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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 6. मस्तिष्क उद्वेलन (Brain Storming) क्या है?
अथवा
ब्रेन स्टार्मिग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-मस्तिष्क उद्धेलन
(Brain Storming)

शिक्षण नवाचार के अन्तर्गत शिक्षण आव्यूह रचना की एक प्रजातान्त्रिक प्रविधि है। इस विधि की अन्तर्निहित अवधारणा यह है कि एक व्यक्ति या बालक की अपेक्षा उन बालकों का समूह अधिक उत्तम विचार प्रस्तुत कर सकता है। मस्तिष्क उद्वेलन शिक्षण प्रविधि का प्रारूप मुख्यत: समस्या केन्द्रित होता है। इस प्रविधि के अन्तर्गत बालकों को सामूहिक रूप से एक समस्या दी जाती है और उसे उस समस्या पर वाद-विवाद करने को कहा जाता है। वाद-विवाद के दौरान जो विचार उनके मस्तिष्क में उत्पन्न होते हैं वे उनको स्वतन्त्र रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि बालको द्वारा प्रस्तुत सभी विचार पूर्ण रूप से सार्थक हों। इस प्रकार इस प्रविधि में समूह की गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया जाता है। इस समूह के द्वारा ही उस समस्या का विश्लेषणात्मक तथा संश्लेषणात्मक समीक्षा के द्वारा मूल्यांकन किया जाता है।

मस्तिष्क उद्वेलन इस सिद्धान्त पर आधारित है कि बालको को अन्त:क्रिया द्वारा अधिक से अधिक ज्ञान प्रदान किया जा सके। अत: इस प्रविधि का प्रयोग करते समय ऐसे साधनों का प्रयोग किया जाता है जो कि बालकों के मस्तिष्क को सामूहिक रूप से विचार-विमर्श एवं परामर्श के लिए गति एवं दिशा प्रदान कर सकें। शिक्षण आव्यूह रचना की यह प्रविधि बालक के संज्ञात्मक पक्ष के विकास में अधिक सहायक होती है। इसमें बालक का मस्तिष्क पूर्ण रूप से सक्रिय रहता है जिससे उसे अपनी मानसिक शक्तियों को विकसित करने का पूर्ण अवसर मिलता है। इस प्रविधि के द्वारा बालक के भावात्मक पक्ष का भी विकास होता है। इसमें बालक एक समूह में रहकर समस्या के सम्बन्ध में विचार-विमर्श करते हैं। मस्तिष्क उद्वेलन द्वारा बालकों में आत्मविश्वास, वास्तविकता तथा सृजनात्मकता इत्यादि गुणों का विकास करने में सहायता मिलती है। इसलिए अध्यापक को मस्तिष्क उद्वेलन का कक्षा में समय-समय पर प्रयोग करते रहना चाहिए जिससे बालकों में संज्ञानात्मक, भावात्मक व सृजनात्मक भावनाओं का अधिक से अधिक विकास हो सके। इस प्रविधि के द्वारा छात्रों में सामूहिक रूप से सोचने, कार्य करने तथा एक राय बनाने की आदतों का विकास भी होता है।

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