बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
व्यवहार के अध्ययन में मानवतावादी उपागम के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
मानवतावादी उपागम के विचारकों ने यह विचार व्यक्त किया है कि व्यक्ति के व्यवहार पर उसकी स्व-अवधारणा एव वैयक्तिक भिन्नता का व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसके अनुसार व्यक्ति निष्क्रिय एवं असहाय नहीं होता है और यह पर्यावरण की छानबीन करके अपना व्यवहार स्वयं ही निश्चित करता है। इस विचारधारा को मानवतावादी विचारधारा का नाम दिया जाता है। इस विचारधारा का प्रादुर्भाव अस्तित्वपरक दार्शनिकों के विचारों से हुआ है। इस विचारधारा की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें कल्पना की गयी है कि व्यक्ति में स्वतन्त्र इच्छा शक्ति एवं आत्म सिद्धि जैसी प्रेरक शक्तियाँ पायी जाती हैं। ये शक्तियाँ पशुओं में नहीं पायी जाती हैं। इसी कारण पशु एवं मानव व्यवहार में अन्तर पाया जाता है। इस विचारधारा के समर्थकों ने यांत्रिक विचारधारा की यह कहकर आलोचना की है कि व्यक्ति एक समझदार तथा चिन्तनशील प्राणी है और पर्यावरणीय कारक (व्यवहारवादी व्याख्या) या अचेतन प्रेरक (मनोविश्लेषणवादी व्याख्या) निरीह प्राणी की तरह व्यवहार करने के लिये उसे निर्देशित या उदोलित नहीं कर सकते हैं। इसी विचारधारा के आधार पर कार्ल रोजर्स (1970) एवं अब्राहम मैस्लो (1970) ने व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया की विवेचना करने का प्रयास किया है।
मानवतावादी व्याख्या की मुख्य अवधारणा यह है कि व्यक्ति असहाय रूप में पर्यावरण द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। बल्कि वह स्वयं पर्यावरणीय परिस्थितियों को एक अभिकर्ता के रूप में नियन्त्रित एवं परिवर्तित करने में सक्षम होता है। इसके लिए उसे वृद्धि एवं आत्मसिद्धि जैसी प्रवृत्तियों से शक्ति तथा प्रेरणा प्राप्त होती है। हर व्यक्ति में अपनी क्षमता का पूर्ण विकास करने तथा अधिकतम सीमा से भी अधिक प्रगति करने की इच्छा होती है। यह सम्भव और स्वाभाविक भी है कि उसे विकास के मार्ग का ज्ञान न हों और लक्ष्य तक पहुँचने में अनेकानेक प्रकार की पर्यावरणीय एवं सांस्कृतिक बाधाएँ हों, फिर भी अपनी क्षमता का समुचित विकास करने और तदनुरूप उपलब्धि प्राप्त करने के लिये उसकी स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ उसे लक्ष्य की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करती ही रहती है। मानववादी विचारधारा मशीनी युग एवं भौतिकवाद के कुप्रभावों से बचने पर बल देती है। मानवीय मूल्यों की वकालत करती है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट हो रहा है कि मानववादी दृष्टिकोण का मुख्य आधार 'आत्मनिष्ठ अनुभूति है। मानववादी विचारकों की दृष्टि में व्यक्ति के कार्य की अपेक्षा उसका स्व-प्रत्यक्षीकरण एवं विश्व के बारे में उसकी अवधारणा अधिक महत्वपूर्ण है। मानववादियों का कहना है कि व्यक्ति के इन प्रक्रमों का उसे समझने एवं मूल्यांकित करने में अधिक योगदान है और व्यक्ति के स्वभाव को समझ सकना हमारे लिये अधिक आवश्यक है। इन आत्मनिष्ठ अनुभूतियों से सम्बन्धित विवरण प्राप्त करने के लिए यदि वैज्ञानिक पद्धति को छोड़ना भी पड़े तो कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
मानववादी उपागम मानव सुख को, न कि मनोविज्ञान को, वस्तुनिष्ठ एवं वैज्ञानिक बनाने पर बल देती है। इस संदर्भ में स्मिथ ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि "मानववादी प्रासंगिकता के मूल्य पर स्थापित वैज्ञानिक मनोविज्ञान की अपेक्षा वैज्ञानिक पद्धति के मूल्य पर स्थापित मानववादी दृष्टिकोण हमें स्वीकार्य नहीं हो सकता है।
अतः स्पष्ट है कि मानववादी विचार उपयोगी अवश्य हैं, परन्तु इसमें वस्तुनिष्ठ एवं वैज्ञानिक अवधारणा की कमी है, जबकि आधुनिक वैज्ञानिक युग में इसका महत्व सर्वविदित हो चुका है। इस उपागम के बारे में निम्न बातें कही जा सकती है -
1. मानववादी विचारधारा में व्यक्ति को अभिकर्ता के रूप में दर्शाया गया न कि एक असहाय प्राणी के रूप में।
2. इसमें व्यक्ति को यात्रिक नहीं बल्कि गत्यात्मक विशेषता युक्त माना गया है।
3. इसमें विकास की इच्छा तथा आत्मसिद्धि की प्रवृत्ति को व्यक्ति का सबसे प्रबल प्रेरक माना गया है।
4. इसकी मान्यता है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर उन्मुख तथा क्रियाशील रहता है।
5. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह पर्यावरणीय एवं सांस्कृतिक बाधाओं से संघर्ष करने को तत्पर रहता है।
6. व्यक्ति के लिए उसकी आत्मनिष्ठ अनुभूतियाँ अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। क्योंकि उनसे जीवन में सरसता आती है।
7. जीवन को सुखमय एवं कल्याणकारी बनाने में वैज्ञानिक पद्धति के ज्ञान को कम महत्व दिया गया है। यह इस दृष्टिकोण का अविवेकपूर्ण तर्क है।
8. इस दृष्टिकोण में वैज्ञानिक चिन्तन का मूलतः अभाव है और वैज्ञानिक चिन्तन के अभाव में व्यवहार के बारे में विश्वसनीय निष्कर्ष प्रस्तुत करना बहुत ही कठिन है।
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- प्रश्न- मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिये। इसके लक्ष्य बताइये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- जब {D2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
- प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के किन्ही दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- दीर्घीकृत ध्यान का स्वरूप स्पष्ट करते हुए, उसके निर्धारक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान तथा दीर्घीकृत अवधान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबन्धन सिद्धान्त का विवेचन कीजिए तथा प्राचीन अनुबन्धन के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकल अनुबंधन तथा क्लासिकल अनुबंधन को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना से आप क्या समझते हैं? शाब्दिक सीखने के अध्ययन में उपयुक्त सामग्रियाँ बताइए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना में स्तरीय विश्लेषण किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना की संगठनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
- प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति में संरचनात्मक एवं पुनर्सरचनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रासंगिक तथा अर्थगत स्मृति से क्या आशय है? इनमें विभेद कीजिये।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को संक्षेप में बताते हुये दोनों में विभेद कीजिये।
- प्रश्न- 'व्यतिकरण धारण को प्रभावित करता है।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। स्मृति को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- स्मृति सहायक प्रविधियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- विस्मरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुनः प्राप्ति संकेतों के अभाव में किस प्रकार विस्मरण होता है?
- प्रश्न- स्मृति लोप क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के अवशेष-प्रसक्ति समाकलन सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- ध्यान के कौन-कौन से निर्धारक होते है?
- प्रश्न- दीर्घकालीन स्मृति तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ध्यान की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के संज्ञानपरक उपागम से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
- प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
- प्रश्न- गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन के समूह कारक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त के आधार पर बुद्धि की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' (OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणा से आप क्या समझते हैं? आवश्यकता, प्रेरक एवं प्रलोभन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न शारीरिक एवं सामाजिक मनोजनित प्रेरकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणाओं के संघर्ष से आप क्या समझते हैं? इसके समाधान करने के तरीकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- आवश्यकता-अनुक्रमिकता से क्या तात्पर्य है? मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक एक प्रमुख सामाजिक प्रेरक है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- “बाह्य अभिप्रेरण देने से आन्तरिक अभिप्रेरण में कमी आती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविक अभिप्रेरकों के दैहिक आधार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आन्तरिक प्रेरणा क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
- प्रश्न- दाव एवं खिंचाव तंत्र अभिप्रेरित व्यवहार में किस प्रकार कार्य करता है?
- प्रश्न- जैविक और सामाजिक प्रेरक।
- प्रश्न- जैविक तथा सामाजिक अभिप्रेरकों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आन्तरिक एवं बाह्य अभिप्रेरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणा चक्र पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के मापदण्ड बताइये।
- प्रश्न- पशु प्रणोद की माप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग से आप क्या वर्णन कीजिये। समझते हैं? इसकी विशेषतायें तथा इसके विकास की प्रक्रिया का
- प्रश्न- सांवेगिक अवस्था में क्या शारीरिक परिवर्तन होते हैं?
- प्रश्न- संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त का तुलनात्मक विवरण दीजिये।
- प्रश्न- संवेग शैस्टर-सिंगर सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- संवेग में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संवेगों पर किस प्रकार नियंत्रण कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'पॉलीग्राफिक विधि झूठ को मापने की उत्तम विधि है। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संवेग के
- प्रश्न- संवेग के कैननबार्ड सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा उनकी मानसिक योग्यता सामान्य छात्रों से कम होती है।
- प्रश्न- सार्वभौमिक एवं विशिष्ट संस्कृति संवेग की अभिवृत्ति के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गैल्वेनिक त्वक् अनुक्रिया का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- संवेग के आयामों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले बाह्य शारीरिक परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- झूठ संसूचना से क्या आशय है?
- प्रश्न- संवेग तथा भाव में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेग के मापन की कोई दो विधियाँ बताइये।