बी ए - एम ए >> आर्ट स्टेयर्स आर्ट स्टेयर्सडॉ. पूर्णिमाश्री तिवारी
|
0 5 पाठक हैं |
परास्नातक कक्षाओं नवीन पाठ्यक्रम पर आधारित
कहना है
जो विद्यार्थी कला में अपना कैरियर बनाने के लिए उच्च शिक्षा में पर्दापण कर रहे हैं, कला के क्षेत्र की पहली सीढ़ी में कदम रखने के लिए ‘आर्ट स्टेयर्स’ (Art Stairs))उपयुक्त पुस्तक है। इस पुस्तक के सृजन में विद्यार्थियों के नये कदम का तो ध्यान रक्खा ही गया है साथ ही सरलता से ग्राहय हो और रूचिकर भी रहे, इसका भी ध्यान रक्खा गया है। पुस्तक, कला विद्यार्थियो के साथ कला में अतिरिक्त रूचि रखने वालो के लिए मददगार होगी। नये पाठ्यक्रमानुसार 'ज्यामितीय कला' को भी आदि कला के साथ सरलता से व्यक्त किया गया है। ज्यादातर लोग ज्यामितीय शब्द आने मात्र से रेखागणित की तरह देखते है और असहज होकर कि कला में इसका क्या महत्व है और सोचते है इसका क्या काम है। विद्यार्थियों को समझना होगा कि ज्यामितीय कला आरम्भिक ग्रीक बाइजेण्टाइन गोथिक से लेकर आज तक चली आ रही है।
आज आधुनिक समय में ज्यामितीय कला का रूप व्यापकता से दिखाई देता है। जीवन यान्त्रिक का प्रयोग यत्र तत्र है तो कला कैसे अछूती रह सकती है। इनका विभिन्न आकारो का स्वरूप ने मानव मन का मोहा है। यही वजह है कि-यह कला स्वीकार हुई है इस स्वीकारोक्ति का अन्य कारण यह भी है इस परिवर्तनशील संसार की हू-ब-हू अनुकृति के। बनाए कुछ निश्चित व नियमो के आधार पर कलाकार कला का सृजन करना चाहता हैं सच भी है जो आनन्द हमें संगीत में मिलता है वह आनन्द ज्यामितीय कला में मिलता है।
अतः पुस्तक उद्देश्य विद्यार्थियो का सहजता से मार्गदर्शन करना है पुस्तक में जिन सिद्धान्तो और नियमो को बताया गया है वे किसी सीमा में बन्ध कर नही है। उदाहरण भारतीयता में रहकर ही दिये गये हैं सचेत होने पर भी कुछ त्रृटिया अवश्य होगी वे हमारे तक पहुचाने का कष्ट करेगे तो मुझे खुशी होगी। पुस्तक लेखन में मुझे मोनिका मिश्रा का, डॉ. सुबोध तिवारी का विशेष सहयोग मिला, जिसकी मैं आभारी रहूगी।
डॉ. पूर्णिमाश्री तिवारी
विभागाध्यक्ष
ललित कला विभाग
डी.ए.वी. कालेज, कानपुर
|