताव क्या था? संविधान निर्माताओं के सामने संविधान निर्माण में क्या-क्या समस्याएँ थीं?
- प्रश्न- लिखित व निर्मित संविधान से अभिप्राय बताइए।
- प्रश्न- संविधान सभा को कार्य निष्पादन में किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- संविधान सभा के कार्यकरण की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
- प्रश्न- पं. नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (1946) के महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्या थे?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मौलिकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रारूप समिति' पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भूमिका से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य तथा महत्व बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
- प्रश्न- 73 वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की विशालता के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान में केन्द्र को शक्तिशाली क्यों बनाया गया?
- प्रश्न- भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संवैधानिक उपचारों का अधिकार पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- बयालिसवें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की मूल प्रस्तावना में किये गये सुधारों को बताइये।
- प्रश्न- एकल नागरिकता क्या है?
- प्रश्न- 'लोक कल्याणकारी राज्य' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के नागरिकता सम्बन्धी प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किन आधारों पर समाप्त हो सकती है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त के स्वरूप और क्षेत्र का वर्णन कीजिये। भारतीयराजनीतिक व्यवस्था में सुधार के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है?
- प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- हमारे देश में नीति निर्देशक तत्वों का कार्यान्वयन कहाँ तक हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के उन नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संविधान संशोधन की शक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पद की योग्यतायें एवं कार्यकाल बताते हुए इस पद की संवैधानिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को समझाइये, उसे अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है तथा राष्ट्रपति के पद रिक्तता की स्थिति में उसके कार्यों को कैसे सम्पादित किया जाता है?
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की स्थिति के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रधान की धारणा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री की स्थिति उसका महत्व तथा उसकी भूमिका की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संघ में प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? शासन में उसका क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत में मंत्रिपरिषद के गठन, कार्य व शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मंत्रिमंडलीय प्रणाली की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति पद की योग्यतायें, कार्यकाल तथा निर्वाचन पद्धति बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुच्छेद 352 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
- प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
- प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसकी राज्य के शासन में क्या भूमिका और स्थिति है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मुख्यमंत्री चयन की राजनीति टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधान परिषद की रचना किस प्रकार होती है? उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की छठी अनुसूची किन क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष प्रावधान करती है?
- प्रश्न- संविधान में आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान क्यों रखे गये? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन आयोग के संगठन एवं कार्यों अथवा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।