बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
|
|
बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा के उद्देश्य
(Aims of International Education)
1. संकुचित भावनाओं को दूर करना - आज विश्व के देशों में संकुचित भावनाएँ व्याप्त हैं। आपसी विद्वेष के परिणाम हम अनेक छोटे युद्ध तथा विश्व युद्दों के रूप में देख चुके हैं। आज भी ईरान- ईराक युद्ध इसके ज्वलन्त परिणाम है। यदि संकुचित भावनाएँ नष्ट न हुई तो विश्व का विनाश सम्भव है, जैसा के. पी. सैयदन ने लिखा है -
"यदि आज विश्वयुद्ध महायुद्ध में फँस जायेगा, तो न यहाँ पर स्वास्थ्य रह जायेगा, न आर्थिक समृद्धि, न कला, न संस्कृति और न साहित्य पनप सकेगा।'
2. मानव के दृष्टिकोण को अधिक व्यापक करना - चूँकि वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास ने देशों की दूरी कम कर दी है अतः मानव के दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आवश्यक है। अतः शिक्षा का उद्देश्य मानव के दृष्टिकोण को व्यापक बनाना होना चाहिए जिससे विश्वबन्धुत्व की भावना का विकास हो सके।
3. विश्व संस्कृति का विकास करना - जैसे-जैसे प्रत्येक देश की अपनी संस्कृति होती है, वैसे ही विश्व संस्कृति भी है आवश्यकता है कि ऐसी संस्कृति का विकास किया जाये। अतः शिक्षा का उद्देश्य विश्व संस्कृति का निर्माण करना होना चाहिए।
4. विश्व नागरिकता का विकास करना - प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी देश का नागरिक होता है और उस आधार पर उसे अपने कुछ नागरिक कर्त्तव्यों का पालन करना पड़ता है परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के लिए शिक्षा का उद्देश्य विश्व नागरिकता का विकास होना चाहिए, इस सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा का आयोग का कथन उचित ही है। "वास्तविकता में इसलिए केवल देश प्रेम ही पर्याप्त नहीं है और तथ्य जीवन के अनुभव का पूरक होना चाहिए कि हम विश्व के एक सदस्य हैं और मानसिक तथा भावात्मक रूप से तैयार होना चाहिए जिससे ऐसी सदस्यता के दायित्वों का निर्वाह कर सकें।'
अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा का उद्देश्य विश्व की समस्याओं से परिचित करना होना चाहिए। विश्व की बहुत सी समस्याएं सामूहिक होती हैं और उनकी अनुभूति से सद्भावना का जागरण हो सकता है।
5. विश्व की समस्याओं से परिचित करना ।
|