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साहित्यिक निबन्ध

डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :782
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2553
आईएसबीएन :9788180312779

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हिन्दी साहित्य-विषयक ७५ मौलिक निबन्धों का संग्रह

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साहित्यिक निबंध संग्रह

हिन्दी साहित्य-विषयक ७५ मौलिक निबन्धों का संग्रह

अनुक्रम

भारतीय एवं पाश्चात्य काव्य-सिद्धान्त
१. साहित्य : स्वरूप विवेचन ... 1
२. साहित्य और व्यक्तित्व ... 11
३. साहित्य की आत्मा ...18
४. साहित्य में कल्पना और बिम्ब ... 28
५. काव्य की मूल प्रेरणा और उसका प्रयोजन ... 36
६. कला कला के लिए ... 48
७. कविता क्या है? ... 54
८. नाटक : स्वरूप और रूपतत्व ... 60
९. रस-सिद्धान्त और उसका महत्व ... 68
१०. रस-निष्पत्ति और साधारणीकरण ... 75
११. बौद्धिक रस : एक नयी स्थापना ... 90
१२. अलंकार-सम्प्रदाय और उसके सिद्धान्त ... 99
१३. रीति-सम्प्रदाय और उसके सिद्धान्त ... 109
१४. ध्वनि-सम्प्रदाय और उसके सिद्धान्त ... 121
१५. वक्रोक्ति-सम्प्रदाय और उसके सिद्धान्त ... 131
१६. औचित्य-सम्प्रदाय और उसके सिद्धान्त ... 139
१७. प्लेटो का आदर्शवाद ... 146
१८. अरस्तू के काव्य-सिद्धान्त ... 154
१९. लोजाइनस का औदात्य-विवेचन ... 161
२०. क्रोचे का अभिव्यंजनावाद ... 167
२१. मैथ्यू आर्नल्ड के समीक्षा-सिद्धान्त ... 167
२२. टी. एस. इलियट के काव्य-सिद्धान्त ... 174
२३. आई. ए. रिचर्ड्स के काव्य-सिद्धान्त ... 184
२४. साहित्येतिहास या साहित्य की विकास-प्रक्रिया के सिद्धान्त ... 193
हिन्दी साहित्य का विकास
२५. हिन्दी-साहित्य का आविर्भाव-काल ... 201
२६. हिन्दी साहित्य का काल विभाजन : पुनर्विचार ... 225
२७. आदिकाल और उसकी समस्याएँ ...235
२८. भक्ति : उद्भव और विकास ... 243
२९. संत-काव्य : उद्गम-स्रोत और प्रवृत्तियों ... 251
३०. प्रेमाख्यानक काव्य-परंपरा : प्रेरणा व उद्गम-स्रोत ... 263
३१. हिन्दी प्रेमाख्यानक काव्य-परम्परा : प्रवृत्तियाँ ... 278
३२. राम-काव्य या पौराणिक प्रबन्ध-काव्य-परम्परा ... 294
३३. कृष्ण-भक्ति काव्य-धारा : विकास और प्रवृत्तियों ... 308
३४. रीतिबद्ध काव्य और उसकी प्रवृत्तियों ... 320
३५. स्वच्छन्द मुक्तक काव्य-परम्परा ... 332
३६. हिन्दी महाकाव्य : स्वरूप और विकास ... 343
३७. हिन्दी गीतिकाव्य : स्वरूप और विकास ... 361
३८. हिन्दी मुक्तक काव्य : स्वरूप और विकास ... 371
३९. हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास ... 380
४०. हिन्दी नाटक : उद्भव और विकास ... 398
४१. हिन्दी उपन्यास : स्वरूप और विकास ... 414
४२. हिन्दी कहानी : स्वरूप और विकास ... 428
४३. हिन्दी निबन्ध : स्वरूप और विकास ... 440
४४. हिन्दी एकांकी : स्वरूप और विकास ... 457
४५. हिन्दी आलोचना : स्वरूप और विकास ... 467
हिन्दी साहित्य : प्रमुख वाद एवं प्रवृत्तियाँ
४६. रहस्यवाद और हिन्दी काव्य ... 479
४७. छायावाद और हिन्दी काव्य ... 493
४८. प्रगतिवाद और हिन्दी-साहित्य ... 508
४९. प्रयोगवाद और नयी कविता ... 516
५०. यथार्थवाद और हिन्दी काव्य ... 538
५१. प्रतीकवाद और हिन्दी-काव्य . ... 546
५२. अस्तित्ववाद और नयी कविता ... 554
५३. हिन्दी-काव्य में प्रकृति-चित्रण ... 570
५४. हिन्दी-काव्य में नारी (नायिका) रूप ... 579
५५. हिन्दी-काव्य में राष्ट्रीयता की भावना ... 585
५६. हिन्दी-साहित्य में हास्य-रस ... 592
५७. हिन्दी-काव्य में विरह-वर्णन ... 607
हिन्दी की विशिष्ट प्रतिभाएँ
५८. चन्दवरदायी और उनका काव्य ... 621
५९. कबीर : चिन्तन और कला ... 628
६०. जायसी की प्रेम-व्यंजना ... 642
६१. सूरदास की भक्ति-भावना ... 651
६२. तुलसी की समन्वय-साधना ... 657
६३. मीरावाई का काव्य : नव मूल्यांकन ... 665
६४. मुक्तफ काव्य-परम्परा और विहारी ... 679
६५. भारतेन्दु की काव्य-साधना ... 686
६६. भारतेन्दु की नाट्य-कला ... 696
६७. प्रेमचन्द और उनका उपन्यास-साहित्य ... 704
६८. परम्परा और पुग-धर्म के संयोजक : मैथिलीशरण गुप्त ... 714
६९. प्रसाद की काव्य-साधना ... 720
७०. प्रसाद की नाट्य-कला ... 728
७१. पन्त का प्रकृति-चित्रण ... 740
७२. महादेवी का वेदना-भाव ... 747
७३. दिनकर की उर्वशी : प्रतीक-योजना एवं प्रतिपाय ... 755
७४. आचार्य शुक्ल की समीक्षा पद्धति ... 768
७५. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी : इतिहासकार के रूप में ... 776

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