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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के दोषों को बताइए।
उत्तर-
किण्डरगार्टन प्रणाली के दोष
(Demerits of Kindergarten Method)
किण्डरगार्टन शिक्षण प्रणाली के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
1. इस शिक्षण पद्धति में बालक को पढ़ाये जाने वाले विषयों में किसी प्रकार का सह-सम्बन्ध नहीं है।
2. इस पद्धति में व्यक्तित्व के विकास के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है, क्योकि यह अत्यन्त यान्त्रिक एवं औपचारिक है।
3. इस पद्धति में एकता के सिद्धान्त पर इतना अधिक बल दिया गया है कि वह अस्पष्ट और काल्पनिक हो गया है।
4. इस पद्धति में उपहारों व व्यवसायों में बालक बाँध दिया जाता है और वास्तविक स्वतंत्रता उसे नहीं मिलती।
5. इस पद्धति में बालक से अनुचित अपेक्षा की जाती है कि वह उपहारों से खेलकर फ्रॉबेल के दार्शनिक विचारों को समझ लेगा।
6. इस पद्धति में बालक के विकास के सिद्धान्त पर जोर दिया गया है, परन्तु यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि विकास किस प्रकार किया जाए।
7. आर्थिक समस्या के कारण फ्रॉबेल के उपहारों का प्रयोग प्रत्येक विद्यालय में सम्भव नहीं है।
8. कुछ शिक्षाशास्त्रियों का विचार है कि फ्रॉबेल के उपहार व्यर्थ हैं और इनसे समय नष्ट होता है। बालक को बहुत-सी बातों तथा वस्तुओं के रंग-रूप, आकृति का ज्ञान विद्यालय जाने के पूर्व हो जाता है।
9. इस शिक्षण पद्धति द्वारा माना जाने वाला यह विचार अमान्य है कि आन्तरिक विकास के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
10. इस पद्धति में प्रयोग किए जाने वाले खल गीत 'भद्दे' हैं, उनके पदों को याद करना कठिन है उनसे सम्बन्धित संगीत मधुर नहीं है और उनमें क्रमबद्धता नहीं है। गीत के पदों को व्यक्त करने वाले चित्र सुन्दर व आकर्षक नहीं हैं।
इस पद्धति के दोषों की ओर संकेत करते हुए वार्ड ने कहा है, "किण्डरगार्टन प्रणाली की प्रशंसनीय सफलता उस व्यक्ति पर निर्भर करती है जो इसे अच्छी तरह जानता है, लेकिन इसके यन्त्रवत और निष्प्राण होने की भी सम्भावना है। इसमें बालक के व्यक्तित्व के विकास के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है जिसकी प्रारम्भिक वर्षों में आवश्यकता होती है।'

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