बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में आने वाली प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उच्च शिक्षा का प्रसार हमारे देश में इसी एक तथ्य से प्रमाणित हो जाता है कि आज हमारे देश में 160 विश्वविद्यालय हैं।
इन विश्वविद्यालयों द्वारा शिक्षा का प्रसार करने में निम्न कठिनाइयाँ आती हैं-
नये विश्वविद्यालय आज हमारे देश में 160 विश्वविद्यालय हैं परन्तु आज भी कभी-कभी नये विश्वविद्यालय की माँग उभरती है। यह एक विचारपूर्ण तथ्य है कि क्या हमें और विश्वविद्यालयों की आवश्यकता है? हमारे देश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का अनुपात 1 : 40 है जबकि इंग्लैण्ड तथा अमेरिका जैसे देश में यह अनुपात क्रमश: 1 : 12 तथा 1 : 3 है। इस तथ्य के साथ हमें यह भी देखना है कि इन राष्ट्रों के मुकाबले में हमारी जनसंख्या भी तीन या चार गुनी है। यदि सर्वेक्षण को आधार बनाया जाये तो इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि हमें सिंगिल फैक्लटी यूनिवर्सिटी की आवश्यकता अधिक है। जिन क्षेत्रों में इस प्रकार की सुविधाओं का मूलभूत ढाँचा पहले से ही विद्यमान है वहाँ पर इस प्रकार की यूनिवर्सिटी को आसानी से स्थापित किया जा सकता है। जमशेदपुर में खनिज विकास, सेवाग्राम में बुनियादी शिक्षा, कानपुर तथा अहमदाबाद के क्षेत्रों में टेक्सटाइल इंजीनियरिंग तथा रूड़की में इंजीनियरिंग आदि से सम्बन्धित यूनिवर्सिटी की स्थापना हो सकती है। वास्तव में, नये विश्वविद्यालयों की स्थापना के साथ-साथ उनके आर्थिक नियोजन की भी आवश्यकता है। बिना पूर्ण आर्थिक नियोजन के ये विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो सकते हैं।
सरकार तथा विश्वविद्यालय - हमारे संविधान में कहा गया है कि- “शिक्षा राज्य का विषय है। संविधान निर्मात्री समिति ने राज्य को उसके क्षेत्र में उच्च शिक्षा करने की व्यवस्था पर जोर दिया है। कुछ लोगों का ख्याल था कि उच्च शिक्षा केन्द्र का विषय होना चाहिए। राज्यों को माध्यमिक शिक्षा तक का उत्तरदायित्व सौंपना चाहिए।"
विश्वविद्यालय आयोग (सन् 1948 ) इस पक्ष में नहीं था कि उच्च शिक्षा को केन्द्र को सौंपा जाए। इसके दो प्रमुख कारण थे-
1. स्टीरियोटाइप शिक्षा का होना।
2. राज्य सरकार माध्यमिक तथा प्राथमिक शिक्षा का उत्तरदायित्व ले।
इससे केन्द्र व राज्य के मध्य गम्भीर असन्तुलन होगा।
राज्य सरकार तथा विश्वविद्यालय
भारतीय विश्वविद्यालय दो प्रकार से राज्य पर निर्भर रहते हैं-
1. विश्वविद्यालयों का निर्माण राज्य सरकार के द्वारा हुआ है तथा विश्वविद्यालय अपनी व्यवस्था तथा अपने विधान के लिए राज्य सरकार पर आश्रित रहते हैं।
2. ये विश्वविद्यालय राज्यों से आवर्त्तक तथा अनावर्त्तक अनुदान सहायता प्राप्त करते हैं। इसका परिणाम विधायकों पर निर्भर होता है।
विश्वविद्यालयों की सम्प्रभुता - पिछले कुछ समय से इस प्रकार की घटनाएँ प्रकाश में आई हैं जिससे विश्वविद्यालयों की सम्प्रभुता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। सरकार के द्वारा विश्वविद्यालयों की नीतियों व व्यवस्था में हस्तक्षेप करा जा सकता है, इससे विश्वविद्यालय की सम्प्रभुता तथा कर्मचारियों का स्वाभिमान भी क्षतिग्रस्त होता है।
उपकुलपति (वाइस चांसलर) को राज्यपाल (चासंलर) मुख्यमन्त्री तथा यहाँ कि राज्य के मन्त्रियों तक के आदेशों का पालन करना पड़ता है। इस सम्बन्ध में 14 जून, 1958 को एक एक्ट पारित हुआ जिसके निर्देशन में एक यूनिवर्सिटी एक्ट की स्थापना हुई जो विश्वविद्यालय को परामर्श देने का कार्य करती है। इस एक्ट के अनुसार विश्वविद्यालय की सम्प्रभुता प्रजातन्त्र में शिक्षा तथा शिक्षा में प्रजातन्त्र है।
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