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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

* महाद्वीप एवं महासागर प्रथम श्रेणी के उच्चावच्च हैं।
* पृथ्वी के धरातल का लगभग 70.8 प्रतिशत भाग जल और 29.2 प्रतिशत भाग स्थल से आवृत्त है।
* उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल की जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में जल की प्रधानता है।
* उत्तरी गोलार्द्ध को स्थल गोलार्द्ध (Land hemisphere) कहा जाता है।
* दक्षिणी गोलार्द्ध को जल गोलार्द्ध (water hemisphere) कहा जाता है।
* पश्चिमी गोलार्द्ध में उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का आकार समृद्विबाहु त्रिभुज के रूप में है।
* धरातल पर जल तथा स्थल भाग एक-दूसरे के विपरीत स्थित हैं।
* केलविन के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति “वायव्य कुण्डलाकार निहारिका" (Gaseous spiral nebula) से हुई है।
* लेपवर्थ ने सागर तथा महाद्वीपों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण पृथ्वी के ऊपरी भाग में बड़े पैमाने पर वलन क्रिया को बताया।
* टेलर की परिकल्पना का मुख्य उद्देश्य टर्शियरी युग के पर्वतों की उत्पत्ति की व्याख्या करना था।
* टेलर ने महाद्वीपीय विस्थापन का प्रमुख कारण चन्द्रमा की ज्वारीय बल को बताया।
* चन्द्रमा की उत्पत्ति क्रीटैसियस युग में हुई।
* प्रशान्त महासागर चारों ओर से नवीन वलित पर्वतों से घिरा है।
* चतुष्फलक के कोनों पर महाद्वीपों एवं सपाट वाले भागों पर महासागरों की उत्पत्ति हुई।
* महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धान्त का प्रतिपादन सर्वप्रथम एफ0बी0 टेलर ने किया।
* टेलर के अनुसार क्रीटैसियस युग में दो स्थलखण्ड लारेशिया एवं गोंडवानालैण्ड थे।
* वेगनर के अनुसार कार्बोनिफेरस युग में सभी स्थलखण्ड आपस में जुड़े थे।
* कार्बोनिफेस से ट्रियासिक युग तक पैंजिया का विभाजन हुआ।
* अंगारालैण्ड एवं गौण्डवानालैण्ड के मध्य टेथिस सागर स्थित है।
* भारत गोण्डवानालैण्ड का एक हिस्सा है।
* ग्रीनलैण्ड अंगारालैण्ड (लारेशिया) का भाग है।
* वेगनर ने पैंजिया के विभाजन में तीन प्रमुख बलों को बताया है।
* एक स्फीयर (गोला-Sphere) वह आकृति है जिसका आयतन, धरातलीय क्षेत्रफल की अपेक्षा सर्वाधिक होता है।
* लोथियन ग्रीन अपना चतुष्फलक सिद्धान्त (Tetrahedral theory) का प्रतिपादन किया।
* एक चतुष्फलक वह आकृति है जिसका आयतन धरातलीय क्षेत्र की अपेक्षा न्यूनतम होता है।
* लव के अनुसार किसी भी वस्तु का ज्यामितीय केन्द्र (Geometric Centre) तथा गुरुत्व केन्द्र (Gravity centre) एक नहीं हुआ करता।
* ज्यामितीय सिद्धान्तों में लोथियन ग्रीन (Lowthian Green) की "चतुष्फलकीय परिकल्पना" अधिक महत्त्वपूर्ण है।
* लोथियन ग्रीन के अनुसार प्रारम्भ में पृथ्वी अत्यन्त तप्त थी और धीरे-धीरे शीतल होने लगी।
* आधुनिक युग में ग्रेनरी 'चतुष्फलकीय परिकल्पना' का प्रधान समर्थक हैं।
* "महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धान्त' का प्रतिपादन टेलर महोदय ने किया था।
* टेलर (Taylor) की परिकल्पना का मुख्य उद्देश्य था। टर्शियरी युग में मोड़दार (वलित) पर्वतों की व्याख्या करना।
* टेलर ने महाद्वीपों का प्रवाह मुख्य रूप से विषुवत रेखा की ओर बताया है।
* हिमालय, काकेशस तथा आल्पस पर्वत श्रेणियों का निर्माण लारेशिया तथा गोण्डवानालैण्ड के ध्रुवों की तरफ से विषुवत रेखा की ओर प्रवाहित होने के कारण बताया गया है।
* खिंचाव (Stretching) तथा विभंजन (Splitting) के फलस्वरूप 'बैकिन की खाड़ी' लेब्राडोर सागर तथा 'डेविस जल-डमरुमध्य' की रचना हुई।
* टेलर ने महाद्वीपीय विस्थापन को दो रूपों में बताया है—विषुवत रेखा की तरफ और पश्चिम की तरफ।
* स्नीडर का मुख्य उद्देश्य कार्बोनिफेरस युग के यूरोप के कोयले की तहों में विद्यमान वनस्पतियों के अवशेष तथा उत्तरी अमेरिका के कोयले की परतों की वनस्पतियों के अवशेष की समानता को स्पष्ट करना था।
* टेलर ने महाद्वीपों का प्रवाह मुख्य रूप से विषुवत रेखा की ओर बताया है। जिसका मुख्य कारण ज्वारीय बल (tidal force) को बताया गया है।
* प्रो0 अल्फ्रेड वेगनर जर्मनी के एक प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता तथा भूशास्त्रवेत्ता थे।
* वेगनर ने महाद्वीपीय भाग का नाम पैंजिया तथा महासागरीय भाग का नाम पैंथलासा रखा।
* वेगनर के अनुसार आन्ध्र महासागर के दोनों तटों पर भौगोलिक एकरूपता पायी जाती है। दोनों तट एक दूसरे से मिलाये जा सकते हैं।
* टेलर ने अपने सिद्धान्त का शुभारम्भ क्रीटैसियस युग से किया है। उस समय मुख्यतया दो स्थल भाग थे। लारेशिया का स्थल भाग उत्तरी ध्रुव के पास तथा गोंडवानालैण्ड दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित था।
* भूगर्भिक प्रमाणों के आधार पर आन्ध्र महासागर के दोनों तटों के कैलिडोनियन तथा हसीनियन पर्वतक्रमों में समानता पायी जाती है।
* आन्ध्रमहासागर के दोनों तटों पर चट्टानों में पाये जाने वाले जीवावशेषों तथा वनस्पतियों के अवशेषों में पर्याप्त समानता पायी जाती है।
* लोमिंग नामक छोटे-छोटे जन्तु स्कैण्डिनेविया के उत्तरी भाग में पाये जाते हैं।
* ग्लोसोप्टरिस वनस्पति का भारत, द0 अफ्रीका, फाकलैण्ड, आस्ट्रेलिया तथा अण्टार्कटिका में पाया जाना यह प्रमाणित करता है कि कभी ये स्थल भाग एक में मिले थे।
* भूमध्य रेखा की ओर का प्रवाह गुरुत्व बल तथा प्लवनशीलता के बल (Force of buoyancy) के कारण हुआ।
* महाद्वीप सियाल का बना है तथा सीमा से कम घनत्व वाला है अतः सियाल सीमा पर बिना रुकावट के तैर रहा है।
* ज्वारीय घर्षण पृथ्वी के भ्रमण पर ब्रेक का काम करती है।
* प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर की ओर प्रवाहित होने के कारण हिन्द महासागर का निर्माण हुआ।
* स्थल तथा जल का वर्तमान रूप प्लायोसीन युग तक पूर्ण हो गया था।
* महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धान्त के सहारे वेगनर ने वलित पर्वतों की उत्पत्ति की समस्या को भी सुलझाने का प्रयास किया है।
* कार्बोनिफेरस युग में द0 गोलार्द्ध में हिमावरण का व्यापक विस्तार हुआ था।

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