बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
लघु प्रश्न
1. निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिए।
2. सहभागी प्रेक्षण क्या है? इसके गुण-दोषों की व्याख्या कीजिये?
3. असहभागी प्रेक्षण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
4. प्रेक्षण विधि के चरणों की व्याख्या कीजिये।
5. क्रमबद्ध एवं अक्रमबद्ध प्रेक्षण विधि की संक्षिप्त व्याख्या कीजिये।
6. निरीक्षण विधि के गुण एवं दोषों की व्याख्या कीजिये।
7. निरीक्षण विधि के विभिन्न प्रकार बताइये।
उत्तर-
निरीक्षण विधि का अर्थ- प्रेक्षण विधि में प्रेक्षक (Observer) व्यक्ति के व्यवहार का प्रेक्षण (Observation) प्राय स्वाभाविक परिस्थिति में करता है। प्रेक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें प्रेक्षक व्यक्ति के व्यवहार में कभी हल्का हस्तक्षेप या कभी बिना हस्तक्षेप किये एक निश्चित समय तक व्यवहार का निरीक्षण करता है। निरीक्षण के आधार पर एक रिकार्ड तैयार करता है। बाद में रिकार्ड की विश्लेषणात्मक व्याख्या (Analytical interpretation) की जाती है। संक्षेप में 'निरीक्षण विधि में व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन केवल बाह्य रूप से किया जाता है। इस विधि में व्यक्ति की आन्तरिक दशा के विषय में केवल अनुमान लगाया जा सकता है।
निरीक्षण विधि के चरण
(Steps of Observation Method)
निरीक्षण विधि के प्रमुख चरण निम्न हैं-
1. व्यवहार का प्रत्यक्ष अध्ययन (Direct Study of Behaviour) - इस विधि में व्यवहार का प्रत्यक्ष अध्ययन होता है। किसी भी प्रकार का अप्रत्यक्ष अध्ययन इस विधि में नहीं किया जाता है।
2. निरीक्षत व्यवहार का रिकार्ड तैयार करना (Preparing Record of the Observed Behaviour) - इस विधि में प्रत्येक व्यवहार को नोट कर उसका एक रिकार्ड तैयार कर लेते हैं। जिससे किसी भी तथ्य को भूलने की संभावना न रहे और व्यवहार को वास्तविकता के क्रम में याद रक्खा जा सके।
3. निरीक्षित व्यवहार की व्याख्या एवं विश्लेषण (Analysis and Interpretation of Observed Behaviour) - निरीक्षण विधि में जो रिकार्ड तैयार किया जाता है। निरीक्षण के पश्चात फुर्सत में उसकी व्याख्या एवं विश्लेषण किया जाता है। इस चरण में बाह्य व्यवहार के आधार पर प्रयोज्य की आन्तरिक दशा के विषय में अनुमान किया जाता है।
4. सामान्यीकरण (Generalization) - निरीक्षण विधि के इस चरण में एक ही प्रकार की घटनाओं के व्यवस्थित अध्ययन के आधार पर सामान्य निष्कर्ष प्राप्त कर लिये जाते हैं। ये निष्कर्ष सबंधित समूह एवं वर्ग के समस्त व्यक्तियों पर सामान्यीकृत कर दिये जाते हैं।
प्रेक्षण विधि के प्रकार
(Types of Observation Method)
मनोवैज्ञानिकों ने प्रेक्षण के कई प्रकारों का वर्णन किया है। रिस (Reiss, 1971) ने प्रेक्षण को वैज्ञानिक सूचनाएँ (information) उत्पन्न करने की क्षमता के आधार पर दो भागों में बाँटा है
1. अक्रमबद्ध प्रेक्षण - प्रेक्षण की इस उपविधि में व्यवहार का प्रेक्षण करने के लिये कोई निश्चित नियम नहीं होते हैं और न ही प्रेक्षण वैज्ञानिक तार्किक क्रम (Scientific logical sequence) पर आधारित होता है। जैसे - भीड में लोगों के व्यवहार का अचानक निरीक्षण अक्रमबद्ध प्रेक्षण का उदाहरण होगा।
2. क्रमबद्ध प्रेक्षण- इस विधि में प्रेक्षण के लिये निश्चित तथा स्पष्ट नियम होते हैं। प्रेक्षण वैज्ञानिक एवं तार्किक क्रम पर आधारित होता है। बच्चों पर आक्रमणशीलता के प्रभाव का अध्ययन करने के लिये उन्हें आक्रमणशील वातावरण में रखकर, पूर्व निर्धारित योजना के आधार पर अध्ययन क्रमबद्ध प्रेक्षण का उदाहरण होगा।
3. सहभागी प्रेक्षण (Participant Observation) - इस विधि में प्रेक्षक प्रेक्षण किये जाने वाले समूह की क्रियाओं में भाग लेता है तथा व्यवहारों का प्रेक्षण भी करता है। इस विधि में प्रेक्षक समूह का पूर्वकालीन सदस्य (Whole time member) या अंशकालीन सदस्य (Part-time member) बनकर कार्य करता है।
सहभागी प्रेक्षण के गुण
(Merits of Participant Observation)
1. प्रेक्षण की इस विधि में व्यवहार का प्रेक्षण स्वाभाविक परिस्थिति (Natural condition)
में किया जाता है।
2. सहभागी प्रेक्षण से प्राप्त सूचनाएं काफी विस्तृत एवं अर्थपूर्ण होती हैं।
सहभागी प्रेक्षण के दोष
(Demerits of Participant Observation)
1. सहभागी प्रेक्षण मे प्रेक्षक समूह में सक्रिय रूप से भाग लेता है। इस कारण कई बार वह व्यवहार को समुचित रूप से रिकार्ड करने में असमर्थ हो जाता है।
2. समूह की अन्त क्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण एक विशेष भूमिका प्राप्त कर लेता है। अपनी भूमिका के कारण वह समूह के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है।
3. प्रेक्षक समूह की अन्त क्रिया में भाग लेने के कारण सावेगिक रूप से जुड़ जाता है। इसके
कारण व्यवहार की रिकार्डिंग प्रभावित हो जाती है।
असहभागी प्रेक्षण
Non - participant Observation
सहभागी प्रेक्षण में प्रेक्षक सामाजिक व्यवहार का अध्ययन स्वाभाविक परिस्थिति में करता है परन्तु वह समूह की क्रियाओं में भाग नहीं लेता है। वह संगठित (Structured) होता है। प्रेक्षक पूर्व निर्धारित योजना के आधार पर समस्या का निर्धारण कर आकडों का संकल्प करता है।
असहभागी प्रेक्षण के गुण
(Merits of Non - participant Observation)
1. असहभागी प्रेक्षण में प्रेक्षक के भाग न लेने के कारण वह समुचित व्यवहार का अध्ययन विस्तृत एवं व्यापक रूप से करने में समर्थ होता है। इस कारण अधिक वैध निष्कर्ष प्राप्त किये जा सकते हैं।
2. संगठित होने के कारण प्राप्त आकडे अधिक विश्वसनीय होते हैं।
3. प्रेक्षक की मनोवृत्ति का प्रभाव सहभागी प्रेक्षण की तुलना में कम पड़ता है क्योंकि प्रेक्षक का समूह के साथ किसी प्रकार का संबंध नहीं होता है।
असहभागी प्रेक्षण के दोष
(Demerits of Non-participant Observation)
1. असहभागी प्रेक्षण में समूह का व्यवहार इस बात से प्रभावित होता है कि प्रेक्षक उनके व्यवहार का निरीक्षण कर रहा है।
2. असहभागी प्रेक्षण की परिस्थिति पूर्ण रूप से स्वाभाविक नहीं हो पाती क्योंकि प्रयोज्य इस बात को लेकर सचेत रहते हैं कि कोई उनके व्यवहार को देख रहा है।
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- प्रश्न- मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिये। इसके लक्ष्य बताइये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- जब {D2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
- प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के किन्ही दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- दीर्घीकृत ध्यान का स्वरूप स्पष्ट करते हुए, उसके निर्धारक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान तथा दीर्घीकृत अवधान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबन्धन सिद्धान्त का विवेचन कीजिए तथा प्राचीन अनुबन्धन के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकल अनुबंधन तथा क्लासिकल अनुबंधन को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना से आप क्या समझते हैं? शाब्दिक सीखने के अध्ययन में उपयुक्त सामग्रियाँ बताइए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना में स्तरीय विश्लेषण किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना की संगठनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
- प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति में संरचनात्मक एवं पुनर्सरचनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रासंगिक तथा अर्थगत स्मृति से क्या आशय है? इनमें विभेद कीजिये।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को संक्षेप में बताते हुये दोनों में विभेद कीजिये।
- प्रश्न- 'व्यतिकरण धारण को प्रभावित करता है।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। स्मृति को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- स्मृति सहायक प्रविधियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- विस्मरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुनः प्राप्ति संकेतों के अभाव में किस प्रकार विस्मरण होता है?
- प्रश्न- स्मृति लोप क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के अवशेष-प्रसक्ति समाकलन सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- ध्यान के कौन-कौन से निर्धारक होते है?
- प्रश्न- दीर्घकालीन स्मृति तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ध्यान की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के संज्ञानपरक उपागम से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
- प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
- प्रश्न- गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन के समूह कारक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त के आधार पर बुद्धि की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' (OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणा से आप क्या समझते हैं? आवश्यकता, प्रेरक एवं प्रलोभन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न शारीरिक एवं सामाजिक मनोजनित प्रेरकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणाओं के संघर्ष से आप क्या समझते हैं? इसके समाधान करने के तरीकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- आवश्यकता-अनुक्रमिकता से क्या तात्पर्य है? मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक एक प्रमुख सामाजिक प्रेरक है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- “बाह्य अभिप्रेरण देने से आन्तरिक अभिप्रेरण में कमी आती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविक अभिप्रेरकों के दैहिक आधार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आन्तरिक प्रेरणा क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
- प्रश्न- दाव एवं खिंचाव तंत्र अभिप्रेरित व्यवहार में किस प्रकार कार्य करता है?
- प्रश्न- जैविक और सामाजिक प्रेरक।
- प्रश्न- जैविक तथा सामाजिक अभिप्रेरकों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आन्तरिक एवं बाह्य अभिप्रेरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणा चक्र पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के मापदण्ड बताइये।
- प्रश्न- पशु प्रणोद की माप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग से आप क्या वर्णन कीजिये। समझते हैं? इसकी विशेषतायें तथा इसके विकास की प्रक्रिया का
- प्रश्न- सांवेगिक अवस्था में क्या शारीरिक परिवर्तन होते हैं?
- प्रश्न- संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त का तुलनात्मक विवरण दीजिये।
- प्रश्न- संवेग शैस्टर-सिंगर सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- संवेग में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संवेगों पर किस प्रकार नियंत्रण कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'पॉलीग्राफिक विधि झूठ को मापने की उत्तम विधि है। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संवेग के
- प्रश्न- संवेग के कैननबार्ड सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा उनकी मानसिक योग्यता सामान्य छात्रों से कम होती है।
- प्रश्न- सार्वभौमिक एवं विशिष्ट संस्कृति संवेग की अभिवृत्ति के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गैल्वेनिक त्वक् अनुक्रिया का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- संवेग के आयामों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले बाह्य शारीरिक परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- झूठ संसूचना से क्या आशय है?
- प्रश्न- संवेग तथा भाव में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेग के मापन की कोई दो विधियाँ बताइये।